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बुढ़ापे का भविष्य

भारत में बुजुर्गों के लिए सार्वजनिक सहायता के व्यापक स्तर पर विस्तार की आवश्यकता है। ड्रेज़ और डफ्लो इस लेख में तर्क देते हैं कि इसकी अच्छी शुरुआत निकट-सर्वव्यापक सामाजिक सुरक्षा पेंशन से हो सकती है। ...

  • दृष्टिकोण

'इंडियन मैचमेकिंग': कामकाजी महिलाओं को विवाह बाजार में नुकसान (पेनल्टी)

भारत में महिला शिक्षा दरों में वृद्धि के बावजूद, विश्व स्तर पर भारत में महिला श्रम-शक्ति भागीदारी दर सबसे कम में से है। शादी डॉट कॉम (Shaadi.com) पर उपलब्ध प्रोफाइल के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उ...

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उच्च वर्ग में विवाह (हाइपरगैमी) का अभाव और घरेलू हिंसा

उच्च वर्ग में विवाह (हाइपरगैमी) के अभाव - जब पत्नी की आर्थिक स्थिति उसके पति के बराबर या अधिक होती है, में क्या घरेलू हिंसा में वृद्धि होती है या कमी आती है, इसके बारे में प्राथमिक रूप से अस्पष्टता है...

  • लेख

क्या स्कूल प्रबंधन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढाने से स्कूल की गुणवत्ता में सुधार होता है?

वर्ष 2009 में लागू किये गए शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) ने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से स्कूलों में जवाबदेही में सुधार लाने हेतु सार्वजनिक और निजी सहायता-प्राप्त स्कूलों को स्कूल प्रबंधन समितिय...

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ग्रामीण भारत में गणित सीखने में लैंगिक अंतर

विकसित देशों में साक्ष्य के बढ़ते दायरे यह संकेत देते हैं कि गणित सीखने संबंधी परिणामों में महिलाओं के लिए प्रतिकूल स्थिति बनी रहती है और इसके संभावित कारण सामाजिक कारक, सांस्कृतिक मानदंड, शिक्षक पूर्...

  • लेख

इनडोर पाइप से पेय जल की आपूर्ति से किसे लाभ होता है? लैंगिक आधार पर विश्लेषण

भारत में, घरों में इनडोर पाइप से पेय जल (आईपीडीडब्ल्यू) की आपूर्ति बहुत सीमित है, और महिलाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि उन्हें बाहर से पानी लाने का बोझ उठाना पड़ता है। यह लेख 2005-2012 के...

  • लेख

बिहार में शराबबंदी: विवेकपूर्ण नीति या व्यर्थ प्रयास?

बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू करने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्णय इस तर्क पर आधारित है कि शराब का सेवन महिलाओं के प्रति हिंसा का प्राथमिक कारण है। इस लेख के जरिये कुमार और प्रकाश तर्क...

  • दृष्टिकोण

भेदभाव में लिंग-जाति अंतर्विरोध: क्या मरीज़ डॉक्टर की सामाजिक पहचान की परवाह करते हैं?

भारत में सामाजिक पहचान पर आधारित भेदभाव व्यापक रूप में फैला होने की वजह से, भेदभाव में जाति-लिंग अंतर्विरोध के अध्ययन हेतु एक अनूठी सेटिंग उपलब्ध होती है। यह लेख, उत्तर प्रदेश में किये गए एक क्षेत्रीय...

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सहभागी रंगमंच के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना

भारत में उनतीस प्रतिशत महिलाओं ने सूचित किया है कि वे अपने जीवन-साथी से हिंसा की शिकार हुई हैं। पश्चिम बंगाल राज्य के 92 गांवों को शामिल कर किये गए एक क्षेत्रीय अध्ययन के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: अंतर-वैवाहिक पदानुक्रम और कामकाजी माताओं के बारे में धारणाएं

भारत में महिलाएं अवैतनिक घरेलू काम करते हुए अपने परिवार के पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक समय बिताती हैं, और दोगुना समय बच्चों और आश्रित वयस्कों की देखभाल संबंधी गतिविधियों में बिताती हैं। यह ले...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: उत्तर भारत में महिलाओं की गतिशीलता

यद्यपि भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले संरचनात्मक और सामाजिक परिवर्तन कई मायनों में हुए हैं, महिलाओं की प्रत्यक्ष गतिशीलता अभी भी बहुत कम है। यह लेख, उत्तर भारत के तीन शहरी समूहों के प्राथम...

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