उत्पादकता तथा नव-प्रवर्तन

कॉर्पोरेट भारत में महिलाओं का नेतृत्व- फर्मों का प्रदर्शन और संस्कृति

  • Blog Post Date 18 जुलाई, 2024
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Navya Srivastava

National Council of Applied Economic Research

nsrivastava@ncaer.org

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Mahima Vasishth

NCAER & Bocconi University

vasishth@uci.edu

कम्पनी अधिनियम 2013 के तहत, भारत में सभी सूचीबद्ध फर्मों को अपने बोर्ड में कम से कम एक महिला को रखना आवश्यक है। इस लेख में पाया गया है कि बोर्ड में कम से कम एक के महिला होने से बड़ी और मध्यम आकार की फर्मों के लिए बेहतर आर्थिक प्रदर्शन और कम वित्तीय जोखिम होता है। इसके अलावा, बोर्ड पदों पर महिलाओं की अधिक हिस्सेदारी कर्मचारी रेटिंग और भावना स्कोर के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ी हुई है।

यह आइडियाज़@आईपीएफ2024 शृंखला का पहला लेख है।

भारत सहित वैश्विक स्तर पर कॉर्पोरेट नेतृत्व में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। भारत में कम्पनी अधिनियम, 2013 के तहत ‘महिला निदेशक’ अधिदेश ने एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया, जिसके तहत सूचीबद्ध फर्मों को अपने बोर्ड में कम से कम एक महिला को रखना अनिवार्य कर दिया गया। एक साल के भीतर, बोर्ड में महिलाओं के बिना सूचीबद्ध फर्मों का प्रतिशत 53% से गिरकर 10% से भी कम हो गया। इस प्रगति के बावजूद वर्ष 2021 तक, भारत में बोर्ड में महिलाओं की औसत हिस्सेदारी 17.1% है, जो वैश्विक औसत 19.7% से कम है और सबसे अच्छा प्रदर्शन वाले देश, फ्रांस के 43.2% (डेलोइट, 2022) से तो बहुत कम है।

भारत मध्यम और वरिष्ठ प्रबंधन भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में भी पिछड़ा हुआ है। वैश्विक डेटा (आईएलओस्टैट, 2024) से पता चलता है कि इन पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व वर्ष 2019 में कम अर्थात सिर्फ़ 17% है। सन्दर्भ के लिए यहाँ बता दिया जाए कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में यह हिस्सा औसतन 32.4% का है और दुनिया के लिए औसतन 32.8% है। भारत एशिया के अन्य उभरते बाज़ारों से भी पीछे है, जो वर्ष 2019 में औसतन 27.2% पर हैं और भारत से 10 प्रतिशत से अधिक अंकों से आगे हैं। फिर भी, निम्न आधार से शुरू करते हुए, वर्ष 2010 और 2019 के बीच महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 40% बढ़ा है।

हमारा अध्ययन

हम अपने शोध में, भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)-सूचीबद्ध फर्मों से कार्मिक-स्तर के डेटा को फर्म प्रदर्शन संकेतकों के साथ जोड़ते हैं ताकि महिला नेतृत्व और फर्म के प्रदर्शन के बीच के सम्बन्धों का अध्ययन किया जा सके। सबसे पहले, हम कम्पनी अधिनियम के लागू होने के बाद बोर्ड संरचना में हुए परिवर्तनों (लिंग-आधारित संरचना और अन्य निदेशक विशेषताओं, जैसे आयु, शिक्षा, अन्य निदेशक पदों की संख्या और बैठकों में भाग लेने की हिस्सेदारी) का अध्ययन करते हैं और शीर्ष प्रबंधन टीमों पर किसी भी सकारात्मक प्रभाव को ट्रैक करते हैं। दूसरा, हम इस अधिनियम के प्रवर्तन को भारत में सूचीबद्ध फर्मों के नियुक्ति व्यवहार के लिए एक 'बहिर्जात' आघात के रूप में उपयोग करते हैं और बोर्ड में महिलाओं की उपस्थिति और फर्मों के वित्तीय प्रदर्शन, जिसमें लाभ, पूंजी पर रिटर्न और वित्तीय स्थिरता शामिल है, के बीच सम्बन्धों को मापते हैं। तीसरा, हम बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी और फर्म संस्कृति के बीच के सम्बन्ध का अध्ययन करते हैं। हम एक ऑनलाइन कम्पनी समीक्षा प्लेटफ़ॉर्म पर कर्मचारियों द्वारा की गई टेक्स्ट समीक्षाओं को दिए गए कर्मचारी रेटिंग और भावना स्कोर का उपयोग करके उसकी संस्कृति को मापते हैं। फर्म के परिणामों के लिए नेतृत्व के पदों पर अधिक महिलाओं को नियुक्त करने के लाभों को दिखाते हुए, हम कॉर्पोरेट नेतृत्व में लिंग विविधता को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यावसायिक दलील पेश करते हैं, जो सांस्कृतिक मानदंडों को बदलने में भी मदद कर सकता है।

