शासन

सकारात्मक कार्रवाई को लागू करने हेतु डिजाइन विकल्प

  • Blog Post Date 06 अप्रैल, 2023
  • दृष्टिकोण
  • Print Page
Author Image

Ashutosh Thakur

National University of Singapore

adthakur@nus.edu.sg

आशुतोष ठाकुर इस व्याख्यात्मक लेख में विभिन्न तरीकों की व्याख्या करते हैं जिनके जरिये सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को लागू किया जा सकता है। साथ हीं, वे इसमें अंतर्निहित व्यापार और मुद्दों पर भी चर्चा करते हैं। वे काल्पनिक परिदृश्यों में खराब और अच्छा प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों के संदर्भ में तीन कार्यान्वयन डिजाइनों – हार्ड कैप, ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) और क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) आरक्षण को चित्रित करते हैं। तथापि, व्यवहार में, विस्तृत मार्गदर्शन की कमी के कारण सकारात्मक कार्रवाई नीतियों का तदर्थ कार्यान्वयन हुआ है जिनके राजनीतिक माहौल और कानूनी प्रवचन के सन्दर्भ में लंबे समय तक चलने वाले परिणाम होते हैं।

भारत में सिविल सेवा नौकरियों और आईआईटी या आईआईएम की सीटों जैसे दुर्लभ पदों का आवंटन अक्सर सीएसई, जेईई और कैट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से योग्यता के (मेरिटोक्रेटिक) आधार पर किया जाता है। इन परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करनेवाले उम्मीदवारों को अत्यधिक मांग वाले पदों की आपूर्ति और मांग में समानता लानेवाले प्रतिस्पर्धी परीक्षा के कटऑफ को पूरा करने हेतु पर्याप्त उच्च अंक प्राप्त करने होते हैं।

मुख्य रूप से, इन योग्यता-आधारित आवंटन प्रक्रियाओं में दिया गया एकमात्र विशेष ध्यान ऐसी रियायतें हैं, जो वंचित समूहों के कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सकारात्मक कार्रवाई नीतियों पर आधारित हैं (आकरक्षण सकारात्मक कार्रवाई का एक उदाहरण है)। भारत में सबसे बड़ी, सबसे स्पष्ट सकारात्मक कार्रवाई नीतियों में से एक है: कानूनी जनादेश यह निर्धारित करते हैं कि कुल सीटों की एक निश्चित संख्या अनुसूचित जनजाति (7.5%), अनुसूचित जाति (15%), अन्य पिछड़ा वर्ग (27%) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (10%) के लिए आवंटित की जानी चाहिए। कुछ मामलों में लिंग (जेन्डर), अक्षमता आदि के आधार पर भी सकारात्मक कार्रवाई हो सकती है।

ऐतिहासिक रूप से, कानून ने केवल सकारात्मक कार्रवाई श्रेणी के आकार (अर्थात, आरक्षित सीटों का प्रतिशत) को निर्दिष्ट किया है, परंतु ऐसे कानून द्वारा सटीक कार्यान्वयन प्रोटोकॉल अक्सर अस्पष्ट छोड़ दिए जाते हैं। इसलिए, सकारात्मक कार्रवाई के तदर्थ कार्यान्वयन के चलते अदालतों में कई कानूनी आपत्तियां उठाई गई हैं और अदालतों ने इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ (1992) जैसे ऐतिहासिक निर्णयों में कार्यान्वयन दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं।

गलाकाट प्रतियोगिता और भारत में सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रम के वास्तविक आकार के परिणामस्वरूप इस राजनीतिक मुद्दे पर बहुत सार्वजनिक बहस हुए हैं कि सकारात्मक कार्रवाई प्राप्त करने का हकदार कौन है और कई अदालती मामलों में इस बात के स्पष्ट विवरण मांगे गए हैं कि इन सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को व्यवहार में कैसे लाया जाता है।

