मानव विकास

भारत में स्वच्छ पेयजल तक पहुंच और महिलाओं की सुरक्षा

  • Blog Post Date 23 जून, 2023
  • लेख
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Md. Amzad Hossain

University of Arkansas

mh2vh@virginia.edu

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Sheetal Sekhri

University of Virginia

SSekhri@virginia.edu

सेखरी और हुसैन इस अध्ययन में,  भूजल की कमी के कारण महिलाओं के प्रति होने वाली यौन हिंसा में वृद्धि के संदर्भ में अनुभवजन्य साक्ष्य का पता लगाने के लिए जिला स्तर के आंकड़ों का उपयोग करते हैं। वे तर्क देते हैं कि जिन परिवारों को पीने का साफ पानी घरों में नहीं मिल पाता, उन परिवारों की महिलाओं को पानी लाने के लिए अक्सर घर से दूर जाना पड़ता है, जिससे वे यौन हिंसा के प्रति अधिक असुरक्षित हो जाती हैं। क्योंकि यह सिद्ध होता है कि पानी की कमी से महिलाओं के लिए यौन हिंसा का खतरा बढ़ता है,  यह शोध पानी के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए अधिक पूँजी निवेश की दलील प्रस्तुत करता है।

विकासशील दुनिया के अनेक स्थानों में परिवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी लाने की जिम्मेदारी घर की महिलाओं और बच्चों पर होती है (यूनिसेफ, 2016)। उदाहरण के लिए, सोमालिया में 71% परिवारों को पीने के साफ पानी की सुविधा नहीं मिलती है। इनमें से 66.4% परिवारों में महिलाएं पानी लाने का काम करती हैं (सोरेनसन एवं अन्य 2011)। इसी प्रकार से मलावी में 87.2%, और बांग्लादेश में 88.8% महिलाएं घर तक पानी ढ़ोने का काम करती हैं (सोरेनसन एवं अन्य 2011), जबकि भारत में यह प्रतिशत 64% है (आईएचडीएस डेटा का उपयोग करके लेखकों द्वारा की गई गणना)। यूनिसेफ के एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर की महिलाएं और लड़कियां सामूहिक रूप से रोजाना लगभग 20 करोड़ घंटे पानी लाने के काम में व्यतीत करती हैं (यूनिसेफ, 2016)। महिलाओं को पानी भरने के लिए अपने घर या गांव से दूर, पैदल जाना पड़ता है। यह महिलाओं द्वारा अपने घरों या सुरक्षित क्षेत्रों के बाहर बिताए जाने वाले समय और ख़तरे, दोनो को बढ़ाता है,  और इसी कारण उन्हें यौन हिंसा के प्रति अधिक असुरक्षित बनाता है।


(चित्र साभार : लेखक द्वारा खुद लिया गया)

इस लेख (सेखरी और हुसैन 2023) में हम दर्शाते हैं कि जब भूजल की पहुंच अपेक्षाकृत कम हो जाती है, तो पीने की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूजल पर निर्भर परिवारों की महिलाओं को पानी लाने के काम में अधिक समय व्यतीत करना पड़ता है। हमारा तर्क है कि सुरक्षित पेयजल तक पहुंच की कमी महिलाओं और लड़कियों को हिंसक यौन अपराधों के प्रति अधिक असुरक्षित बनाती है और बलात्कार जैसी घटनाओं को बढ़ाती है।

डेटा और कार्यप्रणाली

हम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से संबंधित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का उपयोग करते हैं, जिसमें प्रयुक्त जिला-स्तर के अपराध डेटा का आधार पुलिस प्राथमिकी यानी एफआईआर है। हम जिला-वर्ष स्तर पर 2002-2007 का एक पैनल बनाते हैं। पानी की कमी को मापने के लिए हम देश भर के अवलोकन कुओं ऑब्ज़र्वेशन वेल्ज़ से एकत्रित भूजल स्तर डेटा का उपयोग करते हैं।

