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भारत में उद्यमिता और रोज़गार में लैंगिक असमानताओं का आकलन

आर्थिक विकास सम्पूर्ण कार्यबल के सफल उपयोग पर निर्भर करता है। एजाज़ ग़नी का तर्क है कि लैंगिक समानता न केवल मानवाधिकारों का एक प्रमुख स्तम्भ है, बल्कि उच्च और अधिक समावेशी आर्थिक विकास को बनाए रखने का ए...

  • दृष्टिकोण

भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक

समाचार पत्र भारतीय मतदाताओं के लिए राजनीतिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राजनीतिक कारक समाचार पत्र बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करते हैं। 2000 के दशक क...

  • लेख

क्या सुरक्षित पेयजल से बच्चों के शैक्षिक परिणामों में सुधार हो सकता है?

यह अच्छी तरह से प्रमाणित हो चुका है कि शुद्ध पानी पीने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होते हैं, लेकिन क्या इससे बच्चों के शैक्षिक परिणामों में भी सुधार हो सकता है? साफ पानी का अधिकार एक मूल अधिकार है और एक स...

  • लेख
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कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य: क्या बच्चे वापस स्कूल में जाने के लिए तैयार हैं?

कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य' पर आयोजित की गई I4I ई-संगोष्ठी के पूर्व भाग में स्कूल बंद होने के कारण, विशेष रूप से हाशिए पर रहे और कमजोर समूहों से संबंधित बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले...

  • लेख

कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य: बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान देना

शांतनु मिश्रा (सह-संस्थापक और ट्रस्टी, स्माइल फाउंडेशन) चर्चा करते है कि कैसे कोविड के कारण सामाजिक आवागमन और सामाजिक कार्यकलापों पर लगे प्रतिबंध एवं घर में अनुकूल माहौल बनाने के लिए वयस्कों पर पूर्ण ...

  • दृष्टिकोण

कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य: "इन्फोडेमिक" से लड़ाई, एक समय में एक फोन कॉल

भारत में कोविड-19 के बारे में जानकारी संप्रेषित करने की नीतियों में मुख्य रूप से टेक्स्ट संदेश और फोन कॉल की शुरुआत में रिकॉर्ड किए गए वॉयस मैसेज शामिल हैं। कर्नाटक में गारमेंट श्रमिकों के किये गए एक ...

  • लेख

कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य: टेलीकाउंसलिंग के माध्यम से महिलाओं की मानसिक स्थिति में सुधार लाना

कोविड-19 जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति के कारण परिवार में निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, देखभाल की अधिक जिम्मेदारियां, और जीवन-साथी द्वारा हिंसा के खतरे के चलते महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य की ...

  • लेख

कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य: ई-संगोष्ठी का परिचय

कोविड-19 महामारी और इससे संबंधित लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा जिसके कारण सबसे कमजोर वर्गों को आजीविका, कमाई का नुकसान हुआ और उन्हें खाद्य असुरक्षा भी झेलनी पड़ी। यद्यपि इस महामार...

  • विचार-गोष्ठी

भारतीय राज्यों में जातिगत असमानता को मापना

हालांकि असमानता संबंधी हाल के शोध से पता चलता है कि उच्च जातियां भौतिक कल्याण की दृष्टी से बहुत आगे हैं, पूरे भारत में जातिगत असमानता में व्यापक भिन्नता है। जातिगत असमानता के तीन रूपों - परिणाम (आय), ...

  • लेख

श्रम-प्रधान उद्योगों में श्रमिकों की अनुपस्थिति का सामना करना

श्रम-प्रधान उद्योगों में श्रमिकों की अनुपस्थिति फर्मों की उत्पादकता में हानि का कारण बनती है, जिसके चलते श्रमिकों के लिए उत्पादकता-आधारित प्रोत्साहन की संभावना कम होती है। कर्नाटक में किये गए एक अध्यय...

  • लेख

क्या सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में वंचित समूहों के लिए आरक्षण (कोटा) उनके कल्याण को बढ़ावा दे सकता है?

सकारात्मक कार्रवाई संबंधी नीतियां विवादास्पद रही हैं क्योंकि कई लोगों का यह तर्क है कि इनके लाभ इन नीतियों से बाहर रखे गए लोगों के बदले में मिलते हैं और ये लाभ वंचित समूहों में से अभिजात वर्ग को असमान...

  • लेख

हाई स्कूल में विज्ञान? कॉलेज और नौकरी के परिणाम

भारत में विज्ञान के अध्ययन के साथ जुड़े कैरियर पथ, हाई स्कूलों में अन्य विषयों के अध्ययन से जुड़े कैरियर पथ के मुक़ाबले, अधिक प्रतिष्ठित और लाभप्रद माने जाते हैं। यह लेख उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ...

  • लेख

संपन्न शहरी परिवारों में जल संरक्षण को प्रेरित करना

पानी की मांग को कम करना - विशेष रूप से संपन्न, शहरी घरों में - सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने और इसे एक किफायती मूल्य पर बनाए रखने के लिए बढ़ती आपूर्ति के बोझ को कम कर सकता है। बेंगलुरू में किये गए ए...

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अल्पकालिक बीमारी और परिवार में श्रम का प्रतिस्थापन

गरीब कृषि परिवारों में स्वास्थ्य-संबंधी झटकों की वजह से होने वाले चिकित्सा खर्चों का असर उनके पास के सीमित संसाधनों पर पड़ता है और इसके परिणामस्वरूप रोजगार के संभावित उत्पादक दिनों का नुकसान होता है। ...

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जागरूकता और आत्म-रक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सामना करना

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के प्रति हिंसा में 2018 की तुलना में 7.3% की वृद्धि हुई है जिसमें तीन में से एक महिला शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा की शिकार होती...

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