ऐसे कई चैनल हैं जिनके माध्यम से कॉर्पोरेट नेतृत्व में महिलाओं की अधिक हिस्सेदारी फर्म के बेहतर प्रदर्शन और संगठनात्मक संस्कृति को जन्म दे सकती है। सबसे पहला- पुरुष-महिलाओं का मिलाजुला बोर्ड होने से विचारों की अधिक विविधता हो सकती है, जो कॉर्पोरेट प्रशासन की गुणवत्ता में सुधार लाती है (सहाय और सिहाक 2018)। दूसरा- कई मामलों में, महिलाओं के खिलाफ कुछ (सचेत या अचेतन) भर्ती पूर्वाग्रह मौजूद हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, इन भर्ती पूर्वाग्रहों के चलते महिला निदेशकों के लिए निर्धारित किए गए उच्च मानकों के कारण अधिक योग्य महिलाओं को काम पर रखा जा सकता है, जो बदले में कॉर्पोरेट प्रशासन और फर्म के परिणामों में सुधार लाता है (सहाय और सिहाक 2018)। तीसरा- अधिदेश के बाद कई बोर्डों में उपस्थित होने से महिलाओं के लिए नेटवर्क केन्द्रीयता बढ़ी, जिससे फर्मों के बीच सूचना और कॉर्पोरेट रणनीतियों के प्रसारण को सुविधाजनक बनाने में मदद मिली और बदले में फर्म के परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा (बिस्वास एवं अन्य 2023)। चौथा- जिन बोर्डों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है, उनमें मानव पूंजी विकास नीतियों को लागू करने की अधिक सम्भावना है, जिससे कम्पनी के कर्मचारियों को लाभ होगा (कैलाहन एवं अन्य 2024), और कर्मचारी कल्याण और संगठनात्मक संस्कृति में सुधार होने की सम्भावना है। 

यह अध्ययन कॉर्पोरेट बोर्ड में महिला नेतृत्व और फर्म के प्रदर्शन पर मौजूदा साहित्य में दो महत्वपूर्ण तरीकों से योगदान देता है। पहले हम महिला निदेशकों के लिए अधिदेश द्वारा प्रस्तुत बहिर्जात आघात का अध्ययन कर महिला नेतृत्व और फर्म के प्रदर्शन के बीच एक कारण-सम्बन्ध स्थापित करते हैं। यह आसान काम नहीं है, क्योंकि महिला और पुरुष फर्म के प्रदर्शन से संबंधित कारकों के आधार पर विभिन्न प्रकार की फर्मों का चयन कर सकते हैं। अतः महिला नेतृत्व और फर्म के प्रदर्शन के बीच सम्बन्ध अंतर्जात हो सकता है (उदाहरण के लिए, बेहतर प्रदर्शन करने वाली फर्म अधिक महिलाओं को नोकरी हेतु आकर्षित कर सकती हैं। अगर ऐसा होता, तो हम फ़र्मों के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन का श्रेय महिलाओं की बड़ी मौजूदगी को देते)। इस अधिदेश से हम पहले से मौजूद बोर्ड संरचना के आधार पर 'नीति-प्रतिक्रिया करने वालों' और 'नीति-अप्रभावित' फर्मों के बीच अंतर कर पाते हैं, जिससे अंतर्जात चिंताओं को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में फर्मों का हमारा उपयोग राष्ट्रीय नीति के लिए हमारे निष्कर्षों की प्रासंगिकता को बढ़ाता है और हमें विभिन्न आकारों की फर्मों की प्रतिक्रियाओं में अंतर करने में सक्षम बनाता है।

दूसरा, पहली बार जहाँ तक ​​हमारी जानकारी है, हम बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी और कम्पनी की संस्कृति के बीच सम्बन्ध की जाँच करने के लिए व्यापक रूप से प्रयुक्त कर्मचारी समीक्षा डेटाबेस (एम्बिशन बॉक्स) का उपयोग कर रहे हैं। यह इस बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है कि महिला नेतृत्व संगठनात्मक संस्कृति को कैसे प्रभावित करता है। हम फर्म संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को मापने के लिए 4,00,000 कर्मचारी समीक्षाओं से समृद्ध जानकारी को संसाधित कर के ऐसा करते हैं, ताकि फर्म संस्कृति पर नेतृत्व में लैंगिक समानता के प्रभाव को मापा जा सके। यह प्रयोग इस क्षेत्र में आवश्यक अतिरिक्त नीतिगत प्रयासों पर प्रकाश डालता है।