मैं पहले मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करता, लेकिन मेरा मानना है कि बाद वाले मुद्दे पर मेरी व्याख्या में उन चिंताओं में से कुछ को कम करने की क्षमता है। निम्नलिखित खंडों से यह स्पष्ट होता है कि सकारात्मक कार्रवाई के कार्यान्वयन विवरण क्यों मायने रखते हैं और उनके राजनीतिक माहौल, कानूनी संवाद और सार्वजनिक बहस पर लंबे समय तक चलने वाले परिणाम क्यों होते हैं।

सकारात्मक कार्रवाई कार्यान्वयन हेतु मानक मानदंड

किसी विशेष समूह (मान लीजिए ‘श्रेणी-X) से संबंधित व्यक्तियों के लिए सकारात्मक कार्रवाई प्रदान करने हेतु जैसे ही सहमति हो जाती है, तो दो मानक मानदंड ऐसे हैं जिन्हें आवंटन प्रक्रिया में पूरा किया जाना चाहिए:

i) जहां पद खाली हैं वहां अनावश्यक आवंटन से बचना: “गैर-अपव्यय” की पहली धारणा हेतु यह आवश्यक है कि पूर्व-निर्दिष्ट मांग को पूरा करने के लिए श्रेणी-X के पर्याप्त व्यक्ति उपलब्ध हों। उदाहरण के लिए, यदि विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक संकाय के लिए श्रेणी-X के लिए सकारात्मक कार्रवाई लागू की जाती है, तो प्रत्येक वर्ष विश्वविद्यालय के प्रत्येक विषय में पीएचडी डिग्री वाले श्रेणी-X के कम-से-कम उतने व्यक्ति होने चाहिए जो अपना अकादमिक करियर बनाना चाहते हों और इन पदों के लिए आवेदन करना चाहते हों।

यदि यह न्यूनतम आपूर्ति पूरी नहीं होती है, तो या तो उस पद को खाली छोड़ दिया जाता है (इसका परिणाम, बड़े वर्ग आकार, खराब निर्देश गुणवत्ता, आदि वाले कम कर्मचारियों वाले संगठन होते हैं) या पद को गैर-श्रेणी-X व्यक्तियों के लिए अनारक्षित करने की अनुमति दी जाती है (जिसके चलते सकारात्मक कार्रवाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता)। इस पहेली के कारण एक मौलिक नीतिगत प्रश्न उठता है कि क्या सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को बड़े पैमाने पर जनसंख्या में उनके अनुपात के अनुरूप एक-से-एक अनुपात में लागू किया जाना चाहिए (अर्थात्, यदि जनसंख्या का 20% श्रेणी-X है, तो क्या 20% सीटें श्रेणी-X के लिए आरक्षित होनी चाहिए), या कम?

ii) कार्यान्वयन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु प्राथमिकता के उल्लंघन से बचना: "प्राथमिकता के उल्लंघन से बचने" की दूसरी धारणा सकारात्मक कार्रवाई के साथ मेरिट-आधारित प्रणाली को डिजाइन करने में अधिकांश कानूनी चुनौतियों और कार्यान्वयन के मुद्दों की जड़ में है। जिन लोगों को शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया, वे स्वाभाविक रूप से उन चुनिंदा लोगों से ईर्ष्या करेंगे जिन्हें किया गया था। हालाँकि, यह ईर्ष्या केवल तभी उचित है, जब उनके सकारात्मक कार्रवाई प्रकार से संबंधित उनसे कम प्राथमिकता वाले (यानी, खराब परीक्षा रैंक वाले) व्यक्ति को उनकी जगह पद मिलता है।

