Main Banner Image

भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक

समाचार पत्र भारतीय मतदाताओं के लिए राजनीतिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राजनीतिक कारक समाचार पत्र बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करते हैं। 2000 के दशक क...

  • लेख

भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण : क्या औपनिवेशिक इतिहास मायने रखता है?

क्या औपनिवेशिक इतिहास भारत में महिलाओं के समकालीन आर्थिक परिणामों की दृष्टि से मायने रखता है? इसकी जांच करते हुए यह लेख इस बात की ओर इशारा करता है कि जो क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन रहा, महिला सश...

  • लेख

अज्ञात गरीबों की खोज: अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की पहचान और लक्ष्यीकरण

गरीबी के बारे में अलग-अलग अनुमानों के परिणामस्वरूप कुछ वंचित समुदाय अक्सर सरकारी कल्याण योजनाओं से बाहर रह जाते हैं। सबरवाल और चौधरी बिहार में लागू ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ का अध्ययन करते हैं, जिसमें ...

  • दृष्टिकोण
इनके द्वारा सूची स्पष्ट करें :
--कृपया चुने--
--कृपया चुने--

‘संथाल परगना’ में भूमि विवाद: मुद्दे और समाधान

झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र के छह में से चार जिलों को नीति आयोग द्वारा ‘आकांक्षी जिलों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस लेख में कर्ण सत्यार्थी ने इस क्षेत्र में कार्यरत भू-राजस्व प्रशासन के अनोख...

  • फ़ील्ड् नोट

कृषि कानून: गतिरोध का समाधान

हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में भरत रामास्वामी ने किसानों के विरोध से उत्पन्न मौजूदा संकट को हल करने के लिए कुछ उत्तेजक सुझाव पेश किए हैं। इस पोस्ट में रामास्वामी ने अशोक कोटवाल (प्रधान संपा...

  • दृष्टिकोण

अत्यंत गरीब लोंगो में संकट की स्थितियों में डटे रहने की क्षमता का विकास करना

मौजूदा सामाजिक सुरक्षा तंत्र में समावेशन की कमी होने के कारण गरीबों की कमजोरियां और बढ़ जाती हैं और इसके कारण वे संकट के दौरान पर्याप्त मात्रा में सहायता से वंचित रह जाते हैं। इस लेख में शगुन सबरवाल औ...

  • लेख

I4I के 2020 के हाइलाइट: प्रधान संपादक की टिप्पणी

अब जब हम वर्ष 2021 में प्रवेश कर रहे हैं, प्रधान संपादक अशोक कोटवाल पीछे मुड़ कर देखते हैं कि पिछला वर्ष कितना अभूतपूर्व और महत्त्वपूर्ण रहा है। साथ ही उन्होंने आइडियास फॉर इंडिया के 2020 के मुख्य हाइ...

  • दृष्टिकोण

सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाना तथा उत्पादकता: भारतीय कृषि में मोबाइल फोन की भूमिका

2000 के दशक के मध्‍य और उत्तरार्ध के दौरान भारत ने ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल फोन कवरेज का विस्तार किया और कृषि संबंधी सलाह लेने वाले किसानों के लिए निशुल्क कॉल सेंटर सेवाओं की शुरुआत की। इस लेख से ...

  • लेख

कोयला आधारित बिजली इकाइयों से प्रदूषण और बच्चों एवं महिलाओं की एनीमिक स्थिति

स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को व्‍यापक रूप से शोध-साहित्य में जगह मिली है। जहां अन्य अध्ययनों में मुख्य रूप से सामान्य रुग्णता और मृत्यु दर जैसे परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, यह लेख ...

  • लेख

कोविड-19 लॉकडाउन और प्रवासी श्रमिक: बिहार एवं झारखंड के व्यावसायिक प्रशिक्षुओं का सर्वेक्षण

भारत में हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण विशेष रूप से प्रवासी मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए। जब यात्रा प्रतिबंध हटा दिए गए तब 1.1 करोड़ अंतरराज्यीय प्रवासी अपने घर लौट गए। इस आलेख में चक्रवर्ती एवं अन्...

  • फ़ील्ड् नोट

क्या मतदान का अधिकार राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करता है? भारत से ऐतिहासिक साक्ष्य

लोकतंत्र को लंबे समय से बेहतर आर्थिक विकास परिणामों के लिए जाना जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नागरिकों को मतदान का अधिकार देना, राजनीतिक भागीदारी या प्रतियोगिता को प्रभावी बनाए रखने को सुनिश्च...

  • लेख

भारत में मानसिक स्वास्थ्य असमानताएँ

सामाजिक समूहों के बीच शारीरिक स्वास्थ्य असमानताओं को लेकर अब तक काफी शोध किया जा चुका है, लेकिन इसमें मानसिक स्वास्थ्य का पहलू अब तक अनदेखा है। 2007-2008 में छह भारतीय राज्यों में डब्ल्यूएचओ द्वारा कि...

  • लेख

मानसिक स्वास्थ्य को मापने के लिए फोन सर्वेक्षण का इस्तेमाल

कोविड-19 के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं मानवीय संकटों ने खराब मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को उजागर किया है। शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी काम और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है,...

  • लेख

भारत में सामाजिक और आर्थिक अनुसंधान के लिए फोन सर्वेक्षण पद्धति

कोविड-19 के प्रसार को रोकने हेतु लगाई गई पाबंदियों और सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशों के मद्देनजर फेस-टू-फेस सर्वेक्षणों के माध्यम से डेटा संग्रह करने में बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा है। इस पोस्ट में ...

  • दृष्टिकोण

किसानों की आय में सुधार करना: झारखंड में किए गए सर्वेक्षण से सीख

वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के केंद्र सरकार के लक्ष्य की दिशा में कार्य करने के लिए झारखंड राज्य सरकार ने 2017 में जोहार परियोजना आरंभ की। इस लेख में खनूजा एवं अन्‍य ने इस परियोजना के तह...

  • फ़ील्ड् नोट