क्या सामाजिक सहायता के लिए वस्तु-रूप में दिया जाने वाला हस्तांतरण उपभोक्ता की पसंद को सीमित करके ‘डेडवेट लॉस’ की ओर ले जाता है? इस लेख में महाराष्ट्र में हुए एक प्रयोग से प्राप्त निष्कर्षों को प्रस्तुत किया गया है जिसमें कम आय वाले उत्तरदाताओं को चावल की मुफ्त मात्रा और नकदी की अलग-अलग मात्रा के बीच विकल्प की पेशकश की गई, ताकि चावल के लिए उनकी भुगतान करने की इच्छा का पता लगाया जा सके। इसमें पाया गया कि परिवार में अधिक मोल-भाव करने की क्षमता वाली महिलाएं चावल की अपेक्षा नकदी को ज़्यादा तरजीह देती हैं।
मानक आर्थिक सिद्धांत समान मूल्यों के वस्तु-रूपी हस्तांतरण के बजाय नकद का पक्षधर है क्योंकि इससे उपभोक्ता की पसंद को सीमित करने से जुड़ी अक्षमता से बचा जा सकता है, जिन्हें अक्सर ‘डेडवेट लॉस’ के रूप में जाना जाता है। फिर भी दुनिया भर में सामाजिक कार्यक्रमों में मुफ्त या सब्सिडी वाले भोजन का प्रावधान जैसे वस्तु-रूपी हस्तांतरण व्यापक रूप से जारी है (एल्डरमैन, जेंटिलिनी और येमत्सोव 2017)। कई देशों में नकद या वस्तु-रूपी हस्तांतरण को प्राथमिकता देने के बारे में बहस, विशेष रूप से सामाजिक सहायता नीतियों में महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देती है। भारत में यह मुद्दा 80 करोड़ से अधिक लोगों को सब्सिडी वाला भोजन उपलब्ध कराए जाने वाली देश की बड़े पैमाने पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के इर्द-गिर्द नीतिगत बहसों का केन्द्र रहा है (खेरा और सोमांची 2020)। सार्वजनिक वितरण प्रणाली की भ्रष्टाचार और सब्सिडी वाले उत्पाद के एक बड़े हिस्से के 'लीकेज' के कारण आलोचना की जाती रही है, जिसे अवैध रूप से खुले बाज़ार में भेज दिया जाता है। जिसके कारण आलोचक बेकार के वस्तु हस्तांतरण के स्थान पर नकद हस्तांतरण की मांग करते रहे हैं। दूसरी ओर, सर्वेक्षण के आँकड़ों से कभी-कभी पता चलता है कि जब परिवारों को नकद हस्तांतरण के बराबर विकल्प दिया जाता है तो वे भोजन को प्राथमिकता देते हैं (खेरा 2014)।
हालांकि इस मुद्दे पर 'प्रोत्साहित' प्रयोगात्मक साक्ष्य की कमी रही है। हमारा नया शोध एक क्षेत्र प्रयोग करके इस अंतर का पता लागता है जिसमें उत्तरदाताओं को चावल की एक निश्चित मात्रा और नकदी की वैकल्पिक मात्रा के बीच एक वास्तविक विकल्प दिया गया (एबिन्क एवं अन्य 2024)। इस प्रयोग में उत्तरदाताओं को चावल के लिए अपनी इच्छा, अपना इच्छित मूल्य (विलिंगनेस टु पे- डब्ल्यूटीपी) प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल था। चावल के बाज़ार मूल्य के साथ डब्ल्यूटीपी की तुलना तब वस्तु-रूपी हस्तांतरण से जुड़ी हुई डेडवेट हानि (या लाभ) का माप प्रदान करती है।
प्रयोग
हमने अपना प्रयोग महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर की 10 झुग्गियों में यादृच्छिक रूप से चुने गए 250 परिवारों के उत्तरदाताओं के साथ किया। हमने मार्च, मई और अगस्त 2019 में प्रयोग के तीन दौर आयोजित किए। हमारे उत्तरदाताओं को प्रत्येक परिवार में खाद्य खरीद के लिए जिम्मेदार वयस्क सदस्य के रूप में लक्षित किया गया था, जिसमें (आश्चर्यजनक रूप से) अधिकांश महिलाएं थीं, जो हमारे नमूने का 90% हिस्सा थीं। हमने प्रत्येक दौर में, उत्तरदाताओं को 5 किग्रा चावल (पीडीएस-तुलनीय गुणवत्ता का) और चावल के चल रहे बाज़ार