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क्या व्यावसाय के लिए जाति की पहचान अभी भी मायने रखती है?

आज के भारत में, केवल जातिगत पहचान की भावना के कारण लोग किस हद तक नौकरियों को नजर अंदाज करते हैं? यह लेख ग्रामीण ओडिशा में किए गए एक प्रयोग पर चर्चा करता है जिसमें अस्थायी काम के इच्छु?क श्रमिकों को एक...

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कोविड-19 संकट और छोटे व्यवसायों की स्थिति: एक प्राथमिक सर्वेक्षण से निष्कर्ष

हाल के अपने बयान में, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि यह क्षेत्र "अस्तित्व के लिए जूझ रहा है"। इस आलेख में, शांतनु खन्ना और उदयन राठौर ने, मई 2020 में, 360 स...

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कोविड-19: विपरीत पलायन से उत्‍पन्‍न होने वाले जोखिम को कम करना

भारत में कोविड-19 लॉकडाउन से सबसे बुरी तरह प्रभावित वर्गों में से एक वर्ग प्रवासी मजदूरों का है, जो बेरोजगार, धनहीन और बेघर हो गये हैं। हालांकि कई राज्य सरकारों द्वारा प्रवासी मजदूरों को वापस लाने और ...

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कोविड-19 के प्रति सरकार की प्रतिक्रियाएँ कितनी देाषपूर्ण रही हैं? प्रवासी संकट का आकलन

कोविड-19 संकट के बीच, मार्च के अंत तक, अनगिनत प्रवासी श्रमिकों ने भारत के बंद शहरों से भाग कर अपने-अपने घरों के लिए गांवों की ओर पैदल ही जाना शुरू कर दिया। इस पोस्ट में सरमिष्‍ठा पाल यह तर्क देती हैं ...

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कोविड-19 संकट ने शहरी गरीबों को कैसे प्रभावित किया है? फोन सर्वेक्षण के निष्‍कर्ष - II

हालांकि कई टिप्पणीकारों ने चल रहे कोविड-19 संकट के कारण प्रवासियों की दुर्दशा को उजागर किया है, परंतु शहरी झुग्‍गी-झोंपडी बस्तियों में रह रहे कम आय वाले परिवारों के बारे में कम ही ज्ञात है। अफरीदी, ढि...

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कोविड-19 संकट ने शहरी गरीबों को कैसे प्रभावित किया है? - फोन सर्वेक्षण के निष्‍कर्ष - I

यद्यपि कई टिप्पणीकारों ने वर्तमान कोविड-19 संकट के कारण प्रवासियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला है, परंतु शहरी झुग्‍गी झोंपडी बस्तियों में रह रहे कम आय वाले परिवारों के बारे में बहुत कम ज्ञात है। इस नोट ...

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ग्रामीण भारत में महिला श्रम-बल भागीदारी में गिरावट: आपूर्ति पक्ष

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के आंकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि भारत में महिला श्रम-बल भागीदारी के कम दर, ग्रामीण क्षेत्रों की विवाहित महिलाओं पर केंद्रित है। यह कॉलम सुझाव देता है कि आंशिक ...

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उनसे ज्यादा अंधा कोई और नहीं जो देखना हीं नहीं चाहते

भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर, भारत के अर्थशास्त्रियों ने और सरकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर दो विपरीत आख्यान स्थापित किए हैं। इस पोस्ट में, प्रणव सेन ने इस दो आख्यानों के बीच के अंतर पर प्...

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