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ड्यूएट: कुछ व्यावहारिक चिंताएं

शहरी रोजगार कार्यक्रम के लिए ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव पर अपना दृष्टिकोण प्रदान करते हुए अश्विनी कुलकर्णी इसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया के बारे में प्रासंगिक सवाल उठाती हैं। वे शहरी परियोजनाओं को पू...

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ड्यूएट: औद्योगिक नीति के दृ‍ष्टिकोण से

ज्यां द्रेज़ के शहरी रोजगार कार्यक्रम हेतु ‘ड्यूएट’ प्रस्ताव पर अपना दृष्टिकोण प्रदान करते हुए स्वाति धींगरा का कहना है कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बेरोजगारी की तात्कालिक एवं बड़ी समस्या का हल निकाल...

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ड्यूएट: अनुकूलनीय कार्यान्वयन हीं समाधान

ज्यां द्रेज के शहरी रोजगार कार्यक्रम प्रस्ताव ‘ड्यूएट’ पर टिप्पणी करते हुए यामिनी अय्यर ने यह टिप्पणी दी है कि भले एक ओर इस प्रस्ताव की रूप-रेखा पर बहस की जा रही है, यह शहरी भारत के लिए मजबूत सामाजिक ...

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ड्यूएट: सकारात्‍मक दृष्टिकोण के साथ सावधानीपूर्वक कार्यान्‍वयन

शहरी रोजगार कार्यक्रम हेतु ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्‍ताव पर टिप्‍पणी करते हुए संदीप सुखटणकर यह विमर्श करते हैं कि संभावित आश्‍वासन और साथ ही इससे जुड़े स्‍वाभाविक मुद्दों (जिनका समाधान किया जाना है)...

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ड्यूएट: लागत और लाभों की तुलना

ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्‍ताव पर अपने विचार रखते हुए फर्ज़ाना आफ्रीदी यह तर्क देती हैं कि हमें सामान्‍य समतुल्‍यता कार्य संरचना के अंदर सरल आय आश्‍वासन योजना की बजाय, संभवत: प्रशासनिक रूप से जटिल शह...

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ड्यूएट: दूसरे देशों के अनुभवों से सीखना

ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए मार्टिन रेवेलियन यह सुझाव देते हैं कि इसमें तीन चरणों की आवश्यकता है: समान नीतियों वाले दूसरे देशों के अनुभवों से सीखना, वृद्धि पर विचार करने से पहले...

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ड्यूएट: 'कैसे' से पहले 'क्यों' को संबोधित करना

ज्यां द्रेज़ के ड्यूएट प्रस्ताव और इससे संबंधित विचारों पर टिप्पणी करते हुए अशोक कोटवाल यह तर्क देते हैं कि हमें इस तरह के शहरी निर्माण कार्यक्रम के डिज़ाइन के विवरण का गहन अध्‍ययन करने से पहले इसके औच...

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ड्यूएट: रोजगार सृजन को शहरी स्थानीय निकायों में विकेंद्रीकृत करना

दिलीप मुखर्जी रोजगार सृजन को शहरी स्थानीय निकायों में विकेंद्रीकृत करने के ज्यां द्रेज़ के सुझाव का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि अभी तक शहरी स्थानीय सरकार के अशक्‍त स्वभाव के कारण शहरी नवीकरण, स्वच्छ...

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ड्यूएट: छोटे शहरों के सार्वजनिक कार्यों में रोजगार कार्यक्रम

भारत के शहरों में, विशेषकर देश में युवाओं की बढ़ती हुई आबादी के बीच, बेरोजगारी एवं कम नियुक्तियों को देखते हुए प्रणब बर्धन शहरों के सार्वजनिक कार्यों में रोजगार कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल देते हैं। उ...

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ड्यूएट: रोजगार को एक सार्वभौमिक अधिकार बनाने की ओर

देबराज रे का यह कहना हैं कि हमें रोजगार के मुद्दे को एक सार्वभौमिक अधिकार बनाने के रूप में आगे बढ़ाना चाहिए, और ड्यूएट इस दिशा में महत्‍वपूर्ण भूमिक निभाएगा। वे प्रस्‍ताव के दो पहलुओं पर चर्चा करते है...

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ड्यूएट: शहरी रोजगार योजना हेतु एक प्रस्ताव

ज्यां द्रेज़ शहरी क्षेत्रों में रियायती सार्वजनिक रोजगार की एक सरल योजना का प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं, जो कई सार्वजनिक संस्थानों की खुद की पहल के आधार पर बनाई गई है। ...

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क्या भारत में अंग्रेजी बोलना अधिक लाभकारी होता है?

भारत में आम धारणा है कि अंग्रेजी-भाषा कौशल से ही बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रतिफल प्राप्‍त होते हैं। इस कॉलम में भारत में अंग्रेजी कौशल से वेतन प्रतिफल का अनुमान लगाया गया है, जिसमे यह पाया गया कि अंग्रे...

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