सामाजिक पहचान

शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: क्या कामकाजी महिलाएं अधिक स्वायत्तता अनुभव करती हैं?

  • Blog Post Date 17 दिसंबर, 2021
  • लेख
  • Print Page
Author Image

Megan Maxwell

University of Chicago

msmaxwell89@gmail.com

Author Image

Milan Vaishnav

Carnegie Endowment for International Peace

mvaishnav@ceip.org

भारत में महिलाओं की कार्य में सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी होता है। यह लेख, उत्तर भारत के चार शहरी समूहों में किये गए एक घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर, महिलाओं की कामकाजी स्थिति और पारिवारिक निर्णय के बारे में उनके स्वायत्तता के बीच एक मजबूत संबंध पाता है, जो भारत में महिलाओं और कामकाज के बीच की कड़ी के बारे में हमारी समझ में एक और आयाम जोड़ता है। तथापि, इस मजबूत संबंध का आधार स्थान, कार्य की श्रेणियां, निर्णय डोमेन तथा निर्णय के प्रकारों के अनुसार असमान एवं आकस्मिक है।

यह लेख 'शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन' पर आधारित पांच-भाग की श्रृंखला में से दूसरा है।

भारत में, महिलाओं के कार्य-बल में भाग लेने की संभावना पुरुषों की तुलना में तीन गुना कम है (फ्लेचर और अन्य 2017)। अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी बड़े पैमाने पर होता है। उदाहरण के लिए, शोध में पाया गया है कि आर्थिक सशक्तिकरण महिलाओं द्वारा अनुभव की जाने वाली स्वायत्तता में काफी वृद्धि कर सकता है (डुफ्लो 2012)। तथापि, कई अध्ययनों से पता चलता है कि काम और स्वायत्तता के बीच के संबंधों में विषमता है और इसमें कई अवरोध हैं (चांग एवं अन्य 2020, डोनाल्ड एवं अन्य 2017)।

एक नए अध्ययन (मैक्सवेल और वैष्णव 2021) में, हम महिलाओं की पारिवारिक निर्णयों में सार्थक रूप से भाग लेने की क्षमता और श्रम-बल में उनकी भागीदारी के बीच के संबंध की जांच करते हैं। हमारा निष्कर्ष उत्तर भारत के चार शहरी समूहों: धनबाद (झारखंड), इंदौर (मध्य प्रदेश), पटना (बिहार) और वाराणसी (उत्तर प्रदेश)1 में रहने वाले 15,000 परिवारों के बेतरतीब ढंग से लिए गए नमूने के किये गए एक अद्वितीय सर्वेक्षण पर आधारित है।

पारिवारिक निर्णय लेना

महिलाओ द्वारा अनुभव की जाने वाली स्वायत्तता को असंख्य तरीकों से मापा जा सकता है, इसमें से एक सामान्य दृष्टिकोण रोजमर्रा के पारिवारिक मामलों में महिलाओं के प्रभाव को दर्ज करना है। सीमित घरेलू संसाधनों और परिवार के सदस्यों की प्राथमिकताओं में भिन्नता का सामना करते हुए, पारिवारिक निर्णय लेने तथा संसाधनों का उपयोग-निर्धारण करने में राय देने की उस महिला की क्षमता, उसके द्वारा अनुभव की जाने वाली व्यक्तिगत स्वायत्तता का एक उचित प्रतिनिधि है।

हमारे सर्वेक्षण में एक ही परिवार के पुरुषों और महिलाओं से परिवार के भीतर के तीन निर्णय डोमेन के बारे में पूछा जाता है- खाना बनाने, बच्चों की शिक्षा और महंगे घरेलू उपकरणों की खरीद। सर्वेक्षण में, इन तीन डोमेन में से प्रत्येक के भीतर, तीन प्रकार के निर्णयों के बारे में पूछा जाता है: (क) इस डोमेन में कौन निर्णय लेता है?; (ख) सबसे अधिक राय किसकी होती है? और (ग) संबंधित मामले से जुड़े वित्तीय पक्ष पर सबसे ज्यादा राय किसकी होती है? हमारा विश्लेषण इन सवालों के बारे में महिलाओं की प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है।