मूल्य से नीचे और ऊपर दोनों तरह की नौ वैकल्पिक नकद राशियों के बीच चयन करने का विकल्प दिया। प्रयोग के समय, 5 किग्रा चावल का बाज़ार मूल्य 160 रुपये था और हमारे नकद प्रस्ताव 50 रुपये से 500 रुपये तक के थे। वस्तु के रूप में हस्तांतरण की 5 किलोग्राम मात्रा का चयन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि उत्तरदाताओं को एक अंतर-सीमांत विकल्प का सामना करना पड़े, क्योंकि इतने चावल की मात्रा उनकी औसत मासिक खपत के एक-तिहाई से भी कम है।
हमने अपने प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तरदाताओं को बताया कि हम नौ नकद राशियों में से प्रत्येक के लिए उनकी पसंद, चावल या नकदी, को दर्ज करेंगे। इसके बाद, वे नौ पर्चियों वाले एक बैग से यादृच्छिक रूप से एक पर्ची निकालेंगे, जिनमें से प्रत्येक पर नौ विकल्पों में से एक से जुड़ी नकद राशि लिखी होगी। प्रयोग के अंत में उत्तरदाताओं को उनकी पूर्व दर्ज वरीयता के अनुसार नकदी या चावल दिया जाएगा, जो कि उनके यादृच्छिक रूप से निकाली गई नकदी राशि के बदले में होगा।
चूंकि उत्तरदाताओं को 5 किलोग्राम चावल के बदले बढ़ती हुई नकद राशि की पेशकश की गई, इसलिए नकद विकल्प अधिक आकर्षक हो जाता है। हमारे प्रयोग का उद्देश्य उस स्विच पॉइंट की पहचान करना था जहाँ प्रत्येक उत्तरदाता के लिए चावल की तुलना में नकद विकल्प बेहतर हो जाता है। यह स्विच पॉइंट 5 किलो चावल के लिए उत्तरदाता के डब्ल्यूटीपी का माप प्रदान करता है। चावल के बाज़ार मूल्य और डब्ल्यूटीपी के बीच का अंतर तब डेडवेट लॉस (डीडब्ल्यूएल) का माप प्रदान करता है। यदि यह अंतर नकारात्मक है तो उत्तरदाता को डेडवेट गेन (डीडब्ल्यूजी) का अनुभव होगा।
शोध परिणाम
यह देखते हुए कि हमारे नमूने के 90% उत्तरदाता महिलाएं थीं, हमारे परिणाम उत्तरदाता की लैंगिक स्थिति (स्त्री अथवा पुरुष) के भ्रामक प्रभावों से बचने के लिए महिला उत्तरदाताओं वाले उप-नमूने पर केन्द्रित होते हैं। हालांकि प्रमुख निष्कर्ष पूरे नमूने के लिए भी सामान्यीकृत हैं।
आकृति-1 में तीनों दौरों में प्रत्येक नकद प्रस्ताव के लिए उत्तरदाताओं की पसंद का वितरण प्रस्तुत किया गया है। जैसा कि अपेक्षित था, अधिक नकदी राशि होने पर, अधिकतर परिवार चावल के स्थान पर नकदी को प्राथमिकता देते हैं, जिनमें 50 रुपये की न्यूनतम राशि की पेशकश किए जाने पर 32% परिवार नकदी चुनते हैं, तथा 500 रुपये की अधिकतम राशि की पेशकश किए जाने पर 85% परिवार नकदी चुनते हैं। यही पैटर्न तीनों दौरों में दिखता है।
आकृति-1. प्रत्येक नकद प्रस्ताव के बदले नकद चुनने वाले उत्तरदाताओं का हिस्सा, विभिन्न दौरों में एकत्रित
हम उत्तरदाताओं द्वारा चुने गए विकल्पों के आधार पर, तीन प्रकारों में अंतर कर सकते हैं- पहला, 'सिंगल-स्विच उत्तरदाता' वे हैं जिन्होंने अधिक नकद राशि की पेशकश किए जाने पर चावल से नकदी में एकल स्विच किया ; दूसरा, 'केवल चावल उत्तरदाता' वे हैं जिन्होंने सभी नौ नकद प्रस्तावों के लिए चावल को चुना और तीसरा, 'केवल नकद उत्तरदाता' वे हैं जिन्होंने हमेशा नकद को चुना।
