भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक
समाचार पत्र भारतीय मतदाताओं के लिए राजनीतिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राजनीतिक कारक समाचार पत्र बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करते हैं। 2000 के दशक क...
- Julia Cagé Guilhem Cassan Francesca R. Jensenius
- 28 फ़रवरी, 2024
- लेख
भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण : क्या औपनिवेशिक इतिहास मायने रखता है?
क्या औपनिवेशिक इतिहास भारत में महिलाओं के समकालीन आर्थिक परिणामों की दृष्टि से मायने रखता है? इसकी जांच करते हुए यह लेख इस बात की ओर इशारा करता है कि जो क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन रहा, महिला सश...
- Bharti Nandwani Punarjit Roychowdhury
- 21 जुलाई, 2023
- लेख
अज्ञात गरीबों की खोज: अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की पहचान और लक्ष्यीकरण
गरीबी के बारे में अलग-अलग अनुमानों के परिणामस्वरूप कुछ वंचित समुदाय अक्सर सरकारी कल्याण योजनाओं से बाहर रह जाते हैं। सबरवाल और चौधरी बिहार में लागू ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ का अध्ययन करते हैं, जिसमें ...
- Parikrama Chowdhry Shagun Sabarwal
- 14 जुलाई, 2023
- दृष्टिकोण
स्कूल में मूल्यवर्धन-प्रयोगशाला की बदौलत ग्रामीणों ने बनाया बगीचा
महाराष्ट्र के जिला कोल्हापुर के वालवे खुर्द में स्थित एक प्राथमिक स्कूल के छत्रों और शिक्षकों ने पर्यावरण के मुद्दे को पुस्तकों से बाहर निकाला और व्यवहारिक रुप से अपनाया। इस नोट में, शिरीष खरे ने स्कू...
- Shirish Khare
- 08 जनवरी, 2020
- फ़ील्ड् नोट
उनसे ज्यादा अंधा कोई और नहीं जो देखना हीं नहीं चाहते
भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर, भारत के अर्थशास्त्रियों ने और सरकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर दो विपरीत आख्यान स्थापित किए हैं। इस पोस्ट में, प्रणव सेन ने इस दो आख्यानों के बीच के अंतर पर प्...
- Pronab Sen
- 02 जनवरी, 2020
- लेख
अकालपक्वता: भारत में स्कूली शिक्षा पर जल्द माहवारी होने का प्रभाव
सामाजिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों में, लड़कियों की माहवारी के शुरुआत का प्रतिकूल प्रभाव उनके शिक्षा पर पड़ता है। इस लेख में चर्चा की गई है कि 12 साल की उम्र से पहले माहवारी की शुरुआत के कारण स्कूल नामां...
- Madhulika Khanna
- 20 दिसंबर, 2019
- लेख
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: सेवा वितरण एवं पहुंच से संबंधित मुद्दे और उनमें अंतराल
यह ध्यान में रखते हुए कि 79% ग्रामीण भारतीय घरों में महिलाओं को घर के अंदर स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि वे अभी भी खाना पकाने के लिए परंपरागत प्रदूषण फैलाने वाले ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हैं, प्रधान...
- Rahul Ranjan
- 18 दिसंबर, 2019
- दृष्टिकोण
आरसीईपी व्यापार समझौता – मौका छोड़ दिया गया?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और इसके मुक्त-व्यापार भागीदारों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (रीजनल कोंप्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनर्शिप -...
- Sarthak Agrawal Madhav Malhotra
- 13 दिसंबर, 2019
- दृष्टिकोण
प्रथम के साथ बैनर्जी और डुफ्लो का सफर
इस वर्ष अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो ने 20 वर्षों से भी अधिक समयतक भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संस्थान ‘प्रथम’ के साथ कार्य किया है।सम...
- Rukmini Banerji
- 11 दिसंबर, 2019
- दृष्टिकोण
बार में शराब का सेवन और सार्वजनिक स्थान में महिलाओं की सुरक्षा का प्रबन्ध
बार ऐसे परिसर हैं जिनमें शराब प्रदान किया जाता हैं और सामाजिक रुप से शराब पीने के स्थान के रुप में जाने जाते हैं। 2014 में, केरल ने राज्य में शराब बेचने वाले वाले सभी बारों को बंद कर दिया। इस लेख में ...
- Saloni Khurana Kanika Mahajan
- 04 दिसंबर, 2019
- लेख
युवाओं के आत्म पहचान में सहायक बनता सामाजिक उद्देश्य
‘उभरती वयस्कता’ का तात्पर्य किेशोरावास्था से युवावास्था में प्रवेश की अवस्था है, जहां उभरते वयस्क अपनी प्रामणिकता, जागरूकता, व्यक्तिगत परिभाषा और विश्व साक्षात्कार की खोज हेतु अथक प्रयासरत रहत...
- Jainetri Merchant
- 29 नवंबर, 2019
- फ़ील्ड् नोट
पीएमसी बैंक की असफलता से सबक
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-औपरेटिव बैंक (पीएमसीबी) धोखाधड़ी सामने आने के बाद सितंबर में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पीएमसीबी पर प्रतिबंध लगाया था। आरबीआई ने यह कदम अपनी निगरानी और नियामक ढांचे को सुधा...
- K. Srinivasa Rao
- 27 नवंबर, 2019
- दृष्टिकोण
इस साल के अर्थशास्त्र नोबेल की दास्तान
इस पोस्ट में मैत्रीश घटक इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि कैसे रैन्डमाइज्ड कंट्रोल ट्राइयल्स (आरसीटी; यादृच्छिकीकृत नियंत्रित परीक्षणों) को — जिसके प्रयोग की अगुआई इस वर्ष के अर्थशास्त्र में नोब...
- Maitreesh Ghatak
- 20 नवंबर, 2019
- दृष्टिकोण
उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण: सकारात्मक कार्रवाई या वोट बैंक की राजनीति?
हाल ही में मंजूर किए गए संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019, में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान ल...
- Devika Malhotra Sharma
- 14 नवंबर, 2019
- दृष्टिकोण
बैंकिंग संकट का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर
पिछले पांच वर्षों में, भारतीयों बैंकों के नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट (एनपीए) अर्थात डूबे हुए कर्ज की रकम में काफी वृद्धि हुई है। इन नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट के साथ निवेश वृद्धि दर में भी तेज गिरावट दर्ज की गयी ...
- Rajeswari Sengupta Harsh Vardhan
- 11 नवंबर, 2019
- दृष्टिकोण