पर्यावरण

बच्‍चों के स्वास्थ्य पर कोयले का प्रभाव: भारत के कोयला विस्तार से साक्ष्य

  • Blog Post Date 24 मार्च, 2020
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हाल के वर्षों में, भारत में कोयले से हो रहे बिजली उत्पादन में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यह लेख भारत में कोयले से होने वाले बिजली उत्पादन से बच्‍चों के स्वास्थ्य और मानव संसाधन पर पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल करता है। यह ज्ञात होता है कि जो बच्चे मध्‍यम आकार के कोयला प्लांट के संपर्क वाले क्षेत्रों में जन्‍म लेते हैं उनकी लंबाई ऐसे बच्‍चों की तुलना में कम होती है जो कोयला प्लांट से संपर्क से दूर स्थित क्षेत्रों में पैदा होते हैं। वायु प्रदूषण का प्रभाव कोयला प्लांटों के करीब रहने वाले बच्चों में अधिक होते हैं।

हाल के वर्षों में, भारत में कोयले से हो रहा बिजली उत्पादन तेजी से बढ़ा है। वर्तमान समय में भारत में कुल बिजली उत्पादन क्षमता की दो-तिहाई बिजली कोयले से ही बनती है। बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, ऊर्जा मंत्रालय ने 2027 तक कोयला क्षमता में अतिरिक्‍त 100 गीगावाट जोड़ने का लक्ष्य बनाया है| ये लक्ष्य भारत में कोयले से बनाने वाली बिजली की वर्तमान क्षमता से लगभग 50% अधिक है।1 बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करना महत्वपूर्ण है, लेकिन कोयले से बिजली बनाने में आने वाले लागतें इसे जमीन से निकालने, उसे खदानों से दूर बिजली के प्लांट तक ले जाने, और फिर उससे बिजली बनाने तक ही सीमित नहीं है| बिजली बनाने के दौरान कोयले को जलाने पर उससे निकले वाला प्रदूषण, कोयला प्लांटों के आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है| और इसी लिए कोयले से बिजली बनाने के नीतिगत निर्णयों में हमें बिजली बनाने में आए खर्च के बारे में ही नहीं बल्कि उससे आस-पास रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के बारे में भी सोचना होगा|

हाल के शोध (व्यास 2019) में, मैंने भारत के बृहद और वर्तमान में हो रहे कोयला प्लांट विस्तार का बच्‍चों के स्वास्थ्य एवं मानव संसाधन पर पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल की है। मैंने यह पाया कि जो बच्चे एक मध्‍यम क्षमता के प्लांट (कोयला प्लांट की क्षमता के मामले में 50वाँ प्रतिशतक प्लांट) के संपर्क वाले क्षेत्रों में पैदा हुए हैं, उनकी लंबाई कोयला प्लांट से दूर पैदा हुए बच्‍चों की तुलना में कम होती है।

रणनीति: बच्‍चों में आपस में, क्षेत्र के भीतर स्थानीय कोयला क्षमता में भिन्नता 

मैंने कोयला प्लांटों के बारे में भारत में ऑनलाइन जारी किए जा चुके विस्‍तृत डेटासेट का उपयोग किया है| इस डेटायसेट में कोयला प्लांट की सभी नई इकाईयों की सटीक लोकेशन, उसे शुरू करने की तारीख और उत्‍पादन क्षमता शामिल है। मैंने कोयला प्लांटों पर आधारित डेटासेट को भारत के हालिया राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफ़एचएस) में शामिल किए गए गाँवों और शहरी मुहल्लों से जोड़ा है। मैंने एनएफएचएस में सर्वेक्षित उन स्‍थानों को कोयला प्लांट से संपर्क वाले स्‍थानों के रूप में वर्गीकृत किया है| जो गाँव या मुहल्ले उस प्लांट के 50 किमी के भीतर स्थित हैं, उन्हें में कोयला प्लांट के समीप माना है और 50 किलोमीटर से दूर गांवों और मोहल्लों को संपर्क क्षेत्रों से दूर माना है। वर्ष 2010 और 2016 के बीच (जो मेरे अध्ययन की अवधि भी है) में भारत में कोयला प्लांट की क्षमता दोगुनी से अधिक हो गई है। कोयला प्लांट के पभाव को समझने के लिए मैंने एक ही क्षेत्र के दो अलग अलग समयकाल –पहला जब कोयला प्लांट नहीं था और दूसरा कोयला प्लांट के चालू होने के बाद के बच्‍चों के बीच के आपसी अंतर का इस्तेमाल किया है। 