तालिका-1 में उत्तरदाताओं के प्रकार के अनुसार डब्ल्यूटीपी और डीडब्ल्यूएल के अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं। उत्तरदाताओं में, हम सकारात्मक और नकारात्मक डीडब्ल्यूएल का संयोजन पाते हैं। संरचना के अनुसार, केवल नकद लेने वाले उत्तरदाताओं के सन्दर्भ में डीडब्ल्यूएल सकारात्मक है और केवल चावल लेने वाले उत्तरदाताओं के बारे में नकारात्मक है। एक और अधिक चौंकाने वाला परिणाम यह है कि एकल-स्विच उत्तरदाताओं के सन्दर्भ में औसत डीडब्ल्यूएल भी नकारात्मक है, जिसका अनुमान 171 रुपये है। साथ ही हमारे पूरे नमूने के लिए, औसत डीडब्ल्यूएल नकारात्मक है (यानी, कुल मिलाकर डीडब्ल्यूजी), जिसका अनुमानित बिंदु 192 रुपये है जो चावल के बाज़ार मूल्य के 12% के बराबर है।
तालिका-1. उत्तरदाता के प्रकार के अनुसार भुगतान करने की इच्छा और डेडवेट हानि का वितरण
उत्तरदाता का प्रकार |
मामलों की संख्या |
मामलों का प्रतिशत |
डब्ल्यूटीपी*** |
डीडब्ल्यूएल*** |
(रुपये) |
(रुपये) |
|||
केवल नकद |
208 |
32.7 |
25 |
135 |
एकल स्विच |
341 |
53.5 |
177 |
-17 |
केवल चावल |
88 |
13.8 |
550 |
-390 |
सभी |
637 |
100 |
179 |
-19 |
टिप्पणियाँ : (i) हम किसी उत्तरदाता के सन्दर्भ में चावल के लिए डब्ल्यूटीपी को नकद विकल्प अंतराल के मध्य बिंदु के रूप में परिभाषित करते हैं, जिस पर उत्तरदाता ने चावल से नकद में स्विच किया। (ii) उत्तरदाता i के लिए डीडब्ल्यूएल को डीडब्ल्यूएल1 = 160 - डब्ल्यूटीपी2 के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ 160 रु. 5 किग्रा चावल का बाज़ार मूल्य है। (iii) इसमें एक से अधिक बार स्विच करने वाले उत्तरदाता शामिल नहीं हैं। (iv) केवल चावल लेने वाले उत्तरदाता के सन्दर्भ में, हम डब्ल्यूटीपी को 550 रु. मानते हैं। (v) केवल नकद लेने वाले उत्तरदाता के बारे में, हम डब्ल्यूटीपी को 25 रु. मानते हैं। (vi) *** डब्ल्यूटीपी और डीडब्ल्यूएल के सभी मान 1% के स्तर पर महत्वपूर्ण हैं।
डेडवेट गेन की पहेली : अंतर-पारिवारिक मोल-भाव (सौदेबाज़ी)
हमारे नमूने में डीडब्ल्यूजी का प्रचलन व्यापक है और सभी मामलों में लगभग 45% मामलों में देखा गया है। प्रथम दृष्टि में, यह परिणाम हैरान करने वाला प्रतीत होता है। प्रयोग का डिज़ाइन डीडब्ल्यूजी के लिए सम्भावित स्पष्टीकरण के रूप में लेन-देन की लागत और गुणवत्ता के अंतर को खारिज करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नकदी और चावल दोनों को एक ही स्थानीय किराना दुकान पर एक ही प्रक्रिया द्वारा भुनाया जाता है, तथा दिए गए चावल की गुणवत्ता पीडीएस चावल के बराबर थी। नकद विकल्प में भरोसे की कमी की सम्भावना से भी इनकार किया जा सकता है। प्रयोग से पहले एक पायलट प्रयोग किया गया था जिसे सफलतापूर्वक लागू किया गया था। इसके अलावा, किसी भी उत्तरदाता ने स्थानीय दुकान पर नकदी या चावल के वाउचर को भुनाने में किसी भी प्रकार की चिंता या कठिनाई की बात नहीं कही।
हालांकि, जिस पहलू को नकारा नहीं जा सकता वह है नकदी या चावल के बीच उत्तरदाताओं के विकल्प को आकार देने में अंतर-परिवारिक सौदेबाज़ी की भूमिका। सर्वेक्षण-आधारित और गुणात्मक साक्ष्य, वस्तु या नकद हस्तांतरण के विकल्प को प्रभावित करने में अंतर-परिवारिक असमानता और लिंग की सम्भावित भूमिका की ओर इशारा करते हैं (खेरा 2011, 2014, घटक, कुमार और मित्रा 2016)। यदि महिलाओं को घरेलू खाद्य बजट के लिए एक निश्चित भत्ता दिया जाता है तो मुफ्त या सब्सिडी वाले चावल का प्रावधान उनके बजट को नकद हस्तांतरण की तुलना में अधिक बढ़ा सकता है, जिसे उन्हें पुरुषों के साथ साझा करना होगा। फिर भी यह विचार उन महिलाओं के सन्दर्भ में कम प्रासंगिक होने की सम्भावना है, जिनके पास घर में अधिक सौदेबाज़ी की शक्ति है। यह हमें पुरुष-प्रधान परिवारों की महिला उत्तरदाताओं की तुलना, महिला-प्रधान परिवारों की महिला उत्तरदाताओं से करने के लिए प्रेरित करता है जहाँ उनकी सौदेबाज़ी की शक्ति अधिक होती है।
