मानव विकास

भारत में छात्र मूल्यांकन संबंधी खराब डेटा में सुधार लाना

  • Blog Post Date 08 सितंबर, 2022
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Prakhar Singh

Accelerate Indian Philanthropy

prakhar@indianphilanthropy.org

भारत में छात्रों के शिक्षा के स्तर के बारे में प्रशासनिक डेटा की सटीकता पर मौजूदा प्रमाण को ध्यान में रखते हुए, सिंह और अहलूवालिया चर्चा करते हैं कि छात्र मूल्यांकन की एक विश्वसनीय प्रणाली क्यों मायने रखती है; मूल्यांकन डेटा की गुणवत्ता तय करना भारतीय शिक्षा प्रणाली में औसत दर्जे के दुष्चक्र को रोकने की दिशा में एक कदम है। वे इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे तृतीय-पक्ष द्वारा स्वतंत्र मूल्यांकन और प्रौद्योगिकी एवं उन्नत डेटा फोरेंसिक के उपयोग से शिक्षा के वास्तविक स्तर की गलत व्याख्या को रोका जा सकता है।

यह प्रचलित कहावत है कि 'जिसे मापा जाता है वह हो भी जाता है'। अच्छी तरह से चलने वाली शिक्षा प्रणालियों में, मूल्यांकन छात्रों के सीखने के स्तर को मापने में मदद करते हैं, सीखने संबधी कमियों का निदान कर उनमें सुधार लाते हैं, और समय के साथ बेहतर शिक्षा पद्धतियों को लाने में छात्रों और प्रणालियों के लिए सहायक होते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत सहित दुनिया भर में शिक्षा प्रणालियों की प्रगति का विश्लेषण करने हेतु छात्रों के सीखने के परिणामों को नियमित रूप से मापा जाता है। तथापि, यदि सीखने का माप ही पहले त्रुटिपूर्ण है तो क्या होगा?

भारत में राष्ट्रीय स्तर पर, स्कूल जाने वाले छात्रों के सीखने के स्तर और उनकी प्रगति को राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के माध्यम से रिपोर्ट किया जाता है, जो राष्ट्रीय स्तर का प्रतिनिधि परीक्षण है और यह इंगित करता है कि शैक्षिक प्रणाली प्रभावी ढंग से प्रदर्शन कर रही है या नहीं।

एनएएस निष्कर्षों का उपयोग स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) जैसे सूचकांकों की गणना के लिए किया जाता है, जो स्कूली शिक्षा उपलब्धि पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को रैंक और फीडबैक प्रदान करता है। एनएएस वेबसाइट इस सर्वेक्षण के कुछ महत्वपूर्ण उपयोग के मामलों को दर्शाती है, जो कि "एनएएस निष्कर्ष छात्रों के सीखने संबधी कमियों का निदान करने और शिक्षा नीतियों,शिक्षण प्रथाओं और सीखने में आवश्यक हस्तक्षेपों को निर्धारित करने में मदद करेंगे। एनएएस के निष्कर्ष अपने डायग्नोस्टिक रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से शिक्षकों और शिक्षा के वितरण में शामिल अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण में मदद करते हैं। एनएएस 2021 अनुसंधान और विकास के दायरे को आगे बढ़ाने वाले साक्ष्य और डेटा बिंदुओं का एक समृद्ध भंडार साबित होगा।”

यह प्रचलित कहावत है कि 'जिसे मापा जाता है वह हो भी जाता है'। अच्छी तरह से चलने वाली शिक्षा प्रणालियों में, मूल्यांकन छात्रों के सीखने के स्तर को मापने में मदद करते हैं, सीखने संबधी कमियों का निदान कर उनमें सुधार लाते हैं, और समय के साथ बेहतर शिक्षा पद्धतियों को लाने में छात्रों और प्रणालियों के लिए सहायक होते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत सहित दुनिया भर में शिक्षा प्रणालियों की प्रगति का विश्लेषण करने हेतु छात्रों के सीखने के परिणामों को नियमित रूप से मापा जाता है। तथापि, यदि सीखने का माप ही पहले त्रुटिपूर्ण है तो क्या होगा?

