लचीली शिक्षा प्रणालियों की स्थापना : पाँच देशों से प्राप्त साक्ष्य

14 November 2023
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देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्मतिथि के अवसर पर प्रति वर्ष 11 नवम्बर को मनाए जाने वाले राष्ट्रिय शिक्षा दिवस के उपलक्ष्य में यह आलेख प्रस्तुत है जिसमें कोविड- 19 महामारी के कारण दुनिया भर में एक अरब से अधिक बच्चों की शिक्षा बाधित होने की स्थिति को देखते हुए, एक ऐसी शिक्षा प्रणाली स्थापित किए जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है, जो लचीली हो और ऐसे झटकों के बावजूद शिक्षा की निरंतरता को बनाए रखने में कारगर साबित हो। इस लेख में मोबाइल फोन जैसी कम लागत वाली पारिवारिक स्वामित्व वाली संपत्ति का लाभ उठाने के लिए पाँच विकासशील देशों में किए गए हस्तक्षेप का वर्णन किया गया है और बच्चों के अधिगम प्रतिफल और उनके कल्याण पर इसके प्रभाव का सारांश प्रस्तुत किया गया है। इससे पता चलता है कि कैसे बड़े पैमाने पर कार्यों के कम रिटर्न प्राप्त करने की अपेक्षा, मूल प्रमाण-अवधारणा यानी प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट को विभिन्न देशों के सन्दर्भों में सफलतापूर्वक बढ़ाया जा सकता है।

शिक्षा प्रणालियों को संघर्ष, बीमारियों के प्रकोप, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु घटनाओं सहित बार-बार आने वाले झटकों को झेलने की ज़रूरत होती है, जिनकी वजह से स्कूल लगातार बन्द हो जाते हैं। हमने हाल के एक लेख (एंग्रिस्ट एवं अन्य 2023) में कोविड-19 के दौरान, जिसके कारण दुनिया भर में 1 अरब से अधिक स्कूली बच्चों की शिक्षा बाधित हुई थी, प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के लिए लागू किए गए दूरस्थ शिक्षा के कई स्केलेबल मॉडलों का अध्ययन किया। इस अध्ययन में पाँच देशों- भारत, केन्या, नेपाल, फिलीपींस और युगांडा में आपातकालीन सेटिंग में, शिक्षा के प्रावधानों का मूल्याँकन करने वाले बड़े पैमाने के यादृच्छिक परीक्षणों यानी रैंडमाइज़्ड ट्राइलज़ के परिणाम प्रस्तुत किए गए हैं।

आपातकाल में शिक्षा

2 अरब से अधिक लोग आपात स्थितियों से प्रभावित ऐसे देशों में रहते हैं, जहाँ शिक्षा अक्सर बाधित होती है। उदाहरण के लिए, वर्ष 2017 में मानसून और बाढ़ ने मलेशिया, भारत, बांग्लादेश और नेपाल में 10,000 से अधिक स्कूलों को प्रभावित किया, जबकि पाकिस्तान में वर्ष 2010 में स्कूल प्रभावित हुए और वर्ष 2023 के हालिया संकट में 34,000 स्कूलों का कार्य बाधित हुआ। भारत के मणिपुर राज्य में जातीय संघर्षों के कारण मई से जुलाई 2023 तक 4,500 से अधिक स्कूल, दो महीने से अधिक समय के लिए, बन्द रहे। शिक्षा प्रदान करना जारी रखने के लिए, शिक्षा प्रणालियों को लचीला और इन झटकों को झेलने में सक्षम होना चाहिए।

यह अध्ययन आपात स्थिति में शिक्षा के बारे में नए उभरते प्रयोगात्मक साहित्य के साथ-साथ, बड़े पैमाने पर शिक्षा पर बढ़ते शोध साहित्य में अपना योगदान देता है। हाल के अध्ययनों से सामाजिक कार्यक्रमों का विस्तार करने संबंधी (स्केलिंग) चुनौती की सीमा का पता चलता है- कई सामाजिक कार्यक्रम जो शुरू में प्रमाण-अवधारणा (प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट) चरण में कारगर साबित हुए थे, बाद में सरकारों द्वारा विस्तारित या वितरित किए जाने पर, उनका प्रभाव नहीं पड़ा है (मोबारक 2022, सूची 2022)। कार्यक्रमों के विस्तार से संबंधित अधिकांश मौजूदा शोध साहित्य के विपरीत, हमारे अध्ययन के नतीजे एक ऐसे तरीके की पहचान करते हैं जो विभिन्न सन्दर्भों में और सरकारी प्रणालियों के भीतर काम कर सकता है। यह अध्ययन अधिगम प्रतिफल में सुधार के लिए अत्यधिक लागत प्रभावी तरीके की पहचान करके, शिक्षा साहित्य और वैश्विक 'सीखने के संकट' को हल करने के तरीके में भी अपना योगदान देता है।