इस तुलना से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आता है- महिला-प्रधान परिवारों3 में महिला उत्तरदाताओं का चावल के लिए डब्ल्यूटीपी पुरुष-प्रधान परिवारों की तुलना में काफी कम है (151 रुपये बनाम 190 रुपये)। परिणामस्वरूप, हम महिला-प्रधान परिवारों की महिलाओं के सन्दर्भ में औसतन 9 रुपये (चावल के बाज़ार मूल्य का 5%) के डीडब्ल्यूजी के विपरीत, पुरुष-प्रधान परिवारों की महिलाओं के बारे में 30 रुपये (चावल के बाज़ार मूल्य का 19%) का डीडब्ल्यूजी देखते हैं (आकृति-2)। डब्ल्यूटीपी और डेडवेट लॉस में पुरुष और महिला प्रधान परिवारों के बीच ये अंतर सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण हैं।
आकृति-2. पुरुष और महिला प्रधान परिवारों के उत्तरदाताओं के सन्दर्भ में डेडवेट लॉस (रु.)
नकद राशि चुनने की सम्भावना, नकद राशि की मात्रा और महिला-प्रमुखता दोनों के आधार पर भिन्न होती है। आकृति-3 का दाहिना पैनल दर्शाता है कि पुरुष और महिला दोनों ही प्रकार के परिवारों के लिए नकदी राशि चुनने की सम्भावना बढ़ रही है, लेकिन प्रत्येक नकद विकल्प4 पर महिला-प्रधान परिवारों के लिए यह सम्भावना व्यवस्थित रूप से अधिक है। सांख्यिकीय महत्व की जांच करने पर, हम पाते हैं कि महिला-प्रधान परिवारों के सन्दर्भ में सीमांत प्रभाव 200 रुपये की नकद राशि तक काफी अधिक रहता है, हालांकि इसके बाद ऐसा नहीं होता है।
आकृति-3. पुरुष और महिला प्रधान परिवारों के उत्तरदाताओं के सन्दर्भ में नकद चुनने की सम्भावना पर नकद राशि का सीमांत प्रभाव
इस प्रकार हमारे मुख्य परिणाम यह संकेत देते हैं कि पुरुष-प्रधान परिवारों की महिलाएं (उनकी कम सौदेबाज़ी शक्ति के कारण) महिला-प्रधान परिवारों की महिलाओं की तुलना में चावल चुनने की अधिक सम्भावना रखती हैं, बशर्ते चावल के बाज़ार मूल्य और नकद प्रस्ताव के बीच का अंतर बहुत बड़ा न हो। जब सौदेबाज़ी की क्षमता कम होती है, तो महिलाएं पारिवारिक बजट में अपना हिस्सा बचाने की रणनीति के तहत नकदी की एक निश्चित राशि छोड़ने को तैयार हो जाती हैं। यह हमारे प्रयोग में देखे गए समग्र डीडब्ल्यूजी का आधार है।
हम इस परिणाम के पीछे निहित अनेक वैकल्पिक तंत्रों पर भी गौर करते हैं, जिनमें सीखने, परिवार के भीतर पुनः बातचीत करने तथा प्रतिबद्धता के साधन के रूप में चावल के उपयोग से संबंधित तंत्र शामिल हैं। हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि (i) पुरुष/महिला-मुखिया द्वारा उत्तरदाताओं के सन्दर्भ में विभेदक दरें हमारे सेटिंग के लिए अनुभवजन्य रूप से उतनी अच्छी नहीं हैं, (ii) जबकि प्रयोग के तीन दौरों में अंतर-परिवार पुनर्वार्ता के साक्ष्य हैं, यह पुनर्वार्ता पुरुष-प्रधान परिवारों की महिलाओं के लिए होती है, जो हमारी सौदेबाज़ी शक्ति-आधारित व्याख्या के अनुरूप है और (iii) जबकि पुरुष और महिला-प्रधान दोनों परिवारों की महिलाएं प्रतिबद्धता साधन के रूप में चावल का उपयोग करने की रिपोर्ट करती हैं, पुरुष-प्रधान परिवारों के बीच दर्ज की गई उच्च दर भी महिलाओं की कम सौदेबाज़ी शक्ति को प्रतिबद्धता साधन की उनकी अधिक आवश्यकता के पीछे निहित कारण के रूप में इंगित करती है।
