Main Banner Image

भारत में उद्यमिता और रोज़गार में लैंगिक असमानताओं का आकलन

आर्थिक विकास सम्पूर्ण कार्यबल के सफल उपयोग पर निर्भर करता है। एजाज़ ग़नी का तर्क है कि लैंगिक समानता न केवल मानवाधिकारों का एक प्रमुख स्तम्भ है, बल्कि उच्च और अधिक समावेशी आर्थिक विकास को बनाए रखने का ए...

  • दृष्टिकोण

क्या सुरक्षित पेयजल से बच्चों के शैक्षिक परिणामों में सुधार हो सकता है?

यह अच्छी तरह से प्रमाणित हो चुका है कि शुद्ध पानी पीने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होते हैं, लेकिन क्या इससे बच्चों के शैक्षिक परिणामों में भी सुधार हो सकता है? साफ पानी का अधिकार एक मूल अधिकार है और एक स...

  • लेख

क्या मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के प्रति आरबीआई की प्रतिबद्धता विश्वसनीय है?

आरबीआई द्वारा लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (एफआईटी) को अपनाए जाने के आठ साल बाद गर्ग, लकड़ावाला और सेनगुप्ता इस फ्रेमवर्क की सफलता का मूल्यांकन करते हैं। वे कोविड-पूर्व अवधि में मुद्रास्फीति लक्ष्यीक...

  • लेख
इनके द्वारा सूची स्पष्ट करें :
--कृपया चुने--
--कृपया चुने--

भारत में हिंदू-मुस्लिम प्रजनन दर में अंतर: 2011 की जनगणना के अनुसार जिला-स्तरीय अनुमान

2011 की भारतीय जनगणना के आंकड़े हिंदू आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी की उच्च वृद्धि दर दिखाते हैं। इस लेख में जिला स्तर पर हिंदू-मुस्लिम प्रजनन में अंतर और राज्य स्तर पर उनकी प्रवृत्तियों का एक सटीक...

  • लेख

पोषण में सुधार हेतु स्कूली भोजन योजनाओं का महत्‍व

भारत में अल्‍पपोषित बच्चों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है और यहां मिड-डे मील (एमडीएम) के रूप में स्कूली भोजन की सबसे बड़ी योजना जारी है परंतु इस योजना के अंतर-पीढ़ीगत प्रभाव पर सीमित साक्ष्‍य उपलब्...

  • लेख

कोटा (आरक्षण) और स्कूली शिक्षा सम्बन्धी निर्णय

सामाजिक समूहों में व्याप्त असमानताओं को पाटने के एक साधन के रूप में, सकारात्मक कार्रवाई, दशकों से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। यह लेख 1990 के दशक में सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और कॉलेजों में भारत ...

  • लेख

शिशु जन्म का बढ़ता वित्तीय बोझ

कई भारतीय राज्यों में, अभी भी बड़ी संख्‍या में शिशुओं को घर पर ही जन्‍म दिया जाता है, और सार्वजनिक एवं निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं में संस्थागत प्रसव पर लोगों को अपनी जेब से अधिक पैसा खर्च करना पड़त...

  • दृष्टिकोण

कोविड -19 लॉकडाउन और प्रवासी श्रमिक: बिहार और झारखंड के व्यावसायिक प्रशिक्षुओं का सर्वेक्षण – II

कोविड -19 और इससे संबंधित लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां चली गई, जिसके फलस्वरूप शहरों से प्रवासी श्रमिकों का पलायन हुआ। इस लेख में, चक्रवर्ती एवं अन्य, उनके द्वारा ग्रामीण बिहार और झा...

  • फ़ील्ड् नोट

वह जीतती है: जातीय आधार पर विभाजित समाजों में महिलाओं का चुनाव

भारतीय संविधान के अनुसार ग्रामीण स्थानीय सरकारों में महिलाओं के लिए कम से कम 33% सीटें आरक्षित हैं, और बिहार उन नौ राज्यों में से है जिन्होंने 50% आरक्षण का विकल्प चुना है। हालांकि, राज्य और केंद्र स्...

  • फ़ील्ड् नोट

प्रोद्योगिकी में लैंगिक परिवर्तन: कृषि मशीनीकरण से साक्ष्य

भारतीय कृषि में बढ़ते मशीनीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर महिलाओं के लिए कृषि रोजगार में कमी आई है। यह लेख दर्शाता है कि 1999-2011 के दौरान मशीनीकरण में 32 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो कृष...

  • लेख

आरम्भ वही करे जो समाप्त हो सके! जोखिम और स्कूली शिक्षा में निवेश

आर्थिक झटकों के परिणामों को कम करने के लिए माता-पिता अधिक काम करने के लिए प्रेरित होते हैं और बच्चों का अधिक समय घर के कामों में उनकी मदद करने या परिवार के खेतों में बीत सकता है, जिससे उनकी स्कूली शिक...

  • लेख

कोविड-19 संकट ने शहरी गरीबों को कैसे प्रभावित किया है? एक फोन सर्वेक्षण के निष्कर्ष-III

हालांकि भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव को सभी जानते हैं परंतु इसके आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आयामों पर अपेक्षाकृत कम साक्ष्‍य उपलब्‍ध है। दिल्ली के औद्योगिक समू...

  • फ़ील्ड् नोट

दहेज ग्रामीण भारत में परिवार के फैसलों को कैसे प्रभावित करता है?

यह व्यापक रूप से माना जाता है कि भारतीय माता-पिता बेटी के पैदा होते ही दहेज के लिए बचत करना शुरू कर देते हैं। ग्रामीण भारत में दहेज पर दो-भाग की श्रृंखला के इस दूसरे भाग में, यह लेख इस बात की जांच करत...

  • लेख

ग्रामीण भारत में दहेज प्रथा का क्रमिक उद्भव: 1960-2008 के साक्ष्य

1961 से अवैध घोषित किये जाने के बावजूद, दहेज परंपरा ग्रामीण भारत में व्यापक रूप से फैली हुई है। दो - भागों की श्रृंखला के इस पहले भाग में, यह लेख राज्यों और धार्मिक एवं सामाजिक समूहों में 1960 - 2008 ...

  • लेख

दो बच्चों की सीमा का स्थानीय राजनेताओं पर प्रभाव

भारत के कुछ राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को स्थानीय चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं है। इस कॉलम से पता चलता है कि इस प्रकार के कानून के कारण ऐसे राज्यों में सामान्य जनता के बीच प्रजनन दर क...

  • लेख