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सुंदरबन में मानव-वन्यजीव संघर्ष का प्रबंधन

बाघों के लिए विशिष्ट रूप से अनुकूलित घर होने के साथ-साथ, सुंदरबन इस क्षेत्र में मानव आबादी के लिए आजीविका का एक स्रोत भी है। डांडा और मुखोपाध्याय इस लेख में मानव-वन्यजीव संघर्ष के स्वरूप और जलवायु परि...

  • लेख

भूमि संबंधी ऐतिहासिक नीतियाँ और सामाजिक-आर्थिक विकास : उत्तर प्रदेश का मामला

उत्तर प्रदेश में विकासात्मक परिणामों में महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय भिन्नता पाई जाती है और शोध से पता चलता है कि ऐसा आंशिक रूप से, राज्य के भीतर औपनिवेशिक भूमि संबंधी नीतियों में अंतर के दीर्घकालिक प्रभा...

  • लेख

बदलती जलवायु में बाघों का संरक्षण

बाघ वन साम्राज्य के सबसे राजसी जीवों में से एक हैं। सफ़ेद बाघ और रॉयल बंगाल टाइगर से लेकर साइबेरियन बाघ तक, इन की कई प्रजातियाँ हैं और इनमें से प्रत्येक अपने निवास स्थान पर गर्व से राज करती है। जलवायु...

  • दृष्टिकोण

मध्य भारत के आदिवासी समुदाय : चुनौतियाँ और आगे की राह

‘आदिवासी आजीविका की स्थिति’ रिपोर्ट ने एक बार फिर मध्य भारत में जनजातियों की भयावह स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया है। विश्व के मूल व आदिवासी लोगों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनकी रक्षा क...

  • फ़ील्ड् नोट

पिछले तीन दशकों में भारत में मोटे अनाज की खपत और व्यापार

गत वर्ष, 2023 को 'अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष’ के रूप में मनाया गया। जलवायु परिवर्तन के झटकों को देखते हुए बढ़ती जनसँख्या को भविष्य के खाद्य संकट से बचाने में मोटे अनाजों की एक बड़ी भूमिका हो सकती है। कदन...

  • दृष्टिकोण

भारत में ज़मीन की महँगाई और इसके उपाय

भारत में ज़मीन की कीमत उसके मौलिक मूल्य की तुलना में अधिक है, जिसके चलते देश में आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है। इस लेख में, गुरबचन सिंह दो व्यापक कारकों- शहरी भारत में लाइसेंस-परमिट-कोटा राज और ग्रा...

  • दृष्टिकोण

आम भूमि रजिस्ट्री की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता

भारत की आम भूमि के बारे में विस्तृत आँकड़ों की व्यापक कमी भूमि संरक्षण, संसाधन उपयोग और भूमि अधिकार को प्रभावित करती है। चंद्रन और सिंह ने सूचना विषमता को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए इस लेख में...

  • फ़ील्ड् नोट

वन अधिकार अधिनियम : विरोधाभासी संरक्षण कानूनों का लेखा-जोखा

वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के बारे में अपने दूसरे लेख में, भारती नंदवानी ने इस बात की जांच के लिए कि एफआरए की शुरूआत के बाद भूमि सम्बन्धी विवाद क्यों बढ़े, भूमि संघर्षों पर डेटा का उपयोग किया है। वे विर...

  • लेख

वन अधिकार अधिनियम- स्थानीय समुदायों की राजनीति में सहभागिता

वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के कार्यान्वयन के बारे में अपने दो लेखों में से पहले लेख में, भारती नंदवानी ने ओडिशा के अनुसूचित जनजातियों की राजनीति में सहभागिता के संदर्भ में भूमि स्वामित्व मान्यता की बढ़...

  • लेख

क्या परिवहन में ढाँचागत विकास से ग्रामीण भूमि असमानता बढ़ती है?

परिवहन से जुड़े आधारभूत संरचना में निवेश से व्यापार लागत कम होती है और गांव शहरी बाज़ारों के साथ जुड़ जाते हैं। यह लेख दर्शाता है कि इस स्थानिक एकीकरण के कारण ग्रामीण भारत में भूमि असमानता बढ़ने का अनपेक...

  • लेख

भारत में सिंचाई और स्थानीय आर्थिक विकास के स्थान आधारित पैटर्न

भारत की सिंचाई परियोजनाओं का उद्देश्य कृषि की उत्पादकता और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है। इस लेख में ब्लेकस्ली एवं अन्य द्वारा स्थानीय आर्थिक गतिविधियों की संरचना में सिंचाई उपलब्ध होने के दीर्घकालि...

  • लेख

प्रवासन-प्रेरित मांग के प्रति शहरी भारत की आवास आपूर्ति प्रतिक्रिया

क्या भारत में शहरी आवास आपूर्ति ने आवास की बढ़ती मांग के साथ तालमेल बिठाया है? यह लेख, वर्ष 2001 और 2011 के बीच के जनगणना संबंधी आंकड़ों का उपयोग करते हुए प्रवासन से प्रेरित आवास मांग की प्रतिक्रिया क...

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