जब परीक्षा देने वाले 100 संभावित उम्मीदवारों के समग्र रोस्टर में से 10 पदों को भरने के लिए 10 लोगों को ही शॉर्टलिस्ट करने की बात आती है, तो किसी भी सकारात्मक कार्रवाई के अभाव में मेरिट-आधारित आवंटन प्रक्रिया के तहत उस परीक्षा में सबसे अधिक स्कोरिंग करनेवाले पहले केवल 10 व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है। 11वें से 100वें स्थान वाले व्यक्ति शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करनेवाले व्यक्तियों से ईर्ष्या करेंगे, पर यह देखते हुए कि प्रणाली मेरिट-आधारित है, उनकी ईर्ष्या का कोई औचित्य नहीं होगा। और शीर्ष 1 से 10वीं रैंक वाले व्यक्तियों की उनके नीचे की रैंक वाले लोगों की तुलना में पदों के लिए उच्च प्राथमिकता रहेगी। निश्चित रूप से, यदि चयन प्रक्रिया में 10वीं रैंक के व्यक्ति को शॉर्टलिस्ट किए बिना 11वें उच्चतम स्कोर करने वाले को शॉर्टलिस्ट किया होता, तो 10वीं रैंक वाले व्यक्ति द्वारा इंटर से मेरिट, या योग्यता के क्रम, प्राथमिकता के उल्लंघन के आधार पर 11वीं रैंक वाले व्यक्ति के पद मिलने पर उससे ईर्ष्या किया जाना उचित होता।

अक्सर, अनजाने में पदों को अनारक्षित करने वाले या सावधानीपूर्वक विचार किए बिना अतिव्यापी सकारात्मक कार्रवाई श्रेणियों को प्राथमिकता देने वाले तदर्थ कार्यान्वयनों के चलते ऐसी विसंगतियां निर्माण होती हैं जो कानूनी चुनौतियों का कारण बनती हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक शॉर्टलिस्ट किया गया व्यक्ति अनुसूचित जाति की महिला है, तो क्या उसे लिंग या अनुसूचित जाति के तहत सकारात्मक कार्रवाई कोटा में गिना जाएगा, और क्या यह किसी भी श्रेणी में उम्मीदवारों के बीच उचित ईर्ष्या की संभावना को प्रभावित करेगा? हालांकि मैं इस लेख में सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को ओवरलैप किये जाने के मामले को कवर नहीं करता। (इच्छुक पाठकों को इन मुद्दों पर सोनमेज़ और येनमेज़ (2022, 2022बी) के हालिया शोध को देखना चाहिए)

सकारात्मक कार्रवाई के कार्यान्वयन हेतु डिजाइन विकल्प

अब मान लीजिए कि इस मेरिट-आधारित प्रक्रिया को सकारात्मक कार्रवाई नीति भी शामिल करनी है, जो ‘50% सीटों को श्रेणी-X के व्यक्तियों के लिए आरक्षित करती है।’ तो इस कानून की व्याख्या और कार्यान्वयन के तीन तरीके हैं:

i) एक हार्ड कैप1, जो श्रेणी-X के व्यक्तियों के लिए 50% से अधिक सीटों का आवंटन होने से रोकती है।

ii) एक ऊर्ध्वाधर आरक्षण, जिसमें श्रेणी-X के व्यक्तियों की गणना नहीं की जाती है, जिन्होंने खुली श्रेणी परीक्षा कटऑफ़ से 50% आरक्षित पूल के लिए अर्हता प्राप्त की है।

iii) एक क्षैतिज आरक्षण जिसमें श्रेणी-X के व्यक्तियों की गणना की जाती है, जिन्होंने खुली श्रेणी परीक्षा कटऑफ़ से 50% आरक्षित पूल के लिए अर्हता प्राप्त की है (अर्थात, 50% से अधिक कोई भी श्रेणी-X का व्यक्ति केवल मेरिट के आधार पर अर्हता प्राप्त कर रहा है)।

तालिका 1. श्रेणी-X के लिए 50% आरक्षण के कार्यान्वयन की विभिन्न संभावनाएँ

नोट: इस धारणा पर काम करते हुए कि 10 सीटों को भरने के लिए 15 लोग प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं (जिनमें से 5 श्रेणी-X के लिए आरक्षित हैं), हम उपरोक्त तीन डिज़ाइन विकल्पों का उपयोग यह देखने के लिए करते हैं कि उम्मीदवारों की इस काल्पनिक रैंकिंग के आधार पर सीटों को खुली और श्रेणी-X में कैसे आवंटित किया जाएगा।

