2011 की भारतीय जनगणना के आंकड़े हिंदू आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी की उच्च वृद्धि दर दिखाते हैं। इस लेख में जिला स्तर पर हिंदू-मुस्लिम प्रजनन में अंतर और राज्य स्तर पर उनकी प्रवृत्तियों का एक सटीक विवरण प्रस्तुत किया गया है। यह दर्शाता है कि पिछले दशक के दौरान प्रजनन परिवर्तन स्थिर रहा है; और हिंदुओं तथा मुस्लिमों के बीच प्रजनन दर को एक स्तर पर लाने का कार्य चल रहा है, तथापि महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भिन्नताएं बनी हुई हैं।
पहले के दशकों की तरह, 2011 की भारतीय जनगणना के आंकड़े हिंदू आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी की उच्च वृद्धि दर दिखाते हैं, जिसने भारत के शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं के बीच एक गहन विवाद को जन्म दिया है कि इससे भारत की कुल आबादी में मुस्लिमों की संख्या में वृद्धि हो सकती है और इसके संगत हिंदुओं की संख्या में कमी आ सकती है। हाल के शोध (घोष 2018) में इस डेटा का उपयोग करते हुए, मैं सबसे पहले राज्य स्तर1 पर हिंदुओं और मुस्लिमों की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) का अनुमान लगाता हूं। दूसरे चरण में, जम्मू और कश्मीर को छोड़कर भारत के सभी जिलों के लिए जिला-स्तरीय श्रृंखला का अनुमान लगाया गया है। जम्मू और कश्मीर के लिए जिला स्तर के आंकड़ों का विश्लेषण इसकी अनुपयुक्तता2 के कारण छोड़ दिया गया। भारत के विभिन्न राज्यों में इन धार्मिक समूहों के बीच प्रजनन परिवर्तन की सीमा का पता लगाने के लिए राजन (2005) द्वारा 2001 की जनगणना के आंकड़ों से हिंदुओं और मुस्लिमों के टीएफआर के अप्रत्यक्ष अनुमानों के साथ हिंदुओं और मुस्लिमों के राज्य-स्तरीय टीएफआर अनुमानों की तुलना की गई। वर्तमान विश्लेषण का प्राथमिक उद्देश्य जिला स्तर पर हिंदू-मुस्लिम प्रजनन अंतर और राज्य स्तर पर उनकी प्रवृत्तियों की गहन तस्वीर प्रस्तुत करना है।
राज्य स्तर पर हिंदू-मुस्लिम प्रजनन में अंतर
तालिका 1 में राज्य स्तर पर हिंदुओं और मुस्लिमों में प्रजनन के अंतर को दर्शाया गया है। अखिल भारतीय स्तर पर, 2001 और 2011 के बीच टीएफआर में प्रति महिला 1.0 बच्चे की गिरावट थी। हिंदुओं में टीएफआर 3.1 से घटकर 2.1 हो गया (2.1 के टीएफआर को प्रजनन का 'प्रतिस्थापन स्तर' कहा जाता है, यह वह दर है जिस पर जनसंख्या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में खुद को बदल लेती है) और यही दर मुस्लिमों में 4.1 से 2.7 तक हो गया- यानि प्रति महिला 1.4 बच्चों की कमी आई। दक्षिणी राज्यों के अलावा, अधिकांश उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में हिंदुओं में टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर पर या उससे नीचे है। हालांकि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हिंदुओं में टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर तक नहीं पहुंचा है, लेकिन इन राज्यों की हिंदू आबादी में प्रति महिला एक या अधिक बच्चों की शुद्ध कमी देखी गई है।
ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मुस्लिमों की टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर पर या उससे नीचे है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और केरल जैसे कई राज्य हैं, जहां मुस्लिमों में टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर के करीब है। हरियाणा, असम, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और झारखंड (प्रति महिला लगभग दो बच्चे) जैसे राज्यों में मुस्लिमों में टीएफआर की गिरावट पर्याप्त पाई गई। कुछ उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी मुस्लिमों में टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर पर या उससे कम है।
तालिका 1. जनगणना 2011 के अनुसार राज्यों (जम्मू और कश्मीर को छोड़कर) में सभी धर्मों, हिंदुओं और मुस्लिमों के टीएफआर का अनुमान और उसकी 2001 की जनगणना के अनुमानों के साथ तुलना

स्रोत: 2001 की जनगणना के अनुमान राजन (2005) से प्राप्त किए गए हैं, और 2011 की जनगणना के अनुमानों की गणना लेखक द्वारा की गई है।

