क्या महिलाओं की कार्य भागीदारी में वृद्धि घरेलू उपकरणों को अधिक अपनाये जाने का कारण बनती है, या मामला ठीक इसके विपरीत है? इस प्रश्न को हल करने के लिए, इस लेख में द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि के अमेरिकी आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है जब महिलाएं जोकि पहले कार्यबल में शामिल नहीं थीं, पुरुषों द्वारा छोड़ी गई नौकरियों के स्थानों को भरने के लिए आगे आईं, और इसी समय परिवारों में बड़े पैमाने पर बिजली के उपकरण खरीदे गए।
आर्थिक विकास और परिपक्वता की प्रक्रिया में अक्सर महिलाओं का बड़ी संख्या में औपचारिक कार्यबल में प्रवेश करना शामिल होता है। 1980 के दशक से उल्लेखनीय आर्थिक विकास के बावजूद, भारत में महिला श्रम बल भागीदारी (एफएलएफपी) में गिरावट देखी गई है। हालांकि कई शोधों ने इस गिरावट के कारणों की जांच की है (देखें, विशेष रूप से, अफरीदी, डिंकेलमैन और महाजन 2016),फिर भी इसके परिणामों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। एक ऐसे युग में जब खाना पकाने के स्टोव, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन जैसे उपकरणों का व्यापक रूप से उपयोग हो रहा है, महिलाओं के कार्य घरेलू तकनीक को अपनाने हेतु महत्वपूर्ण रूप से परिणामकारी हो सकते हैं।
महिलाओं का रोजगार और उपकरण खरीद: इतिहास और साक्ष्य
हम महिलाओं के रोजगार और उपकरण खरीद एवं उपयोग के बीच संबंधों के बारे में अन्य देशों और संदर्भों से क्या सीख सकते हैं? इसकी जांच करने के लिए एक संदर्भ अमेरिका में 20 वीं शताब्दी के मध्य का है, जब लाखों महिलाओं ने औपचारिक कार्यबल में प्रवेश किया, जिन्हें प्राय: शिक्षा में वृद्धि, प्रजनन क्षमता में बदलाव, और सामाजिक मानदंडों के द्वारा भी सुविधा प्रदान की गई (बैले 2006, गोल्डिन 2006, बैले एवं अन्य 2012) । इसी अवधि के दौरान, अमेरिकियों ने बड़े पैमाने पर बिजली के घरेलू उपकरण, जैसे रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन और वैक्यूम क्लीनर खरीदे।
कामकाजी महिलाओं और उपकरणों की खरीद के बीच के संबंध पर एक परिप्रेक्ष्य को रोचक शब्दावली "आज़ादी के प्रेरक" (ग्रीनवुड एवं अन्य 2005) द्वारा प्रस्तुत किया गया है, अर्थात श्रम-बचत वाली घरेलू प्रौद्योगिकियों ने महिलाओं को समय लेने वाले घरेलू कामों से मुक्त कर उनके घर के बाहर के काम में विस्तार किया है। इस प्रकार, उपकरणों की उपलब्धता ने महिलाओं को घर से बाहर काम ढूंढने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, एक और तर्क यह है कि सामाजिक मानदंडों और नौकरियों की प्रकृति में बदलाव ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी के विस्तार को बढ़ावा दिया (गोल्डिन 2006, फर्नांडीज 2013), न कि घर के कामों को कम करने वाले उपकरणों ने। साथ ही साथ, जबकि 50 वर्षों में उपकरण अपनाने में तेजी से वृद्धि हुई, कामकाजी उम्र की महिलाओं में 1920 और 1970 के बीच प्रति सप्ताह चार घंटों से भी कम की गिरावट के साथ घरेलू उत्पादन पर खर्च किए गए घंटे अपेक्षाकृत अपरिवर्तित ही रहे (एगुइर और हर्स्ट 2007)। इस प्रकार, यह अकल्पनीय लगता है कि यदि उपकरणों को अपनाने से घरेलू कामों के लिए आवंटित समय में उल्लेखनीय कमी नहीं हुई है तो इसने महिलाओं के श्रम बाजार में प्रवेश को सुविधाजनक बनाया।
