Tag Search: “राजनीतिक अर्थव्यवस्था”

भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक

समाचार पत्र भारतीय मतदाताओं के लिए राजनीतिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राजनीतिक कारक समाचार पत्र बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करते हैं। 2000 के दशक क...

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भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण : क्या औपनिवेशिक इतिहास मायने रखता है?

क्या औपनिवेशिक इतिहास भारत में महिलाओं के समकालीन आर्थिक परिणामों की दृष्टि से मायने रखता है? इसकी जांच करते हुए यह लेख इस बात की ओर इशारा करता है कि जो क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन रहा, महिला सश...

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महिलाओं के सशक्तिकरण संबंधी हस्तक्षेपों की जटिलता

इस लेख में सीवन एंडरसन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 के उपलक्ष्य में I4I पर इस महीने चल रहे अभियान के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण के उपायों के बीच के जटिल आयामों और अंतर्क्रियाओं को सामने रखती हैं। वे मह...

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गवर्नेंस मैट्रिक्स: बदलाव हेतु सिस्टम की तैयारी को समझना

आदर्श परिणामों की अपेक्षा और किसी अपूर्ण प्रणाली की वास्तविकता के बीच के अंतर को स्पष्ट करने हेतु गौरव गोयल ने ‘गवर्नेंस मैट्रिक्स’ नामक एक ऐसा साधन प्रस्तुत किया है जिसका उपयोग सरकारी पहलों को सफलताप...

  • दृष्टिकोण

संकट के दौरान फर्मों के राजनीतिक संबंधों की भूमिका

शोध कहता है कि आर्थिक संकट की स्थिति में किसी फर्म के लिए राजनीतिक संबंध मायने रखते हैं। इस लेख में, भारत में फर्मों के राजनीतिक कनेक्शन के बारे में एक अद्वितीय डेटा सेट के माध्यम से पाया गया कि दुर्ल...

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नौकरशाही नियुक्तियों को मिलने वाले निजी लाभ: भारत में वित्तीय खुलासे से साक्ष्य

हम अक्सर देखते हैं कि नौकरशाहों की तनख्वाह का ढांचा बहुत बंधा हुआ होता है | साथ ही, उन्हें मिलने वाली अन्य आर्थिक सुविधाएं और भत्ते न सिर्फ बेहद कम होते हैं, बल्कि उनमें प्रदर्शन के आधार पर कोई खास फर...

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भारतीय कानून कितना औपनिवेशिक है?

भारत में औपनिवेशिक शासन और इसकी कार्यप्रणालियों से संबंधित आलोचनाओं के चलते कई प्रसंगों में इसके साथ कानून जोड़े गए हैं, ताकि औपनिवेशिक विरासत की दासत्वपूर्ण परंपरा में परिवर्तन लाया जा सके। इस लेख में...

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महामारी के समय में बजट और राजनीति

हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर द...

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बजट 2022-23: क्या सार्वजनिक निवेश पर आधारित विकास रणनीति वांछनीय और विश्वसनीय है?

सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए वर्ष 2022-23 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस संदर्भ में, आर. नाग...

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बजट 2022-23: समस्याएँ तथा युक्तियां

भारत के 2022-23 के केंद्रीय बजट का विश्लेषण करते हुए, नीरज हाटेकर तर्क देते हैं कि मनरेगा, ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम, जिसे 2021-22 के बजट अनुमानों की तुलना में अतिरिक्त धन प्राप्त नहीं हुआ है, क...

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बिहार में शराबबंदी: विवेकपूर्ण नीति या व्यर्थ प्रयास?

बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू करने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्णय इस तर्क पर आधारित है कि शराब का सेवन महिलाओं के प्रति हिंसा का प्राथमिक कारण है। इस लेख के जरिये कुमार और प्रकाश तर्क...

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क्या ओबीसी हेतु आरक्षण विकास के लिए अच्छा है?

सकारात्मक कार्रवाई के बारे में बहस हमेशा योग्यता बनाम सामाजिक न्याय के सवाल में घिरी रही है, और जाति-आधारित जनगणना किये जाने की चर्चा ने एक बार फिर से अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के आरक्षण से संबंधित ...

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