आकृति में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्दों का अर्थ: Exam rank: परीक्षा रैंक; category: वर्ग; hard cap: हार्ड कैप; vertical reservation: ऊर्ध्वाधर आरक्षण; horizontal reservation: क्षैतिज आरक्षण; open: खुला।

तीन कार्यान्वयनों में, क्षैतिज आरक्षण सबसे उपयुक्त प्रतीत होता है क्योंकि यह श्रेणी-X के लिए न्यूनतम प्रतिनिधित्व की गारंटी देता है; श्रेणी-X के व्यक्तियों के प्रति भेदभाव नहीं करता है; आरक्षण पूरा होने के बाद योग्यता को प्राथमिकता देता है; गैर-श्रेणी-X व्यक्तियों के लिए अधिक निष्पक्षता प्रदर्शित करता है; और लंबे समय में राजनीतिक रूप से सुविधाजनक है, क्योंकि जैसे हीं श्रेणी-X के व्यक्ति अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर देते हैं, क्षैतिज आरक्षण व्यर्थ हो जाता है। मैं आगे इन बिंदुओं को विस्तृत तर्कों और उदाहरणों के साथ समझाता हूँ।

अधिकांश लोग सहज रूप से इस आधार पर हार्ड कैप पर आपत्ति जताएंगे कि मेरिट-आधारित आवंटन प्रणाली में सन्निहित सकारात्मक कार्रवाई नीति किसी के लिए श्रेणी-X में होने के कारण उसके साथ भेदभाव करनेवाली नहीं होनी चाहिए। जैसा कि तालिका 1 में दर्शाया गया है, श्रेणी-X के 9वीं रैंक वाले व्यक्ति को शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया है क्योंकि 2रे, 4थे, 5वें, 6ठे और 8वें स्थान पर रहने वाले व्यक्ति पहले से ही 50% हार्ड कैप में शामिल हैं और श्रेणी-X के 9वीं रैंक वाले व्यक्ति को प्रवेश देने के बजाय 10वीं और 11वीं रैंक वाले ओपन श्रेणी के व्यक्तियों को  प्रवेश देना अन्यायी होगा। सकारात्मक कार्रवाई का मकसद है कि वंचित पृष्ठभूमि के उन लोगों की मदद की जाए जिन्हे अन्यथा प्रवेश नहीं मिल सकता, ना कि वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को अच्छा प्रदर्शन करने पर भी प्रताड़ित करना।

शायद इसी तर्क ने सुप्रीम कोर्ट को इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ (1992) में ऊर्ध्वाधर आरक्षण की वकालत करने की दिशा दिखाई: सकारात्मक कार्रवाई एक न्यूनतम गारंटी है जो यह सुनिश्चित करती है कि कम से कम 50% पदों को अधिक-से-अधिक आधार पर श्रेणी-X के लिए आवंटित किया जाए। ऊर्ध्वाधर आरक्षण यह सुनिश्चित करता है कि यदि श्रेणी-X के व्यक्ति श्रेणी-X में होने का कोई कटऑफ लाभ नहीं लेते हुए केवल मेरिट के आधार पर अर्हता प्राप्त करते हैं, तो उन्हें श्रेणी-X के लिए आरक्षित 50% पदों में नहीं गिना जाएगा। जैसा कि तालिका 1 में देखा गया है, 2रे, 4थे, और 5वें स्थान पर रहने वाले ‘मेधावी आरक्षित’ व्यक्तियों को 50% पूल में नहीं गिना जाता है क्योंकि वे खुली श्रेणी के रैंक 5 कटऑफ के आधार पर अर्हता प्राप्त करते हैं। फिर, ऊर्ध्वाधर आरक्षण यह सुनिश्चित करता है कि मेरिट सूची से और नीचे के श्रेणी-X के 5 अतिरिक्त व्यक्तियों को भर्ती किया जाता है।

ऊर्ध्वाधर आरक्षण में ट्रेडऑफ़ (व्यवस्थापन) यह सुनिश्चित करता है कि 50% श्रेणी-X एक न्यूनतम गारंटी है, और यह समग्र मेरिट पर आधारित है। तालिका 1 में, 7वें, 10वें और 11वें स्थान पर रहने वाले खुली श्रेणी के व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया है, जबकि उनके नीचे की रैंक वाले व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट किया गया है (श्रेणी-X में 50% न्यूनतम के पहले से ही पूरा होने के बावजूद)।

