भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उप-अनुबंध लिंकेज
अनौपचारिक उद्यमों के विकास को सुविधाजनक बनाने की दिशा में बड़ी फर्मों के साथ उनके उप-अनुबंध लिंकेज को महत्वपूर्ण माना गया है। इस लेख में वर्ष 2001-2016 के दौरान भारतीय अनौपचारिक विनिर्माण से संबंधित र...
- Surbhi Kesar
- 10 सितंबर, 2024
- लेख
भारत में स्कूली पाठ्य पुस्तकों में व्याप्त लैंगिक पूर्वाग्रह का विश्लेषण
शिक्षक का पुस्तकों, पाठ्यक्रमों, शिक्षण प्रणालियों, नई पीढ़ियों, नवाचार और समाज से अंतरंग सम्बन्ध है। शिक्षक दिवस, 5 सितम्बर को प्रस्तुत इस शोध आलेख में शिक्षकों की नहीं अपितु पाठ्य पुस्तकों के एक संवे...
- Lee Crawfurd Theodore Mitchell Radhika Nagesh Christelle Saintis-Miller Rory Todd
- 05 सितंबर, 2024
- लेख
भूमि संबंधी ऐतिहासिक नीतियाँ और सामाजिक-आर्थिक विकास : उत्तर प्रदेश का मामला
उत्तर प्रदेश में विकासात्मक परिणामों में महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय भिन्नता पाई जाती है और शोध से पता चलता है कि ऐसा आंशिक रूप से, राज्य के भीतर औपनिवेशिक भूमि संबंधी नीतियों में अंतर के दीर्घकालिक प्रभा...
- Kartikeya Batra
- 20 अगस्त, 2024
- लेख
नकुशा: बेटों की चाहत, अवांछित बेटियाँ और स्कूली शिक्षा में लैंगिक-अंतर
भारतीय समाज में सांस्कृतिक प्राथमिकताओं के कारण बेटों की चाहत आम बात है। 1986 से 2017 तक राष्ट्रीय रूप का प्रतिनिधित्व करते आंकड़ों का प्रयोग कर यह आलेख बेटों की तुलना में बेटियों की शिक्षा पर, मा...
- Ashwini Deshpande Apoorva Gupta
- 12 नवंबर, 2020
- लेख
ड्यूएट: औद्योगिक नीति के दृष्टिकोण से
ज्यां द्रेज़ के शहरी रोजगार कार्यक्रम हेतु ‘ड्यूएट’ प्रस्ताव पर अपना दृष्टिकोण प्रदान करते हुए स्वाति धींगरा का कहना है कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बेरोजगारी की तात्कालिक एवं बड़ी समस्या का हल निकाल...
- Swati Dhingra
- 09 नवंबर, 2020
- दृष्टिकोण
ड्यूएट: अनुकूलनीय कार्यान्वयन हीं समाधान
ज्यां द्रेज के शहरी रोजगार कार्यक्रम प्रस्ताव ‘ड्यूएट’ पर टिप्पणी करते हुए यामिनी अय्यर ने यह टिप्पणी दी है कि भले एक ओर इस प्रस्ताव की रूप-रेखा पर बहस की जा रही है, यह शहरी भारत के लिए मजबूत सामाजिक ...
- Yamini Aiyar
- 06 नवंबर, 2020
- दृष्टिकोण
कृषि कानून: प्रथम सिद्धांत और कृषि बाजार विनियमन की राजनीतिक अर्थव्यवस्था
कृषि क़ानूनों के इस संगोष्ठी का समापन करते हुए मेखला कृष्णमूर्ति और शौमित्रो चटर्जी इस आलेख में यह तर्क देते हैं कि विनियामक सुधार, अनिवार्य नीतिगत डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए एक अधिक व्यापक और प्रासं...
- Shoumitro Chatterjee Mekhala Krishnamurthy
- 03 नवंबर, 2020
- दृष्टिकोण
कृषि कानून: सकारात्मक परिणामों के लिए क्षमतावान
सिराज हुसैन का तर्क है कि यद्यपि कृषि कानून भारतीय कृषि के लिए मध्यम-से-लंबी अवधि में लाभकारी हो सकते हैं परंतु यदि उन्हें पारित कराने के लिए संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किए जाता और आम सहमति बनाने के ...
- Siraj Hussain
- 02 नवंबर, 2020
- दृष्टिकोण
कृषि कानून: कायापलट करने वाले बदलाव लाने की संभावना कम है
इस पोस्ट में संजय कौल ने कृषि कानून से सभी हितधारकों (किसानों, व्यवसायियों, कमीशन एजेंटों, और सरकार) को होने वाले लाभों और कमियों पर चर्चा की है। इसमें शामिल गतिशीलता को देखते हुए उन्होने यह निष्कर्ष ...
- Sanjay Kaul
- 29 अक्टूबर, 2020
- लेख
कृषि कानून: वांछनीय होने के लिए डिजाइन में बहुत कुछ छूट गया है
सुखपाल सिंह कृषि विपणन के मौजूदा तंत्र के मद्देनजर कृषि कानून के संभावित निहितार्थों की जांच करते हैं और इसकी डिजाइन में कुछ खामियों को उजागर करते हैं। ...
- Sukhpal Singh
- 26 अक्टूबर, 2020
- दृष्टिकोण
कृषि कानून: कृषि विपणन का उदारीकरण आवश्यक है
कृषि कानून पर अपना दृष्टिकोण प्रदान करते हुए भरत रामास्वामी ने यह कहा है कि कृषि विपणन का उदारीकरण एक आवश्यक कदम है – पूर्व में सभी राजनीतिक विचारधाराओं द्वारा इसका समर्थन किया गया। इसमें बदलाव करना य...
- Bharat Ramaswami
- 23 अक्टूबर, 2020
- दृष्टिकोण
ई-संगोष्ठी का परिचय: नए कृषि कानून को समझना
क्या कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगे? क्या किसानों को बाजारों तक विस्तारित पहुंच से लाभ मिल सकता है? क्या वे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून के कारण शहरी फर्मों के साथ अनुबंध स्थापित करने...
- Ashok Kotwal
- 21 अक्टूबर, 2020
- विचार-गोष्ठी
ड्यूएट: सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन
शहरी रोजगार कार्यक्रम हेतु ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए संदीप सुखटणकर यह विमर्श करते हैं कि संभावित आश्वासन और साथ ही इससे जुड़े स्वाभाविक मुद्दों (जिनका समाधान किया जाना है)...
- Sandip Sukhtankar
- 19 अक्टूबर, 2020
- दृष्टिकोण
ग्रामीण भारत में स्कूल का चयन: धारणा बनाम वास्तविकता
कम शुल्क वाले निजी स्कूलों की संख्या मे वृद्धि होने के साथ भारत में स्कूलों के विकल्पों में काफी वृद्धि हुई है और इसे स्कूली शिक्षा के लिए बाजार-आधारित दृष्टिकोण के अंतर्गत महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्...
- Rahul Lahoti Rahul Mukhopadhyay
- 15 अक्टूबर, 2020
- लेख
ड्यूएट: लागत और लाभों की तुलना
ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव पर अपने विचार रखते हुए फर्ज़ाना आफ्रीदी यह तर्क देती हैं कि हमें सामान्य समतुल्यता कार्य संरचना के अंदर सरल आय आश्वासन योजना की बजाय, संभवत: प्रशासनिक रूप से जटिल शह...
- Farzana Afridi
- 13 अक्टूबर, 2020
- दृष्टिकोण