शैलीगत तथ्यों की स्थापना

हालाँकि कम्पनी अधिनियम को आधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में लागू किया गया था, लेकिन महिला निदेशक अधिदेश को पूरा करने की समय सीमा 1 अप्रैल 2015 निर्धारित की गई थी। आकृति-1 के बाएँ पैनल से पता चलता है कि वर्ष 2015 में बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी में उछाल आया था। हालाँकि, हम पाते हैं कि अधिदेश के बाद बोर्ड में महिला प्रतिनिधित्व में यह सकारात्मक प्रवृत्ति सी-सूट (सी-सूट यानी किसी कम्पनी के वरिष्ठ प्रबंधन पद जैसे कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी या मुख्य वित्त अधिकारी) या शीर्ष प्रबंधन टीमों में दोहराई नहीं गई। बाद की वृद्धि दर बहुत कम है और वित्त वर्ष 2016-17 के आसपास स्थिर हो गई। वास्तव में, वित्त वर्ष 2022-23 में, हमारे नमूने में आधे से अधिक एनएसई-सूचीबद्ध फर्मों की शीर्ष प्रबंधन टीमों में एक भी महिला नहीं थी और लगभग 10% फर्मों में केवल एक महिला थी।

आकृति-1. बोर्ड (बाएं) और शीर्ष प्रबंधन (दाएं) में महिलाओं की हिस्सेदारी

स्रोत : प्राइम डेटाबेस।

टिप्पणी : बिंदीदार लाल रेखा महिला निदेशक की तैनाती के सन्दर्भ में अधिदेश की समय-सीमा को दर्शाती है।

एनएसई-सूचीबद्ध फर्मों से प्राप्त कार्मिक-स्तर के डेटा का उपयोग करते हुए सबसे पहले, हम पुरुष निदेशकों की तुलना में महिला निदेशकों की आयु और शिक्षा के स्तर का पता लगाते हैं। हम पाते हैं कि अधिनियम के लागू होने से पहले और बाद में, बोर्ड में महिलाएँ अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में बहुत छोटी थीं। अधिनियम लागू होने के बाद यह आयु अंतर काफी बढ़ गया, जो यह दर्शाता है कि नई महिला नियुक्तियों में भी महिला निदेशकों के पुराने समूह की तुलना में काफी कम उम्र की महिलाएं थीं (आकृति-2, बायाँ पैनल)। कम उम्र की होने के अलावा, वे अधिक शिक्षित भी थीं। हालाँकि वित्त वर्ष 2012-13 में बोर्ड में महिलाओं की औसत शिक्षा पहले ही पुरुषों से आगे निकल गई थी, लेकिन यह अंतर (आयु पर सशर्त) अनिवार्यता के लागू होने के बाद के वर्षों में सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण हो गया (आकृति-2, दायाँ पैनल)।

आकृति-2. लिंग के अनुसार, निदेशकों की औसत आयु (बाएँ) और न्यूनतम शिक्षा वर्ष (दाएँ)

स्रोत : प्राइम डेटाबेस।

टिप्पणी : बिंदीदार लाल रेखा महिला निदेशक की तैनाती के सन्दर्भ में अधिदेश की समय-सीमा को दर्शाती है।

इसके अलावा, हम पाते हैं कि निदेशकों के पहले से मौजूद नेटवर्क से महिलाओं ने अधिदेश के बाद अधिक संख्या में निदेशक पद सम्भाले, जबकि कुछ 'बाहरी' नियुक्त किए गए (आकृति-3, बायाँ पैनल)। लिंग भेद की ये जनसांख्यिकीय विशेषताएं ध्यान देने योग्य हैं, जो अंतर्निहित चुनौतियों को दर्शाती हैं जो मांग पक्ष से संभावित भर्ती पूर्वाग्रहों के सन्दर्भ में, या योग्य महिला उम्मीदवारों की आपूर्ति की कमी के सन्दर्भ में, या दोनों के सन्दर्भ में, भर्ती के स्तर पर बनी रह सकती हैं। हम यह भी स्थापित करते हैं कि अधिदेश के लागू होने के बाद के वर्षों में, बोर्ड की बैठकों में उपस्थिति में लिंग भेद कम हो गया, क्योंकि महिलाओं की उपस्थिति पुरुषों की तुलना में तेज़ी से बढ़ी। वर्ष 2020 तक, महिलाओं और पुरुषों द्वारा भाग ली गई बैठकों का औसत हिस्सा लगभग बराबर था (आकृति-3, दायाँ पैनल)। यह अधिक खुले माहौल को प्रतिबिंबित करता है, जिससे महिलाओं को बोर्ड की बैठकों में अधिक नियमित रूप से भाग लेने तथा निर्णय लेने में सार्थक योगदान देने की अनुमति मिलती है, क्योंकि इस अधिदेश के कारण बोर्ड में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।