हम पाते हैं कि सभी निर्णय डोमेन में निर्णय लेने वाले कर्त्तव्य में महत्वपूर्ण भिन्नता है (तालिका 1)। जब खाना बनाने की बात आती है तो इसमें महिलाएं अपने स्वायत्तता के उच्च स्तर को सूचित करती हैं- 56% महिलाएं सूचित करती हैं कि रोज क्या बनाया जाए इसका फैसला वे खुद करती हैं, और 41% महिलाएं सूचित करती हैं इसमें सबसे अधिक राय उनकी होती है। इस संख्या में उनके बच्चों की शिक्षा पर निर्णय लेने के संदर्भ में महत्वपूर्ण रूप से गिरावट आती है (20% महिलाएं निर्णय लेती हैं, और 22% की राय सबसे अधिक होती है), और महंगी घरेलू खरीदारी के संदर्भ में इसमें और भी गिरावट आती है (केवल 6% महिलाएं निर्णय लेती हैं, और 8% की राय सबसे अधिक होती है)।

तालिका 1. शहर, निर्णय डोमेन और निर्णय प्रकार के अनुसार महिलाओं का निर्णय लेना

कुल (%)

धनबाद (%)

इंदौर (%)

पटना (%)

वाराणसी (%)

खाना बनाना

निर्णय लेती है

56

51

57

58

57

राय सबसे अधिक

41

38

41

47

41

बजट

21

12

24

22

25

बच्चों की शिक्षा

निर्णय लेती है

20

18

19

26

19

राय सबसे अधिक

22

28

17

27

17

बजट

16

11

15

17

15

उपकरण

निर्णय लेती है

6

6

5

6

5

राय सबसे अधिक

8

16

4

9

4

बजट

6

6

6

7

6

दूसरा, निर्णय के प्रकारों में व्यवस्थित भिन्नता है- प्रत्येक डोमेन में, जब बजटीय मुद्दों की बात आती है तो महिलाएं कम से कम स्वायत्तता के बारे में सूचित करती हैं। सिर्फ 21% महिलाएं सूचित करती हैं कि परिवार के लिए खाना बनाने हेतु कितना पैसा खर्च किया जाना है- यह रोजाना खाना क्या बनाया जाए इस बारे में उनके नियंत्रण के संदर्भ में काफी अंतर दर्शाता है। यही पैटर्न उनके बच्चों के स्कूल संबंधी खर्च के बारे में निर्णय के संदर्भ में दिखाई देता है। उपकरण खरीद के संदर्भ में, सभी तीन निर्णय प्रकारों में स्वायत्तता का समग्र स्तर स्पष्ट रूप से निम्नतर है।

कार्य भागीदारी के निम्न स्तर

चूँकि सभी प्रकार के कार्य एक-समान नहीं होते हैं अतः हम कार्य श्रेणियों में भिन्नता का पता लगाने के लिए एक विस्तृत रोजगार मॉड्यूल का उपयोग करते हैं। काम को परिभाषित करने के संदर्भ में, हमारे सर्वेक्षण में महिलाओं से पूछा जाता है कि क्या उन्होंने पिछले एक साल में: (क) वेतन के लिए काम किया है या सामान के लिए (गैर-पारिवारिक काम); (ख) परिवार के किसी भी गैर-कृषि व्यवसाय (पारिवारिक गैर-कृषि कार्य) में काम किया; (ग) परिवार के स्वामित्व वाली या खेती की कृषि भूमि पर काम किया (पारिवारिक कृषि कार्य); या (घ) उपरोक्त में से किसी में काम किया।

हमारी नमूना रिपोर्ट में शामिल पच्चीस प्रतिशत महिलाएं पिछले एक साल में किसी न किसी प्रकार के काम में लगी हुई थीं। हमारी त्रि-आयामी परिभाषा के अनुसार, इंदौर और वाराणसी दोनों में, लगभग 28% उत्तरदाताओं को कामकाजी के रूप में वर्गीकृत किया गया। पटना में यह हिस्सा 25% है, जबकि धनबाद में केवल 17% महिलाओं ने काम किया, जो हमारे अध्ययन के क्षेत्र में सबसे कम अनुपात है। शहरों में, 9% महिलाएं वेतन या सामान के लिए काम करने के बारे में सूचित करती हैं, 3% गैर-कृषि व्यवसाय पर काम करने की के बारे में सूचित करती हैं, और 14% कृषि कार्य में संलग्न होने के बारे में सूचित करती हैं।

क्या काम और महिलाओं की स्वायत्तता साथ-साथ चलते हैं?

