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हिन्दी अनुभाग

भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक

समाचार पत्र भारतीय मतदाताओं के लिए राजनीतिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राजनीतिक कारक समाचार पत्र बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करते हैं। 2000 के दशक क...

  • लेख

भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण : क्या औपनिवेशिक इतिहास मायने रखता है?

क्या औपनिवेशिक इतिहास भारत में महिलाओं के समकालीन आर्थिक परिणामों की दृष्टि से मायने रखता है? इसकी जांच करते हुए यह लेख इस बात की ओर इशारा करता है कि जो क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन रहा, महिला सश...

  • लेख

अज्ञात गरीबों की खोज: अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की पहचान और लक्ष्यीकरण

गरीबी के बारे में अलग-अलग अनुमानों के परिणामस्वरूप कुछ वंचित समुदाय अक्सर सरकारी कल्याण योजनाओं से बाहर रह जाते हैं। सबरवाल और चौधरी बिहार में लागू ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ का अध्ययन करते हैं, जिसमें ...

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भारत में दहेज का प्रचलन और विकास

दहेज भुगतान भारत में पारिवारिक वित्तव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आम तौर पर सालों की कमाईसे भी अधिक होता है। इस आलेख में बीसवीं सदी में दहेज के विकास (इवोल्यूशन) के बारे में तथ्यों के प्रमाण प्...

  • लेख

क्या सेवा की गुणवत्ता से ग्रामीण भारत में बिजली के कनेक्शन के लिए परिवारों की भुगतान करने की इच्छा का अनुमान लग सकता है?

जहां ग्रामीण विद्युतीकरण विकासशील जगत में सरकारों की उच्च प्राथमिकता रही है, वहीं जिन कारणों से परिवारों द्वारा बिजली के लिए भुगतान करने की अधिक संभावना होती है, उन पर अपर्याप्त ध्यान दिया गया है। ग्र...

  • लेख

पोषण में नारी सशक्तिकरण: सशक्तिकरण के विचार

'वीमेनस एम्पावरमेंट इन न्यूट्रिशन इंडेक्स’ परियोजना में शोधकर्ताओं के एक समूह ने बिहार के अररिया, और ओडिशा के गंजाम, रायगड़ा, कंधमाल, और नयागढ़ में नारी सशक्तिकरण, कृषि, और पोषण संबंधी अनेक मुद्दों पर...

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वर्गीकृत ऋण और स्वच्छता संबंधी निवेश

ग्रामीण भारतीय परिवार शौचालय बनवाने का खर्च वहन नहीं कर पाने को शौचालय नहीं बनवाने का मुख्य कारण बताते हैं। इस लेख में ग्रामीण महाराष्ट्र के एक प्रयोग के जरिए जांच की गई है कि स्वच्छता के लिए वर्गीकृत...

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कृषि और केंद्रीय बजट: नीतियां और संभावनाएं

इस पोस्ट में शौमित्रो चटर्जी और मेखला कृष्णमूर्ति ने कृषि बाजार में सुधार, किसानों के लिए व्यवसाय करने में आसानी, और कृषि अनुसंधान तथा विस्तार से संबंधित केंद्रीय बजट 2019 के मुख्य प्रस्तावों का विश्ल...

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रिसर्च और पॉलिसी के बीच फासला कम करने के लिए प्रमुख आर्थिक संस्थानों ने हाथ मिलाया

सुविज्ञ निर्णय लेने के लिहाज से प्रमाण-आधारित रिसर्च की बेहतर जानकारी देने के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स स्थित इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर (आइजीसी) और शिकागो विश्वविद्यालय स्थित टाटा सेंटर फॉर डेवलपमेंट (ट...

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वर्ष 2019-20 के केंद्रीय बजट में सामाजिक संरक्षण

इस पोस्ट में सुधा नारायणन ने केंद्रीय बजट 2019 में सामाजिक संरक्षण से संबंधित प्रावधानों का विश्लेषण किया है। उनका तर्क है कि बजट के आंकड़ों से लगता है कि सरकार समाज कल्याण की अनेक योजनाओं के मामले में...

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एक अनोखी क्रांति: उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा

आज भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली में चुनौती यह है कि स्कूली शिक्षा को ‘सीखने’ में कैसे रूपांतरित किया जाए । जहाँ सीखने के संकट पर दुखी होने के कारण मौजूद हैं वहीं उत्तर प्रदेश में एक अनोखी क्रांति हो ...

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बुनियाद की मज़बूती: प्राथमिक शिक्षा की चुनौती

रुक्मिणी बनर्जी बताती हैं कि नई शिक्षा नीति का प्रारूप एक सही कदम के रूप में बच्चों की शुरुआती देख-रेख और शिक्षा के महत्व पर ज़ोर देता है। साथ ही, यह प्राथमिक स्तर पर बुनियादी साक्षरता व गणितीय क्षमता ...

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शासन में सुधार के लिए मोबाइल का उपयोग

मुख्य सार्वजनिक कार्यक्रमों का कितनी अच्छी तरह क्रियान्वयन हो रहा है इसे मापना शासन की एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। देश में मोबाइल-फोन की तेजी से बढ़ रही पहुंच को देखते, मुरलीधरन, नीहौस, सुखतंकर, और वीवर...

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अप्रयुक्त मार्ग: राजनीतिक शक्ति की राह में लैंगिक अंतर

महिलाओं की अधिक राजनीतिक भागीदारी की दिशा में रिसर्च और नीतिगत प्रयास मुख्यतः महिलाओं के मतदान संबंधी व्यवहार और निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के बतौर उनके प्रतिनिधित्व पर केंद्रित रहे हैं। हालांकि अनेक अ...

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जनभाषा? मातृभाषा में पढ़ाई शिक्षा को कैसे प्रभावित करती है

2016 में जारी किए किए गए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में मातृभाषा में शिक्षा, खास कर स्कूल के रचनात्मक वर्षों के दौरान मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया था। इस कॉलम में दक्षिणी भारत की...

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