2001 और 2011 के बीच हिंदू-मुस्लिम प्रजनन अंतर में गिरावट
2001 और 2011 के बीच मुस्लिमों और हिंदुओं (मुस्लिमों में टीएफआर-हिंदुओं में टीएफआर) के बीच टीएफआर में अंतर राष्ट्रीय स्तर पर प्रति महिला 0.4 बच्चों से कम हो गया है (तालिका 1)। पश्चिम बंगाल, असम और केरल राज्यों में हिंदू और मुस्लिम प्रजनन दर के बीच के अंतर में कमी पर्याप्त रूप में पाई गई जो एक से अधिक बच्चे या उसके बहुत करीब थी। तथापि, मध्य प्रांतों में इस अंतर को कम करने की गति धीमी बनी हुई है। हालांकि मध्य प्रदेश और गुजरात में हिंदुओं और मुस्लिमों के टीएफआर के बीच अंतर समान रहा, लेकिन इन राज्यों में मुस्लिम आबादी का हिस्सा कम है।
इस प्रकार, 2001 और 2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच राज्य-स्तरीय प्रजनन अंतर की तुलना करके, यह पता लगाया जा सकता है कि हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच प्रजनन दर को एक स्तर पर लाने का कार्य चल रहा है, चूँकि राज्य और धार्मिक समूह परिवर्तन के विभिन्न चरणों में हैं जैसा कि पहले के अध्ययनों में भी देखा गया है (उदाहरण के लिए, अलगराजन और कुलकर्णी 2008), लेकिन फिर भी अलग-अलग समय से अभिसरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भिन्नताएं बनी हुई हैं। उन राज्यों में, जहाँ पिछले दशक के दौरान प्रजनन परिवर्तन हुआ है, हिंदुओं और मुस्लिमों की प्रजनन दर में अंतर में कमी भी उन राज्यों की तुलना में तेज थी जो अब प्रजनन परिवर्तन के मध्य या प्रारंभिक चरण में हैं।
जिला स्तर पर हिंदू-मुस्लिम प्रजनन में अंतर
तालिका 2 जिला स्तर पर हिंदू-मुस्लिम प्रजनन में अंतर की एक विशद तस्वीर प्रदान करती है। 618 जिलों में से, लगभग 54% जिलों (331 जिलों) में हिंदुओं का टीएफआर प्रजनन के प्रतिस्थापन स्तर पर या उससे नीचे पहुंच गया है, जबकि मुस्लिमों के टीएफआर ने 35% जिलों (217 जिलों) में इस तरह के स्तर को प्राप्त किया है, जिसमें राजन (2005) द्वारा 2001 की जनगणना से प्राप्त अनुमानों से काफी वृद्धि हुई है।
तालिका 2. भारत के सभी राज्यों (जम्मू और कश्मीर को छोड़कर) में हिंदुओं और मुस्लिमों में प्रजनन के विभिन्न स्तरों के अंतर्गत आने वाले जिलों का प्रतिशत


स्रोत: लेखक की गणना।

कर्नाटक को छोड़कर तीन दक्षिण भारतीय राज्यों के सभी जिलों में हिंदुओं में टीएफआर या तो प्रतिस्थापन स्तर पर पहुंच गया है या उससे नीचे है, और इसने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल के 90% से अधिक जिलों में इस स्तर को प्राप्त किया है। दूसरी ओर, हिंदुओं में प्रजनन दर का यह स्तर केवल उत्तर-मध्य प्रांत के कुछ जिलों में ही प्राप्त किया गया है जिनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार के किसी भी जिले में हिंदू आबादी की प्रजनन दर का इतना निम्न स्तर प्राप्त नहीं हुआ है। तथापि, इन राज्यों के अधिकांश जिलों (70% से अधिक) में, जहां हिंदू आबादी में प्रजनन परिवर्तन हो रहा है, हिंदुओं का टीएफआर 2 और 3 के बीच है। उत्तर-मध्य प्रांत के राज्यों में लगभग 20-35% जिले ऐसे हैं जहां हिंदुओं में टीएफआर 3 और 4 के बीच है। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि 618 जिलों में से, मेघालय के केवल एक जिले में हिंदू आबादी का टीएफआर उच्च या प्रति महिला चार प्रसव से अधिक था।
आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के सभी जिलों में, मुस्लिमों में टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर तक पहुंच गया है या उससे नीचे है। छोटे राज्यों में, सिक्किम में मुस्लिमों का टीएफआर इस स्तर पर पहुंच गया है। इसके अलावा, मुस्लिमों की टीएफआर ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, केरल और छत्तीसगढ़ के जिलों में उल्लेखनीय अनुपात में इस तरह के स्तर को प्राप्त किया है। इन राज्यों के लगभग सभी शेष जिलों में, मुस्लिमों का टीएफआर 2 से 3 के बीच है और प्रतिस्थापन स्तर पर पहुंच रहा है। हिंदुओं की तरह, उत्तर-मध्य प्रांत में भी मुस्लिमों में टीएफआर अधिक है। इन राज्यों में केवल कुछ जिलों (और बिहार राज्य में कोई जिला नहीं) में, मुस्लिमों का टीएफआर निम्न स्तर पर है। इसके अलावा, इन राज्यों में ऐसे जिलों का पर्याप्त अनुपात है जहां मुस्लिमों का टीएफआर 2 और 3 और 3 और 4 के बीच है। राजस्थान, बिहार, झारखंड और मेघालय में कुछ भाग (18 जिले) ऐसे भी हैं जहाँ बहुत उच्च प्रजनन दर (टीएफआर> 4) है।
