भारत में तेज़ी से तकनीकी परिवर्तन हो रहा है, ऐसे में डिजिटल साक्षरता युवाओं की भविष्य की शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक अवसरों की तैयारियों का एक प्रमुख चालक बन गई है। कुमार और भुतडा ने इस लेख में, वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर- एएसईआर) 2023 और 2024 में प्रस्तुत जानकारी के आधार पर ग्रामीण युवाओं के बीच डिजिटल तैयारी की जाँच की है। हालांकि स्मार्टफोन का अब व्यापक रूप में इस्तेमाल हो रहा है, तब भी डिजिटल कौशल और तेज़ी से प्रौद्योगिकी-संचालित दुनिया के अनुकूल होने की तैयारी में महत्वपूर्ण अंतर बना हुआ है।
मोबाइल डिवाइस सस्ते होते जा रहे हैं और इंटरनेट कनेक्टिविटी का तेज़ी से विस्तार हो रहा है (मिश्रा एवं अन्य 2023), भारत के गांवों में युवा तेज़ी से डिजिटल दुनिया से जुडते जा रहे हैं। डिजिटल साक्षरता1 21वीं सदी में युवाओं को सेवाओं और अवसरों तक पहुँचने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4.4 में परिलक्षित होता है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक रोज़गार और उद्यमिता के लिए युवाओं और वयस्कों के कौशल को बढ़ाना है, जिसमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी- 4.4.1) और डिजिटल साक्षरता दक्षता (4.4.2) को मापने वाले विशिष्ट संकेतक शामिल हैं। डिजिटल निवेश "डिजिटल लाभांश" की क्षमता को यथार्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये लाभ आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और सभी के लिए बेहतर सेवाओं में तब्दील हों जाएंगे (विश्व बैंक, 2016)। भारत में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश, दीक्षा (ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचा) जैसे मौजूदा प्लेटफार्मों का लाभ उठाने और सीखने के मिश्रित तरीकों को बढ़ावा देने जैसे विभिन्न मार्गों के माध्यम से भारत के शैक्षिक माहौल में डिजिटल साक्षरता को एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण ढांचा प्रदान करती है। डिजिटल इंडिया मिशन के साथ 2015 की शुरुआत में ही सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता हासिल करना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गई। प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) इस मिशन के तहत एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार के 14-60 वर्ष की आयु के कम से कम एक सदस्य के लिए डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करना है। चूंकि प्रौद्योगिकी उद्योगों और दैनिक जीवन को नया रूप दे रही है, इसलिए युवाओं की डिजिटल तैयारी और उभरते अवसरों का लाभ उठाने की उनकी क्षमता का आकलन नीति नियोजन और कार्यान्वयन में किया जाना आवश्यक है।
चित्र सौजन्य : असर- एएसईआर सेंटर
इसी वर्ष जारी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर- एएसईआर) 2024 में भारत के डिजिटल परिवर्तन का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है, जो ग्रामीण किशोरों और युवाओं द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण प्रगति और चुनौतियों दोनों को दर्शाती है। असर (एएसईआर) सर्वेक्षण के डिजिटल ढांचे को ‘बियॉन्ड बेसिक्स’ अध्ययन के एक भाग के रूप में, पहली बार वर्ष 2023 में विकसित किया गया था। इसमें इंटरनेट तक पहुँच और