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भेदभाव में लिंग-जाति अंतर्विरोध: क्या मरीज़ डॉक्टर की सामाजिक पहचान की परवाह करते हैं?
भारत में सामाजिक पहचान पर आधारित भेदभाव व्यापक रूप में फैला होने की वजह से, भेदभाव में जाति-लिंग अंतर्विरोध के अध्ययन हेतु एक अनूठी सेटिंग उपलब्ध होती है। यह लेख, उत्तर प्रदेश में किये गए एक क्षेत्रीय...
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Asad Islam
Debayan Pakrashi
Soubhagya Sahoo
Liang Choon Wang
Yves Zenou
20 जनवरी, 2022
- लेख
क्या ओबीसी हेतु आरक्षण विकास के लिए अच्छा है?
सकारात्मक कार्रवाई के बारे में बहस हमेशा योग्यता बनाम सामाजिक न्याय के सवाल में घिरी रही है, और जाति-आधारित जनगणना किये जाने की चर्चा ने एक बार फिर से अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के आरक्षण से संबंधित ...
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Poulomi Chakrabarti
02 नवंबर, 2021
- लेख
भारतीय राज्यों में जातिगत असमानता को मापना
हालांकि असमानता संबंधी हाल के शोध से पता चलता है कि उच्च जातियां भौतिक कल्याण की दृष्टी से बहुत आगे हैं, पूरे भारत में जातिगत असमानता में व्यापक भिन्नता है। जातिगत असमानता के तीन रूपों - परिणाम (आय), ...
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Poulomi Chakrabarti
28 सितंबर, 2021
- लेख
क्या सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में वंचित समूहों के लिए आरक्षण (कोटा) उनके कल्याण को बढ़ावा दे सकता है?
सकारात्मक कार्रवाई संबंधी नीतियां विवादास्पद रही हैं क्योंकि कई लोगों का यह तर्क है कि इनके लाभ इन नीतियों से बाहर रखे गए लोगों के बदले में मिलते हैं और ये लाभ वंचित समूहों में से अभिजात वर्ग को असमान...
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Nishith Prakash
21 सितंबर, 2021
- लेख
कोटा (आरक्षण) और स्कूली शिक्षा सम्बन्धी निर्णय
सामाजिक समूहों में व्याप्त असमानताओं को पाटने के एक साधन के रूप में, सकारात्मक कार्रवाई, दशकों से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। यह लेख 1990 के दशक में सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और कॉलेजों में भारत ...
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Gaurav Khanna
20 अगस्त, 2021
- लेख
दो बच्चों की सीमा का स्थानीय राजनेताओं पर प्रभाव
भारत के कुछ राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को स्थानीय चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं है। इस कॉलम से पता चलता है कि इस प्रकार के कानून के कारण ऐसे राज्यों में सामान्य जनता के बीच प्रजनन दर क...
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S Anukriti
Abhishek Chakravarty
12 जुलाई, 2021
- लेख
क्या व्यावसाय के लिए जाति की पहचान अभी भी मायने रखती है?
आज के भारत में, केवल जातिगत पहचान की भावना के कारण लोग किस हद तक नौकरियों को नजर अंदाज करते हैं? यह लेख ग्रामीण ओडिशा में किए गए एक प्रयोग पर चर्चा करता है जिसमें अस्थायी काम के इच्छु?क श्रमिकों को एक...
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Suanna Oh
25 अगस्त, 2020
- लेख
स्वच्छ भारत मिशन से क्या बदलाव नहीं आए
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की 5वीं वर्षगांठ पर, कॉफ़ी और स्पीयर्स ने अपने एक फील्ड सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर चर्चा की है। यह सर्वेक्षण पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण उत...
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Diane Coffey
Dean Spears
24 अक्टूबर, 2019
- दृष्टिकोण
भारत में दहेज का प्रचलन और विकास
दहेज भुगतान भारत में पारिवारिक वित्तव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आम तौर पर सालों की कमाईसे भी अधिक होता है। इस आलेख में बीसवीं सदी में दहेज के विकास (इवोल्यूशन) के बारे में तथ्यों के प्रमाण प्...
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Gaurav Chiplunkar
Jeffrey Weaver
23 अगस्त, 2019
- लेख
दस प्रतिशत कोटा: क्या जाति अब पिछड़ेपन की सूचक नहीं रही है?
संविधान (124वां संशोधन) विधेयक 2019 सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देकर ‘‘आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों’’ को आगे बढ़ाने के प्रावधान का प्रयास करता है। इसका मतलब कोटा के आध...
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Ashwini Deshpande
Rajesh Ramachandran
06 जून, 2019
- लेख
सम्मान की संस्कृति में सहयोग करना सीखना
दुनिया के अनेक हिस्सों में हम साझा हितों को लेकर सहयोग करना सीखने के मामले में लगातार गड़बड़ी देखते हैं। सांस्कृतिक भिन्नताओं – अर्थात ऐसे विचार कि अपमान क्या होता है और उसका सही रिस्पांस क्या होता है –...
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Karla Hoff
27 फ़रवरी, 2019
- लेख
किसकी शिक्षा मायने रखती है? भारत में अंतर्जातीय विवाहों का एक विश्लेषण
वर्ष 2011 में भारत में अंतर्जातीय विवाहों की दर 5.82 प्रतिशत के निम्न स्तर पर थी और पिछले चार दशकों के दौरान इसमें कोई वृद्धि का रुझान नहीं दिखा है। इस आलेख में भारत में अंतर्जातीय विवाहों और शिक्षा क...
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Arka Roy Chaudhuri
Tridip Ray
Komal Sahai
20 फ़रवरी, 2019
- लेख