हस्तक्षेप

इस अध्ययन में जिन हस्तक्षेपों का मूल्याँकन किया गया, वो भारत, केन्या, नेपाल, फिलीपींस और युगांडा1 में कोविड-19 के कारण स्कूल बन्द होने के सन्दर्भ में किए गए हैं। कुल मिलाकर 16,000 से अधिक परिवारों को इस बहु-देशीय मूल्याँकन में नामांकित किया गया था। प्रत्येक परिवार से हस्तक्षेप के लिए प्राथमिक विद्यालय के कक्षा 3 से 5 के एक छात्र और एक देखभालकर्ता की पहचान की गई। केन्या में एक अपवाद था, जहां कक्षा 1 और 2 के छात्रों को नामांकित किया गया था। भारत में, तेलंगाना समाज कल्याण आवासीय स्कूलों में कक्षा 5 के छात्रों को नामांकित किया गया था। परीक्षण दिसंबर 2020 और जुलाई 2022 के बीच किए गए।

मूल्याँकन में एनजीओ प्रशिक्षकों और सरकारी शिक्षकों के माध्यम से कई कार्यक्रम और वितरण मॉडल शामिल किए गए थे। अध्ययन के आठ सप्ताह के दौरान विभिन्न शैक्षिक हस्तक्षेप प्रदान करने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग किया गया, जो कि स्कूल से बाहर होने पर छात्रों और उनकी देखभाल करने वालों तक पहुँचने का एक उच्च पहुँच, कम लागत और स्केलेबल तरीका है। एक ‘उपचार’ में शैक्षिक सहायता, जैसे साप्ताहिक रूप से प्रदान की जाने वाली संख्यात्मक (न्युमेरसी) सामग्री, साथ ही शैक्षिक गतिविधि में शामिल होने के लिए एसएमएस के माध्यम से प्रेरित करना शामिल था। दूसरे ‘उपचार’ में साप्ताहिक प्रत्येक छात्र के साथ अलग से 20-मिनट के फ़ोन कॉल ट्यूटोरियल जोड़े गए थे। फ़ोन कॉल में बुनियादी संख्यात्मकता (फॉउण्डेशनल न्युमेरसी) को शामिल किया गया था और इसका उद्देश्य साप्ताहिक आधार पर किए गए हल्के-स्पर्श, उच्च-आवृत्ति मूल्याँकन के माध्यम से छात्रों के सीखने के स्तर को लक्षित करना था। मूल्याँकन का उपयोग करते हुए प्रशिक्षकों ने छात्रों को बुनियादी संख्यात्मक अभ्यास के माध्यम से सिखाया ताकि उन्हें जोड़, घटाव, गुणा और भाग में महारत हासिल करने में मदद मिल सके। देखभालकर्ताओं को कॉल किए गए, जिन्होंने अपने परिवार के बच्चे को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुलाया और फिर उन्हें फोन सौंप दिया या ट्यूटोरियल सत्र के लिए स्पीकरफोन का इस्तमाल किया। पूर्णकालिक कार्यक्रम को लागू करने वाले शिक्षकों के सन्दर्भ में छात्रों और शिक्षकों का कार्यान्वयन अनुपात लगभग 20:1 था और अंशकालिक कार्यक्रम को लागू करने वाले शिक्षकों के सन्दर्भ में यह अनुपात 5:1 का था।