बच्‍चे की लंबाई उसके शुरुआती जीवन के स्वस्थ को दर्शाती है 

बाल स्वास्थ्य के माप के रूप में, मैंने बच्चे की लंबाई का उपयोग किया है, जोकि प्रारंभिक जीवन में कुल पोषण का एक संकेत है। बच्‍चों की लंबाई एक महत्वपूर्ण आर्थिक सूचक है क्योंकि औसतन लम्बे बच्चे परीक्षाओं में बेहतर अंक पाते हैं, लंबे समय तक स्कूल में रहते हैं (अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं), और बड़े होने पर ज्यादा वेतन कमाते हैं। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों की लंबाई कम कैसे रह जाती है? वायु प्रदूषण को बच्‍चे की लंबाई से जोड़ने वाला एक संभावित जैविक प्रक्रिया गर्भवती महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी हुई है। प्रदूषित हवा में बहुत ही छोटे-छोटे कण (पर्टिकुलेट मैटर) होते है और इन्हीं के संपर्क में आने से गर्भवती महिलाओं को फेफड़े से जुड़े संक्रमण हो सकते है| इन संक्रमण के चलते उनके फेफड़ों या उनके बच्चे की नाल में सूजन या सकती है| सूजन आने पर पेट में पल रहे बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते है और इसके कारण बच्चे का विकास धीमा पड़ जाता, जन्म के समय उसका वजन काम होता और इससे आने वाले समय में बच्चे की लंबाई पर भी प्रभाव पड़ सकता है। कोयला प्लांट से बच्चों की लंबाई में आने वाली कमी की दूसरी संभावित जैविक प्रक्रिया बच्चों के शुरुआती जीवन के दौरान होती है| वायु प्रदूषण से छोटे बच्चों के जुखाम-खासी जैसे कई साँस से संबंधित संक्रमण हो जाते है। वायु प्रदूषण से बच्चों में श्वसन संक्रमण की घटनाओं में वृद्धि होती है, और बीमारी के चलते उनके शरीर को पोषणों का इस्तेमाल, शारीरिक और मानसिक विकास से हटाकर, बीमारियों से लड़ने में लगाना पड़ता है| फलस्वरूप बच्चों की लंबाई जितनी होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाती|

स्थानीय कोयला प्लांट के क्षेत्र के संपर्क में आने वाले बच्चे उसी स्थान पर पैदा हुए उन बच्चों की तुलना में कम लंबे होते हैं जो कोयला प्लांट के शुरू होने से पहले पैदा हुए थे

मैंने यह पाया है कि औसत दर्जे का (क्षमता के संदर्भ में) एक अतिरिक्त कोयला प्लांट बच्चों में लगभग 0.1 मानक विचलन की लंबाई की कमी के साथ जुड़ा हुआ है।2 इस प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में, एक ही क्षेत्र में रहने वाली साक्षर माताओं के बच्चे अशिक्षित माताओं के बच्चों के मुकाबले यादा लंबे होते है| और इसी तरह भारत में बच्चों की लंबाई उप-सहारा अफ्रीका में बच्चों की लंबाई से काम है।

अगर कोयला प्लांट की क्षमता वायु प्रदूषण के माध्यम से बच्चों की लंबाई को प्रभावित करती है, तो कोयला प्लांट से दूर रहने वाले बच्चों की तुलना में प्लांट के करीब रहने वाले बच्चों के लिए उनकी लंबाई पर प्रभाव (पूर्ण शब्दों में) बड़ा होना चाहिए। आकृति 1 में बच्‍चों की लंबाई पर दूरियों पर स्थित, अलग-अलग कोयला क्षमता से संपर्क के प्रभावों को दर्शाया गया है। पहली दूरी के कोष्‍ठ के अलावा, जैसे-जैसे कोयला प्लांट से दूरी बढ़ती जाती है, कोयला प्लांट की क्षमता का प्रभाव शून्य के करीब हो जाता है। स्थानीय कोयला प्लांट की क्षमता में परिवर्तन स्थानीय वायु प्रदूषण में बदलाव को भी दिखाता है, यह एक पैटर्न है जो वायु प्रदूषण का बच्चों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव को दिखाता है।

आकृति 1. कोयले की क्षमता का लंबाई पर प्रभाव दूरी के साथ कम होता जाता है

नोट: कोष्ठक में संख्या, नमूने के अंश हैं जो दूरी कोष्‍ठ के भीतर सकारात्मक क्षमता रखते हैं। 95% C.I. (आत्मविश्वास अंतराल) अनुमानित प्रभावों के बारे में अनिश्चितता व्यक्त करने का एक तरीका है। विशेष रूप से, इसका अर्थ यह है कि यदि हम नए नमूनों के साथ नमूना पद्धति को बार-बार दोहराते हैं, तो हम उम्मीद करेंगे कि वास्‍तविक प्रभाव समय के अनुमानित 95% के अंतराल में होगा।

