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क्या शिक्षा से जलवायु कार्रवाई की प्रेरणा मिल सकती है?

हर साल 22 अप्रैल को दुनिया भर में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है जो पर्यावरण की रक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक वैश्विक आंदोलन है। जलवायु संकट के और भी गंभीर होने के साथ ही, आज पृथ्वी के ...

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‘ब्रिंग-ए-फ्रेंड’: महिलाओं के प्रजनन अधिकार में सुधार के लिए वित्तीय और साथी के समर्थन का लाभ उठाना

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के सन्दर्भ में प्रस्तुत दो आलेखों की श्रृंखला के इस दूसरे लेख में उन परिणामों पर प्रकाश डाला गया है, जिनसे पता चलता है कि अगर महिलाओं के साथी उनके साथ हों तो उनके परिवा...

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मम्मी-जी को मनाना : भारत में परिवार नियोजन के लिए सास की स्वीकृति

भारत में हर साल 11 अप्रैल को, जो कस्तूरबा गाँधी की जयन्ती होती है, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे मानाने का उद्देश्य गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर चरणों में माताओं के ...

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मनरेगा निधि का आवंटन: मांग आधारित काम की गारंटी का भुगतान

केंद्र ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के लिए वित्त पोषण हेतु अतिरिक्त राशि के रूप में रुपये 25,000 करोड़ की मांग की है। अश्विनी कुलकर्णी ने आधिकारिक आंकड़ों का उपयोग...

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सहभागी रंगमंच के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना

भारत में उनतीस प्रतिशत महिलाओं ने सूचित किया है कि वे अपने जीवन-साथी से हिंसा की शिकार हुई हैं। पश्चिम बंगाल राज्य के 92 गांवों को शामिल कर किये गए एक क्षेत्रीय अध्ययन के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: अंतर-वैवाहिक पदानुक्रम और कामकाजी माताओं के बारे में धारणाएं

भारत में महिलाएं अवैतनिक घरेलू काम करते हुए अपने परिवार के पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक समय बिताती हैं, और दोगुना समय बच्चों और आश्रित वयस्कों की देखभाल संबंधी गतिविधियों में बिताती हैं। यह ले...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: उत्तर भारत में महिलाओं की गतिशीलता

यद्यपि भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले संरचनात्मक और सामाजिक परिवर्तन कई मायनों में हुए हैं, महिलाओं की प्रत्यक्ष गतिशीलता अभी भी बहुत कम है। यह लेख, उत्तर भारत के तीन शहरी समूहों के प्राथम...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: क्या कामकाजी महिलाएं अधिक स्वायत्तता अनुभव करती हैं?

भारत में महिलाओं की कार्य में सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी होता है। यह लेख, उत्तर भारत के चार शहरी समूहों में किये गए एक घरे...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: भारत में महिला श्रम-शक्ति की भागीदारी इतनी कम क्यों है?

भारत में महिलाओं की श्रम-शक्ति में भागीदारी एक जटिल सामाजिक मसला है, जो अन्य बातों के अलावा– पितृ-सत्तात्मक मानदंड, ग्रामीण-शहरी संक्रमण, और मांग एवं आपूर्ति कारकों के बेमेल होने के परिणामस्वरूप उत्पन...

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ई-संगोष्ठी का परिचय: उत्तर भारत में शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन

भारत में तेजी से हो रहा शहरीकरण लोगों के व्यवहार के प्रचलित सामाजिक और आर्थिक पैटर्न को इस तरह से बदल रहा है कि विद्वान इसे अभी पूरी तरह से नहीं समझ सके हैं। भारत में तेजी से हो रहा यह शहरीकरण कई महत्...

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भारत में भूमि के स्वामित्व के सन्दर्भ में लैंगिक और आंतर-लैंगिक अंतर

हालाँकि महिलाओं के भू-स्वामित्व को उनके आर्थिक सशक्तिकरण के एक प्रमुख संकेतक के रूप में पहचाना जाता है, भारत में कितनी और किन महिलाओं के पास भूमि है, इसका कोई विस्तृत अनुमान नहीं है। नौ राज्यों के लिए...

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शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं: भारत में पुरुषों का शौचालय स्वामित्व और उनकी शादी की संभावनाएं

निरंतर किये जा रहे अनुसंधान से पता चलता है कि परिवारों के लिए स्वच्छता निवेश में लागत एक प्रमुख बाधा रही है। मध्य-प्रदेश और तमिलनाडु में किये गए एक सर्वेक्षण के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि वित्तीय औ...

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क्या ‘वादे’ कारगर होते हैं? 'अपनी बेटी अपना धन' कार्यक्रम के दीर्घकालिक लाभों का आकलन

1994-1998 के दौरान, हरियाणा की राज्य सरकार ने बाल विवाह की समस्या के समाधान हेतु एक सशर्त नकद हस्तांतरण कार्यक्रम चलाया; जिसके तहत, समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के माता-पिता को, यदि उनकी बेटी 18 ...

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शहर-नियोजन को लोकतांत्रिक बनाना: 'मैं भी दिल्ली' अभियान से कुछ विचार

दिल्ली मास्टर प्लान 2041 के अंतर्गत नागरिकों के विचारों को शामिल करना सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2018 में ‘मैं भी दिल्ली’ अभियान शुरू किया गया था। इस संदर्भ में, शलाका चौहान शहर-नियोजन प्रक्रियाओं में स...

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