सार्वजनिक और कानूनी विमर्श में संभावित रूप से जो बात छूट जाती है वह यह है कि श्रेणी-X की कम से कम 50% न्यूनतम गारंटी स्थापित करने का एकमात्र तरीका ऊर्ध्वाधर आरक्षण नहीं है। क्षैतिज आरक्षण में मेरिट के आधार पर श्रेणी-X और खुली श्रेणी दोनों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि उसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि श्रेणी-X के कम से कम 50% व्यक्तियों का चयन किया जाए। जैसा कि तालिका 1 में देखा गया है, 2रा, 4था, 5वां, 6ठा और 8वां स्थान प्राप्त करने वाले श्रेणी-X के पांच शीर्ष स्कोरिंग करने वाले व्यक्ति मेरिट के आधार पर हैं। इसके अलावा, पहले, 3रे, 7वें, 9वें और 10वें स्थान पर रहने वाले व्यक्तियों को मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है, भले ही वे श्रेणी-X के हों या नहीं।

क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण के बीच का अंतर यूं है: दोनों में यह सुनिश्चित होता है कि श्रेणी-X के कम से कम 50% व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाए। तथापि, जब 50% से अधिक श्रेणी के व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है, तो क्षैतिज आरक्षण में केवल मेरिट पर विचार होता है (अर्थात, 9वीं रैंक वाले व्यक्ति को प्रवेश श्रेणी-X होने के नाते नहीं मिला है, बल्कि कट ऑफ में आने के लिए पर्याप्त उच्च स्कोरिंग के आधार पर मिला है)। इसके विपरीत, ऊर्ध्वाधर आरक्षण में उन ‘मेधावी आरक्षित व्यक्तियों’ की गणना नहीं की जाती है, जो अर्हता प्राप्त करने के लिए 50% हेतु सकारात्मक कार्रवाई के बिना पर्याप्त उच्च स्कोर प्राप्त करते हैं। इसके बजाय उन्हें सकारात्मक कार्रवाई आरक्षण से लाभान्वित होने पर केवल 50% श्रेणी-X पूल आधारित अतिरिक्त 50% प्राप्त करने के लिए परीक्षा रैंक से और भी नीचे हो जाते हैं।

क्या परीक्षा रैंक के कटऑफ वाजिब हैं

इन तीन कार्यान्वयनों की तुलना करते हुए, हमें यह विचार करना चाहिए कि श्रेणी-X और खुली श्रेणी के व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए उपयुक्त परीक्षा रैंक कटऑफ क्या है।

तालिका 1 में, एक हार्ड कैप का अन्यायी रूप से अर्थ है 8वीं रैंक का श्रेणी-X का कटऑफ होना, जो खुली श्रेणी की कटऑफ रैंक 11 से ऊपर है। यह हमारी सहज आपत्ति का आधार है कि इस प्रणाली में अच्छा प्रदर्शन करने वाले श्रेणी-X के व्यक्तियों के खिलाफ उलटा भेदभाव की संभावना होती है।

दूसरी ओर, ऊर्ध्वाधर आरक्षण के लिए कटऑफ, रैंक 13 की श्रेणी-X कटऑफ और रैंक 3 की ओपन श्रेणी कटऑफ है। इन कटऑफ को उचित माना जा सकता है, क्योंकि खुले श्रेणी के व्यक्ति की तुलना में श्रेणी-X के व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट करने की मांग कम है।

अंत में, श्रेणी-X और खुली श्रेणी – दोनों में क्षैतिज आरक्षण के लिए उपयुक्त कटऑफ रैंक 10 है। यह बताना भ्रामक होगा कि श्रेणी-X के लिए कटऑफ रैंक 9 है जबकि खुली श्रेणी में कटऑफ रैंक 10 है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 9वीं और 10वीं रैंक वाले व्यक्तियों को उनकी सकारात्मक कार्रवाई की स्थिति की परवाह किए बिना शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। उपयुक्त कटऑफ इस प्रकार सबसे खराब रैंक है जो अहर्ता प्राप्त करेगा, न कि सबसे खराब रैंक जो उस विशेष श्रेणी से अर्हता प्राप्त करने के लिए है!

ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज आरक्षण के दीर्घकालिक राजनीतिक परिणाम

तालिका 2 में उस हार्ड कैप, वर्टिकल आरक्षण और क्षैतिज आरक्षण पर प्रकाश डाला गया है जिसमे व्यक्तियों के एक ही समूह को शॉर्टलिस्ट किया जाता है, जब पर्याप्त श्रेणी-X के व्यक्ति केवल मेरिट के आधार पर 50% सीमा को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदर्शन नहीं कर रहे हों। आमतौर पर यही कारण है कि सकारात्मक कार्रवाई नीतियां पहले स्थान पर स्थापित की जाती हैं; इस बात पर सहमति बनी हुई है कि 7वें, 9वें, 10वें, 12वें और 13वें स्थान के लिए श्रेणी-X के व्यक्तियों के परिवर्तन तथा प्रतिनिधित्व की खातिर 6ठे, 8वें और 11वें स्थान के व्यक्तियों को हटाते हुए मेरिट का त्याग कर देना वांछनीय है।

तालिका 2.  श्रेणी-X के व्यक्तियों द्वारा समूह के रूप में पर्याप्त प्रदर्शन नहीं करने की स्थिति में,  50% श्रेणी-X आरक्षण का कार्यान्वयन

आकृति में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्दों का अर्थ: Exam rank: परीक्षा रैंक; category: वर्ग; hard cap: हार्ड कैप; vertical reservation: ऊर्ध्वाधर आरक्षण; horizontal reservation: क्षैतिज आरक्षण; open: खुला। 

दूसरी ओर, तालिका 1 में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज आरक्षण कार्यान्वयन के बीच का परिणामी अंतर सकारात्मक कार्रवाई नीतियों की दीर्घकालिक राजनीति को रेखांकित करता है। समय के साथ, सफल एकीकरण के परिणामस्वरूप, यह उम्मीद की जाती है कि कभी वंचित समूह अपने प्रदर्शन में सुधार करते हैं और अपने ओपन श्रेणी के समकक्षों के साथ तेजी से प्रतिस्पर्धी बन जाते हैं। तालिका 1 ऐसे परिस्थिति को दर्शाती है जिसमें श्रेणी-X के व्यक्ति अपनी मेरिट के आधार पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हालाँकि श्रेणी-X के व्यक्तियों के लिए 50% की सकारात्मक कार्रवाई निर्धारित की गई थी, परीक्षा में शीर्ष 10 स्कोर करनेवालों में से 6 श्रेणी-X के हैं।

हालाँकि ऊर्ध्वाधर आरक्षण में 50% श्रेणी-X के व्यक्तियों को, परीक्षा में शीर्ष 5 स्कोर करने वालों में से 3 के अतिरिक्त, प्राथमिकता देना जारी रखा गया है। इस प्रकार शॉर्टलिस्ट किए गए 10 में से 8 व्यक्ति श्रेणी-X के हैं।

दूसरी ओर, क्षैतिज आरक्षण के अंतर्गत श्रेणी-X के परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करने के परिणामस्वरूप, श्रेणी-X के लिए सकारात्मक कार्रवाई नीति व्यर्थ हो जाती है! 9वीं रैंक वाले व्यक्ति को किसी सकारात्मक कार्रवाई के कारण नहीं, बल्कि केवल मेरिट के कारण शॉर्टलिस्ट किया गया है। अब, 10 में से 6 शॉर्टलिस्ट किए गए व्यक्ति श्रेणी-X के हैं।

