स्वच्छ ईंधन में बदलाव हेतु महिलाओं के समय का मूल्य (महत्त्व) बढ़ाना
ग्रामीण भारत में अधिकांश महिलाएँ पारंपरिक ईंधन का उपयोग जारी रखती हैं, जिसके चलते घरेलू कामों में उनका अधिक समय व्यतीत होता है। फरज़ाना अफरीदी ने इस लेख में मध्य प्रदेश में हुए एक सर्वेक्षण के परिणामों...
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Farzana Afridi
12 जून, 2025
- लेख
क्या औद्योगिक जल प्रदूषण कृषि उत्पादन को नुकसान पहुँचाता है?
वर्ष 1973 से प्रतिवर्ष जून की 5 तारीख का विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में पालन किया जाता है। पर्यावरण के सभी घटकों, पर्यावास और प्राणियों का आपसी सम्बन्ध अति सूक्ष्म और जटिल होता है, यह दिन इसी जागरूकता...
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Nicholas Hagerty
Anshuman Tiwari
05 जून, 2025
- लेख
आर्थिक विकास और महिलाओं के खिलाफ अपराध
जैसे-जैसे आर्थिक विकास होता है, प्रौद्योगिकी शक्ति-प्रधान की बजाय कौशल पर अधिक निर्भर होती जाती है, जिससे महिलाओं की कमाई की सम्भावना बढ़ जाती है। इस लेख में, वर्ष 2004-2012 के भारतीय डेटा का विश्लेषण...
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James Allan Jones
Debasis Bandyopadhyay
Asha Sundaram
29 मई, 2025
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: उत्तर भारत में महिलाओं की गतिशीलता
यद्यपि भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले संरचनात्मक और सामाजिक परिवर्तन कई मायनों में हुए हैं, महिलाओं की प्रत्यक्ष गतिशीलता अभी भी बहुत कम है। यह लेख, उत्तर भारत के तीन शहरी समूहों के प्राथम...
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Vidisha Mehta
Harish Sai
20 दिसंबर, 2021
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: क्या कामकाजी महिलाएं अधिक स्वायत्तता अनुभव करती हैं?
भारत में महिलाओं की कार्य में सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी होता है। यह लेख, उत्तर भारत के चार शहरी समूहों में किये गए एक घरे...
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Megan Maxwell
Milan Vaishnav
17 दिसंबर, 2021
- लेख
शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: भारत में महिला श्रम-शक्ति की भागीदारी इतनी कम क्यों है?
भारत में महिलाओं की श्रम-शक्ति में भागीदारी एक जटिल सामाजिक मसला है, जो अन्य बातों के अलावा– पितृ-सत्तात्मक मानदंड, ग्रामीण-शहरी संक्रमण, और मांग एवं आपूर्ति कारकों के बेमेल होने के परिणामस्वरूप उत्पन...
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Deepaboli Chatterjee
Neelanjan Sircar
15 दिसंबर, 2021
- लेख
ई-संगोष्ठी का परिचय: उत्तर भारत में शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन
भारत में तेजी से हो रहा शहरीकरण लोगों के व्यवहार के प्रचलित सामाजिक और आर्थिक पैटर्न को इस तरह से बदल रहा है कि विद्वान इसे अभी पूरी तरह से नहीं समझ सके हैं। भारत में तेजी से हो रहा यह शहरीकरण कई महत्...
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Devesh Kapur
Neelanjan Sircar
Milan Vaishnav
14 दिसंबर, 2021
- लेख
भारत में भूमि के स्वामित्व के सन्दर्भ में लैंगिक और आंतर-लैंगिक अंतर
हालाँकि महिलाओं के भू-स्वामित्व को उनके आर्थिक सशक्तिकरण के एक प्रमुख संकेतक के रूप में पहचाना जाता है, भारत में कितनी और किन महिलाओं के पास भूमि है, इसका कोई विस्तृत अनुमान नहीं है। नौ राज्यों के लिए...