उसके उपयोग की जाँच की गई थी और ग्रामीण भारत के 14-18 वर्ष आयु के बच्चों के बीच डिजिटल साक्षरता का आकलन किया गया था। असर (एएसईआर) 2023 सर्वेक्षण में 26 राज्यों के 28 जिलों के 34,745 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिसमें युवाओं को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किए गए तेज़ और आसान डिजिटल कार्यों के साथ-साथ स्व-रिपोर्ट प्रश्नों का उपयोग किया गया। ग्रामीण समुदायों में स्मार्टफ़ोन के व्यापक उपयोग को देखते हुए, इस मूल्यांकन ने डिजिटल कौशल के परीक्षण के लिए कंप्यूटर की तुलना में स्मार्टफ़ोन को प्राथमिकता दी गई थी।
इन जानकारियों के आधार पर, असर (एएसईआर) 2024 में 14-16 वर्ष आयु के बच्चों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक डिजिटल घटक को शामिल किया, जिससे इसका दायरा 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 605 जिलों तक बढ़ गया। असर (एएसईआर) 2024 का डिजिटल घटक 14-16 वर्ष की आयु के 1,14,553 युवाओं पर आज़माया गया। इस सर्वेक्षण में स्मार्टफोन तक पहुँच, स्वामित्व और उपयोग पर स्वयं द्वारा पूछे गए प्रश्न तथा कुछ बुनियादी डिजिटल कार्य भी शामिल थे, जिन्हें प्रतिभागियों को अपने पास उपलब्ध स्मार्टफोन का उपयोग करके पूरा करना था। यह व्यापक कवरेज युवाओं में स्मार्टफोन तक पहुँच और डिजिटल दक्षता के बारे में अधिक विस्तृत समझ प्रदान करता है तथा डिजिटल साक्षरता के अनुमान प्रस्तुत करता है जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि हैं।
डिजिटल पहुँच, उपयोग और सुरक्षा सुविधाओं के बारे में जागरूकता
असर (एएसईआर) 2024 से पता चलता है कि डिजिटल उपकरणों ने 14-16 वर्ष की आयु के ग्रामीण भारतीय युवाओं के जीवन में महत्वपूर्ण पैठ बनाई है। रिपोर्ट में इस आयु वर्ग के बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी और उभरते डिजिटल कौशल के साथ व्यापक स्मार्टफोन तक पहुँच पर प्रकाश डाला गया है- अधिकांश ग्रामीण युवाओं (90%) के पास घर पर एक स्मार्टफोन है और लगभग दो-तिहाई युवा सर्वेक्षण के समय अपने साथ अच्छी कनेक्टिविटी वाला स्मार्टफोन लेकर आए थे, जो तत्काल पहुँच को दर्शाता है (तालिका-1)। आश्चर्यजनक रूप से, 82% युवाओं ने बताया कि वे स्मार्टफोन का उपयोग करना जानते हैं और इनमें से 31% के पास खुद का स्मार्टफोन है। युवा वर्ग में स्मार्टफोन का स्वामित्व, जो इसे इस्तेमाल करना जानते हैं, उनमें वर्ष 2023 (20%) और 2024 (31%)2 के बीच काफी बढ़ गया है। जैसा कि अपेक्षित था, बड़ी उम्र के युवाओं में छोटी उम्र के युवाओं की तुलना में स्मार्टफोन की उपलब्धता और स्वामित्व अधिक है। हालांकि लैंगिक आधार पर एक महत्वपूर्ण अंतर मौजूद है, जिसमें युवकों ने युवतियों की तुलना में अधिक स्मार्टफोन स्वामित्व और उपयोग को रिपोर्ट किया है। इस अंतर में भी वर्ष 2023 से 2024 तक उल्लेखनीय कमी आई है।
तालिका-1. ग्रामीण भारत में युवाओं में स्मार्टफोन की उपलब्धता और उसका उपयोग, लैंगिक आधार पर
सर्वेक्षण वर्ष |
लिंग |
युवाओं का % |
जो लोग स्मार्टफोन का उपयोग कर सकते हैं, उनमें से % के पास अपना स्मार्टफोन है |
||
जिनके घर पर स्मार्टफोन है |
डिजिटल कार्य करने के लिए स्मार्टफोन ला सकते हैं |
स्मार्टफोन का उपयोग कर सकते हैं |
|||
असर (एएसईआर) 2024 |
पुरुष |
90.2 |
70.2 |
85.5 |
36.2 |
महिला |
88.1 |