भारत में राष्ट्रीय स्तर पर, स्कूल जाने वाले छात्रों के सीखने के स्तर और उनकी प्रगति को राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के माध्यम से रिपोर्ट किया जाता है, जो राष्ट्रीय स्तर का प्रतिनिधि परीक्षण है और यह इंगित करता है कि शैक्षिक प्रणाली प्रभावी ढंग से प्रदर्शन कर रही है या नहीं।

एनएएस निष्कर्षों का उपयोग स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) जैसे सूचकांकों की गणना के लिए किया जाता है, जो स्कूली शिक्षा उपलब्धि पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को रैंक और फीडबैक प्रदान करता है। एनएएस वेबसाइट इस सर्वेक्षण के कुछ महत्वपूर्ण उपयोग के मामलों को दर्शाती है, जो कि "एनएएस निष्कर्ष छात्रों के सीखने संबधी कमियों का निदान करने और शिक्षा नीतियों,शिक्षण प्रथाओं और सीखने में आवश्यक हस्तक्षेपों को निर्धारित करने में मदद करेंगे। एनएएस के निष्कर्ष अपने डायग्नोस्टिक रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से शिक्षकों और शिक्षा के वितरण में शामिल अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण में मदद करते हैं। एनएएस 2021 अनुसंधान और विकास के दायरे को आगे बढ़ाने वाले साक्ष्य और डेटा बिंदुओं का एक समृद्ध भंडार साबित होगा।”

विश्वसनीय रूप से यह जानकारी प्राप्त करना एक पूर्वापेक्षा है,और किसी भी प्रकार के पाठ्यक्रम समायोजन के लिए प्रारंभिक बिंदु है। हालाँकि,अध्ययनों से पता चला है कि एनएएस की सटीकता में सीमाएं हैं।

एनएएस निष्कर्षों पर मौजूदा शोध

एक हालिया अध्ययन में तीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षणों- एनएएस, शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) और भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) (जॉनसन और पैराडो 2021) से सीखने के परिणामों की तुलना की गई है। विश्वसनीय तुलना सुनिश्चित करने के लिए, यह छात्रों, स्कूलों (ग्रामीण, सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 के छात्र) और दक्षताओं (पढ़ने के परिणाम) पर ध्यान केंद्रित करता है, जो तीनों सर्वेक्षणों में शामिल हैं। निष्कर्ष दर्शाते हैं कि एनएएस राज्य का औसत एएसईआर राज्य के औसत और आईएचडीएस के औसत से काफी अधिक है, जो मुद्रास्फीति की एक महत्वपूर्ण डिग्री का संकेत देता है। 

चित्र 1. एएसईआर, आईएचडीएस और एनएएस के औसत स्कोर

स्रोत: जॉनसन और पैराडो 2021

नोट:आईएचडीएस के बार 95% विश्वास अंतराल दर्शाते हैं। 95% विश्वास अंतराल का मतलब है कि यदि आप नए नमूनों के साथ अपने प्रयोग को बार-बार दोहराते हैं, तो 95% समय परिकलित विश्वास अंतराल में सही प्रभाव होगा।

ये निष्कर्ष आश्चर्यजनक नहीं हैं। एनएएस 2017 का बुनियादी प्रक्रिया मूल्यांकन इसके प्रशासन में निहित खामियों को प्रकट करेगा। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर, शिक्षा मंत्रालय (जिसे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय कहा जाता था) के तत्वावधान में राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा परीक्षा आयोजित की जाती थी, संबंधित राज्य सरकारें भी इसके प्रशासन संबंधी महत्वपूर्ण चरणों में शामिल थीं। यह परीक्षण एनसीईआरटी द्वारा डिजाइन किया गया था– जबकि इसका अंतरण राज्य स्तर पर (एससीईआरटी द्वारा) किया गया था। इसके अलावा, कक्षाओं में परीक्षण का निरीक्षण फील्ड पर्यवेक्षकों (एफआई) द्वारा किया गया था, जो राज्य के अधिकारियों द्वारा नियुक्त जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी) के छात्र थे। जब राज्यों का उनके शिक्षा प्रदर्शन के संबंध में मूल्यांकन किया जा रहा है और उन्हें रैंक किया जा रहा है, जिसमें पेपर अंतरण और परीक्षण निरीक्षण जैसी संवेदनशील प्रक्रियायें भी शामिल है, तो यह निष्कर्ष निकालना उचित है कि शक्तियों और निष्पक्षता के पृथक्करण के मौलिक सिद्धांतों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। यदि एक ही निकाय नियम निर्माता है, निष्पादक और न्यायनिर्णायक भी है,तो उसे एक नकली तस्वीर प्रस्तुत करने हेतु प्रेरित किया जा सकता है जो वास्तविकता का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हो।