निष्कर्ष
हमारे शोध का एक मुख्य निष्कर्ष यह है कि वस्तु-रूप में हस्तांतरण के साथ डीडब्ल्यूजी या डीडब्ल्यूएल जुड़ा है या नहीं, यह परिवार के भीतर सौदेबाज़ी की शक्ति के संतुलन पर निर्भर करता है। हम महिला-प्रधान परिवारों की महिला उत्तरदाताओं में डीडब्ल्यूएल पाते हैं और पुरुष-प्रधान परिवारों में डीडब्ल्यूजी पाते हैं। यह देखते हुए कि अधिकांश घर पुरुष-प्रधान हैं, डीडब्ल्यूजी कुल मिलाकर हावी है।
अधिकांश कल्याण कार्यक्रम या तो केवल नकद या केवल वस्तु-रूप में हस्तांतरण के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। वस्तु-रूप में हस्तांतरण से जुड़े डीडब्ल्यूजी का अस्तित्व, जैसा कि हमारे प्रयोग में है, जरूरी नहीं है कि वस्तु-रूप में हस्तांतरण पसंदीदा नीति विकल्प होना चाहिए। बल्कि, हमारे अध्ययन की एक प्रमुख नीति अंतर्दृष्टि यह है कि उत्तरदाताओं को नकद या वस्तु के बीच विकल्प देने का मामला है। इस तरह के विकल्प की पेशकश उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है जिनकी सौदेबाज़ी की शक्ति कम है, ताकि वे सीमित समय के लिए ही सही, पारिवारिक बजट पर नियंत्रण बनाए रख सकें। नकद या वस्तु के बीच विकल्प के माध्यम से उपलब्ध सभी सम्भावित लाभ पारिवारिक बजट पर फिर से बातचीत करके नियंत्रण के साथ भी समाप्त नहीं हो सकते हैं।
टिप्पणियाँ :
- शून्य से सांख्यिकीय रूप से भिन्न, जिसका p-मान 0.0001 है। p-मान शून्य (बनाए रखा) परिकल्पना को अस्वीकार करने की सम्भावना है। उदाहरण के लिए, 0.05 का p-मान शून्य को अस्वीकार करने की 5% सम्भावना को दर्शाता है।
- p-मान 0.007 है।
- हमारे नमूने में, 29% परिवार महिला-प्रधान (परिवार की मुखिया महिला) हैं।
- ये नकद राशि के साथ महिला-प्रधानता पर नकदी (चावल के बजाय) चुनने के प्रतिगमन से सीमांत प्रभावों के अनुमान हैं, जो पेश की गई नकद राशि के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जबकि झुग्गी और गोल स्थिर प्रभावों और कई उत्तरदाता/घरेलू-स्तर की विशेषताओं को नियंत्रित किया गया है।
अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।
लेखक परिचय : क्लॉस एबिंक मोनाश बिज़नेस स्कूल में प्रोफेसर थे, जहाँ वे प्रायोगिक अर्थशास्त्र के लिए मोनाश प्रयोगशाला के निदेशक भी थे। गौरव दत्त मोनाश विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और विकास अर्थशास्त्र और स्थिरता केन्द्र के उप निदेशक हैं। लता गंगाधरन भी मोनाश विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं। वह एक प्रयोगात्मक अर्थशास्त्री हैं, जिनकी शोध रुचि पर्यावरण और विकास के लिए उपयुक्त संस्थानों को समझने और डिज़ाइन करने में है। दिग्विजय एस नेगी अशोका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। भरत रामास्वामी भी अशोका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और इससे पहले वे भारतीय सांख्यिकी संस्थान दिल्ली में रहे हैं और कनाडा, जापान, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका के विश्वविद्यालयों में विभिन्न पदों पर काम किया है।
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