शासन

डेटा-आधारित प्रतिक्रिया और पुरस्कार के माध्यम से लेखपालों के कार्य-निष्पादन को बढ़ावा देना

  • Blog Post Date 09 अक्टूबर, 2025
  • फ़ील्ड् नोट
  • Print Page
Author Image

Sakshi Ugale

Government of Maharastra

राज्य सरकारों के राजस्व विभाग के अग्रणी अधिकारी के रूप में कार्यरत लेखपालों के लिए ‘लेखपालों के समग्र मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए कार्यान्वयन-योग्य केपीआई प्रणाली (एलएएसएचवायएएम- लक्ष्यम)’ उनके कार्य-निष्पादन को मापने और उसे बेहतर बनाने की दिशा में की गई एक पहल है। इस लेख में हसिन और उगाले ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दिसंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच किए गए एक अध्ययन के आधार पर, इस पहल से प्राप्त परिणामों पर प्रारंभिक अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की है और सुधार के कुछ क्षेत्रों पर प्रकाश डाला है।

लेखपाल या पटवारी राज्य सरकारों के राजस्व विभाग के अग्रिम पंक्ति के अधिकारी होते हैं। हर साल उनका लाखों नागरिकों से संवाद होता है और भूमि संबंधी विवादों का समय पर और निष्पक्ष समाधान कराने, भूमि की सीमाओं का निर्धारण करने तथा आय एवं जाति प्रमाण पत्र जैसे कई महत्वपूर्ण आवेदनों का निपटारा करने में उनका कार्य महत्वपूर्ण होता है। ऐसा करते हुए वे नागरिकों के सामने सरकार का चेहरा भी बन जाते हैं और उनका कार्य-निष्पादन शासन की गुणवत्ता की अच्छी छवि बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लेखपालों के कार्य-निष्पादन का मूल्यांकन आमतौर पर अलग-अलग तदर्थ प्रणालियों और व्यक्तिगत उपाख्यानों के माध्यम से किया जाता रहा है। इस प्रकार का मूल्यांकन पक्षपातपूर्ण होता है और यह इस बात की समग्र समझ बनाने में विफल रहता है कि प्रत्येक लेखपाल किस कुशलता से अपना कार्य कर रहा है तथा वे अपने प्रदर्शन में कहाँ सुधार कर सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, लेखपालों के कार्य-निष्पादन को मापने और उसे बेहतर बनाने की पहल के रूप में ‘लेखपालों के समग्र मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए कार्यान्वयन-योग्य केपीआई1 प्रणाली (लक्ष्यम)’ शुरू की गई थी। नीचे दिया गया उद्धरण लक्ष्यम के सार को दर्शाता है :

"मुझे अपनी आठ साल की नौकरी में पहली बार ‘पुरस्कार’ भी मिला। यह मेरे परिवार के लिए बहुत खुशी का पल था। उन्हें इस बात पर गर्व था कि मैं अच्छी तरह और ईमानदारी से काम करता हूँ। अच्छे काम के लिए सम्मानित होना मेरे लिए भी बहुत प्रेरणादायक था।"

- वाराणसी के एक लेखपाल

लक्ष्यम के तहत, लेखपालों के कार्य-निष्पादन को मापने के लिए तीन अलग-अलग स्रोतों से डेटा एकत्र किया जाता है- (i) फ़ाइल ट्रैकिंग के माध्यम से नियमित प्रशासनिक कार्यों का डेटा, (ii) पर्यवेक्षक रेटिंग और (iii) नागरिक प्रतिक्रिया। लक्ष्यम, लेखपालों को व्हाट्सएप रिमाइंडर भेजकर समय-सीमा पर नज़र रखने में भी मदद करता है। इन हस्तक्षेपों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लेखपाल अच्छा कार्य-निष्पादन करें, जिससे राजस्व विभाग निष्पक्ष और नागरिक-केन्द्रित तरीके से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।

लक्ष्यम का मई से दिसंबर 2023 तक, प्रयागराज में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में परीक्षण किया गया, जिसकी शुरुआत सोरांव तहसील2 से हुई। लेखपालों द्वारा नागरिक शिकायतों के निपटारे की गति में सुधार के बाद, इसे पड़ोसी बारा में भी शीघ्रता से लागू किया गया। इसके बाद मार्च 2024 से इसे वाराणसी में लागू किया गया, जहाँ हमारे अध्ययन के समय यह लागू था। इस लेख में हम इस पहल द्वारा प्राप्त परिणामों के बारे में प्रारंभिक जानकारी प्रस्तुत करते हैं।