हमारा डेटा दर्शाता है कि समूचे बोर्ड (तालिका 2) में कामकाजी महिलाओं के लिए एक विशिष्ट स्वायत्तता लाभ है। इस लाभ की मात्रा खाना बनाने में सबसे अधिक स्पष्ट है– यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें महिलाओं की पहले से ही सबसे अधिक प्रभाव वाली पहचान होने की संभावना है- लेकिन अन्य दो डोमेन में यह पहचान अपेक्षाकृत अव्यक्त है। उदाहरण के लिए, कामकाजी महिलाओं के खाना बनाने के बारे में निर्णय लेने की संभावना 12% अधिक है, लेकिन उपकरण खरीद के बारे में निर्णय लेने की इनकी संभावना केवल 3% अधिक है। कामकाजी महिलाओं को जिस स्वायत्तता का लाभ मिलता है, वह तुलनात्मक रूप से, खाना बनाने के काम में सबसे बड़ा है, इस मामले में कि सबसे अधिक राय किसकी है और खाना बनाने से संबंधित वित्त का निर्धारण कौन करता है। महंगे उपकरण खरीद के मामले में महिलाओं को सीमित स्वायत्तता लाभ मिलता है जो हम सभी डोमेन में बजट प्रश्नों में देखते हैं। महिलाओं की काम की स्थिति चाहे जो भी हो, पारिवारिक खर्च के मामलों में उनकी निर्णयात्मक राय की संभावना कम से कम ही होती है।

तालिका 2. निर्णय डोमेन और निर्णय प्रकार के अनुसार कार्य और निर्णयात्मक स्वायत्तता

प्रतिशत, कामकाजी नहीं हैं और निर्णय लेती हैं

प्रतिशत, कामकाजी हैं और निर्णय लेती हैं

खाना बनाना

निर्णय लेती हैं

53

65

सबसे अधिक राय

39

48

बजट

18

30

बच्चों की शिक्षा

निर्णय लेती हैं

19

24

सबसे अधिक राय

22

24

बजट

13

19

उपकरण

निर्णय लेती हैं

5

8

सबसे अधिक राय

8

10

बजट

5

10

कार्य प्रकार में भिन्नता

काम की हमारी चार परिभाषाओं में से प्रत्येक के लिए, हम तीनों डोमेन में अपने चार शहरों में से प्रत्येक के लिए महिलाओं के कार्य लाभ को देखते हैं। ये विशिष्टताएं 48 संभावनाएं निर्माण करती हैं, उनमें से 42 में कामकाजी महिलाओं को अर्जित कर्त्तव्य लाभ सकारात्मक है (तालिका 3)। कृषि मजदूर स्वायत्तता में सबसे कमजोर सकारात्मक रिटर्न दर्शाते हैं। आश्चर्य की बात नहीं है, जो महिलाएं वेतन और भुगतान के लिए काम करती हैं (संभवतः, इसमें घर से बाहर काम करने वाली कई महिलाएं शामिल हैं) को सबसे बड़ा स्वायत्तता लाभ होता है। यह अंतर इस धारणा को बल देता है कि घर से बाहर काम करने वाली महिलाओं को सबसे अधिक स्वायत्तता लाभ मिलता है।

तालिका 3. शहर और कार्य की श्रेणी के अनुसार कार्य लाभ

धनबाद (%)

इंदौर (%)

पटना (%)

वाराणसी (%)

कोई भी कार्य

खाना बनाना

6

9

20

9

बच्चों की शिक्षा

7

0

12

0

उपकरण

2

4

6

4

गैर-पारिवारिक कार्य

खाना बनाना

7

9

17

9

बच्चों की शिक्षा

1

6

9

6

उपकरण

6

7

7

7

परिवार का गैर-कृषि कार्य

खाना बनाना

5

11

17

11

बच्चों की शिक्षा

6

2

10

2

उपकरण

-2

4

3

4

परिवार का कृषि कार्य

खाना बनाना

5

5

19

5

बच्चों की शिक्षा

3

-4

10

-4

उपकरण

-2

1

3

1

व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर के चरों के साथ किये गए बहुभिन्नरूपी विश्लेषण, हमारे मुख्य निष्कर्षों की पुष्टि करते हैं। कर्त्तव्य के बड़े स्तर के साथ काम महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। तथापि, काम का प्रकार स्पष्ट रूप से मायने रखता है– परिवार के बाहर का काम कर्त्तव्य में वृद्धि के साथ सबसे अधिक जुड़ा हुआ है, जबकि कृषि श्रम से सबसे कम कर्त्तव्य का लाभ दिलाता है।

