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अपनों को मताधिकार? मतदान अधिकारी की पहचान और चुनाव परिणाम

  • Blog Post Date 02 मई, 2019
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Yusuf Neggers

University of Michigan

yneggers@umich.edu

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का प्रावधान ऐसी लोक सेवा है जो निर्वाचित प्रतिनिधियों को जवाबदेह और प्रतिक्रियाशील बनाए रखने के लिहाज से बहुत ज़रूरी है। इस आलेख में मतदान केंद्रों के प्रशासन की छानबीन की गई है और दर्शाया गया है कि मतदान के परिणामों को चुनाव के दिन मतदान केंद्र का प्रबंधन करने वाली टीमों की धार्मिक और जातिगत संरचना के द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। इसमें मतदाताओं की पहचान के स्वरूप के महत्व पर भी प्रमाण उपलब्ध कराया गया है।

 

चुनाव प्रशासन की संदिग्ध निष्पक्षता व्यापक स्तर पर चिंता की बात है। वर्ल्ड वैल्यूज सर्वे के सबसे हाल में पूरे हुए राउंड (2010-2014) में सैंपल वाले लगभग 75 प्रतिशत देशों के एक-चौथाई से भी अधिक उत्तरदाताओं ने बताया कि चुनाव अधिकारी अक्सर निप्पक्ष नहीं होते हैं। भारत के मामले में उनका हिस्सा मोटे तौर पर 33 प्रतिशत था। 

हाल के शोध (नैगर्स 2018) में, मैंने भारत में हुए 2014 के आम चुनाव के दौरान मतदान केंद्र के प्रशासन पर विचार किया है जिसमें लगभग 80 लाख चुनाव अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों तथा 80 करोड़ से भी अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया था। मैंने बिहार के दो जिलों पर फोकस किया जिसमें लगभग 5,500 मतदान केंद्रों पर 56 लाख से भी अधिक मतदाता थे। मतदान केंद्र के स्तर पर अधिकारी नियुक्त करने और मतदान के परिणामों के प्रशासनिक आंकड़ों का विश्लेषण करने पर मैंने पाया कि किसी केंद्र पर मुसलमान या यादव1 अधिकारी की उपस्थिति का मतदान के परिणाम पर काफी असर पड़ता है। लेकिन ये प्रभाव तब कमजोर हो जाते हैं जब सरकार द्वारा जारी किए गए मतदाता पहचान पत्रों की कवरेज अधिक होती है। ये प्रभाव जिस तरह से काम करते हैं उसके मैकेनिज्म को बेहतर ढंग से समझने के लिए, मैंने 2014 के चुनाव में भाग लेने वाले और रैंडम ढंग से चुने गए 5,100 से अधिक मतदान केंद्र अधिकारियों और मतदाताओं का सर्वे प्रशासनिक आकड़ों वाले क्षेत्रों में किया। इन सर्वेक्षणों से प्राप्त साक्ष्यों के संयोजन से पता चलता है कि एक प्रासंगिक चैनल चुनाव के अधिकारियों द्वारा मतदान करने के पहले होने वाले पहचान-सत्यापन प्रक्रिया में अपने समूह के लोगों का पक्ष लेना है।

मतदान केंद्र के अधिकारी और मतदान संबंधी परिणाम

मतदान पर चुनाव अधिकारियों की टीम की संरचना का प्रभाव निर्धारित करने में कठिनाई होती है क्योंकि मतदान के परिणामों को प्रभावित करने वाले अन्य कारक मतदान केंद्रों पर इन अधिकारियों की तैनाती को भी प्रभावित कर सकते हैं। जैसे, कोई सरकार निष्पक्षता बरतने के प्रयास में सबसे परेशानी वाले स्थानों को मैनेज करने के लिए अधिक अनुभवी चुनावकर्मियों को जिम्मेवारी दे सकती है। या यह भी हो सकता है कि शासक दल मतदान के परिणामों को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने समर्थक अधिकारियों को तैनात कर सकता है। ऐसे मामलों में विभिन्न प्रकार के अधिकारियों वाले मतदान केंद्रों के बीच तुलना से मतदान पर अधिकारियों की टीम के प्रभावों के मामले में पूर्वाग्रहयुक्त अनुमान प्राप्त हो सकते हैं।  

इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए मैंने एक प्राकृतिक प्रयोग (नेचुरल एक्सपेरिमेंट) का उपयोग किया जो 2014 के चुनावों के दौरान हुआ था। उसमें चुनाव के दिन मतदान केंद्रों के प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा राज्य के कर्मचारियों को रैंडम आधार पर सामान्यतः 4-5 लोगों की टीम में तैनात किया गया था। ऐसी रैंडम तैनाती से अधिकारियों की टीमों की धार्मिक और जातिगत संरचना में अंतर आ जाता है जिसका मतदान को प्रभावित कर सकने वाली अन्य चीजों के साथ संबंध नहीं होता है। उसके बाद अधिकारियों के विभिन्न सेट वाले मतदान केंद्रों पर हुए मतदान के परिणामों की तुलना करके टीम की संरचना के प्रभाव तय किए जा सकते हैं।

बिहार में विभिन्न प्रकार की टीमों वाले मतदान केंद्रों पर मतदान के परिणामों का विश्लेषण करने के दौरान मैंने पाया कि किसी मतदान केंद्र पर मुसलमान या यादव अधिकारी की उपस्थिति वाली टीम (‘मिश्रित टीम’) होने पर मुसलमान या यादव की अनुपस्थिति वाली टीम (‘समांगी टीम’) की तुलना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गंठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गंठबंधन के बीच मतों के हिस्से  में अंतर राजद की ओर औसतन 2.5 प्रतिशत अंक अर्थात 13.8 प्रतिशत झुक जाता है।2 मूलतः मतदान के हिस्से पर प्रभाव के साथ मैंने यह भी देखा कि मिश्रित टीमों ने राजद को मिले मतों में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि और भाजपा को मिले मतों में 4.2 प्रतिशत की कमी कर दी। वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) अर्थात जद(यू) को मिले मतों और कुल मिलाकर मतदान में कोई अंतर नहीं आया था।

दूसरे, मैंने अधिकारियों की टीम संरचना के प्रभाव के मामले में मतदाताओं के पास सरकार द्वारा जारी मतदाता पहचान-पत्र रहने की संभावित प्रासंगिकता पर विचार किया। मतदान केंद्रों में मतदान के पहले मतदाता की पहचान करना चुनाव अधिकारियों के निर्णय के विवेकाधीन होता है, और इस विवेक की गुंजाइश पर संभावित मतदाताओं द्वारा पेश किए जाने वाले पहचान संबंधी दस्तावेजों का प्रभाव पड़ता है। जहां मतदाता पहचान-पत्र सबसे खरा दस्तावेज होता है और आधिकारिक रूप से पहचान के लिए अधिक पसंद किया जाता है, वहीं संभावित मतदाताओं को अपने पहचान के सत्यापन के लिए अनेक अन्य दस्तावेजों का उपयोग करने की भी स्वीकृति होती है। हालांकि उन दस्तावेजों के उपयोग से संबंधित नियमों के बारे में वे उतने निश्चिंत नहीं होते हैं। इसके कारण मतदान करने की योग्यता के मामले में उनके द्वारा अधिकारियों के निर्णयों का विरोध करने की संभावना कम हो जाती है, या प्रत्याशी के चयन को प्रभावित करने के मामले में उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

अगर टीम की संरचना पहचान के सत्यापन की प्रक्रिया को प्रभावित करती है – और नागरिकों द्वारा मतदाता पहचान-पत्र रखने पर अधिकारियों द्वारा भेदभावपूर्ण विवेकाधीन निर्णय की गुंजाइश घट जाती है, तो मतदाता पहचान-पत्र के अधिक कवरेज वाले क्षेत्रों में मतदान पर टीम की संरचना का कम प्रभाव दिख सकता है। ऐसे संबंध की जांच करने पर मैंने पाया कि अधिकारियों की टीम संरचना के प्रभाव मतदाता पहचान-पत्र के कम कवरेज वाले क्षेत्रों में ही संकेंद्रित हैं जैसा कि आकृति 1 में दर्शाया गया है। इस बात को लेकर आश्वस्त हो लेने के बाद कि चुनाव के दिन मतदान केंद्रों का प्रबंधन करने वाले अधिकारियों की पहचान मतदान के परिणामों के लिए महत्व रख सकती है, मैंने विचार किया कि ऐसा क्यों हो सकता है।