एक अन्य अध्ययन में, मध्य प्रदेश के पब्लिक स्कूलों में कक्षा 1-8 के सभी छात्रों के लिए वार्षिक मानकीकृत मूल्यांकन- प्रतिभा पर्व का मूल्यांकन किया गया (सिंह 2020)। इस परीक्षा को नीति आयोग (नीति आयोग, 2016) द्वारा 'राष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यास' के रूप में भी माना गया था। उक्त अध्ययन में पाया गया कि आधिकारिक परीक्षण में शिक्षकों/स्कूल कर्मियों द्वारा रिपोर्ट की गई छात्र उपलब्धि, स्वतंत्र शोधकर्ताओं द्वारा मापे जाने पर समान प्रश्नों पर उनकी वास्तविक उपलब्धि से दोगुनी थी। 

चित्र 2. आधिकारिक परीक्षण और पुन:परीक्षण में सही प्रतिक्रियाओं का अनुपात

स्रोत: सिंह 2020

नोट:आधिकारिक और स्वतंत्र परीक्षणों में सही उत्तरों का अनुपात यदि समान था, तो सभी बिंदु लाल रेखा के साथ होंगे, इसके बजाय हम देखते हैं कि आधिकारिक परीक्षा में सही उत्तर देने का अनुपात गणित और हिंदी- दोनों में बहुत अधिक है।

विश्वसनीय मूल्यांकन क्यों मायने रखता है

इस विषय में और गहराई में जाने से पहले एक महत्वपूर्ण आधार यह है कि अविश्वसनीय छात्र प्रदर्शन की समस्या क्यों मायने रखती है।

सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (सीजीडी) द्वारा लगभग 900 निम्न और निम्न-मध्यम-आय वाले देशों के शिक्षा नौकरशाहों के किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि नीति निर्माताओं में छात्रों के सीखने के स्तर के बारे में अत्यधिक आशावादी धारणा होती है। भारतीय संदर्भ में, यह धारणा मुद्रास्फीति के निरंतर स्तरों से आगे बढ़ती है, जो सीखने के संकट के पैमाने के प्रति उदासीनता की ओर ले जाती है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के गिरिंद्र बीहैरी ने अफसोस जताया कि "नीति-निर्माता इस बात से अवगत नहीं है कि उनके सामने हल करने हेतु कोई समस्या है" (सीजीडी, 2021)। अविश्वसनीय रूप से डेटा एकत्र करने से समस्या के बारे में अधिक जागरूकता नहीं आती है। इसके विपरीत, यह सरकार, शिक्षा तंत्र, शिक्षकों और अन्य सभी हितधारकों की एक सकारात्मक तस्वीर पेश करती है, जिसे वे सही ठहराने और संरक्षित करने की कोशिश करते हैं, जिससे परिवर्तन को लागू करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

इसलिए, अविश्वसनीय डेटा सीखने के संकट को बनाए रखता है और उसे बढ़ा देता है। फ्रंट-लाइन नौकरशाही (जैसे जिला और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक है नियमित रूप से कक्षा शिक्षण विधियों और छात्रों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन करना, और शिक्षकों के सामने अपनी प्रतिक्रिया देना कि कक्षा प्रथाओं को कहाँ और कैसे सुधारना है। प्रभावी प्रतिक्रिया प्रदान करने की दृष्टि से खराब डेटा से उन्हें विश्वसनीय सहारा (एंकर) नहीं मिलता है। इसके अलावा, चूंकि प्रणाली स्पष्ट रूप से कागज पर अच्छी गुणवत्ता वाले शिक्षण परिणाम देने में सक्षम होती है, अपर्याप्त शिक्षण और शिक्षण विधियों के बावजूद, किसी भी हितधारक- छात्रों, शिक्षकों, नौकरशाहों या राजनेताओं को वर्तमान प्रथाओं में सुधार करने हेतु बहुत कम प्रोत्साहन मिलता है।

हम मौजूदा सिस्टम को अयोग्य फीडबैक लूप के साथ बनाए रखने और इसके अनुवर्ती अप्रभावी समाधानों को बढ़ाने के जरिये, प्रणाली को समय के साथ बेहतर होने दिए बगैर बड़ी मात्रा में धन बर्बाद करने के लिए राज्य मशीनरी को प्रभावी ढंग से स्थापित कर रहे हैं, और इसे सामान्य दर्जे के दुष्चक्र की ओर ले जा रहे हैं।