आकृति-3. लिंग के आधार पर, अन्य निदेशक पदों की औसत संख्या (बाएं) और बोर्ड की बैठकों में भाग लेने वालों का हिस्सा (दाएं)

स्रोत : प्राइम डेटाबेस।

टिप्पणी : बिंदीदार लाल रेखा महिला निदेशक की तैनाती के सन्दर्भ में अधिदेश की समय-सीमा को दर्शाती है। 

बोर्ड और फर्म के प्रदर्शन की लैंगिक संरचना 

फार्मों के वित्तीय प्रदर्शन1 और बोर्ड में महिलाओं की उपस्थिति के बीच के सम्बन्धों का अध्ययन करने के लिए, हमने 15 वर्षों (वित्त वर्ष 2005-06 से वित्त वर्ष 2019-20) की अवधि में 1,402 एनएसई-सूचीबद्ध फर्मों के लिए फर्म-वर्ष स्तर का पैनल डेटासेट बनाया है, जिसमें वार्षिक वित्तीय विवरणों से एकत्र किए गए फर्म प्रदर्शन डेटा के साथ निदेशकों पर कार्मिक डेटा को मिलाया गया है। हम 'रिवर्स डिफरेंस-इन-डिफरेंस'2 रणनीति का उपयोग करते हुए, बोर्ड में महिलाओं की उपस्थिति और वित्तीय प्रदर्शन के बीच एक मजबूत सम्बन्ध पाते हैं, लेकिन केवल बड़ी और मध्यम-कैप फर्मों के सन्दर्भ में। इन फर्मों के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार समय के साथ बना रहा, लेकिन छोटी-कैप फर्मों के लिए नहीं (जहाँ सकारात्मक प्रभाव सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं)। विशेष रूप से, हम पाते हैं कि बोर्ड में कम से कम एक महिला का होना उच्च आर्थिक प्रदर्शन और कम वित्तीय जोखिम से जुड़ा है और यह प्रभाव बड़ी और मध्यम-कैप फर्मों के लिए बड़ा और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन छोटी कैप फर्मों के लिए नहीं।

नेतृत्व और फर्म संस्कृति में महिलाएँ

हम नेतृत्व के पदों पर आसीन महिलाओं और फर्म संस्कृति के बीच सम्बन्ध को मापने के लिए, एक ऑनलाइन कर्मचारी समीक्षा प्लेटफॉर्म से इन समीक्षाओं से जुड़ी कर्मचारी रेटिंग और टेक्स्ट जानकारी को वेब-स्क्रैप करते हैं। हम एक प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण एल्गोरिदम का उपयोग करते हुए, कर्मचारी समीक्षा की जानकारी को भावना ध्रुवता में परिमाणित करते हैं और चार व्यापक पहलुओं में फर्म संस्कृति को मापते हैं- कर्मचारी भावना, कार्य संस्कृति, कर्मचारी विकास और कार्य सुरक्षा। हम फर्म संस्कृति के इन मेट्रिक्स और बोर्ड में महिलाओं की वर्तमान और पिछली हिस्सेदारी के औसत के बीच के सम्बन्ध का अध्ययन इस धारणा के तहत करते हैं कि महिलाओं के निरंतर प्रतिनिधित्व से वर्तमान संस्कृति पर अधिक प्रभाव पड़ने की सम्भावना है। हम आकार (कर्मचारियों की अनुमानित संख्या के आधार पर), आयु और उद्योग जैसी फर्म विशेषताओं को नियंत्रित करते हैं और समीक्षा पूरी करने वाले कर्मचारी की वरिष्ठता जैसी विशेषताओं की समीक्षा करते हैं।

