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गतिशीलता के माध्यम से लैंगिक असमानता से लड़ना : दिल्ली की ‘पिंक टिकट’ योजना का आकलन

आवागमन में व्याप्त लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए, दिल्ली सरकार ने वर्ष 2019 में महिलाओं के लिए किराया-मुक्त बस यात्रा योजना की शुरुआत की। शहर में महिला यात्रियों के एक सर्वेक्षण के आधार पर, निशा...

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महिलाओं के कार्यबल की क्षमता को बढ़ाना

शैक्षिक उपलब्धि और स्वास्थ्य परिणामों में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढाने में भारत पीछे है, जिसके चलते तेज़ और समावेशी आर्थिक विकास का लक्ष्य बाधित हो रहा है। इस लेख मे...

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माता-पिता एवं शिक्षक के बीच सहयोग के माध्यम से आधारभूत शिक्षा को बढ़ावा देना

प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन में प्रगति होने के बावजूद, ग्रामीण भारत में 50% से अधिक विद्यार्थी मूल साक्षरता हासिल करने में असफल रहते हैं, जबकि 5वीं कक्षा के अंत तक 44% विद्यार्थियों में अंकगणित कौ...

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दस प्रतिशत कोटा: क्या जाति अब पिछड़ेपन की सूचक नहीं रही है?

संविधान (124वां संशोधन) विधेयक 2019 सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देकर ‘‘आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों’’ को आगे बढ़ाने के प्रावधान का प्रयास करता है। इसका मतलब कोटा के आध...

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क्या ग्रामीण भारत में सड़कों से वोट मिलते हैं?

भारत में 2001 में जिन गांवों में पक्की सड़क नहीं थी, ऐसे दो-तिहाई से भी अधिक गांवों को एक बड़े पैमाने के ग्रामीण सड़क कार्यक्रम के तहत सड़कें उपलब्ध कराई गई हैं। क्या कनेक्टिविटी और कल्याण में इन सुधा...

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भारत में राजनीतिक भागीदारी में लगातार मौजूद लैंगिक अंतर

पूरी दुनिया में, खास कर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महिलाएं नागरिक के रूप में राजनीतिक क्षेत्र में पुरुषों से कम दिखाई देती और बोलती हैं। इस लेख में भारत के मध्य प्रदेश में राजनीतिक भागीदारी में ...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: वित्तपोषण के लिए करों की जांच-पड़ताल अत्यंत महत्वपूर्ण

इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के पूर्व नैशनल फैलो प्रोफेसर एस. सुब्रामनियन ने आय अंतरण योजना को समायोजित करने के लिए बढ़े कराधान और वांछित वृद्धि के संभावित स्तर के लिए कुछ अनुमान करने के प्रश्न...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के विस्तार को प्राथमकिता

आइजीसी इंडिया के कंट्री डायरेक्टर डॉ. प्रोनाब सेन का तर्क है कि यह देखते हुए कि अधिकांश गरीबी उच्च निर्भरता अनुपातों के कारण हैं – पहली प्राथमिकता वर्तमान सामाजिक सुरक्षा का विस्तार होना चाहिए जिसमे ब...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: गरीबी के दीर्घकालिक समाधान के बजाय उपयोगी 'प्राथमिक उपचार'

लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मैत्रीश घटक का तर्क है कि न्याय द्वारा जिस तरह के नकद अंतरण के बारे में सोचा गया है, उससे जीवन निर्वाह के हाशिए पर जी रहे गरीब लोगों को कुछ राहत और स...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: बहुआयामी गरीबी से निपटने का साधन

प्रगति अभियान की निदेशक अश्विनी कुलकर्णी इस विचार को सामने रखती हैं कि न्याय जैसे बिना शर्त आय अंतरण कार्यक्रम से बहुआयामी गरीबी की समस्या हल करने और गरीबों के सबसे असुरक्षित हिस्से को जिंदा रहने से आ...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: सही लक्ष्यीकरण करना

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डीएगो में अर्थशास्त्र के टाटा चांसलर्स प्रोफेसर कार्तिक मुरलीधरन ने न्याय के तहत देश में सबसे गरीब 20 प्रतिशत प्रखंडों (ब्लॉक्स) को लक्षित करने की और उन क्षेत्रों में न...

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'न्याय' विचार-गोष्ठी: न्याय से अन्याय न हो

रांची विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर ज्यां द्रेज़ ने भारत में सामाजिक सुरक्षा के व्यापक संदर्भ में ‘न्याय’ की भूमिका पर चर्चा की है और इस योजना के लिए कुछ संभावित सिद्धांत प्रस्तावित किए हैं।...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: न्याय का संभावित मैक्रोइकोनॉमिक प्रभाव

आईडीएफसी इंस्टिट्यूट के रिसर्च डायरेक्टर और सीनियर फेलो निरंजन राजाध्यक्ष का तर्क है कि न्याय की अनुमानित लागत काफी है और योजना के राजकोषीय बोझ के बारे में चिंतित होने के पर्याप्त कारण हैं। इसके अलावा...

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‘न्याय’ विचार-गोष्ठी: यूनिवर्सल बेसिक इनकम के एक अनुपूरक का पक्ष

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कली में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रनब बर्धन ने एक आय अनुपूरक के पक्ष में तर्क दिए हैं, लेकिन वह जो सबको उपलब्ध हो।...

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विचार-गोष्ठी की प्रस्तावना: कांग्रेस के 'न्याय' का विश्लेषण

जारी संसदीय चुनाव में कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में की गई एक बड़ी घोषणा न्यूनतम आय की गारंटी के प्रस्ताव – न्यूनतम आय योजना (न्याय) की है। इस विचार गोष्ठी में भरत रामास्वामी (अशोका विश्वविद्यालय), ...

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