भारत में अतिपोषण एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है। अधिक वजन या मोटापा कोविड -19 की वजह से होने वाली गंभीर बीमारी के प्रति व्यक्तियों को अधिक संवेदनशील बनाते हैं। कोविड -19 के जिला-स्तरीय डेटा और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पोषण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख अतिपोषण संकेतकों और कोविड -19 के प्रसार एवं मृत्यु दर के बीच बहुत ही उल्लेखनीय सह-संबंध का प्रमाण प्रस्तुत करता है।
भारत के कई भागों में प्रत्येक तीन वयस्कों में एक अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) - 4, 2016), और यह एक प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दा बन गया है। निरंतर सबूत यह बताते हैं कि भारत में अधिक वजन और मोटापे का प्रसार अब कोई शहरी घटना नहीं है, और कुछ राज्यों में तो इसका प्रसार विकसित देशों (सिद्दीकी और डोनाटो 2020, अय्यर तथा अन्य 2021) के बराबर है। हालाँकि, इस मुद्दे पर नीति-निर्माताओं का पर्याप्त ध्यान नहीं गया है। कोविड -19 महामारी और इसकी उच्च मृत्यु दर में सह-रुग्णता द्वारा निभाई गई भूमिका के संदर्भ में, मोटापे और कोविड -19 के बीच की कड़ी की जांच करना महत्वपूर्ण है।
मोटापा और कोविड-19
वैश्विक साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि 65 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में (इन्हें आमतौर पर कोविड -19 रोग की गंभीरता का कम जोखिम वाला समूह माना जाता है) उनका मोटापा रोग की गंभीरता के लिए एक स्वतंत्र जोखिम का कारक प्रतीत होता है (साइमोनेट एवं अन्य - 2020, झेंग एवं अन्य - 2020)। उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई)1 वाले व्यक्तियों में चयापचय संबंधी विकार (जैसे असामान्य रक्त शर्करा, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल) होने की संभावना अधिक होती है, जो आगे चलकर टाइप - 2 मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर सहित विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों में बदलती है (सल्वाटोर एवं अन्य 2020)। शरीर में अतिरिक्त वसा के कारण मेटाबोलिक विकार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ख़राब कर सकता है और संक्रमण तथा श्वसन संबंधी बीमारियों की जोखिम को बढ़ा सकता है (पौलेन एवं अन्य 2006)। शरीर का अधिक वजन फेफड़ों की क्षमता को कम कर देता है और चूंकि कोरोना वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, अतः इससे कोविड-19 रोगियों में मृत्यु दर का जोखिम काफी बढ़ सकता है (साइमोनेट एवं अन्य 2020)।
लगभग 20 अध्ययनों से लिए गए डेटा के आधार पर पॉपकिन एवं अन्य (2020) यह दर्शाते हैं कि मोटापे वाले व्यक्तियों की कोविड -19 पॉजिटिव होने की संभावना पतले व्यक्तियों की तुलना में 46% अधिक है। इसके अलावा, मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 113%, आईसीयू (गहन देखभाल इकाई) में भर्ती होने की संभावना 74% और मृत्यु दर में 48% की वृद्धि होती है।
24 जून 2021 तक, भारत में 3 करोड़ से अधिक कोविड -19 पॉजिटिव मामलें दर्ज किये गए और उनमें से मरने वालों की संख्या 4 लाख के करीब है। रिपोर्ट किए जा रहे दैनिक मामले फरवरी 2021 में कम हो गए थे, लेकिन अप्रैल माह 2021 की शुरुआत से ही भारत में प्रति दिन 4 लाख से अधिक मामलों के साथ एक बड़ी वृद्धि देखी गई – जो किसी भी देश में एक दिन में सबसे अधिक की वृद्धि है । हालांकि आधिकारिक आंकड़े इंगित करते हैं कि दूसरी लहर धीमी होती दिख रही है, लेकिन कई विशेषज्ञों का यह मानना है कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से, जहाँ परीक्षण सुविधाएं अल्पविकसित हैं, दिखाई जा रही संख्या का अनुमान सही नहीं है। इसके अलावा, यह भविष्यवाणी भी की गई है कि तीसरी लहर अपरिहार्य है और वह भारत में सितंबर - अक्टूबर 2021 तक आ सकती है।