हम पाते हैं कि बोर्ड पदों पर महिलाओं की उच्च हिस्सेदारी कर्मचारी रेटिंग और भावना स्कोर के साथ सकारात्मक रूप से सह-संबंधित है और यह सम्बन्ध आर्थिक और सांख्यिकीय रूप से उन फर्मों के लिए महत्वपूर्ण है जिनमें शीर्ष प्रबंधन में कम से कम एक महिला है। दूसरे शब्दों में, जिन कम्पनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक है, वहाँ कर्मचारियों द्वारा उच्च रेटिंग देने और अपने कार्यस्थल की संस्कृति का वर्णन करने के लिए सकारात्मक भाषा का उपयोग किए जाने की सम्भावना अधिक है, ख़ासकर अगर कम्पनी की शीर्ष प्रबंधन टीम में कम से कम एक महिला भी हो।

सारांश

हम लैंगिक-समावेशी कॉर्पोरेट नेतृत्व की स्थिति का दस्तावेज़ीकरण करते हैं और भारत में फर्मों के वित्तीय प्रदर्शन और कॉर्पोरेट संस्कृति के साथ इसके सम्बन्धों का अध्ययन करने हेतु कम्पनी अधिनियम, 2013 में निर्धारित 'महिला निदेशक' अधिदेश का लाभ उठाते हैं। हमने पाया कि कम्पनियाँ औसतन अधिनियम द्वारा निर्धारित संख्या से अधिक महिलाओं को नियुक्त कर रही हैं, जिससे महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के सरकार के संकेत के अनुकूल प्रभाव का पता चलता है। साथ ही, अधिक महिला निदेशकों को नियुक्त करके कम्पनियों द्वारा प्राप्त सकारात्मक व्यावसायिक अनुभव का भी पता चलता है। इसके इलावा, नव नियुक्त महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम उम्र की और अधिक शिक्षित थीं और उनके निदेशक पदों की औसत संख्या पुरुषों की तुलना में काफी बढ़ गई- 'स्ट्रेच फैक्टर'।

दूसरा, हम पाते हैं कि बोर्ड में कम से कम एक महिला होने से बड़ी और मध्यम आकार की फर्मों के लिए बेहतर आर्थिक प्रदर्शन और कम वित्तीय जोखिम होता है। इसके अतिरिक्त, कम्पनी समीक्षा प्लेटफ़ॉर्म से स्क्रैप की गई लगभग 4,00,000 कर्मचारी समीक्षाओं का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि बोर्ड पदों पर महिलाओं की अधिक हिस्सेदारी कर्मचारी रेटिंग और भावना स्कोर के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ी हुई है, लेकिन यह सम्बन्ध तभी महत्वपूर्ण है जब शीर्ष प्रबंधन में कम से कम एक महिला हो। यह कॉर्पोरेट भारत में बोर्ड और सी-सूट पदों पर अधिक महिलाओं की नियुक्ति के व्यावसायिक मामले को रेखांकित करता है।

टिप्पणी :

  1. हम कर के बाद लाभ, निवल मूल्य पर रिटर्न और वित्तीय स्थिरता (ऋण-से-इक्विटी अनुपात द्वारा इंगित) के सन्दर्भ में वित्तीय प्रदर्शन को मापते हैं।
  2. ‘रिवर्स डिफरेंस-इन-डिफरेंस मॉडल’ में फर्म के प्रदर्शन पर महिला बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति के प्रभाव की जाँच करने के लिए फर्मों पर बहिर्जात नीतिगत झटके का उपयोग किया जाता है। चूँकि हमारे नमूने में सभी फर्मों को या तो अनिवार्य रूप से इसका पालन करना है या पहले से ही इसका पालन कर रहे हैं, इसलिए कोई 'उपचार' (हस्तक्षेप के अधीन) और 'नियंत्रण' (हस्तक्षेप के अधीन नहीं) समूह नहीं हैं, जैसा कि एक मानक डिफरेंस-इन-डिफरेंस रणनीति में होता है। इसके बजाय, हमारे पास एक 'हमेशा उपचारित' समूह और एक 'स्विच किया गया' समूह है। 

अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।

लेखक परिचय : रत्ना सहाय नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) में मानद प्रोफेसर हैं और वाशिंगटन डीसी स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट में नॉन-रेज़िडेंट फेलो हैं। नव्या श्रीवास्तव एनसीएईआर में एक रिसर्च एसोसिएट हैं। महिमा वशिष्ठ एनसीएईआर की नॉन-रेज़िडेंट एसोसिएट फेलो हैं और बोकोनी यूनिवर्सिटी में प्रभावी गरीबी-विरोधी नीति प्रयोगशाला की पोस्टडॉक्टरल शोधार्थी हैं।

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