आकृति 1. मतदाता पहचान-पत्रों के विभिन्न कवरेज स्तरों पर अधिकारियों की टीम संरचना के प्रभाव में अंतर 

टिप्पणी: परिणाम रिग्रेशन के अनुमानों पर आधारित हैं। डैश वाली लाइनें 95 प्रतिशत कॉन्फिडेंस इंटरवल्स को दर्शाती हैं। 

मतदान केंद्र के अधिकारियों में अपने समूह का पक्ष लेने की प्रवृत्ति

मतदान केंद्र के अधिकारियों के अपने सर्वे में मैंने मतदाता की पहचान के सत्यापन से संबंधित निर्णय लेने में प्रशासक द्वारा अपने समूह का पक्ष लेने का पैमाना तैयार करने के लिए विन्येट (शब्दचित्र) प्रयोग का उपयोग किया।3 अधिकारियों ने इस संभावना का मूल्यांकन किया कि किसी काल्पनिक व्यक्ति को मतदान करने के किसी विवरण के आधार पर मतदान करने की स्वीकृति मिलती है या नहीं जिसमें उत्तरदाताओं के सामने रैंडम ढंग से दिए गए नामों के अलावा सारी चीजें समान रखी गई थीं। संभावित मतदाता की मतदान की योग्यता पर विचार करते समय उनको अपने जैसा समान धार्मिक/जातिगत समूह का पाने पर अधिकारियों द्वारा उनकी योग्यता का पक्षपातपूर्ण मूल्यांकन करने की 10 प्रतिशत अंक या 25 प्रतिशत ज़्यादा संभावना थी।

इसके बाद मैंने अपना ध्यान चुनाव के दिन नागरिकों के अनुभव पर केंद्रित व्यक्तिगत स्तर के सर्वे संबंधी साक्ष्य की ओर मोड़ा। सबसे पहले मैंने इस पर विचार किया कि मतदाताओं ने मतदान केंद्र के अधिकारियों के पूर्वाग्रहपूर्ण व्यवहार को चुनाव के दिन की प्रासंगिक परिघटना के रूप में देखा या नहीं। उत्तरदाताओं से संभावित संवेदनशील विषय के बारे में प्रत्यक्ष रूप में पूछने पर अविश्वसनीय उत्तर आ सकते हैं इसलिए मैंने यह जानकारी अप्रत्यक्ष रूप से निकालने के लिए लिस्ट रैंडमाइजेशन तकनीक का उपयोग किया।4 मेरे परिणाम दर्शाते हैं कि मोटे तौर पर 23 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि मतदान केंद्र पर मौजूद अधिकारियों ने लोगों के साथ धर्म या जाति के आधार पर अलग तरह से बर्ताव किया और 14 प्रतिशत ने महसूस किया कि अधिकारियों ने चुनाव के दिन मतदान के व्यवहार को प्रभावित करने का प्रयास किया।

