मानव विकास

अकालपक्वता: भारत में स्कूली शिक्षा पर जल्द माहवारी होने का प्रभाव

  • Blog Post Date 20 दिसंबर, 2019
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Madhulika Khanna

Georgetown University

mk1469@georgetown.edu

सामाजिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों में, लड़कियों की माहवारी के शुरुआत का प्रतिकूल प्रभाव उनके शिक्षा पर पड़ता है। इस लेख में चर्चा की गई है कि 12 साल की उम्र से पहले माहवारी की शुरुआत के कारण स्कूल नामांकन दर में 13% की कमी हुई है। 12 वर्ष की आयु में स्वस्थ लड़कियों के सीखने के क्षमता ज्यादा होते हैं, लेकिन उन्हें माहवारी का अनुभव भी जल्दी होता है और उनके स्कूल छोड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है और इस तरह, इस जनसंख्या वर्ग में, अन्य लड़कियों की तुलना में उन्हें मिलने वाली प्रारंभिक स्वास्थ्य लाभ की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।

 

भारत में सार्वभौमिक प्राथमिक स्कूल नामांकन के बावजूद, कई किशोरियाँ आठ साल की अनिवार्य स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद स्कूल छोड़ देती हैं। स्कूल नामांकन में एक उल्लेखनीय लिंग भेद नजर आता है और यह अंतर किशोरावस्था के दौरान बढ़ता है (वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति (एएसईआर), 2018)। बच्चों के किशोरावस्था में प्रवेश करने के दौरान स्कूली शिक्षा में लिंग के अंतर का कारण क्या है? मौजूदा स्पष्टीकरण में से कुछ स्कूल के बुनियादी ढांचे (एएसईआर, 2018), गृहकार्य (सुंदरम और वानमैन 2013) के बोझ पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अपने हालिया काम में, मैंने इस साहित्य समूह में नए परिणाम जोड़े हैं —भारतीय संदर्भ में, माहवारी की शुरुआत (एक सार्वभौमिक जैविक घटना) एक महत्वपूर्ण कारक है।

माहवारी, न केवल एक महत्वपूर्ण जैविक परिवर्तन है, बल्कि भारतीय समाजशास्त्रीय परिवेश में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण घटना भी है। माहवारी की शुरुआत के बाद से लड़कियों की उसके परिवार और समुदाय के साथ संपर्क में नाटकीय रुप से बदलाव होता है (सीमोर 1999)। कई इलाकों में पहली बार माहवारी शुरु होने पर कई तरह के रिवाजों और समारोह का आयोजन किया जाता है (धर्मलिंगम 1994)। और लड़कियों के माहवारी के दिनों के दौरान उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है। माहवारी की शुरुआत एक लड़की के बच्ची से महिला बनने के प्रतीक के साथ ही उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण समय की शुरुआत होने के रुप में भी देखा जाता है — वह समय जब “लड़कियां प्रजनन करने की क्षमता हासिल करती हैं लेकिन उनके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं होता है" और एक ऐसा समय जब उनकी "संवेदनशीलता अपने चरम पर होती है" (दुबे 1988)। उनके आने-जाने पर प्रतिबंध लगाना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक तरीका है। इस सांस्कृतिक संदर्भ में, मैंने यह बताया है कि माहवारी की जल्द शुरू होना स्कूल नामांकन पर एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।

माहवारी जल्दी शुरु होने का नामांकन पर प्रभाव

स्कूल नामांकन पर जल्द माहवारी के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए, मैंने आंध्र प्रदेश (अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में 1,000 प्रतिनिधि बच्चों के डेटा का उपयोग किया है। 8, 12, 15, 19 और 22 वर्ष की उम्र के बच्चों का साक्षात्कार किया गया था। महत्वपूर्ण रूप से, सर्वेक्षण के दूसरे दौर में, जिसके दौरान बच्चे लगभग 12 साल के थे, लड़कियों से यह पूछा गया कि क्या उन्होंने माहवारी का अनुभव किया है या नहीं।

आकृति 1 बच्चों के तीन समूहों के नामांकन के रुझानों को दर्शाता है: वो लड़कियां जिन्होंने 12 वर्ष की आयु से पहले माहवारी का अनुभव किया (जल्द माहवारी समूह की लड़कियां), वो लड़कियां जिन्होंने 12 वर्ष की उम्र के बाद माहवारी का अनुभव किया (देर से माहवारी समूह की लड़कियां) और लड़के। जबकि तीन समूहों के आठ साल की उम्र में बच्चों में नामांकन दर भिन्न नहीं होती है, वहीं आठ से 12 साल की उम्र में जल्द माहवारी की शुरुआत समूह में लड़कियों की नामांकन दर में भारी गिरावट है। देर से माहवारी समूह में लड़कों और लड़कियों के नामांकन के रुझान लगभग समान हैं।

आकृति 1. लिंग और माहवारी की स्थिति के अनुसार नामांकन दर

आकृति में लिखे अँग्रेज़ी शब्दों का अर्थ:

Enrolment rate – नामांकन दर; Cohort age – समूह का उम्र; boys – लड़के;

Early menarche – लड़कियां जिनकी माहवाही जल्दी हुई है;

Late menarche - लड़कियां जिनकी माहवाही देर से हुई है

मैंने डिफरेंस-इन-डिफरेंस डिज़ाइन1 का इस्तेमाल किया है, जो एक ही आयु वर्ग के भीतर माहवारी शुरु होने के समय की भिन्नता के आधार पर है। 12 साल की उम्र तक माहवारी का अनुभव नहीं करने वाली लड़कियों की नामांकन स्थिति, उन लड़कियों के प्रतितथ्यात्मक हैं जिन्होंने जल्द माहवारी का अनुभव किया है। सर्वेक्षण में शामिल लड़कियों में से करीब एक चौथाई से थोड़ी ज्यादा लड़कियों ने 12 साल की उम्र से पहले माहवारी का अनुभव किया था। मैंने पाया कि 12 साल की उम्र से पहले माहवारी शुरु होने से स्कूल के नामांकन दर में 12 प्रतिशत अंक की गिरावट आती है, और यह गिरावट 12 साल की उम्र (91%) में देर से माहवारी समूह में लड़कियों की नामांकन दर के सापेक्ष 13% है।

स्कूल नामांकल पर जल्द माहवारी होने का अनुमानित प्रभाव का परिमाण काफी बड़ा है। निश्चित तौर पर, यह भारत में विभिन्न शिक्षा-संबंधी नीतियों और सुधारों के प्रभाव के लिए तुलनीय है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल-शौचालय निर्माण पहल से मिडिल स्कूल नामांकन में 8% की वृद्धि हुई है (अदुकिया 2017)। प्राइमरी स्कूल के छात्रों को मुफ्त मिड-डे-मील भोजन प्रदान करने से स्कूल नामांकन दर में 7.3% की वृद्धि हुई (कौर 2016), जबकि स्कूल जाने वाली किशोरियों को मुफ्त साइकिल देने से उनके स्कूल नामांकन में 32% की वृद्धि हुई है (मुरलीधरन और प्रकाश 2017)।

मेरे परिणाम ओस्टर और थॉर्नटन (2009) के साक्ष्यों के साथ कैसे सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं, जिसमे उन्होने यह पाया है कि नेपाल में किशोरियों के बीच माहवारी के कारण लड़कियां केवल 0.4 दिन स्कूल छोड़ती हैं? 12 साल की उम्र में भी स्कूल जाने वाली लड़कियों के नमूने का टाइम-यूज़ पैटर्न2 का विश्लेषण दिखाता है कि जल्द माहवारी समूह की लड़कियां स्कूल में उतना ही समय बिताती हैं जितना देर से माहवारी वाले समूह की लड़कियों बिताती हैं। संयुक्त रुप से देखने पर परिणाम बताते हैं कि यह माहवारी की शुरु होने का समय है, ना कि माहवारी, जो स्कूली शिक्षा को प्रभावित करते हैं।

नामांकन पर जल्द माहवारी के प्रभाव में भिन्नता

भारत में, एक परिवार के सम्मान की धारणा परिवार में महिलाओं के व्यवहार के साथ निकटता से जुड़ी हुई है, और यह चिंता उच्च जातियों के बीच ज्यादा प्रचलित है (ईस्वरन, रामास्वामी और वाधवा 2013)। जैसा कि, लड़कियों के माहवारी का अनुभव करने के बाद परिवार का सम्मान और महिलाओं की गतिशीलता (एवं स्कूली शिक्षा) पर प्रतिबंधों के बारे में चिंताएं ज्यादा प्रसांगिक हो जाती हैं, उच्च जातियों के बीच जल्द माहवारी का प्रभाव अधिक स्पष्ट होना चाहिए; आकृति 2 में इसी पैटर्न का विवरण किया गया है। जल्द माहवारी युवा लड़कियों के अनुभवों को इस हद तक बदल देता है कि उनके अपने समुदाय में भी सुरक्षित महसूस होने की संभावना कम होती है। नामांकन पर जल्द माहवारी का प्रभाव उन लड़कियों के बीच भी अधिक स्पष्ट होता है जो उन समुदायों में रहती हैं जहां बच्चों के बीच सुरक्षा की औसत धारणा कम है (केवल लड़कों को माना जाता है)।

आकृति 2: सुरक्षा और जाति अनुसार जल्द माहवारी के प्रभाव में भिन्नता

आकृति में लिखे अँग्रेज़ी शब्दों का अर्थ:

Early menarche round 2 - जल्द माहवारी राउंड 2

Upper caste – उच्च जाती; Lower caste (SC) – निम्न जाती (अनुसूचित जाती)