मेनन (2021) ने बीएमआई और भारत के जिलों में कोविड-19 के क्षेत्रीय प्रसार और तीव्रता के शुरुआती उपायों के बीच के संबंध की जांच की। व्यक्तिगत, घरेलू और क्षेत्र - स्तरीय चरों की एक श्रृंखला पर अनुकूलन करके वह पाती है कि बीएमआई कोविड -19 के प्रसार के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। हालांकि, अध्ययन बीएमआई और कोविड -19 मामले की मृत्यु दर2 (सीएफआर) के बीच एक महत्वहीन संबंध को भी इंगित करता है।
हमारा अध्ययन
हाल के एक अध्ययन (डांग और गुप्ता 2021) में, हम भारत में कोविड -19 डेटा का उपयोग शरीर के अतिरिक्त वजन (अधिक वजन / मोटापे का एक संकेतक के रूप में उपयोग करके) के कोविड -19 प्रसार एवं कोविड -19 सीएफआर के साथ संबंध की जांच करने के लिए करते हैं। हम 2015-16 में आयोजित एनएफएचएस-4 के राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि डेटा के साथ covid19india.org3 (24 दिसंबर 2020 तक) पर उपलब्ध कोविड -19 के बारे में डेटा का संयोजन कर इसके उपयोग से राज्य के साथ-साथ जिला स्तर पर डेटा का विश्लेषण करते हैं। हम अधिक वर्तमान डेटा का उपयोग करते हुए, न केवल अतिपोषण और कोविड -19 के प्रसार के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर साक्ष्य प्रदान करके साहित्य में योगदान करते हैं, बल्कि अतिपोषण और कोविड -19 मृत्यु दर के बीच के संबंधों पर भी अपना योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, हम मोटापे और अधिक वजन का अलग-अलग रूप में एक संकेतक के रूप में उपयोग करने पर, उनका कोविड -19 के प्रसार और सीएफआर के साथ क्या संबंध होता है इस पर अपने परिणामों में निहित अंतर को रेखांकित करते हैं।
हम अपने विश्लेषण में तीन मुख्य चरों का उपयोग करते हैं: (अ) असंक्रामक रोगों (एनसीडी) के लिए प्रतिनिधि के रूप में अतिपोषण संकेतक, (ब) कोविड -19 प्रसार दर और (स) कोविड -19 के कारण सीएफआर। हम पहले राज्य स्तर पर और फिर जिले स्तर पर आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं। यह देखते हुए कि दोनों में परिणाम समान हैं, हम यहां केवल जिले स्तर के अनुमान प्रस्तुत करते हैं।
एनएफएचएस - 4 में 15-49 वर्ष की आयु की महिलाओं और 15-54 वर्ष की आयु के पुरुषों की लम्बाई और वजन के बारे में डेटा है। एनएफएचएस - 3 (2005-06) का उपयोग यह दर्शाने के लिए भी किया गया है कि अतिपोषण की व्यापकता समय के साथ कैसे बदल गई है। हम इन चरों का उपयोग अतिपोषण संकेतकों के निर्माण के लिए करते हैं। बीएमआई का उपयोग व्यक्तियों को कम वजन, सामान्य वजन, अधिक वजन और मोटापे में वर्गीकृत करने और महिलाओं और पुरुषों के बीच अधिक वजन / मोटापे की व्यापकता दर को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। एनएफएचएस - 4 के जिलों का मिलान कोविड-19 के आंकड़ों में दिए गए जिलों से किया गया है।
जैसा कि अपेक्षित था, चित्र 1 दर्शाता है कि शहरी क्षेत्रों में अधिक वजन और मोटापे की व्यापकता अधिक है। 2005-06 से 2015-16 तक अधिक वजन वाले या मोटे पुरुषों के अनुपात में 11% की वृद्धि हुई, जबकि महिलाओं में यह 8% बढ़ी। हालांकि, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का अनुपात अधिक है, तथापि दो राउंड के बीच पुरुषों के संदर्भ में मोटापा तेजी से बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए यह अनुपात लगभग दोगुना हो गया जो 2005-06 के 6% से 2015-16 में 15% हो गया; महिलाओं के संदर्भ में यही आंकड़े क्रमश 7% और 15% हैं।
चित्र 1. निवास के प्रकार, लिंग और वर्ष के आधार पर अतिपोषण की व्यापकता (प्रतिशत में)