अपनी क्लासिक किताब मोर वर्क फॉर मदर में, इतिहासकार रूथ श्वार्ट्ज कोवान ने यह सवाल उठाया कि क्या घरेलू उपकरणों के आने से श्रम-बल भागीदारी में वृद्धि हुई (श्वार्ट्ज कोवान 1983), "ज्यादातर अमेरिकी गृहिणियों ने नौकरी के बाजार में प्रवेश नहीं किया क्योंकि उनके पास बहुत अधिक खाली समय था”। इसके बजाय, कोवान ने लिखा, "अमेरिकी गृहिणियों ने पाया कि, किसी न किसी कारण से, उन्हें पूर्णकालिक रोजगार की आवश्यकता है; और बाद में, उन्होंने पाया कि, एक डिशवॉशर, एक वॉशिंग मशीन, और कभी कभार फ्रोजन डिनर (फ्रिज में रखा पका-पकाया भोजन जिसे खाने से पूर्व गर्म किया जाता है) की मदद से, वे अपने परिवार के जीवन स्तर को बनाये रखते हुए उस रोजगार को अपना सकती हैं", जो यह दर्शाता है कि अधिक श्रम-बल भागीदारी और कमाई उपकरणों के खरीदे जाने का कारण बनीं। आवश्यक तर्क यह था कि महिलाओं की नौकरियों से घरेलू आय में वृद्धि हुई है, जिसके कारण उपकरणों को खरीदना अधिक आसान हो गया है। इसके अलावा, स्वतंत्र आय होने के कारण परिवार के भीतर महिलाएं अपनी आवाज अधिक विश्वास से उठाती हैं जिससे संतुलन महिलाओं के लिए अधिक मूल्यवान वस्तुओं की खरीद के पक्ष में झुक गया। हाल के शोध (बोस, जैन और वॉकर 2020) में, हम यह तर्क देते हैं कि महिला श्रम-बल भागीदारी अधिक उपकरण खरीद के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है, बजाय इसके विपरीत होने के, और साथ ही साथ यह दो समकालीन प्रवृत्तियों को एक साथ जोड़ने के लिए भी बेहतर ढ़ंग से कार्य करती है।
आकृति 1. उपकरण, महिलाओं के रोजगार और घरेलू उत्पादन के घंटे
आकृति में आए अंग्रेजी शब्दों का हिंदी अर्थ
Married WLFP विवाहित महिला श्रम-बल भागीदारी
Mechanical fridge यांत्रिक फ्रिज
Home production hours घरेलू उत्पादन घंटे
क्या महिलाओं का कार्य अधिक उपकरण खरीद का कारण बनता है?
यह दिखाना मुश्किल है कि महिलाओं का कार्य सीधे तौर पर अधिक उपकरण ख़रीद का कारण बनता है। महिला श्रम-बल भागीदारी और उपकरण स्वामित्व की दरों के बीच संबंध की यांत्रिक रूप से जांच करने से कोई कारण-संबंध नजर नहीं आता है क्योंकि अन्य कारक, जैसे कि अभाव, महिलाओं को काम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं जबकि उपकरण खरीदने की उनकी क्षमता को भी कम कर सकते हैं। उपकरण अपनाए जाने पर महिला श्रम-बल भागीदारी के प्रभाव को अलग करने के लिए, हम द्वितीय विश्व युद्ध के कारण अमेरिका में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी वृद्धि के आंकड़ों का उपयोग करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान, 160 लाख व्यक्तियों ने, जिनमें ज्यादातर पुरुष थे, सेना में कार्य किया। जो महिलाएं पहले कार्यबल में नहीं थीं, वे पुरुषों द्वारा खाली छोड़ी गई नौकरियों के स्थानों को भरने के लिए आगे आईं। इसके अलावा, देश भर में बड़ी संख्या में कारखानों ने युद्धकालीन सामग्री का उत्पादन करने के लिए अपने उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया, और इन प्रतिष्ठानों के कार्यबल में बड़े पैमाने पर महिलाएं शामिल थीं। काम पर जाने वाली महिलाओं की संख्या दो बातों पर निर्भर थी : कारखाने स्थानीय रूप से स्थापित किए गए थे या नहीं, और युद्ध में जाने वाले पुरुषों का अनुपात।
एक काउंटी (एक भारतीय जिले के समान) की प्रशासनिक श्रेणी में 1961 के लिए पैन-यूएस जनगणना डेटा के साथ हाल ही में डिजीटल किए गए युद्धकालीन फ़ैक्टरी स्थान डेटा को जोड़ कर, हम पाते हैं कि जिन काउंटियों में युद्ध के दौरान कारखाने स्थापित किए गए थे, उनमें महिला श्रम-बल भागीदारी में बड़ी वृद्धि देखी गई। इसके बाद, महिला श्रम-बल भागीदारी में वृद्धि उपकरणों के अधिक स्वामित्व से जुड़ी हुई है – विशेष रूप से रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन। एक औसत काउंटी के लिए, जब महिलाओं के काम की दर एक मानक विचलन (लगभग 6 प्रतिशत अंक) बढ़ती है, तो उपकरण अपनाने में 0.5 मानक विचलन (लगभग 7 प्रतिशत अंक) की वृद्धि होती है। अन्य कारक जैसे ग्रामीण क्षेत्र में रहना, अन्य उपकरणों का स्वामित्व, और छोटे बच्चों की उपस्थिति भी उपकरण स्वामित्व को प्रभावित करते हैं, लेकिन हमारा विश्लेषण बताता है कि महिला श्रम-बल भागीदारी शायद सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