लक्ष्यम का प्रभाव

राजस्व विभाग के सहयोग से, आईडी-इनसाइट ने दिसंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच एक ‘तीव्र मिश्रित-पद्धति’ अध्ययन किया ताकि वाराणसी में लक्ष्यम के कार्यान्वयन से मिले परिणामों को समझकर इस सीख को भविष्य के लिए पहचाना जा सके। इसमें कार्यक्रम संबंधी आँकड़ों का विश्लेषण3 और विभाग के विभिन्न पदों पर कार्यरत 27 हितधारकों के साथ गहन गुणात्मक साक्षात्कारों से प्राप्त जानकारी शामिल थी। हम अध्ययन से प्राप्त तीन प्रमुख सीखों पर नीचे चर्चा करते हैं। विशेष रूप से, हम देखते हैं कि किस प्रकार लक्ष्यम ने नागरिकों के लिए कार्य-निष्पादन समय में सुधार लाने में मदद की है, नागरिकों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित किया है तथा विभाग के भीतर आँकड़ों को एक स्तर के रूप में उपयोग किया है।

i) समय में सुधार : आँकड़ों से पता चला है कि मार्च और नवंबर 2024 के बीच, एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) न्यायालय के अंतर्गत चयनित धाराओं के अंतर्गत नागरिक आवेदनों को निपटाने में लेखपालों की समयबद्धता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। विशेष रूप से, लक्ष्यम के कार्यान्वयन के आठ महीनों के भीतर, एसडीएम न्यायालय के आवेदनों के निपटान का समय कुल मिलाकर 93% कम (113 दिनों से घटकर 19 दिन) हो गया और जब हम लेखपालों द्वारा संचालित प्रक्रिया के भाग को देखते हैं, तो यह समय 83% कम (64 दिनों से घटकर 11 दिन) हो गया।

आकृति-1. एसडीएम न्यायालय के आवेदनों के निपटान में लेखपालों द्वारा लगाया गया समय (लक्ष्यम द्वारा कवर की गईं उप-धाराएँ)

लक्ष्यम में इस्तेमाल किए गए डैशबोर्ड से देरी की स्थिति के बारे में बेहतर जानकारी मिलती है, जिससे समस्या-समाधान में और अधिक सक्रियता से मदद मिलती है। इसके अलावा, ऐसी प्रणाली में जहाँ ‘अच्छे कार्य के लिए मान्यता’ ऐतिहासिक रूप से दुर्लभ रही है, वस्तुनिष्ठ मापों के ज़रिए कार्य-निष्पादन की निगरानी से विभाग को डेटा-आधारित प्रतिक्रिया और शीर्ष प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत करने का अवसर मिला है। गुणात्मक साक्षात्कारों में, हितधारकों ने इस बारे में खुलकर बात की कि कैसे यह ‘मान्यता’ लेखपालों में प्रेरणा बढ़ाने में मदद कर रही है।

"सज़ा देने की संस्कृति हमेशा से रही है, लेकिन अच्छे काम की सराहना करने वाला कोई नहीं था... ये पुरस्कार हमारे मूल काम को पहचान दिलाते हैं।"

- वाराणसी के एक लेखपाल

ii) नागरिक संवादों में वांछित व्यवहारों में सुधार : कई लेखपालों ने नागरिक संवाद में वांछित व्यवहारों में क्षेत्र-स्तरीय सुधारों के बारे में बताया। इसके लिए वे नागरिकों के साथ उनके जुड़ाव में अधिक जागरूकता और संवेदनशीलता लाने के लिए लक्ष्यम द्वारा शुरू किए गए नागरिक सर्वेक्षणों को श्रेय देते हैं। नागरिक प्रतिक्रिया सर्वेक्षण के विश्लेषण से पता चला कि जिन आवेदनों के लिए लेखपालों ने क्षेत्र भ्रमण किया, उनका हिस्सा 49% से बढ़कर 80% हो गया और स्वीकार्य विनम्रता रेटिंग 62% से बढ़कर 69% हो गई, जो अक्टूबर में 75% के उच्चतम स्तर पर पहुँची।