Low safety – कम सुरक्षा; high safety – कड़ी सुरक्षा

हालांकि, स्थानीय सांस्कृतिक कारक किशोरियों की स्कूली शिक्षा को बाधित करते हैं, महिलाओं के लिए स्थानीय आर्थिक अवसर इसे प्रोत्साहित करते हैं। आकृति 3 से पता चलता है कि स्कूली शिक्षा पर जल्द माहवारी का नकारात्मक प्रभाव उन समुदायों में मौन है जहां आमतौर पर महिला-प्रधान व्यवसायों (नर्सिंग एवं शिक्षण) में ज्यादा वेतन दिया जाता है।

आकृति 3 -  महिला प्रधान व्यवसायों की मजदूरी अनुसार जल्द माहवारी के प्रभाव में भिन्नता

आकृति में लिखे अँग्रेज़ी शब्दों का अर्थ:

Early menarche round 2 - जल्द माहवारी राउंड 2

Lower teacher wagesशिक्षक के ज्यादा वेतन; higher teacher wages – शिक्षक के कम वेतन

Lower nurse wages – नर्स के ज्यादा वेतन; higher nurse wages – नर्स के कम वेतन

मानव विकास का चक्र और माहवारी

बचपन में बेहतर पोषण मिलना कल्याण सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जैसे कि प्रारंभिक पोषण से मिलने वाला लाभ उच्च शिक्षा, वयस्क कौशल और वेतन/मजदूरी में सहायता करता है (एलमंड एंड करी 2015)। माना जाता है कि लड़कियों के बचपन का पोषण उनके माहवारी प्रारम्भ होने के समय से सम्बंधित है।  बेहतर पोषित लड़कियां का अपने आयु वर्ग की दूसरी लड़कियों की तुलना में माहवारी पहले प्रारम्भ होता है। डेटा के ज़रिये बेहतर पोषण और जल्द माहवारी के बीच के संबंध की पुष्टि होती है, और 12 साल की उम्र से पहले माहवारी का अनुभव करने वाली लड़कियां अपने साथियों की तुलना में लगभग पांच सेंटीमीटर लंबी और करीब दो किलोग्राम ज्यादा भारी होती हैं। हालांकि, माहवारी शुरु होने के बाद उनके स्कूल छोड़ने की संभावना ज्यादा होती है और संभावित रूप से मिलने वाले प्रारंभिक स्वास्थ्य लाभ में से कुछ को खो देती हैं। इसलिए कुछ सामाजिक मानदंड, लड़कियों के लिए मानव विकास के चक्र को कमजोर करते है।

नीति के लिए इसके क्या मायने हैं

स्कूल नामांकन पर माहवारी के जल्दी होने के व्यापक प्रभाव को देखते हुए सबसे अधिक प्रासंगिक नीति प्रतिक्रिया माहवारी स्वच्छता प्रबंधन उत्पादों तक पहुंच में सुधार लगती है। हालांकि, इन उत्पादों के प्रभाव पर मौजूदा साक्ष्य आशाजनक नहीं है (उदाहरण के लिए ओस्टर और थॉर्नटन 2011, बेनशॉल-टोलेनन एवं अन्य 2019)। इसके साथ ही, किशोरियों की स्कूली शिक्षा में सुरक्षा संबंधी चिंताएं और सामाजिक मानदंड महत्वपूर्ण बाधाएं प्रतीत होते हैं। निश्चित रुप से, इन चिंताओं को संबोधित करने वाले हस्तक्षेप महिला नामांकन (उदाहरण के लिए एडुकिया 2017, मुरलीधरन और प्रकाश 2017) को प्रोत्साहित करने में सफल रहे हैं। जैसा कि मैंने इस अध्ययन में दिखाया है, पारिवारिक एवं सामाजिक सेटिंग्स जो कि माहवारी के बाद लड़कियों के अनुभवों के दायरे को सीमित करती हैं, वे लड़कियों के लिए मानव विकास के चक्र को कमजोर कर सकती हैं। लड़कियों के स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऐसे सामाजिक अभियान की जरुरत है जो लिंग-प्रतिबंधात्मक मानदंडों को चुनौती दे।

नोट्स:

  1. डिफरेंस-इन-डिफरेंस डिजाइन आठ साल की उम्र में जल्द और देरी से माहवारी समूहों में लड़कियों के औसत स्कूल नामांकन (जब किसी भी समूह ने माहवारी का अनुभव नहीं किया था) में अंतर की तुलना बारह वर्ष की आयु में स्कूल के औसत नामांकन में अंतर के साथ (जब केवल जल्द माहवारी समूह की लड़कियों ने माहवारी का अनुभव किया था) स्कूल नामांकन स्थिति पर जल्द माहवारी के प्रभाव की गणना करता है। अगर कोई यह मानता है कि लड़कियों की माहवारी कि स्थिति में परिवर्तन की अनुपस्थिति में, दोनों समूह से लड़कियां एक ही दर से स्कूल से बाहर होती हैं, ऊपर वर्णित दो अंतरों के बीच का अंतर (यानी डिफरेंस इन डिफरेंस) स्कूल नामांकन पर जल्द माहवारी का प्रभाव बताता है।
  2. आगे पढ़ने का इरादा

लेखक परिचय: मधुलिका खन्ना जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में पीएचडी की छात्र हैं।

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