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बदलती जलवायु के साथ अनुकूलन के लिए स्वैच्छिक गतिशीलता- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह
हालांकि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दुनिया की पूरी आबादी को प्रभावित करते हैं, कुछ लोग अपनी भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण, अन्य लोगों की तुलना में अधिक जोखिम में हैं। अन्य देशों के जलवायु परि...
- Sampurna Sarkar
- 27 सितंबर, 2024
- दृष्टिकोण
आज कितने भारतीय गरीब हैं?
वर्ष 2022-23 के पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण के तहत जारी एक तथ्य पत्रक के बाद भारत में गरीबी पर बहस फिर से शुरू हो गई है। इस लेख में घटक और कुमार उल्लेख करते हैं कि शोधकर्ताओं में आम सहमति है कि देश...
- Maitreesh Ghatak Rishabh Kumar
- 19 सितंबर, 2024
- दृष्टिकोण
बदलते समाज में सामाजिक सुरक्षा जाल पर पुनर्विचार करना
इस लेख के सह-लेखक देबाशीष बारिक, पल्लवी चौधरी, बिजय चौहान, ओम प्रकाश शर्मा, दिनेश कुमार तिवारी (एनसीएईआर) और शरण शर्मा (मैरीलैंड कॉलेज पार्क विश्वविद्यालय और एनसीएईआर) हैं। ऐतिहासिक रूप से सामाजिक सु...
- Sonalde Desai
- 25 जुलाई, 2024
- लेख
आईडियाज़@आईपीएफ2024 श्रृंखला : एनसीएईआर के भारत नीति मंच से शोध
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च हर साल भारत नीति मंच, इंडिया पॉलिसी फोरम (आईपीएफ) की मेज़बानी करता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ अर्थशास्त्री और नीति-निर्माता सार्वजनिक नीति के लिए उनकी प्रासंगिकत...
- Pradip Kumar Bagchi
- 18 जुलाई, 2024
- विचार-गोष्ठी
भारत के तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण का महिलाओं के सशक्तिकरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
माना जाता है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को उनके ग्रामीण समकक्षों की तुलना में अधिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अवसर और स्वतंत्रता प्राप्त होती है। साथ ही, शोध से यह पता चलता है कि शहरी वा...
- Gaurav Dhamija Punarjit Roychowdhury Binay Shankar
- 05 जुलाई, 2024
- लेख
भारत के मिशन परिवार विकास का प्रजनन दर व परिवार नियोजन पर प्रभाव
भारत का बड़े पैमाने का परिवार नियोजन कार्यक्रम, मिशन परिवार विकास, गर्भनिरोधक तक पहुँच में सुधार करता है, कार्यक्रम अपनाने वाले लाभार्थियों को नकद प्रोत्साहन प्रदान करता है और 146 जिलों में प्रजनन की ...
- Sarthak Agarwal Somdeep Chatterjee Oindrila Dey
- 16 फ़रवरी, 2024
- लेख
भारत में महिला बाल विवाह के संबंध में एक डेटा अध्ययन
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 के उपलक्ष्य में I4I के महीने भर चलने वाले अभियान के दौरान प्रस्तुत अपने लेख में, क्वांटम हब के शुभम मुदगिल और स्वाति राव देश भर के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाल विवा...
- Shubham Mudgil Swathi Ramesh Rao
- 03 अगस्त, 2023
- दृष्टिकोण
अज्ञात गरीबों की खोज: अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की पहचान और लक्ष्यीकरण
गरीबी के बारे में अलग-अलग अनुमानों के परिणामस्वरूप कुछ वंचित समुदाय अक्सर सरकारी कल्याण योजनाओं से बाहर रह जाते हैं। सबरवाल और चौधरी बिहार में लागू ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ का अध्ययन करते हैं, जिसमें ...
- Parikrama Chowdhry Shagun Sabarwal
- 14 जुलाई, 2023
- दृष्टिकोण
भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के प्रजनन दर में अंतर: एक अपडेट
पिछले शोध के आधार पर सास्वत घोष और पल्लबी दास एनएफएचएस के नवीनतम दौर के आंकड़ों का उपयोग करते हुए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के राज्य और जिला स्तर की प्रजनन क्षमता में अंतर का अनुमान लगाते हैं। वे दर्...
- Pallabi Das Saswata Ghosh
- 19 मई, 2023
- लेख
भारत में सिंचाई और स्थानीय आर्थिक विकास के स्थान आधारित पैटर्न
भारत की सिंचाई परियोजनाओं का उद्देश्य कृषि की उत्पादकता और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है। इस लेख में ब्लेकस्ली एवं अन्य द्वारा स्थानीय आर्थिक गतिविधियों की संरचना में सिंचाई उपलब्ध होने के दीर्घकालि...
- David Blakeslee Aaditya Dar Ram Fishman Samreen Malik Heitor Pellegrina Karan Singh Bagavathinathan
- 21 अप्रैल, 2023
- लेख
75 वर्षों के योजनाबद्ध विकास के बाद आदिवासी आजीविका की स्थिति
भारत में आदिवासी समुदाय की भलाई सुनिश्चित करने हेतु सतत प्रयास किये जाने के बावजूद, यह समुदाय सबसे वंचितों में से एक रहा है। चौधरी एवं घोष ने इस लेख में झारखंड तथा ओडिशा में रहने वाले आदिवासी समाज की ...
- Dibyendu Chaudhuri Parijat Ghosh
- 02 मार्च, 2023
- लेख
मानव और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य किस प्रकार से आपस में जुड़े हुए हैं: भारत में गिद्धों की संख्या में गिरावट से साक्ष्य
भारत के किसान परंपरागत रूप से अपने मृत मवेशियों के शवों के निपटान हेतु गिद्धों पर भरोसा करते आये हैं। किन्तु आकस्मिक विषाक्तता के चलते भारत में गिद्धों की संख्या कम हो जाने के कारण मृत मवेशियों के शवो...
- Eyal Frank Anant Sudarshan
- 16 फ़रवरी, 2023
- लेख