62.2 |
79.4 |
26.9 |
|
सभी |
89.1 |
65.9 |
82.2 |
31.4 |
|
असर (एएसईआर) 2023 |
पुरुष |
88.7 |
68.2 |
93.4 |
28.4 |
महिला |
85.9 |
59.4 |
88.3 |
11.5 |
|
सभी |
87.2 |
63.5 |
90.7 |
19.6 |
असर (एएसईआर) 2024 में, सर्वेक्षण से पहले के सप्ताह (जिसे इसके बाद 'सन्दर्भ सप्ताह' कहा जाएगा) के दौरान स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के बीच शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ सोशल मीडिया के उपयोग के साथ डिजिटल जुड़ाव का पता लगाया गया। 14-16 वर्ष के उन बच्चों में से जिन्होंने बताया कि वे स्मार्टफोन का उपयोग कर सकते हैं, उनमें से आधे से अधिक ने शैक्षिक उद्देश्यों के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने की सूचना दी और लगभग 75% ने ‘सन्दर्भ सप्ताह’ में सोशल मीडिया से जुड़ने की सूचना दी (तालिका-2)। उक्त रिपोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सुरक्षा और गोपनीयता सेटिंग्स के बारे में युवाओं की जागरूकता पर भी प्रकाश डाला गया है- हालांकि एक बड़ी संख्या में युवाओं ने सोशल मीडिया का उपयोग करने की सूचना दी है, लेकिन ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में उनकी समझ उतनी नहीं है। उदाहरण के लिए, ‘सन्दर्भ सप्ताह’ में सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों में से 62% अपने प्रोफ़ाइल को ब्लॉक या रिपोर्ट कर सकते हैं, 55% अपने अकाउंट की दृश्यता को निजी में बदल सकते हैं तथा 58% लोग पासवर्ड बदलना जानते हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट से पता चलता है कि महिलाओं में सोशल मीडिया का उपयोग और सुरक्षा जागरूकता पुरुषों की तुलना में काफी कम है। हालांकि, शिक्षा से संबंधित डिजिटल गतिविधियों में कोई लैंगिक अंतर नहीं है।
तालिका-2. युवाओं में शैक्षणिक और सामाजिक मीडिया गतिविधि, तथा सुरक्षा सुविधाओं के बारे में जागरूकता, लैंगिक आधार पर (2024)3
लिंग |
सन्दर्भ सप्ताह’ में किसी भी शिक्षा-संबंधी गतिविधि में भाग लेने वाले युवाओं का प्रतिशत |
‘सन्दर्भ सप्ताह’ में किसी भी सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले युवाओं का प्रतिशत |
सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले युवाओं में से, निम्नलिखित % युवा |
|||
प्रोफ़ाइल को ब्लॉक/रिपोर्ट कर सकते हैं |
प्रोफ़ाइल को निजी रख सकते हैं |
पासवर्ड बदल सकते हैं |
||||
पुरुष |
57.2 |
78.8 |
65.2 |
60.3 |
65.4 |
|
महिला |
56.8 |
73.4 |
58.7 |
50.2 |
50.1 |
|
सभी |
57.0 |
76.0 |
62.0 |
55.2 |
57.7 |
बुनियादी डिजिटल कार्य करने की प्रदर्शित क्षमता
स्व-रिपोर्ट की गई प्रश्नावली के अलावा, असर- एएसईआर 2024 सर्वेक्षण के दौरान सर्वेक्षण में, जो युवा अपने साथ स्मार्टफोन ला पाए, उन्हें मौखिक रूप से चार डिजिटल कार्य दिए गए तथा उन्हें पाठ संकेत भी दिखाए गए। इन सरल डिजिटल कार्यों ने युवाओं की डिजिटल तैयारी- प्रासंगिक जानकारी खोजने के लिए इंटरनेट पर नेविगेट करने, ऑनलाइन जानकारी साझा करने और अलार्म सेट करने जैसी डिवाइस की कार्यक्षमताओं का उपयोग करने की उनकी क्षमता को समझने का प्रयास किया गया। सर्वेक्षण के समय 14-16 वर्ष की आयु के लगभग 70% पुरुष और 62% महिलाएं डिजिटल कार्यों को करने के लिए स्मार्टफोन लाने में सक्षम थीं, जिससे महिलाओं के बीच स्मार्टफोन को तुरंत