इस स्थिति में अंतर्निहित राजनीति को ध्यान में रखते हुए जब श्रेणी-X के व्यक्ति अच्छा प्रदर्शन करना शुरू करते हैं (जैसा कि तालिका 1 में दर्शित किया गया है), ऊर्ध्वाधर आरक्षण में खुली श्रेणी के व्यक्ति शिकायत करना शुरू कर सकते हैं—कि ऊर्ध्वाधर कार्यान्वयन उच्च-मेरिट वाले खुली श्रेणी के व्यक्तियों के लिए गुंजाइश को कठोर रूप से सीमित कर देता है। इस चिंता को दूर करने के लिए विधायिका को पुरानी श्रेणी-X की सकारात्मक कार्रवाई नीति को पलटते हुए नए कानून को सक्रिय रूप से पारित करना होगा। हालाँकि फिर से चुनाव को ध्यान में रखने वाले राजनेता ऐसा करने में इस 50% वोट ब्लॉक को खोने की चिंता में जरुर रहेंगे।

इसके विपरीत, श्रेणी-X के व्यक्ति जैसे ही अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे तो क्षैतिज आरक्षण व्यर्थ हो जाएगा। हालांकि 50% न्यूनतम गारंटी अभी भी सुनिश्चित है, 50% से अधिक वाले सभी केवल मेरिट के आधार पर प्रवेश प्राप्त करेंगे। पिछले कानूनों को बदलने के लिए किसी और कानून की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा, खुली श्रेणी के व्यक्ति यह शिकायत नहीं कर सकते थे कि उनके लिए पर्याप्त सीटें नहीं बची हैं, क्योंकि ऊर्ध्वाधर आरक्षण के विपरीत, क्षैतिज आरक्षण प्रणाली  यह उनके अपने खराब प्रदर्शन का परिणाम होगा।

समापन टिप्पणी

यह आलेख इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को लागू करना केवल आरक्षित होने वाली सीटों के प्रतिशत को स्थापित करने का निर्णय नहीं है- महत्वपूर्ण रूप से, इसके कार्यान्वयन संबंधी प्रोटोकॉल का बारीक विवरण भी मायने रखता है। उन विवरणों को विधायिका और न्यायपालिका द्वारा समान रूप से कम करके आंका गया है। व्यवहार में, विस्तृत मार्गदर्शन की कमी के कारण सकारात्मक कार्रवाई नीतियों के तदर्थ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप बहुत अधिक राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष हुआ है।

अक्सर क्षैतिज आरक्षण के बजाय ऊर्ध्वाधर आरक्षण के माध्यम से ‘अधिक-से-अधिक’ के मानदंड को लागू करने के परिणामस्वरूप, जैसे-जैसे सकारात्मक कार्रवाई समूह के प्रदर्शन में सुधार होता है, हम अनारक्षित सीटों की प्रभावी संख्या को केवल मेरिट के आधार पर कम होता हुआ पाते हैं। ऐसे में, सकारात्मक कार्रवाई के किसी भी उलटफेर संबंधी कानून बनाना राजनीतिक रूप से असुविधाजनक रहेगा, और कई समूह खुद को शामिल कराने के लिए सकारात्मक कार्रवाई का विस्तार करने की वकालत शुरू कर सकते हैं।

 

इस लेख का मूल संस्करण अंग्रेजी में आप यहां पढ़ सकते हैं।

टिप्पणी:

  1. संचलन में अधिकतम संख्या को बनाए रखने के लिए एक हार्ड कैप किसी चीज़ पर निर्धारित ऊपरी सीमा है।

आपको हमारे पोस्ट पसंद आते हैं? नए पोस्टों की क्या सूचना तुरंत प्राप्त करने के लिए हमारे टेलीग्राम (@I4I_Hindi) चैनल से जुड़ें। इसके अलावा हमारे मासिक समाचार पत्र की सदस्यता प्राप्त करने के लिए दायीं ओर दिए गए फॉर्म को भरें। 

लेखक परिचय: आशुतोष ठाकुर नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

No comments yet
Join the conversation
Captcha Captcha Reload

Comments will be held for moderation. Your contact information will not be made public.

संबंधित विषयवस्तु

समाचार पत्र के लिये पंजीकरण करें