आकृति-2. लेखपालों की सहभागिता, विनम्रता और नागरिक सर्वेक्षणों से प्राप्त स्वीकार्य समाधान


iii) डेटा एक समतलीकरण कारक के रूप में : अध्ययन ने यह भी दर्शाया कि कैसे लक्ष्यम द्वारा सक्षम आवेदनों की बारीकी से ट्रैकिंग ने एक समतलीकरण कारक के रूप में कार्य किया। सर्व प्रथम- फ़ाइल ट्रैकिंग ने विवेकाधीन या अनपेक्षित देरी को संभावित रूप से कम किया क्योंकि केपीआई की गणना करते समय सभी आवेदनों को समान रूप से महत्त्व दिया गया था। एक साक्षात्कार में, एक हितधारक ने यह भी अनुमान लगाया कि रिश्वत मांगने की प्रवृत्ति कम हुई है, क्योंकि लक्ष्यम की ट्रैकिंग के चलते अधिकारियों के लिए जानबूझकर फाइलों को ‘रोककर रखना’ कठिन हो गया है।

दूसरा- कर्मचारियों के लिए, उनका पद चाहे कोई भी हो, लक्ष्यम के तहत प्रत्येक चरण को पूरा करने में लगने वाले समय की जानकारी उपलब्ध रहती है। परिणामस्वरूप, गुणात्मक साक्षात्कारों में कुछ हितधारकों ने सुझाव दिया कि इससे अधिक योग्यता-आधारित कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और संभावित रूप से पक्षपात कम होता है। उदाहरण के लिए, एक लेखपाल ने बताया कि आँकड़े महिला लेखपालों के मज़बूत प्रदर्शन को दर्शा सकते हैं, भले ही वे बैठकों या समूह में कम मुखर हों, जिससे लिंग आधारित रूढ़िवादिता को चुनौती मिलती है।

अंत में, लक्ष्यम में शामिल अंतर्निहित डेटा का उपयोग नागरिक-केन्द्रित पहलों के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, विभाग ने एक हेल्प डेस्क बनाया है जो इस डेटा का उपयोग नागरिकों को उनके आवेदनों की स्थिति की जानकारी प्रदान करने के लिए करता है। इससे नागरिकों की एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

सीमाएँ और सुधार की गुंजाइश

उपरोक्त आशाजनक सुधारों के साथ-साथ अध्ययन से प्रणाली की सीमाओं और उसमें सुधार की गुंजाइश भी नज़र आती है। पहला, मापन की अंतर्निहित जोखिम और सीमाएँ हैं। इसमें ‘बहु-कार्य प्रधान-एजेंट’ समस्या (होल्मस्ट्रॉम और मिलग्रोम 1991) का खतरा है, जिसमें प्रोत्साहन कार्य के अन्य, कम मापनीय पहलुओं से प्रयास को दूर करना शुरू कर देते हैं। इस अध्ययन में, हमें गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के समझौते का कोई निर्णायक प्रमाण नहीं मिला।5 यह एक चिंता का विषय है जिस पर गहन रूप से ध्यान देने और इसके लिए उचित रणनीतियों की आवश्यकता है, जैसे कि नागरिक प्रतिक्रिया, सहकर्मी गुणात्मक प्रतिक्रिया, व्यापक और सावधानीपूर्वक चुने गए मीट्रिक आदि का उपयोग करना।

कई हितधारकों ने पर्यवेक्षी फीडबैक में विसंगतियों को चिंता का विषय बताया। मध्य-स्तरीय प्रबंधन के लिए लक्षित प्रबंधन प्रशिक्षण तथा मार्गदर्शन में निवेश से पूरे विभाग में पर्यवेक्षण और फीडबैक की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि प्रबंधन की गुणवत्ता निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में उत्पादकता से जुडी हुई है (ब्लूम और वैन रेनन 2007, रसूल और रोजर 2018, रसूल, रोजर और विलियम्स 2018)।

अंततः बेहतर मापन कई समस्याओं को उजागर कर सकता है, लेकिन यह उन सभी का समाधान नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए, कुछ हितधारकों ने कम कर्मचारियों के कारण अधिक कार्यभार की चुनौतियों का उल्लेख किया, जो शासन के कई क्षेत्रों में एक आम समस्या है। इसलिए, विभागीय कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार लाने के लिए कार्मिकों की संख्या, प्रशिक्षण और अन्य सहायक बुनियादी ढाँचे में पूरक निवेश अनिवार्य है। इस बीच, लक्ष्यम जैसे हस्तक्षेपों से विभाग के सीमित संसाधनों के अधिकतम उपयोग में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष

लक्ष्यम दर्शाता है कि साधारण निगरानी और कम तीव्रता वाले प्रोत्साहन भी सरकारी विभागों के प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं। यह पहल सरकारों के लिए व्यापक मापन प्रणालियों में निवेश करने का एक आशाजनक संकेत भी है जो उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा प्रदान करती हैं, जिनका उपयोग विभिन्न आंतरिक सुधारों और नागरिक-केन्द्रित पहलों को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। ऐसी प्रणालियों को संस्थागत रूप देने से यह भी सुनिश्चित हो सकता है कि वे केवल व्यक्तिगत पहलों तक ही सीमित न रहें, साथ ही उसमें अनुकूलनशीलता और प्रयोग की भावना भी बनी रहे।

हम इस अध्ययन और लेख में उनके योगदान के लिए ऐश्वर्या ग्रोवर, अंजनी बालू, अश्रुथ तलवार, विनोद कुमार शर्मा और विशन पटनायक को धन्यवाद देना चाहते हैं। आप अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव सार्थक अग्रवाल, आईएएस, को जिनकी देखरेख में इस पहल की शुरुआत हुई थी, sarthak13agr@gmail.com पर भी भेज सकते हैं।

टिप्पणियाँ :

  1. प्रमुख निष्पादन संकेतक।
  2. तहसील भारत में किसी ज़िले का एक प्रशासनिक उप-विभाग होता है, जिसमें आमतौर पर एक कस्बा या शहर मुख्यालय और आसपास के गाँव होते हैं और मुख्य रूप से इसकी ज़िम्मेदारी स्थानीय प्रशासन और भू-राजस्व संग्रह की होती है।
  3. मात्रात्मक आँकड़ों में एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस), तहसील दिवस और एसडीएम न्यायालय के अंतर्गत चयनित धाराओं के तहत प्राप्त आवेदन शामिल होते हैं।
  4. यह सेवा मुख्य रूप से तहसील नेतृत्व के स्वामित्व में है, जिसकी राज्य-स्तरीय निगरानी कम होती है।
  5. गुणात्मक साक्षात्कारों में अधिकांश हितधारकों ने सुझाव दिया कि बेहतर योजना और समय प्रबंधन के परिणामस्वरूप कार्य की गुणवत्ता में भी वास्तव में सुधार हुआ है। हालाँकि, चार (27 में से) हितधारकों ने समयवधि में कार्य पूरा करने के दबाव के चलते गुणवत्ता में संभावित गिरावट के बारे में चिंता व्यक्त की। 

अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।

लेखक परिचय : फ़हद हसिन नई दिल्ली स्थित आईडी-इनसाइट में वरिष्ठ सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं। वे वर्तमान में लक्ष्य-उन्मुख मानव संसाधन प्रबंधन के रूप में परिकल्पित हस्तक्षेपों के एक समूह के माध्यम से, भारत के विभिन्न राज्यों में सरकारों के लिए मानव संसाधन प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने वाली परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। अपनी पिछली परियोजनाओं में, उन्होंने स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए एक अंतर्निहित सरकारी साझेदारी और रणनीतिक पोर्टफोलियो विकास पर काम किया है। फहद ने अशोका विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में उन्नत अध्ययन और अनुसंधान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है। साक्षी उगाले एक नीति शोधकर्ता हैं जो महाराष्ट्र सरकार में मुख्यमंत्री फेलो (ग्रेड ए-स्तर की अधिकारी) के रूप में कार्यरत हैं। वे आईआईटी बॉम्बे से लोक नीति में पीजी डिप्लोमा कर रही हैं। जेएनयू और मिरांडा हाउस की पूर्व छात्रा, साक्षी ने इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट का अर्बन फेलो कार्यक्रम पूरा किया है। उन्होंने 2025 में आईडी-इनसाइट से इंटर्नशिप की है।  

क्या आपको हमारे पोस्ट पसंद आते हैं? नए पोस्टों की सूचना तुरंत प्राप्त करने के लिए हमारे टेलीग्राम (@I4I_Hindi) चैनल से जुड़ें। इसके अलावा हमारे मासिक न्यूज़ लेटर की सदस्यता प्राप्त करने के लिए दायीं ओर दिए गए फॉर्म को भरें।

No comments yet
Join the conversation
Captcha Captcha Reload

Comments will be held for moderation. Your contact information will not be made public.

संबंधित विषयवस्तु

समाचार पत्र के लिये पंजीकरण करें