प्राप्त करने और और उसका उपयोग करने में बाधा उजागर हुई। वर्ष 2023 से 2024 तक इस आँकड़े में बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ है (तालिका-3)। जो युवा स्मार्टफोन ला पाए थे, उनमें से 87% यू ट्यूब वीडियो खोज सकते थे, उसके बाद युवा सूचना ब्राउज़िंग (79%) और फिर अलार्म सेटिंग (77%) कर सकते थे। जो लोग यू ट्यूब पर कोई वीडियो खोज सकते थे, उनमें से लगभग 92% लोग इसे किसी के साथ साझा कर सकते थे। सभी कार्यों में, वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में युवाओं का प्रदर्शन बेहतर हुआ है।
मोटे तौर पर, असर (एएसईआर) 2023 की रिपोर्ट में डिजिटल कार्यों को करने की युवाओं की क्षमता में स्त्री-पुरुष में बड़े अंतर पाए गए थे। हालांकि, असर (एएसईआर) 2023 की रिपोर्ट में एक लेख से पता चलता है कि स्मार्टफोन के स्वामित्व को ‘नियंत्रित’ करने के बाद, ये लैंगिक अंतर काफी हद तक कम हो जाते हैं, यहाँ तक कि डिजिटल कार्यों में से एक के सन्दर्भ में यह उलट भी हो जाता है (चव्हाण 2024)। वर्ष 2024 में भी, डिजिटल कार्यों पर प्रदर्शन लिंग के अनुसार थोड़ा भिन्न होता है, जिसमें पुरुष महिलाओं से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, यह लैंगिक अंतर 2023 की तुलना में काफी कम हो गया है।
तालिका-3. लैंगिक आधार पर, डिजिटल कार्य करने में सक्षम 14-16 वर्ष की आयु के युवाओं का प्रतिशत
सर्वेक्षण वर्ष |
लिंग |
डिजिटल कार्य करने के लिए स्मार्टफोन लाने वाले युवाओं का प्रतिशत |
जो लोग स्मार्टफोन ला सकते थे, उनमें से % युवा |
|||
अलार्म सेट कर सकते हैं |
जानकारी के लिए ब्राउज़ कर सकते हैं |
यू ट्यूब वीडियो खोज सकते हैं |
जिन लोगों ने वीडियो खोजा, उनमें से % इसे साझा करने में सक्षम थे |
|||
असर (एएसईआर) 2024 |
पुरुष |
70.2 |
81.5 |
80.1 |
88.4 |
93.6 |
स्त्री |
62.2 |
72.4 |
78.6 |
85.7 |
90.5 |
|
सभी |
65.9 |
76.9 |
79.3 |
87.0 |
92.1 |
|
असर (एएसईआर) 2023 |
पुरुष |
68.2 |
71.9 |
70.7 |
84.0 |
90.7 |
स्त्री |
59.4 |
56.2 |
68.3 |
76.8 |
84.7 |
|
सभी |
63.5 |
64.0 |
69.5 |
80.4 |
87.8 |
ग्रामीण भारत में डिजिटल पहुँच और क्षमता में क्षेत्रीय असमानताएँ
असर (एएसईआर) 2024 में स्मार्टफोन की पहुँच और डिजिटल क्षमताओं में राज्यवार असमानताओं को भी उजागर किया गया है। केरल, मिज़ोरम और सिक्किम में घर पर स्मार्टफोन की उपलब्धता सबसे अधिक और लगभग सार्वभौमिक (लगभग 99%) है, जबकि बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों में यह कम है। 14-16 वर्ष आयु के बच्चों के सन्दर्भ में भी राज्यों में भिन्नता है जो डिजिटल कार्यों को करने के लिए अच्छी कनेक्टिविटी वाला स्मार्टफोन ला सकते हैं, जो तत्काल स्मार्टफोन पहुँच का बेहतर संकेत है (तालिका-4)। यह अनुपात सिक्किम में सबसे अधिक है, उसके बाद मिज़ोरम और केरल हैं, लेकिन राजस्थान और मेघालय जैसे राज्यों में यह अनुपात बहुत कम है, जहाँ केवल आधे युवा ही डिजिटल कार्यों को करने के लिए स्मार्टफोन ला पाते हैं। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार ने भी इस माप पर अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन किया है। यह सर्वेक्षण डिजिटल साक्षरता में क्षेत्रीय असमानता को उजागर करता है जहाँ दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में डिजिटल कार्यों तक पहुँच अधिक है और वे पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे मध्य और पूर्वी राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू और कश्मीर जैसे उत्तरी राज्य भी इस मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। आँकड़े मौजूदा और संभावित डिजिटल असमानताओं को रेखांकित करते हैं, जो लिंग-आधारित और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने वाले लक्षित डिजिटल साक्षरता हस्तक्षेपों की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
तालिका-4. वर्ष 2024 में राज्यों के अनुसार 14-16 वर्ष की आयु के युवाओं के बीच डिजिटल पहुँच और उपयोग
राज्य |
घर पर स्मार्टफोन रखने वाले युवाओं का % |
डिजिटल कार्य करने के लिए स्मार्टफोन लाने वाले युवाओं का प्रतिशत |
डिजिटल कार्य |
||||
जो लोग स्मार्टफोन ला पाते हैं, उनमें से कितने प्रतिशत युवा |
|||||||
अलार्म सेट कर सकते हैं |
जानकारी के लिए ब्राउज़ कर सकते हैं |
यू ट्यूब वीडियो खोज सकते हैं |
जिन लोगों ने वीडियो खोजा, उनमें से % इसे साझा करने में सक्षम थे |
||||
आंध्र प्रदेश |
93.8 |
71.6 |
86.0 |
80.6 |
86.2 |
98.4 |
|
अरुणाचल प्रदेश |
97.4 |
82.0 |
85.1 |
84.3 |
91.2 |
94.4 |
|
असम |
91.4 |
73.0 |
73.7 |
69.1 |
87.2 |
90.0 |
|
बिहार |
82.5 |
63.5 |
75.0 |
80.9 |
87.1 |
93.0 |
|
छत्तीसगढ |
93.8 |
67.6 |
71.1 |
87.7 |
89.2 |
89.8 |
|
गुजरात |
96.0 |
69.1 |
79.2 |
76.3 |
86.3 |
92.8 |
|
हरियाणा |
92.4 |
73.2 |
89.0 |
90.6 |
94.1 |
96.4 |
|
हिमाचल प्रदेश |
96.7 |
83.4 |
89.4 |
92.2 |
96.2 |
96.9 |
|
जम्मू और कश्मीर |
93.7 |
72.4 |
87.6 |
83.5 |
88.3 |
96.0 |
|
झारखंड |
85.1 |
62.0 |
74.3 |
82.4 |
89.8 |
93.0 |
|
कर्नाटक |
94.5 |
68.4 |
83.0 |
75.9 |
81.9 |
93.2 |
|
केरल |
99.1 |
89.1 |
94.8 |
87.2 |
98.3 |
99.5 |
|
मध्य प्रदेश |
87.0 |
58.4 |
71.5 |
80.8 |
84.0 |
90.5 |
|
महाराष्ट्र |
94.2 |
70.0 |
83.4 |
86.7 |
89.3 |
92.3 |
|
मेघालय |
94.5 |
49.8 |
70.8 |
71.3 |
80.5 |
91.3 |
|
मिज़ोरम |
99.4 |
92.4 |
84.8 |
80.0 |
96.0 |
93.6 |
|
नगालैंड |
95.0 |
82.7 |
81.5 |
84.3 |
90.8 |
86.9 |
|
ओडिशा |
83.2 |
69.1 |
75.0 |
71.4 |
85.9 |
93.1 |
|
पंजाब |
96.2 |
79.4 |
87.8 |
85.4 |
92.5 |
96.8 |
|
राजस्थान |
91.7 |
50.5 |
72.4 |
81.1 |
82.5 |
89.4 |
|
सिक्किम |
98.6 |
95.9 |
92.3 |
89.3 |
94.7 |
94.9 |
|
तमिलनाडु |
92.2 |
77.2 |
87.2 |
81.0 |
89.6 |
96.6 |
|
तेलंगाना |
96.0 |
75.7 |
89.0 |
84.4 |
88.6 |
98.1 |
|
त्रिपुरा |
90.0 |
76.6 |
82.9 |
76.6 |
87.2 |
95.4 |
|
उतार प्रदेश |
86.8 |
60.8 |
72.5 |
79.7 |
86.1 |
89.4 |
|
उत्तराखंड |
93.0 |
66.9 |
84.0 |
86.4 |
86.0 |
92.4 |
|
पश्चिम बंगाल |
84.4 |
66.6 |
60.3 |
60.9 |
83.8 |
84.3 |
|
अखिल भारतीय |
89.1 |
65.9 |
76.9 |
79.3 |
87.0 |
92.1 |
चित्र साभार : असर- एएसईआरसेंटर
निष्कर्ष
असर (एएसईआर) 2024 के निष्कर्ष ग्रामीण भारत के डिजिटल परिदृश्य में प्रगति और चुनौतियों दोनों को सामने लाते हैं। स्मार्टफोन की पहुँच और सोशल मीडिया का उपयोग अधिक है, जबकि शिक्षा के लिए इस पहुँच का लाभ उठाने में पर्याप्त अंतर बना हुआ है। यह बढ़ती हुई पहुँच शिक्षा को बदलने, ग्रामीण युवाओं को सशक्त बनाने और दीर्घकालिक सीखने की चुनौतियों का समाधान करने का एक समयोचित अवसर प्रस्तुत करती है। हालांकि, डिजिटल तैयारी में लैंगिक और क्षेत्रीय विभाजन को पाटना महत्वपूर्ण होगा ताकि मौजूदा असमानताएँ और न बढ़ें और हर कोई डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर देश के कदम का लाभ उठा सके।