इसके साथ-साथ, उत्तरदाताओं द्वारा खुद बताए गए अनुभवों के आधार पर, आकृति 2 में मतदाताओं की चार श्रेणियों (मुसलमान/ यादव हैं या नहीं, मतदाता पहचान-पत्र रखते हैं या नहीं) में से प्रत्येक को मतदान की स्वीकृति मिलने की संभावना को इस बात के साथ अलग-अलग प्रस्तुत किया गया है कि उनके मतदान केंद्र पर समांगी टीम थी या मिश्रित टीम। मैंने पाया कि जिस टीम में गैर-मुसलमान, गैर-यादव  सदस्य थे उस टीम द्वारा गैर-मुसलमान, गैर-यादव मतदाताओं को स्वीकृति देने की अधिक संभावना थी जबकि मुसलमान और यादव मतदाताओं के मामले में ऐसा कोई प्रभाव नहीं देखा गया। हालांकि मतदाता पहचान-पत्र रखने वाले व्यक्तियों पर अधिकारियों की टीम संरचना और मतदाता के धार्मिक/जातिगत प्रकार की संभावना के कारण ऐसा अंतर नहीं आया जो प्रशासनिक आंकड़ों के आधार पर पूर्व में निकाले गए निष्कर्षों के साथ संगतिपूर्ण है। दोनो परिणामों का संयुक्त सुझाव है कि टीम संरचना का मतदान के नतीजों पर प्रभाव कम से कम आंशिक रूप से चुनाव के अधिकारियों द्वारा मतदाता पहचान सत्यापन प्रक्रिया में स्वयं-समूह पक्षपात करने की वजह से होता है। 

आकृति 2. अधिकारियों की टीम संरचना और विभिन्न प्रकार के मतदाताओं के लिए मतदान की क्षमता

टिप्पणी: परिणाम रिग्रेशन के अनुमानों पर आधारित हैं। एरर बार्स 95 प्रतिशत कॉन्फिडेंस इंटरवल्स को दर्शाती हैं। 

 

निष्कर्षमूलक टिप्पणी

जहां भारत में चुनावों का प्रशासन तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यंत विनियमित होता है, वहीं ये शोध परिणाम चुनावी कार्यप्रणाली के वर्तमान मोर्चे के समीप होने पर भी स्थानीय स्तर पर मौजूद चुनावकर्मी की पहचान के शेष महत्व को दर्शाते हैं। इस शोधकार्य में विचारित संदर्भ में यह तय करना संभव नहीं है कि टीम के अंदर चुनाव अधिकारियों की अधिक विविधता से मतदान केंद्र प्रबंधन की निष्पक्षता मजबूत होती है या और भी कमजोर हो जाती है। और यह कहना भी संभव नहीं है कि असंबद्ध रूप से बनी मिश्रित संरचना हमेशा राजनीतिक या प्रशासनिक रूप से संभव ही हो सकती है। हालांकि मेरे परिणाम दर्शाते हैं कि अधिकारियों के कार्यों में विवेकाधीनता की गुंजाइश सीमित करने वाली नीतियां स्थानीय चुनावी अधिकारियों द्वारा चुनाव के दिन भेदभाव करने और मतदान संबंधी परिणामों को प्रभावित करने की उनकी क्षमता घटाने का एक आशाजनक विकल्प हो सकती हैं। 

लेखक परिचय: यूसुफ नैगर्स यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के फोर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी में असिस्टेंट प्रॉफेसर हैं। 

नोट्स:

  1. बिहार में यादव समुदाय अपेक्षाकृत बड़ा समुदाय है जिसका 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी में मोटे तौर पर 14 प्रतिशत हिस्सा है और आधिकारिक रूप से इसे अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मुसलमान और यादव समुदाय पिछले दो दशक के दौरान अधिकांश समय में राज्य में एक बड़े राजनीतिक गंठबंधन के मुख्य आधार रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें विटसो (2013)।
  2. यह विधान सभा क्षेत्र, टीम के आकार, मतदाताओं की लॉग संख्या, और मुसलमान या यादव मतदाताओं के हिस्से को कंट्रोल करने वाले रिग्रेशन पर आधारित है। इसके बाद से राजद और भाजपा गंठबंधनों को सिर्फ राजद या भाजपा कहा गया है।
  3. विन्येट अध्ययन में स्थितियों या व्यक्तियों के संक्षिप्त विवरणों का उपयोग किया जाता है जो उत्तरदाताओं को इन परिदृश्यों के बारे में उनके निर्णयों को प्राप्त करने के लिए सर्वेक्षण के दौरान अक्सर दिखाए जाते हैं।
  4. इस विधि की विस्तृत जानकारी के लिए देखें क्रैमन एंड वीग़ॉर्स्ट (2014)
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