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Bina Agarwal
Pervesh Anthwal
Malvika Mahesh
07 दिसंबर, 2021
- लेख
शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं: भारत में पुरुषों का शौचालय स्वामित्व और उनकी शादी की संभावनाएं
निरंतर किये जा रहे अनुसंधान से पता चलता है कि परिवारों के लिए स्वच्छता निवेश में लागत एक प्रमुख बाधा रही है। मध्य-प्रदेश और तमिलनाडु में किये गए एक सर्वेक्षण के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि वित्तीय औ...
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Britta Augsburg
Paul Andrés Rodríguez Lesmes
30 नवंबर, 2021
- लेख
क्या ‘वादे’ कारगर होते हैं? 'अपनी बेटी अपना धन' कार्यक्रम के दीर्घकालिक लाभों का आकलन
1994-1998 के दौरान, हरियाणा की राज्य सरकार ने बाल विवाह की समस्या के समाधान हेतु एक सशर्त नकद हस्तांतरण कार्यक्रम चलाया; जिसके तहत, समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के माता-पिता को, यदि उनकी बेटी 18 ...
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Shreya Biswas
Upasak Das
23 नवंबर, 2021
- लेख
शहर-नियोजन को लोकतांत्रिक बनाना: 'मैं भी दिल्ली' अभियान से कुछ विचार
दिल्ली मास्टर प्लान 2041 के अंतर्गत नागरिकों के विचारों को शामिल करना सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2018 में ‘मैं भी दिल्ली’ अभियान शुरू किया गया था। इस संदर्भ में, शलाका चौहान शहर-नियोजन प्रक्रियाओं में स...
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Shalaka Chauhan
16 नवंबर, 2021
- फ़ील्ड् नोट
बैंकों की ऋण-जोखिम प्रबंधन संबंधी नीतियां: एक नया दृष्टिकोण
बैंकों की बढ़ती मजबूती और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उन्हें प्रदान की गई बहुउद्देशीय तरलता के बावजूद, बैंकों की ऋण वृद्धि में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। इस लेख में, के. श्रीनिवास राव बैंकों की ऋण...
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K. Srinivasa Rao
11 नवंबर, 2021
- दृष्टिकोण
केवल विकास ही नहीं: गरीबी दूर करने में पुनर्वितरण का महत्व
हाल के अध्ययनों से इस बात की पुष्टि मिलती है कि विकासशील देशों में नीतियां और संस्थान विश्व के संपन्न देशों के अनुरूप बदल रहे हैं और इसी वजह से इन देशों की प्रति-व्यक्ति आय औद्योगीकृत देशों के बराबर ह...
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Nils Enevoldsen
Rohini Pande
08 नवंबर, 2021
- दृष्टिकोण
क्या ओबीसी हेतु आरक्षण विकास के लिए अच्छा है?
सकारात्मक कार्रवाई के बारे में बहस हमेशा योग्यता बनाम सामाजिक न्याय के सवाल में घिरी रही है, और जाति-आधारित जनगणना किये जाने की चर्चा ने एक बार फिर से अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के आरक्षण से संबंधित ...
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Poulomi Chakrabarti
02 नवंबर, 2021
- लेख
क्या ग्रामीण महिलाओं द्वारा फोन का उपयोग किये जाने से उनके प्रति लैंगिक मानदंडों में उदारता आती है?
भारत में मोबाइल नेटवर्क की बेहतर कनेक्टिविटी के बावजूद, महिलाओं की प्रौद्योगिकी तक पहुंच और उनके द्वारा इसके उपयोग के संबंध में लैंगिक पूर्वाग्रह अभी तक बने हुए हैं। इस लेख में, एक अध्ययन से प्राप्त प...
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Giorgia Barboni
Natalia Rigol
Simone Schaner
Natalie Theys
29 अक्टूबर, 2021
- फ़ील्ड् नोट