उपकरण खरीदने का निर्णय आय और खाली समय के समझौताकारी समन्वयन द्वारा संचालित होता है। अधिक खर्च करने योग्य आय और उनके समय की अधिक मांग दोनों मिल कर महिलाओं को घरेलू उपकरण खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं। यह कम आय वाले परिवारों के लिए विशेष रूप से सच है। घर से बाहर काम नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में कामकाजी महिलाएं किसी उपकरण को खरीदने के लिए अधिक प्रेरित होंगी, क्योंकि कामकाजी महिलाओं की आय अधिक होती है और उनके पास खाली समय कम होता है।
किसी महिला के कार्यभार को कम करने के लिए उपकरण ही एकमात्र तरीका नहीं है। बीसवीं सदी के मध्य में, कई परिवारों ने घरेलू नौकरों को काम पर रखा। हालांकि, बीसवीं सदी के दौरान घरेलू सेवाओं में कार्यरत महिलाओं के श्रम बल का अनुपात तेजी से गिर गया, 1930 में यह लगभग 18% था जो 1960 तक गिर कर 8% हो गया। उपकरणों को अपनाने की संख्या उन काउंटियों में अधिक थी जहां घरेलू नौकर की उपलब्धता में अधिक गिरावट आई, जो यह दर्शाता है कि अधिक महंगे घरेलू नौकर भी उपकरण खरीदने का कारण बने। यह अवलोकन भारतीय संदर्भ में विशेष महत्व रखता है, जहां घरेलू नौकर व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और नियोजित हैं।
आज़ादी के फल न कि "प्रेरक"
हमारे अनुभवजन्य परिणाम रूथ श्वार्ट्ज कोवान की टिप्पणियों की पुष्टि करते हैं। उपकरण "प्रेरक" नहीं, बल्कि आज़ादी के फल थे। घरेलू प्रौद्योगिकी की खरीद के लिए अंतर्निहित प्रेरणा समाज के भीतर से आई है। नौकरियों की प्रकृति में परिवर्तन (शारीरिक से दिमागी तक) और युद्ध के दौरान श्रम की बढ़ती आवश्यकता के कारण बदलते मानदंडों ने श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया, और तभी समय और ऊर्जा की कमी ने अधिक दबाव डाला तो महिलाओं ने राहत तलाशना शुरू किया। उस राहत को प्रदान करने के लिए उपकरण उद्योग समय पर सामने आया और इस अर्थ में उपकरणों की वृद्धि महिला श्रम-बल भागीदारी की पूरक बनी।
ये प्रेक्षण भारत जैसे समकालीन विकासशील देशों के लिए निहितार्थ रखते हैं। शोध ने भारत में महिला श्रम बल भागीदारी में समकालीन गिरावट को महिलाओं के लिए कृषि नौकरियों के गायब होने और इस संभावना से जोड़ा है कि सीमित शिक्षा बाजार उत्पादन से अधिक घरेलू उत्पादन के मूल्य को बढ़ाती है (क्लासेन 2017, अफरीदी और अन्य 2017, चटर्जी और अन्य2017)। हालांकि विकास निश्चित रूप से महिलाओं की आज़ादी को सुविधाजनक बनाता है (डुफ्लो 2012), फिर भी ऐसा करने के लिए मानदंडों को बदलने और दृष्टिकोण को व्यापक बनाने रूपी कठिन मार्ग को अपनाया जाना चाहिए न कि स्टोर से उपकरण की खरीद के सरल मार्ग को।
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लेखक परिचय: गौतम बोस सिडनी में यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। तरुण जैन भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। सारा वाकर यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स में अर्थशास्त्र के स्कूल में वरिष्ठ व्याख्याता हैं।
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