आकृति में प्रयुक्त अंग्रेज़ी शब्दों का अर्थ:

coefficient of capacity (height for age) - क्षमता का गुणांक (आयु के लिए लंबाई)

village’s distance from plant capacity - गाँव की प्लांट से दूरी

अमीर परिवार गरीब परिवारों की तुलना में कोयला प्लांटों के करीब रहते हैं

आकृति 2 दिखाता है कि अनपढ़ और कम लंबाई वाली माताओं के बच्चे, और गरीब घरों में रहने वाले बच्चे, औसतन, उन बच्चों की तुलना में कोयला प्लांटों से दूर रहते हैं, जिनके माता-पिता की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बेहतर है। यह एक दिलचस्प पैटर्न है जो दुनिया के अन्य हिस्सों से अलग है| दुनिया के बाकी हिस्सों में गरीब परिवारों के उन स्थानों पर रहने की संभावना अधिक है जहां स्थानीय हवा की गुणवत्ता खराब है और वायु प्रदूषण अधिक है। इससे यह भी पता चलता है कि भारत में कोयला प्लांट विस्तार के परिणाम महत्वपूर्ण एवं जटिल वितरणात्‍मक हैं।

आकृति 2. निम्‍न सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के बच्‍चे कोयला प्लांटों से दूरी पर रहते हैं

आकृति में प्रयुक्त अंग्रेज़ी शब्दों का अर्थ:

distance from plant in km - प्लांट से दूरी (किलोमीटर में)

प्रभावों को अन्य समकालिक परिवर्तनों द्वारा नहीं समझाया जा सकता है

क्या इन पैटर्नों को कोयला प्लांट की क्षमता बदलते समय होने वाले अन्य परिवर्तनों द्वारा समझाया जा सकता है? उदाहरण के लिए, अगर कोयला प्लांट में विस्तार लोगों के लिए नौकरिया लेकर आए और आसपास रहने वाले लोग अमीर बन जाएं तो क्या होगा? आमदनी का शायद बच्चे की लंबाई पर भी प्रभाव पड़ता है। यदि ऐसा हो रहा था, तो मेरे परिणाम पक्षपातपूर्ण हो सकते हैं। हालांकि, कुछ परीक्षण बताते हैं कि ऐसा नहीं हो रहा है। कोयला प्लांट की क्षमता में परिवर्तन से, समान रूप से बच्चे की लंबाई और घरेलू ये से संबंधित अन्य जन्म विशेषताओं का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है और इसका अनुमान रात में प्रकाश के आउटपुट के अनुमान से लगा सकते हैं, जोकि बिजली कवरेज और आर्थिक विकास का एक संकेतक है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि इन प्लांटों से उत्‍पादित बिजली का उपयोग भारत के बड़े केंद्रीयकृत ग्रिड के माध्‍यम से दूर और निकट दोनों क्षेत्रों में किया जाता है।

क्या होगा यदि कोयले के प्लांट ऐसे विशेष स्थानों पर स्थित हैं, बजाए उन स्थानों के, जहां पहले से ही बच्चों की लंबाई काम है| दो अतिरिक्त परीक्षणों से ज्ञात होता है कि ऐसी संभावना नहीं है। ऐसे क्षेत्र, जहां आस-पास कभी कोयला प्लांट नहीं रहे हों उनकी तुलना में नए कोयला प्लांट के आस-पास के स्थानों में समय के साथ आए बच्चों की लंबाई में अंतर का उन स्थानों से अलग नहीं है जहां ने कोयला प्लांट लगे है। इसी प्रकार, क्षमता में वृद्धि कभी-कभी मौजूदा प्लांटों के विस्तार के माध्यम से, तो कभी-कभी पूरी तरह से नए कोयला प्लांटों के माध्यम से की जाती है, और मुख्य प्रभाव केवल तभी देखे जा सकते हैं जब केवल कोयला प्लांट की क्षमता के विस्तार से बच्चों की लंबाई में आए आंतर को देखा जाए|

अंत में, क्या होगा अगर गरीब परिवार कोयला प्लांटों के पास चले जाएं क्योंकि स्थानीय गुणवत्ता में गिरावट के कारण ये क्षेत्र अधिक सस्ते हो गए? इससे परिणामों के एक ओर झुकने की संभावना नहीं है क्योंकि भारत में महिलाओं और बच्चों का प्रवास बहुत कम होता है। समृद्ध परिवारों के कोयले प्लांटों से दूर अथवा गरीब परिवारों के उनके पास पलायन के माध्‍यम से प्रभाव की व्याख्या नहीं की जा सकती है।