स्थायी परिवर्तन प्राप्त करने हेतु मूल्यांकन संबंधी रीतियों को बदलना

विशिष्ट समाधानों को डिजाइन और स्केल करने से पहले, मूल्यांकन संबंधी रीतियों के कुछ सिद्धांत हैं जो लंबे समय तक स्थायी परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं:

i) हितधारिता को कम करना: शिक्षक, स्कूल, छात्र और माता-पिता अक्सर स्कूल के अधिकांश मूल्यांकन के लिए अनुपातहीन हितधारिता रखते हैं। यहां तक ​​​​कि परीक्षाएं जो निदान (जैसे प्रतिभापर्व) के लिए होती हैं उन्हें उच्च हितधारिता के रूप में माना जाता है। अतः, राज्य द्वारा इस संबंध में स्पष्ट संचार किये जाने की आवश्यकता है कि छात्र मूल्यांकन और प्रणालीगत प्रदर्शन की नियमित निगरानी का विचार किसी भी संबंधित हितधारकों को दंडित करना नहीं है, बल्कि सीखने की प्रगति को लगातार ट्रैक करना, शिक्षण और सीखने संबंधी कमियों का निदान करना और सुधारात्मक कार्रवाई स्थापित करना है।

यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि विभिन्न मूल्यांकनों से सभी छात्र प्रगति की सूचना राज्य मशीनरी को नहीं दी जाती है, जो इसे सही करने के लिए शिक्षकों की एजेंसी को कम कर सकता है। उदाहरण के लिए, कक्षा में नियमित रूप से किए जाने वाले रचनात्मक मूल्यांकन से छात्र के प्रदर्शन, जिनका स्वरूप अधिक विकेन्द्रीकृत हैं, को आदर्श रूप से केवल कक्षा स्तर पर शिक्षकों द्वारा रिपोर्ट और ट्रैक किया जाना चाहिए।

ii) एक प्रमुख परिणाम के रूप में विश्वसनीय डेटा: गुडहार्ट का नियम कहता है कि 'जब कोई उपाय एक ‘लक्ष्य’ बन जाता है, तो वह अच्छा उपाय नहीं रह जाता है। प्रदर्शन पर अधिक ध्यान देना बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए हितधारकों के प्रोत्साहन को गलत दिशा में ले जाता है, भले ही यह नक़ल के बदले मिलता हो। रिपोर्ट किए गए डेटा की विश्वसनीयता और गुणवत्ता को छात्र के प्रदर्शन के रूप में ‘विशेष’ बनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।

उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों का सम्मान करने के साथ-साथ, प्रदर्शन के स्तर की परवाह किए बिना मूल्यांकन डेटा को मज़बूती से तैयार करने हेतु स्कूलों और हितधारकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिसका अंतिम लक्ष्य स्कूलों के लिए डेटा को सटीक रूप से रिपोर्ट करना सामाजिक रूप से वांछनीय बनाना है।

हम बेहतर डेटा कैसे प्राप्त करते हैं?

मोटे तौर पर दो प्रमुख तरीके हैं जिनके माध्यम से छात्र डेटा की विश्वसनीयता से समझौता किया जाता है- मूल्यांकन की गुणवत्ता और मूल्यांकन प्रशासन की गुणवत्ता।

अच्छा मूल्यांकन वैध (सर्वमान्य) होना चाहिए (अर्थात, जिसे मापने का दावा किया है उसे ही मापना), उसमें अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझने वाले और नहीं समझने वाले छात्रों के बीच फर्क करने की क्षमता होनी चाहिए, और बार-बार मापने के बाद भी परिणाम एक जैसे ही उत्पन्न करता हो। इन मूल सिद्धांतों के बिना, छात्रों का सटीक निदान प्राप्त करना संभव नहीं होगा। इन तकनीकी चिंताओं को हल करने के लिए राज्य की क्षमता कम है, तथापि 'करके सीखने' में राज्य को सहायता करने हेतु इसे निजी मूल्यांकन एजेंसियों को शामिल करके बनाया जाना चाहिए।

इसके अलावा, छात्रों के मूल्यांकन के उद्देश्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए। शिक्षा प्रणाली की समग्र स्थिति की निगरानी करने वाले मूल्यांकन, टर्म के अंत में सीखने को मापने वाले योगात्मक मूल्यांकन, और छात्रों और अभिभावकों को नियमित प्रतिक्रिया उपलब्ध  करने वाले रचनात्मक मूल्यांकन स्वरूप, दायरे और उपयोग में भिन्न होते हैं। मूल्यांकन के प्रशासन की गुणवत्ता का भी इसकी विश्वसनीयता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रक्रिया के हर चरण में खामियों की पहचान करने के लिए परीक्षा (एनएएस द्वारा किए गए पैमाने का) का पूरी तरह से मूल्यांकन किया जाना चाहिए। साथ ही हितधारक मानचित्रण (मूल्यांकन को कौन डिजाइन करता है, कौन प्रशासित करता है और कौन मूल्यांकन करता है) के संदर्भ में स्पष्ट रूप से सोचा जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विभिन्न हितधारकों को मिलनेवाले प्रोत्साहन गलत तरीके से प्रभावित नहीं होते हैं। इसकी निष्पक्षता स्थापित करने हेतु, जो राज्य की शिक्षा प्रणाली में नहीं हैं ऐसे स्वतंत्र हितधारकों- जैसे कि शिक्षा, स्थानीय समुदायों और तृतीय पक्ष की मूल्यांकन एजेंसियों के अलावा अन्य सरकारी विभागों द्वारा परीक्षण प्रशासन का पता लगाया जा सकता है, और यह परीक्षा के स्वरूप एवं बजट की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