परिणामों के बारे में डेटा समयावधि समाप्ति यानी एंडलाइन सर्वेक्षणों के माध्यम से एकत्र किया गया, जिसे करने में लगभग 30 मिनट लगे और इसमें लगभग 20 प्रश्न शामिल किए गए थे। इन प्रश्नों में अधिगम का मूल्याँकन, बच्चे की भलाई, शैक्षिक गतिविधियों में माता-पिता की भागीदारी और बच्चे की शिक्षा के बारे में माता-पिता की धारणाएं शामिल थीं। सर्वेक्षण का एक हिस्सा माता-पिता के साथ आयोजित किया गया और फोन पर सीधे बच्चे का आकलन करके, परिणाम एकत्रित किए गए थे। कार्यक्रम समाप्त होने के कुछ महीनों बाद एंडलाइन सर्वेक्षण आयोजित किए गए।

पाँच परीक्षणों के इस सेट ने वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के शुरुआती दौर में बोत्सवाना में पहली बार परीक्षित तरीके को मापने की कोशिश की (एंग्रिस्ट एवं अन्य 2022)। मूल बोत्सवाना परीक्षण से फोन-आधारित पढ़ाई कार्यक्रम के प्रभाव का परीक्षण किया गया, जिसे कोविड-19 महामारी के पहले कुछ महीनों के दौरान विकसित किया गया था। इस कार्यक्रम को लागत प्रभावी पाया गया, जिसके परिणामस्वरूप अधिगम परिणामों में 0.12 मानक विचलन2 का सुधार हुआ।

पाँच देशों के अध्ययन के परिणाम

क) सन्दर्भों और वितरण मॉडलों में संख्यात्मकता यानी न्युमेरसी में वृद्धि : संयुक्त फोन और एसएमएस समूह के लिए, सभी 5 देशों में औसत संख्यात्मक संचालन लाभ में 0.327 मानक विचलन की वृद्धि हुई। अकेले एसएमएस समूह के लिए, हमने सीखने में 0.083 मानक विचलन के छोटे, लेकिन फिर भी सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार पाए। इन बहु-देशीय अध्ययनों में ये प्रभाव बोत्सवाना प्रमाण-अवधारणा (प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट) अध्ययन की तुलना में और भी बड़े हैं। यह परिणाम पिछले शोध साहित्य के विपरीत है, जो यह दर्शाता है कि प्रमाण-अवधारणा अध्ययन शायद ही कभी नए सन्दर्भों (सूची 2022) तक सफलतापूर्वक पहुँचते हैं या घटते रिटर्न का अनुभव करते हैं (अराउजो एवं अन्य 2021)। घटते रिटर्न खोजने के बजाय, अध्ययन में यह पाया गया कि जैसे-जैसे तरीके को अनुकूलित किया जाता है, विस्तारित (स्केल) किया जाता है और सन्दर्भों में परीक्षण किया जाता है, इसके परिणाम बेहतर होते जाते हैं।

अध्ययन में सरकारी शिक्षकों की तुलना एनजीओ कार्यक्रम वितरण (आकृति-1 में हरी पट्टियाँ) के साथ की गई है, जिसके परिणाम से पता चलता है कि सरकारी शिक्षक और एनजीओ प्रशिक्षक दोनो, छात्रों के सीखने में सुधार करने में प्रभावी हैं। सरकारी शिक्षकों के दोनों सन्दर्भों में 0.314 मानक विचलन का सुधार देखने को मिला और एनजीओ शिक्षक सहायता से 0.263 मानक विचलन का सुधार हुआ। उनके बीच कोई महत्वपूर्ण सांख्यिकीय अंतर न होने के बावजूद, प्रभाव में पाई गई इस समानता से पता चलता है कि सरकारी शिक्षक आपातकालीन कार्यक्रमों में इन शैक्षिक विधियों को प्रभावी ढंग से लागू कर सकते हैं।

आकृति-1. पाँच देशों में बड़े पैमाने पर अधिगम प्रतिफल

टिप्पणियाँ: i) डेटा को ‘नियंत्रण’ समूह के सापेक्ष ‘उपचार’ प्रभावों के रूप में प्रस्तुत किया गया है और इसे तुलनीय इकाइयों के लिए मानक विचलन के सन्दर्भ में व्यक्त किया गया है। ii) हल्की भूरी और नीली रेखाएं 95 प्रतिशत विश्वास अंतराल यानी कॉन्फिडेंस इंटरवल को दर्शाती हैं।

