जब भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर आई, तो ऑक्सीजन, चिकित्सा उपकरणों और जीवन रक्षक दवाओं की कमी के कारण स्वास्थ्य संकट और बढ़ गया। इस लेख में, सी वीरामणि और अन्वेषा बसु तर्क देते हैं कि भारत सरकार के आत्मनिर्भर या आत्मनिर्भरता के रुख के विपरीत, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भरोसा करना अप्रत्याशित स्वास्थ्य झटकों का सामना करने के लिए एक बेहतर रणनीति है।
भारत जब पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर की चपेट में था, तो सरकार ने उस समय के स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए एक रामबाण के रूप मे तथा साथ ही साथ विकास के एक नए मंत्र के रूप में "आत्मनिर्भर भारत" के अपने दृष्टिकोण की घोषणा की। इस कदम में यह तर्क निहित था कि महामारी के दौरान स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू आपूर्ति श्रृंखला अधिक विश्वसनीय और आसानी से उपलब्ध होगी। इसके अलावा, यह तर्क भी दिया गया कि आयात पर न्यूनतम निर्भरता देश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के हित में है। ये दृष्टिकोण तर्कसंगत आर्थिक सोच और व्यापक रूप से स्वीकृत इस सिद्धांत के खिलाफ हैं कि आपूर्ति श्रृंखलाओं का विविधीकरण एक अच्छी जोखिम-प्रबंधन रणनीति का अनिवार्य घटक है। दरअसल, भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के रूप में हाल ही में आई स्वास्थ्य आपदा आत्मनिर्भरता की आलंकारिक व्याख्या की खामियों को उजागर करती है। इस लेख में, हम चर्चा करते हैं कि घरेलू के बजाय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भरोसा करना, अप्रत्याशित स्वास्थ्य झटकों का सामना करने के लिए एक बेहतर रणनीति क्यों है।
महामारी के दौरान वैश्विक बनाम घरेलू आपूर्ति श्रृंखला
एक महामारी से हर देश के प्रभावित होने की संभावना रहती है, लेकिन अलग-अलग देशों में इसका प्रकोप अलग-अलग समय पर चरम पर होता है। इसलिए, जब भारत में महामारी का वक्र चरम पर है, तो इस वक्र को पहले ही समतल कर चुके देश जीवन रक्षक दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन के स्रोत के रूप में काम आ सकते हैं। सामान्य तौर पर, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं की तुलना में अधिक मजबूत होती हैं, सिवाय एक अत्यधिक असंभावित परिदृश्य को छोड़कर जिसमें एक बीमारी सभी देशों को एक साथ और समान तीव्रता से प्रभावित करती है (गोल्डबर्ग 2020)। चूँकि अंतर्राष्ट्रीय आवागमन की तुलना में राष्ट्र के भीतर आवागमन अधिक आसान होता है इसलिए एक महामारी और उसके बाद की लहरें एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में फैलने की तुलना में देश के भीतर अधिक आसानी से और तेजी से फैलती हैं। इसलिए, लॉकडाउन और सामान की आवाजाही पर प्रतिबंध देशों के बीच की तुलना में देश के भीतर अधिक समकालिक होंगे।
उदाहरणस्वरूप, भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट घरेलू उत्पादन की कमी के कारण नहीं था, बल्कि मुख्य रूप से घरेलू आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं और ऑक्सीजन सिलेंडर एवं टैंकरों की अनुपलब्धता के कारण था। जबकि अधिकांश ऑक्सीजन उत्पादक भारत के पूर्वी हिस्सों में स्थित हैं, मांग में बढ़ोतरी देश के पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों के शहरों में हुई। जैसे ही एक के बाद एक कई राज्यों में लॉकडाउन लागू किया गया, परिवहन और ढ़ुलाई संबंधी व्यवस्थाओं में गड़बड़ी होना शुरू हो गया। चूंकि इन घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं ने हमें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता के समय विफल कर दिया, ऑक्सीजन सिलेंडर और सांद्रक का आयात और अन्य देशों से ऑक्सीजन संयंत्रों को एयरलिफ्ट करना बचाव के साधन के रूप में सामने आया।
कोविड-19 के दौरान की आपूर्ति श्रृंखलाओं में वैश्विक पारस्परिक-निर्भरता