विगत में प्रौद्योगिकी और उन्नत डेटा फोरेंसिक के उपयोग ने परीक्षण प्रशासन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करके कई देशों को भरोसा भी दिलाया है। आंध्र प्रदेश में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, टैबलेट-आधारित परीक्षण के माध्यम से प्राप्त ग्रेड (सिंह 2020) की तुलना में पेपर-आधारित परीक्षण में 20% स्फीति दर्ज की गई थी। इंडोनेशिया में, जूनियर सेकेंडरी स्कूल में राष्ट्रीय परीक्षा के अंकों पर कंप्यूटर-आधारित परीक्षण (सीबीटी) के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया था, और यह पाया गया कि सीबीटी की शुरुआत के बाद परीक्षण के अंकों में नाटकीय रूप से 5.2 अंकों की गिरावट आई (बरखौट एवं अन्य 2020)। इसके अलावा, दो साल बाद परीक्षा परिणाम फिर से बढ़े, यह दर्शाता है कि वास्तविक छात्रों के सीखने के परिणामों में सुधार हो रहा है क्योंकि नकल करने के अवसरों की संख्या में कमी आई है।

चित्र 3. पेपर-आधारित और टैबलेट-आधारित मूल्यांकन में सही उत्तर देने वाले छात्रों का अनुपात

स्रोत: सिंह 2020

इंडोनेशियाई सरकार ने भी संदिग्ध उत्तर पैटर्न के माध्यम से नक़ल (धोखाधड़ी) की पहचान करके स्कूल स्तर पर एक ‘अखंडता सूचकांक’ प्रसारित किया। चित्र 4 परीक्षा के अंकों के मुकाबले ‘अखंडता सूचकांक’ को दर्शाता है, यह दर्शाता है कि अखंडता जितनी कम होगी, परीक्षा के अंक उतने ही अधिक होंगे, जबकि उच्च अखंडता वाले स्कूलों के परीक्षा स्कोर में उच्च भिन्नता को भी दर्शाता है। 

चित्र 4. इंडोनेशिया में स्कूलों का अखंडता सूचकांक

स्रोत: बरखौट एवं अन्य 2020

नोट: ‘अखंडता सूचकांक’ का उपयोग नक़ल (धोखाधड़ी) की संभावना और पैमाने को चिह्नित करने के लिए किया गया था। समान उत्तर स्ट्रिंग जैसे उत्तर पैटर्न या कुछ कठिनाई स्तरों की मदों पर प्रति-सहज प्रदर्शन, जैसे कि कठिन मदों पर उच्च स्कोर या आसान मदों पर कम स्कोर करना कम अखंडता और इसके विपरीत को दर्शाते हैं।

निष्कर्ष

यह विश्वास करना आकर्षक है, लेकिन अप्रभावी है कि हम वैयक्तिक नैतिकता और सदाचार  पर भरोसा करके उच्च गुणवत्ता वाले डेटा प्राप्त कर सकते हैं। पदाअधिकारी प्रोत्साहन मिलने  पर कार्य करते हैं, और इस प्रकार उन मानदंडों को समायोजित करना महत्वपूर्ण है जिनमें वे अपनी भूमिका निभाते हैं; हमें सामाजिक रूप से वांछनीय बेहतर डेटा रिपोर्टिंग करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इस तरह के मानक परिवर्तनों को बनाए रखने के लिए, मज़बूती से मूल्यांकन करने में सक्षम शक्तिशाली और मापनीय प्रणालियों के निर्माण की भी आवश्यकता होगी जिससे बच्चों के सीखने के वास्तविक स्तर की खोज करना और बाद में उनमें सुधार लाना संभव हो सके।

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लेखक परिचय: राहुल अहलूवालिया सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन में शासन के काम का नेतृत्व करते हैं। प्रखर सिंह भारत में साक्ष्य-आधारित परोपकार को प्रेरित करने और शिक्षित करने के मिशन के साथ एक्सेलरेट इंडियन फिलैंथ्रोपी (एआईपी) में काम करते हैं।

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