ख) माता-पिता के विश्वास और गैर-संज्ञानात्मक कौशल जैसे माध्यमिक परिणामों में सुधार : अधिगम परिणामों के अलावा, हमने सीखने के बारे में मान्यताओं और हस्तक्षेप की मांग पर भी प्रभावों की जांच की। देखभालकर्ताओं का कहना था कि उन्हें लगता है कि फोन कॉल ट्यूटोरियल के परिणामस्वरूप उनके बच्चे की शिक्षा बड़े और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण प्रभावों के साथ आगे बढ़ी है। ये परिणाम एक बढ़ते शोध साहित्य पर आधारित हैं, जो माता-पिता द्वारा बच्चे के सीखने के स्तर को जानने के महत्व की खोज करता है, जिससे उन्हें शिक्षा का बेहतर समर्थन करने में सक्षम बनाया जा सकता है (बर्गमैन 2021)। देखभालकर्ताओं ने फ़ोन कॉल और एसएमएस ट्यूटोरियल उपचार में कार्यक्रम के लिए उच्च मांग दर्शाई, 100% माता-पिताओं ने कार्यक्रम में रुचि व्यक्त की।

अध्ययन में, महत्वाकांक्षा3 में 6.2 प्रतिशत अंक की बढ़त के साथ गैर-संज्ञानात्मक कौशल पर भी कार्यक्रम के बड़े प्रभाव पाए गए और बच्चों की भलाई के उपायों पर सकारात्मक प्रभाव पाया गया।

ग) लागत-प्रभावशीलता : अध्ययन के अनुमान से पता चलता है कि फोन कॉल और एसएमएस ट्यूटोरियल के एक दौर की लागत औसतन प्रति बच्चा लगभग 12 अमेरिकी डॉलर है। कम लागत होने के अलावा, इस में खरीद की आवश्यकता भी कम है क्योंकि इसमें मौजूदा पारिवारिक संपत्ति, मोबाइल फोन, का उपयोग किया जाता है जो सरकारों के लिए विशेष रूप से एक आकर्षक सुविधा है।

निष्कर्ष

प्रत्येक देश के अलग-अलग सन्दर्भों के बावजूद, हमारे परिणाम दर्शाते हैं कि फोन कॉल ट्यूटोरियल की प्रभावशीलता का विभिन्न सन्दर्भों में विस्तार हो सकता है। अध्ययन में 0.30-0.35 मानक विचलन के औसत प्रभाव के साथ सीखने पर लगातार बड़े और मजबूत प्रभाव पाए गए। इसके अलावा, एनजीओ प्रशिक्षकों या सरकारी शिक्षकों द्वारा किए जाने पर हस्तक्षेप समान रूप से प्रभावी साबित हुआ, जिससे विभिन्न प्रणालियों के बीच स्केलेबिलिटी का संकेत मिलता है। ये प्रभाव अत्यधिक किफायती भी थे, जिसमें चार साल तक उच्च गुणवत्ता वाले निर्देश प्रदान करने की लागत 100 अमेरिकी डॉलर थी।

वैश्विक स्तर पर मोबाइल फोन के स्वामित्व की बढ़ती दर को देखते हुए, यहाँ अध्ययन किए गए फोन-आधारित पढ़ाई के कार्यक्रमों में स्कूली शिक्षा की निरंतरता बनाए रखने और आपात स्थिति के साथ-साथ सीखने में तेजी लाने की क्षमता है। कम लागत, उच्च पहुँच और फोन-आधारित पढ़ाई के कार्यान्वयन में आसानी शिक्षा प्रणालियों में अधिक लचीलापन पैदा कर सकती है, जिससे शिक्षा प्रणालियाँ लगातार झटके झेलने में सक्षम हो सकती हैं और आम तौर पर, बार-बार आने वाले ‘वैश्विक शिक्षण संकट’ को दूर करने के लिए किफायती तरीकों को अपना सकती हैं।

टिप्पणियाँ:

  1. प्रत्येक देश के सन्दर्भ में अतिरिक्त जानकारी एंग्रिस्ट एवं अन्य (2023) में पाई जा सकती है।
  2. मानक विचलन या स्टैण्डर्ड डीविएशन एक माप है जिसका उपयोग उस सेट के माध्यिका से मूल्यों के एक सेट की भिन्नता की मात्रा को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  3. कार्लाना और ला फेरारा (2021) द्वारा उपयोग की गई प्रश्नावली को अनुकूलित करके मापा गया है।

अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।

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स्कूली शिक्षा, सार्वजनिक सेवा वितरण

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