प्रत्येक जिले के लिए  हम पहले वर्ष 1971 से 2001 तक के आंकड़ों का उपयोग करके एक दीर्घकालिक माध्य की गणना करते हैं। फिर हम वर्ष 2002 से 2007 तक, प्रत्येक वर्ष भूजल स्तर की गहराई में विचलन या डीविएशन को देखते हैं। इस विचलन का उपयोग पानी की आपूर्ति में होने वाले नकारात्मक या सकारात्मक झटके को मापने के लिए किया जाता है- यदि भूजल का स्तर लंबी अवधि के माध्य के सापेक्ष सतह के करीब जाता है, तो जिले को एक सकारात्मक झटका लगता है और जब यह गहराई में जाता है तो एक नकारात्मक झटके का अनुभव करता है। हम अपने आघात मापों को प्रत्येक वर्ष के बारिश के झटके के आधार पर (किसी जिले में वर्षा के दीर्घकालिक माध्य की गणना के उपयोग से), जिलों की कोई भी ऐसी विशेषता, जो समय के साथ नहीं बदलती लेकिन भूजल स्तर और महिला सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है (जैसे- भौगोलिक स्थिति के रूप में) के आधार पर, और सभी जिलों की उस वर्ष की विशिष्ट स्थितियाँ, जो पानी की गहराई और महिलाओं की सुरक्षा (जैसे राष्ट्रीय नीतियां) दोनों को प्रभावित कर सकती हैं, के आधार पर अनुकूलित करते हैं । हम जिलों की विशेषताओं का पता लगाने के लिए जिला-विशिष्ट समय के रुझानों को भी ध्यान में रखते हैं जो समय के साथ बदल सकते हैं और हमारे अनुमानों को पूर्वाग्रहित कर सकते हैं। इस के अलावा, हम कई अन्य मज़बूत परीक्षण जैसे जनसंख्या, लैंगिक अनुपात, तापमान जैसे जलवायु चर, विद्युतीकरण, गरीबी संबंधी माप, विनिर्देश के लिए पानी के झटकों में स्थानिक सह-संबंध आदि को ध्यान में रखते हुए, नियंत्रण या कंट्रोलिंग जैसे परीक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला आयोजित करते हैं।

हमारा निष्कर्ष

हम बलात्कार के संदर्भ में पानी की कमी (नकारात्मक झटके से मापा गया) का लगातार मजबूत प्रभाव पाते हैं (चित्र 1 देखें)।

आकृति-1. नकारात्मक जल आघातों का बलात्कार की घटनाओं पर प्रभाव

नोट : X-अक्ष पर संख्याएँ भूजल के दीर्घकालिक माध्य से विचलन को दर्शाती हैं। सकारात्मक संख्या गिरते हुए जल स्तर (नकारात्मक जल आघात) को इंगित करती है और ऋणात्मक संख्या का अर्थ है कि भूजल का स्तर दीर्घकालिक माध्य (सकारात्मक जल आघात) के सापेक्ष सतह के करीब चला गया है।

इस के बाद,  हम इस के पीछे के तंत्र पर प्रकाश डालने के लिए भारत मानव विकास सर्वेक्षण  के दो दौरों (वर्ष 2005 और 2012) के घरेलू पैनल डेटा का उपयोग करते हैं। हम पाते हैं कि भूजल की कमी के कारण, खासकर उन परिवारों की महिलाओं को अपने घरों से दूर पैदल जाना पड़ता है, जो पीने के पानी की अपनी जरूरतों के लिए भूजल पर ही निर्भर होते हैं। तब हम यह दर्शाते हैं कि भूजल पर निर्भर परिवारों की महिलाएं जब नकारात्मक झटकों का सामना करती हैं और अपने घरों से दूर जाने पर मजबूर हो जाती हैं, ऐसी स्थिति में बलात्कार की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

हमारे अध्ययन का एक प्रतिवाद यह है कि हमने यौन हिंसा से संबंधित आधिकारिक डेटा का उपयोग किया, जबकि भारत में बलात्कार को शर्म और अपमान के साथ जोड़ने के सांस्कृतिक मानदंडों के कारण अक्सर कम रिपोर्ट किया जाता है। यदि भूजल झटके रिपोर्टिंग पैटर्न को प्रभावित करते हैं, तो हमारे परिणाम पक्षपाती होंगे। भूजल झटके रिपोर्टिंग पैटर्न को प्रभावित करते हैं या नहीं, इसे जांचने के लिए हम वर्ष 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का उपयोग करते हैं और नकारात्मक झटके के कारण मामले की रिपोर्टिंग में कोई बदलाव नहीं पाते। हमारा विश्लेषण संकेत देता है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्य अपराध झटके के प्रति उतने संवेदनशील नहीं हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हमारे परिणाम रिपोर्टिंग पैटर्न में भिन्नता से प्रेरित नहीं हैं।