चीन से आधिकारिक सीमा शुल्क डेटा के आधार पर हमारी गणना के अनुसार, जैसे ही चीन में महामारी से प्रेरित लॉकडाउन हटा, देश के कोविड-19 उत्पादों के निर्यात ने आसमान छू लिया जिसने अन्य देशों में इनकी कमी को दूर किया। चीन के कोविड-19 उत्पादों का निर्यात लॉकडाउन-पूर्व की अवधि (अप्रैल-दिसंबर 2019) के दौरान 43 अरब अमेरिकी डॉलर से लगभग 200% बढ़कर लॉकडाउन के बाद की अवधि (अप्रैल-दिसंबर 2020) के दौरान 125 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। सबसे महत्वपूर्ण उत्पादों जैसे कि सुरक्षात्मक वस्त्रों (491%), परीक्षण किट (461%), ऑक्सीजन थेरेपी उपकरण, और पल्स ऑक्सीमीटर (135%) में वृद्धि दर सबसे अधिक थी।
अनुभवजन्य साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोविड-19 (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), 2020) से संबंधित चिकित्सा उत्पादों में आपूर्ति श्रृंखलाओं की वैश्विक पारस्परिक निर्भरता उच्च स्तर पर है, जिसमें यह देखा गया कि कोई एक देश किसी एक कोविड-19 उत्पाद का शीर्ष उत्पादक हो सकता है, लेकिन किसी दूसरे उत्पाद का आयातक भी हो सकता है। इसी तरह, वैक्सीन का उत्पादन, वितरण और प्रशासन विभिन्न देशों में उपलब्ध संसाधन की एक श्रृंखला जिसमें सक्रिय सामग्री, शीशियों, सीरिंज, कोल्ड बॉक्स, ड्राई आइस, फ्रीजर आदि शामिल है, तक पहुंच पर निर्भर हैं (ओईसीडी, 2021)। जैसा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की रिपोर्ट में कहा गया है, "एक विशिष्ट वैक्सीन निर्माण संयंत्र लगभग 30 विभिन्न देशों में लगभग 300 आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त 9,000 विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करेगा" (डब्ल्यूटीओ, 2020)।
भारत के कोविड -19 उत्पादों का आयात और निर्यात
भारत के मामले पर दुबारा चर्चा करें तो, महामारी-पूर्व अवधि (अप्रैल 2019 - फरवरी 2020) की तुलना में महामारी अवधि (अप्रैल 2020 - फरवरी 2021) के दौरान हमारे कोविड-19 उत्पादों के आयात में काफी वृद्धि हुई है, यहां तक कि गैर-कोविड-19 व्यापारिक उत्पादों के आयात में 22.6% की गिरावट दर्ज की गई (तालिका 1 देखें), भारत के आवश्यक और जीवन रक्षक उत्पादों जैसे इंफ्रारेड थर्मामीटर (670%), सुरक्षात्मक वस्त्र (142%), वेंटिलेटर (117%), ऑक्सीजन के लिए फ्लोमीटर और थोर्प ट्यूब (72%), ऑक्सीजन के लिए गैस सिलेंडर (70%) और टेस्ट किट (66%) के आयात में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि इनकी सटीक संख्या अभी तक ज्ञात नहीं हैं, समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि देश में दूसरी लहर के समय भारत में कोविड-19 उत्पादों के आयात में अप्रैल 2021 से और वृद्धि हुई है। भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर हमारी गणना के अनुसार, भारत ने भी महामारी अवधि के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 15.7% की वृद्धि दर के साथ कोविड-19 उत्पादों के अपने निर्यात में वृद्धि की। सबसे तीव्र निर्यात वृद्धि वाले उत्पादों में सर्जिकल/चिकित्सा उपयोग के लिए सुरक्षात्मक वस्त्र (883%), अल्कोहल विलयन (307%), स्वाब और वायरल परिवहन माध्यम सेट (117%), हाइड्रोजन परॉक्साइड (89%), चिकित्सा ऑक्सीजन (74%), परीक्षण किट (51%), और वेंटिलेटर (43%) शामिल हैं। दूसरी लहर के चरम से पहले, भारत ने अन्य देशों को लाखों वैक्सीन डोज की आपूर्ति की, जिनकी उन्हें सबसे अधिक आवश्यकता थी जोकि एक ऐसा कार्य था जिसने देश को नैतिक रूप से सुरक्षित कर दिया था, जब बाद में इसे अन्य देशों से चिकित्सा सहायता प्राप्त हुई थी। हालाँकि, भले ही भारत ने अन्य देशों को अपने टीकों का निर्यात किया, अपनी आबादी को टीका लगाने के लिए 'मेड-इन-इंडिया' टीकों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण विदेशी टीकों को विनियामक अनुमोदन देने में एक ऐसी देरी हुई जिसे टाला जा सकता था।
तालिका 1. भारत का कोविड-19 संबंधी उत्पादों का आयात
उत्पाद की श्रेणी |
अप्रैल 2019 - फरवरी 2020 |
अप्रैल 2020 - फरवरी 2021 |
वृद्धि (%) |
कोविड-19 परीक्षण किट और उपकरण |
1,060.5 |
1,291.7 |
21.8 |
विसंक्रामक एवं निर्जर्मीकरण उत्पाद |
836.1 |
778.2 |
-6.9 |
अन्य चिकित्सा उपभोज्य सामग्री |
987.2 |
1,041.1 |
5.5 |
अन्य चिकित्सा युक्तियां एवं उपकरण |
1,007.7 |
1,089 |