जबकि यह परीक्षण सीधे तौर पर इस संभावना को नहीं नकार सकते कि कोयला क्षमता विस्तार अन्य अप्राप्य परिवर्तनों के माध्यम से बच्चे की लंबाई को अप्रामाणिक रूप से प्रभावित कर रहे हैं, वे यह सुझाव ज़रूर देते हैं कि मुख्य परिणाम अन्य चैनलों द्वारा संचालित नहीं हैं, और वे एक कारणात्‍मक व्याख्या का समर्थन करते हैं।

यह प्रभाव बड़े और सार्थक हैं

लंबाई का, जनसंख्या के स्तर पर, प्रारंभिक जीवन मृत्यु दर के साथ बहुत अधिक सहसंबद्ध है, क्योंकि प्रारंभिक जीवन की बीमारी से बचे लोगों की वृद्धि कम हो जाती है। एनएफएचएस में, एक ऐसा जिला, जहां बच्चे 0.1 मानक विचलन कम लंबे हैं, वहां औसतन, अधिक शिशु मृत्‍यु दर, जो 1,000 जीवित जन्म लेने वाले बच्‍चों में से लगभग 9 तक अपेक्षित होगी। यह अंतर कनाडा की समग्र शिशु मृत्यु दर के लगभग दो गुना के बराबर है।

शारीरिक विकास में योगदान देने वाला पोषण संज्ञानात्मक विकास, शिक्षा प्राप्ति और जीवन में बाद में कमाई में योगदान देता है। मध्‍यम आकार से बड़े कोयला प्लांट के संपर्क में आने वाले बच्चों की लगभग 0.5 प्रतिशत अंक तक कम पढ़ाई करने की संभावना है।3 कमाई के मामले में, अगर यहाँ देखी गई लंबाई में कमी, वयस्‍क होने तक बनी रहती है, तथा वयस्क लंबाई-कमाई ढलान स्थिर रहती है, तो जो बच्‍चे जन्‍म के समय मध्‍यम आकार से बड़े कोयला प्लांट के संपर्क में आते हैं उनकी प्रति घंटे की कमाई 0.5% से 1.5% के बीच कम होने की संभावना है।4

कोयले की स्वास्थ्य और मानव पूंजी लागत नीति के लिए महत्वपूर्ण हैं

कोयला प्लांटों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़े और स्थायी नकारात्मक परिणाम हो रहे हैं। इस अध्ययन में प्रलेखित बाल स्वास्थ्य और मानव पूंजी पर प्रभाव कोयले को इसे जमीन से निकालने, परिवहन करने और ऊर्जा में बदलने में होने वाले खर्चों की तुलना में कहीं अधिक खर्चीला बनाते हैं। कम से कम ये सामाजिक लागत, भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली उत्पादन का विस्तार करने के संबंध में किसी भी नीतिगत चर्चा का हिस्सा होनी चाहिए।।

टिप्पणियाँ:

  1. राष्ट्रीय विद्युत योजना (2018) में कहा गया है कि 47,855 मेगावाट की कोयला-आधारित क्षमता निर्माण के विभिन्न चरणों में है, और इसके 2017-2022 के दौरान मूर्त रूप में आने की संभावना है। इन आंकड़ों से ऊपर, 2017-2022 अवधि में और 6,445 मेगावाट कोयला-आधारित क्षमता की आवश्यकता की संभावना है, तथा 2022-2027 अवधि में और 46,420 मेगावाट की आवश्यकता होने की उम्मीद है।
  2. मानक विचलन वह माप है जिसका उपयोग किसी सेट के औसत मान (औसत) से उस सेट के मानों की भिन्नता या फैलाव की मात्रा को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  3. यह आकलन डीन स्पीयर्स (2012) द्वारा प्रलेखित बच्चे की लंबाई-उपलब्धि अनुपात का उपयोग करती है।
  4. यह कच्‍ची गणना वोगल (2014), ग्लिक एवं साह्न (1998), थॉमस एवं स्ट्रॉस (1997), शुल्त्स (2003), और हडेड एवं बोयुइस (1991) द्वारा प्रलेखित विभिन्न विकासशील देशों में वयस्क कमाई-लंबाई ढलान के अनुमान पर आधारित है।


लेखक परिचय: संगीता व्यास राइस इंस्टीट्यूट में स्वच्छता की एसोसिएट डायरेक्टर (एसोसिएट निदेशक) हैं।

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