एक पारिवारिक स्तर का चर जो विशेष रूप से उल्लेखनीय है, वह परिवार में महिला की स्थिति है। हमारे विश्लेषणों में, परिवार के मुखिया की पत्नियां सबसे मजबूत स्थिति में उभरती हैं, वे तीनों श्रेणियों में स्वायत्तता के उच्च स्तर को दर्शाती हैं। दूसरी ओर, बहुओं को सबसे कम स्वायत्तता (खाना पकाने और पारिवारिक खरीदारी के लिए) का लाभ मिलता है। सभी डोमेन में माताओं और बेटियों के स्वायत्तता के बीच कोई सांख्यिकीय अंतर नहीं है।

समापन विचार

हमारे विश्लेषण का डिजाइन ऐसा है की इसके जरिये महिला आर्थिक सशक्तिकरण और घर के अंदर महिला स्वायत्तता के बीच एक कारण संबंध स्थापित नहीं हो सकता। हालांकि, हम श्रम-बल और पारिवारिक निर्णय लेने संबंधी कर्त्तव्य में महिलाओं की भागीदारी के बीच एक मजबूत संबंध पाते हैं। तथापि, इस मजबूत संबंध का आधार स्थान, कार्य की श्रेणियां, निर्णय डोमेन तथा निर्णय के प्रकारों के अनुसार असमान एवं आकस्मिक है।

दो तात्कालिक प्रश्न, जिन पर गहन अन्वेषण किया जाना चाहिए। पहला, रोजगार की स्थिति चाहे जो भी हो, परिवार के अन्य सदस्यों को प्रभावित करने वाले वित्तीय निर्णय लेने की एक महिला की क्षमता सीमित क्यों है? यह संभव है कि कामकाजी महिलाओं की परिवार के अंदर खर्च करने के मामलों पर अधिक निर्णयात्मक शक्ति का उपयोग करने की क्षमता उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण में धन का एक स्वतंत्र स्रोत रखने पर निर्भर हो (फील्ड एवं अन्य 2019)। दूसरे शब्दों में, शायद कामकाजी महिलाएं वित्तीय निर्णयों के संबंध में उच्च स्वायत्तता का आनंद तभी लेती हैं जब वे अपने स्वयं के काम से प्राप्त आय पर अधिक स्वतंत्रता से निर्णय ले सकती हों।

दूसरा, हमारे अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं के काम की स्थिति चाहे जो भी हो, निर्णय डोमेन में पारिवारिक बजट पर अंतिम निर्णय पुरुषों द्वारा लिए जाने की अधिक संभावना है। इसका तात्पर्य यह है कि महिलाओं की भुगतान-योग्य श्रम शक्ति की भागीदारी से सबसे मजबूत लाभ परिवार के भीतर महिलाओं के स्वतंत्र वित्तीय स्वायत्तता के बजाय परिवार की अधिक क्रय शक्ति में हो सकता है।

श्रृंखला के अगले भाग में महिलाओं की गतिशीलता और श्रम शक्ति भागीदारी पर चर्चा होगी।

क्या आपको हमारे पोस्ट पसंद आते हैं? नए पोस्टों की सूचना तुरंत प्राप्त करने के लिए हमारे टेलीग्राम (@I4I_Hindi) चैनल से जुड़ें। इसके अलावा हमारे मासिक समाचार पत्र की सदस्यता प्राप्त करने के लिए दायीं ओर दिए गए फॉर्म को भरें।

टिप्पणियाँ:

  1. यद्यपि हमारा अध्ययन शहरी समूहों के सर्वेक्षण डेटा पर आधारित है, हमारे नमूना डिजाइन के जरिये हम शहरी कोर के साथ-साथ आसपास के ग्रामीण और शहर से सटे क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की तुलना कर सकते हैं।

लेखक परिचय: मेगन मैक्सवेल युनिवर्सिटी औफ शिकागो, इलिनोइस के राजनीति विज्ञान विभाग में एक पीएच.डी. छात्र है। मिलन वैष्णव वाशिंगटन, डीसी में कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में दक्षिण एशिया कार्यक्रम के सीनियर फेलो और निदेशक हैं।

No comments yet
Join the conversation
Captcha Captcha Reload

Comments will be held for moderation. Your contact information will not be made public.

संबंधित विषयवस्तु

समाचार पत्र के लिये पंजीकरण करें