नोट: (i) डेटा में 15-54 वर्ष की आयु के पुरुषों और 15-49 वर्ष की आयु की महिलाओं का सन्दर्भ है। (ii) किसी वयस्क को अधिक वजन / मोटापे के रूप में वर्गीकृत तब किया जाता है जब उनका बीएमआई ≥ 25 किग्रा/ मीटर 2 हो।
स्रोत: एनएफएचएस -3 और एनएफएचएस -4 डेटा के आधार पर लेखकों द्वारा की गई गणना।

हमारे अनुभव-जन्य विश्लेषण से पता चलता है कि अतिपोषण और कोविड -19 के प्रसार के बीच सह-संबंध सकारात्मक और उल्लेखनीय हैं (चित्र 2)। इसके अलावा, यदि हम मोटापे का उपयोग अतिपोषण के एक संकेतक के रूप में करते हैं, तो यह संबंध और भी मजबूत हो जाता है। आगे, हम यह इंगित करते हैं कि एक जिले में कोविड -19 के सीएफआर और अधिक वजन एवं मोटे व्यक्तियों के अनुपात के बीच एक सकारात्मक और उल्लेखनीय संबंध मौजूद है (चित्र 3)। बिना आश्चर्य के, जहाँ मोटे व्यक्तियों की व्यापकता अधिक होती है वहां इस सह-संबंध का परिमाण अधिक मजबूत हो जाता है।
चित्र 2. कोविड -19 और अधिक वजन और मोटापे की व्यापकता के बीच संबंध

स्रोत: एनएफएचएस-4 डेटा के आधार पर लेखकों द्वारा की गई गणना; Covid-19 का डेटा covid19india.org से प्राप्त किया गए हैं।

चित्र 3. कोविड -19 के मामले में मृत्यु दर और अधिक वजन और मोटापे की व्यापकता के बीच संबंध


निष्कर्ष
हम अत्यधिक पोषण के संकेतको यानी अधिक वजन या मोटापा का कोविड -19 के प्रसार एवं सीएफआर के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध पाते हैं। यह अध्ययन अन्य वैश्विक निष्कर्षों की पुष्टि करता है, और यह संकेत भी देता है कि कोविड -19 के साथ अतिपोषण की व्यापकता के प्रभाव का एक और आयाम जुड़ गया है। डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और सीडीसी (रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र) ने अधिक वजन और मोटापे को गंभीर और जानलेवा कोविड -19 संक्रमण के जोखिम कारक के रूप में शामिल किया है और यहां तक कि आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने भी मोटापे को कोविड -19 के गंभीर मामलों के लिए एक संकेतक के रूप में पहचाना है।
भारत में हाल के वर्षों में अतिपोषण के मामलों में वृद्धि देखी गयी है। कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए घर में रहने के दिशा-निर्देशों के कारण जीवन शैली और भी सुस्त हो गई है। कुछ ऐसे सबूत उपलब्ध हैं जिनसे यह साबित होता है कि लॉकडाउन के दौरान प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत ने अधिक वजन और मोटापे के खतरे को बढ़ा दिया है। जबकि अधिक वजन होने के विभिन्न स्वास्थ्य निहितार्थ अब सर्वविदित हो गए हैं, कोविड -19 की बीमारी एवं मृत्यु दर तथा अधिक वजन होने के बीच के सकारात्मक संबंध के बारे में जनता को अवगत कराए जाने की आवश्यकता है ताकि इसके लिए व्यक्तियों द्वारा रोकथाम उपायों की तात्कालिकता से उन्हें अवगत कराया जा सके।
साक्ष्य से पता चला है कि अधिक वजन वाले या मोटे व्यक्तियों पर कोविड -19 टीकों की प्रभावकारिता कम है। ऐसे में टीकों से कम एंटीबॉडी निर्माण होने की संभावना के कारण इन लोगों के लिए अतिरिक्त बूस्टर डोज की आवश्यकता से भी इंकार नहीं किया जा सकता है (पेलिनी तथा अन्य 2021)। सीमित टीकों के उपलब्ध होने के कारण, मोटे और अधिक वजन वाले व्यक्ति एक लक्षित समूह हो सकते हैं, जिन पर देश की टीकाकरण रणनीति में प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जा सकता है।
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टिप्पणियाँ:
- बीएमआई को वजन (किलोग्राम में) से लम्बाई (मीटर में) वर्ग (किग्रा/मीटर2) के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- केस मृत्यु अनुपात किसी बीमारी के कारण होने वाली मौतों के अनुपात को एक विशेष अवधि में बीमारी से पीड़ित लोगों की कुल संख्या के सापेक्ष संदर्भित करता है।
- यह वेबसाइट सरकारी स्रोतों से कोविड-19 पर डेटा को संकलित करती है।
लेखक परिचय : अर्चना डांग आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी), दिल्ली में पोस्टडॉक्टोरल फेलो हैं। इंद्राणी गुप्ता आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी), दिल्ली में प्रोफेसर और स्वास्थ्य नीति अनुसंधान इकाई की प्रमुख हैं |


































































