(चित्र साभार : लेखक द्वारा खुद लिया गया)

हमारे परिणामों की प्रमुख तंत्र के रूप में महिलाओं की बाहर रहने की मजबूरी में वृद्धि के इलावा हमारा डेटा और निष्कर्ष अन्य कई वैकल्पिक स्पष्टीकरणों से असंगत लगते हैं। एक प्रमुख चिंता यह थी कि बढ़ी हुई गरीबी हमारे परिणामों में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को दर्शा सकती है। लेकिन हम गरीबी के मापों पर नियंत्रण रखते हैं और अपने परिणामों में कोई बदलाव नहीं पाते हैं। हम एक ‘प्लेसिबो परीक्षण’ भी करते हैं- यदि गरीबी परिणाम को प्रभावित कर रही थी, तो जिन क्षेत्रों में गरीबी-उन्मूलन कार्यक्रम लागू किया गया था, वहां हमने कम प्रभाव पाया होता। क्योंकि हमें ऐसे कोई पैटर्न नहीं दिखते, हम यह कह सकते हैं कि गरीबी हमारे परिणामों का चालक नहीं हो सकती। हम इस परिकल्पना को और आगे जांचने के लिए महिलाओं की आरक्षण वाली एक ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना- मनरेगा, के इस अवधि के दौरान चरणबद्ध कार्यान्वयन का उपयोग करते हैं। हम इस कार्यक्रम के साथ और उसके बिना, जिलों में झटकों के प्रभावों में कोई अंतर नहीं पाते। यह आगे दर्शाता है कि बलात्कार पर प्रभाव का मुख्य कारण  गरीबी नहीं है।

एक अन्य संबंधित चिंता यह भी हो सकती है कि यदि पुरुषों की बेरोजगारी बढ़ती है और उनके पास अधिक समय होता है, तो महिलाओं के बलात्कार का खतरा बढ़ जाता है। यह देखने के लिए कि क्या ऐसा भी हो सकता है, हम पुरुषों की रोज़गार दरों को ‘नियंत्रित’ करते हैं। फिर से, हमारे परिणाम नहीं बदलते। यदि आर्थिक तंगी का सामना कर रहे पुरुषों की हताशा का परिणाम हिंसा है,  तो यह तनाव समान रूप से सभी प्रकार की हिंसा, विशेषकर घरेलू हिंसा को बढ़ाएगा। अगर बेरोजगारी की हताशा ने पुरुषों को महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाया होता, तो हम सभी प्रकार की हिंसा, खासकर घरेलू हिंसा में वृद्धि पाते। लेकिन  हमें घरेलू हिंसा पर किसी भी प्रभाव का प्रमाण नहीं मिलता है।

क्योंकि पानी की कमी की वजह से महिलाओं के कल्याण में कमी आ सकती है और उनके प्रति हिंसा के ख़तरे को बढ़ा सकती है, इसलिए हमारे इस लेख में महत्वपूर्ण नीतिगत निहितार्थ हैं। सामुदायिक कुओं, वितरण चैनलों और नलों सहित पानी के बुनियादी ढांचे में निवेश किए जाने से इस ख़तरे को कम किया जा सकता है और महिलाओं की हिंसा के प्रति अति संवेदनशीलता कम हो सकती है।

आगे पढ़ने के लिए : संदर्भों की पूरी सूची के लिए कृपया यहां दिए गए 'फर्दर रीड़िंग' अनुभाग को देखें। 

लेखक परिचय : मो. अमजद हुसैन अर्कांसस विश्वविद्यालय के सैम एम. वाल्टन कॉलेज ऑफ बिजनेस में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं। शीतल सेखरी वर्जीनिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में एक कार्यकालित एसोसिएट प्रोफेसर हैं। 

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