8.1 |
चिकित्सा संबंधी अन्य उपभोज्य वस्तुएं |
363.4 |
332.3 |
-8.6 |
ऑक्सीजन थेरेपी उपकरण एवं पल्स ऑक्सीमीटर |
526.4 |
598.2 |
13.6 |
सुरक्षात्मक वस्त्र एवं समान उत्पाद |
218.3 |
528.2 |
142 |
सभी कोविड-19 उत्पाद |
5,061.5 |
5,682 |
12.3 |
स्रोत: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के डेटा का उपयोग करते हुए लेखकों का अनुमान।
नोट: सभी आंकड़े अमेरिकी डॉलर (दस लाख) में हैं।
टीकों सहित कोविड-19 उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी को मजबूत करने की तात्कालिक आवश्यकता है। ऐसा, आयात शुल्कों को समाप्त करके तथा सीमा पर एवं सीमा के भीतर व्यापार-संबंधी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके किया जा सकता है। भारत में कोविड-19 उत्पादों पर तथा वैक्सीन उत्पादन, वितरण और प्रशासन के लिए आवश्यक विभिन्न इनपुट पर दुनिया में सबसे अधिक आयात शुल्क है। जैसा कि तालिका 2 में देखा जा सकता है, सभी उत्पाद समूहों के लिए, औसत भारतीय शुल्क दरें चीन, अमेरिका, निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के समूह और पूरी दुनिया की तुलना में काफी अधिक हैं। इसके विपरीत, दुनिया की 'वैक्सीन फ़ार्मेसी' में आयातित टीकों पर 10% सीमा शुल्क है, जब विश्व औसत 1% से कम है।
तालिका 2. भारत और अन्य देशों में कोविड-19 वस्तुओं के लिए औसत शुल्क दरें (%)
भारत |
चीन |
अमेरिका |
निम्न एवं मध्यम आय वाले देश |
विश्व |
|
कोविड-19 परीक्षण किट और उपकरण |
6.9 |
2.9 |
1.3 |
3 |
2.8 |
विसंक्रामक एवं निर्जर्मीकरण उत्पाद |
55.8 |
11.5 |
2 |
17.5 |
12.8 |
अन्य चिकित्सा उपभोज्य सामग्री |
10.4 |
6.9 |
1.2 |
9.7 |
7.3 |
ऑक्सीजन |
7.5 |
5.0 |
3.7 |
6.7 |
6 |
अन्य चिकित्सा युक्तियां एवं उपकरण |
8 |
5.3 |
0 |
5.3 |
4.4 |
चिकित्सा संबंधी अन्य उपभोज्य वस्तुएं |
9.8 |
4.9 |
1.3 |
7.4 |
6.1 |
ऑक्सीजन थेरेपी उपकरण एवं पल्स ऑक्सीमीटर |
5.6 |
2.5 |
0 |
3.6 |
3.1 |
सुरक्षात्मक वस्त्र एवं समान उत्पाद |
13.3 |
7 |
4.4 |
14.1 |
11 |
व्हीलचेयर एवं मोबाइल क्लीनिक वाहन |
10.0 |
6.8 |
0 |
3.2 |
2.9 |
सभी कोविड-19 वस्तुएं |
15.2 |
6.3 |
1.8 |
9.3 |
7.3 |
वैक्सीन उत्पादन, वितरण और प्रशासन के लिए आवश्यक विभिन्न इनपुट* |
9.3 |
6.6 |
1.3 |
7.5 |
6.2 |
मानक उपयोग हेतु वैक्सीन (HS300220)** |
10 |
3 |
0 |
1.1 |
0.86 |
स्रोत: साधारण औसत सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) शुल्क दरें संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) के व्यापार विश्लेषण सूचना प्रणाली (ट्रेन्स) से हैं।
नोट: (i) *HS छह-अंक स्तरीय वर्गीकरण के अनुसार वैक्सीन इनपुट की सूची ओईसीडी (2021) से ली गई है। (ii) **HS300220 में मानव उपयोग के लिए संभावित सभी टीके शामिल हैं।
समापन टिप्पणी
अप्रैल 2021 में, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चरम पर, सरकार ने अंततः ऑक्सीजन, कोविड-19 टीकों और ऑक्सीजन से संबंधित उपकरणों के आयात पर मूल सीमा शुल्क को हटाने का फैसला किया। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है, हालांकि अन्य कोविड-19 उत्पादों और वैक्सीन संसाधन की श्रृंखला के लिए शुल्क पर छूट प्रदान करके इस पर और अधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है। यहां तक कि कठिन समय के दौरान भी अपनी गलत संरक्षणवादी नीति को त्यागने के प्रति सरकार की उदासीनता पेचीदगी भरी है क्योंकि शुल्क पर छूट की घोषणा केवल तीन महीने की अवधि के लिए की गई है। जब भारत के नागरिक सांस के लिए भी हांफ रहे हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ऑक्सीजन की आपूर्ति या उन्हें प्रदान किए जाने वाले वेंटिलेटर पर "मेड इन इंडिया" का लोगो है या नहीं।
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लेखक परिचय: अन्वेषा बसु इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान, मुंबई में एक पीएच.डी. छात्र है । सी. वीरामणि इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान, मुंबई में प्रोफेसर हैं।
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