इसके अतिरिक्त, डिजिटल घोटालों और धोखाधड़ी के प्रति बढ़ती कमजोरी के मद्देनजर, ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में, खासकर युवा आयु समूहों और महिलाओं के बीच, जागरूकता बढ़ाने के लिए केंद्रित प्रयास करने होंगे। प्रभावी नीतियों को आकार देने और प्रभावशाली हस्तक्षेपों को डिजाइन करने के लिए अब नियमित रूप से बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह आवश्यक किया जाना होगा। डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जिम्मेदार डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने हेतु, निरंतर हस्तक्षेप और समावेशी नीतियों के साथ, भारत अपनी अगली पीढ़ी को तेज़ी से परस्पर जुड़ी दुनिया में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल के साथ सशक्त बना सकता है।
टिप्पणियाँ :
- साहित्य से पता चलता है कि डिजिटल साक्षरता की कोई मानक परिभाषा नहीं है। अलग-अलग रूपरेखाओं और अध्ययनों के अलग-अलग उद्देश्य और सन्दर्भ हैं। व्यापक रूप से उद्धृत संयुक्त राष्ट्र डिजिटल साक्षरता वैश्विक रूपरेखा डिजिटल साक्षरता को "रोज़गार, सभ्य नौकरियों और उद्यमिता के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सुरक्षित और उचित तरीके से जानकारी तक पहुँचने, प्रबंधित करने, समझने, एकीकृत करने, संवाद करने, मूल्यांकन करने और बनाने की क्षमता के रूप में परिभाषित करती है, जिसमें ऐसी योग्यताएँ शामिल हैं जिन्हें कंप्यूटर साक्षरता, आईसीटी साक्षरता, सूचना साक्षरता और मीडिया साक्षरता के रूप में संदर्भित किया जाता है"।
- असर (एएसईआर) 2023 और असर (एएसईआर) 2024 के अनुमान पूरी तरह से तुलनीय नहीं हैं। जबकि असर (एएसईआर) 2023 का सर्वेक्षण 26 राज्यों के 28 जिलों में आयोजित किया गया था और यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि नहीं है। असर (एएसईआर 2024) का सर्वेक्षण देश के लगभग सभी ग्रामीण जिलों (605) में आयोजित किया गया था, और यह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि है। इसलिए, असर (एएसईआर) 2024 में देश के सभी पिछड़े जिले भी शामिल हैं, जबकि ग्रामीण परिवारों में स्मार्टफोन की उपलब्धता पूरे देश में सार्वभौमिक रूप से बेहतर हुई है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि यह युवाओं द्वारा उपयोग में भी तब्दील हो। यह एक कारण हो सकता है कि वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में स्मार्टफोन का उपयोग करने वालों का अनुपात कम है। हालांकि, असर (एएसईआर) 2023 सर्वेक्षण के बड़े नमूना आकार और भौगोलिक प्रसार को देखते हुए, अनुमान राष्ट्रीय रुझानों के संकेत हैं, जिससे मोटे तौर पर तुलना की जा सकती है।
- असर (एएसईआर) 2023 के डेटा को यहां प्रस्तुत नहीं किया गया है क्योंकि शैक्षिक और सोशल मीडिया गतिविधि के लिए स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रश्न असर (एएसईआर) 2024 की तुलना में एक अलग प्रारूप में पूछे गए थे।
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