आम तौर पर यह देखा गया है कि प्रजनन दर में काफी गिरावट वाले क्षेत्रों में शायद ही कोई ऐसा जिला है जहाँ मुस्लिमों में प्रजनन दर बहुत अधिक है। इसमें उल्लेखनीय अपवाद असम और हरियाणा हैं।
हिंदुओं में प्रजनन परिवर्तन व्यापक रूप से पाया गया, जिसमें देश के पूरे दक्षिणी, उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी भाग शामिल थे। उत्तर-पूर्वी भागों में भी हिंदू आबादी की प्रजनन दर में गिरावट भी काफी हद तक दिखाई पड़ती है। यहां तक कि अपेक्षाकृत उच्च प्रजनन वाले उत्तर-मध्य क्षेत्र में भी कुछ भाग ऐसे हैं जहाँ हिंदुओं की प्रजनन दर कम है। भारत के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के चरम दक्षिण तथा पहाड़ी इलाकों और उत्तर के ऊंचाई वाले जिलों-सहित अधिकांश जिलों में मुस्लिमों की प्रजनन दर या तो प्रतिस्थापन स्तर पर पहुंच गई है या उससे नीचे है। इसके अलावा, उत्तर-पूर्वी और पूर्वी क्षेत्रों के कुछ भागों में मुस्लिमों की प्रजनन दर भी निम्न स्तर पर पहुंच गई है। अरब तट से सटे कुछ जिलों और उत्तर-मध्य भारत में कुछ इलाकों में मुस्लिमों की प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर तक पहुंच गई है। दक्षिण-मध्य क्षेत्र के अधिकांश जिलों में और कुछ इलाकों को छोड़कर पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में भी मुस्लिमों में प्रजनन परिवर्तन हो रहा है। इस प्रकार से, कोई यह तर्क दे सकता है कि यद्यपि मुस्लिमों में प्रजनन दर हिंदुओं की तुलना में अधिक है, लेकिन हिंदुओं और मुस्लिमों की प्रजनन दर के एक स्तर पर आने का स्पष्ट संकेत है, जो निकट भविष्य में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में या तो प्रतिस्थापन स्तर के बराबर होगी या नीचे होगी।
निष्कर्ष
वर्तमान विश्लेषण से यह पता लगाया जा सकता है कि 2001 की जनगणना के राज्य-स्तरीय अप्रत्यक्ष अनुमानों की तुलना में, हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों के लिए प्रजनन परिवर्तन अलग-अलग गति से चल रहा है। यह भी देखा गया है कि यद्यपि हिंदुओं और मुस्लिमों की प्रजनन दर को एक स्तर पर लाने का कार्य चल रहा है, फिर भी महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भिन्नताएं अभी भी बनी हुई हैं।
यदि इस तरह का परिवर्तन बना रहता है, तो राष्ट्रीय स्तर का टीएफआर अगले कुछ वर्षों में प्रतिस्थापन स्तर पर पहुंच जाएगा। यह भट (2009) द्वारा किये गए टीएफआर के प्रक्षेपण के अनुरूप है; हालांकि, यह गिरावट संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या प्रभाग के अनुमान से तेज है। भारत भर के कई जिलों में प्रति महिला एक बच्चे से अधिक टीएफआर के स्तर में कमी हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों के सन्दर्भ में देखी जा सकती है। हमने कुछ 'अल्ट्रा-लो' फर्टिलिटी जोन भी देखे हैं जहां दोनों धर्मों के लिए टीएफआर लगभग 1.5 है। ये जिले पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हिमाचल प्रदेश के शिमला और हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ अन्य उच्च ऊंचाई वाले जिले हैं। आगे के अध्ययन भारत के इन जिलों में दोनों धार्मिक समूहों के बीच इस तरह की 'अल्ट्रा-लो' प्रजनन दर के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं।
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टिप्पणियाँ:
- कुल प्रजनन दर (TFR) का अनुमान पी/एफ अनुपात पद्धति के अरैगा संस्करण का उपयोग करके लगाया गया था। विवरण के लिए, अरैगा 1983, ब्रास 1964, ब्रास और कोएल 1968 देखें।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि नमूना पंजीकरण प्रणाली, 2011 से प्राप्त टीएफआर और 2011 की जनगणना से गणना की गई टीएफआर के बीच अत्यधिक बेमेल है। इससे पहले के शोधकर्ताओं (उदाहरण के लिए, गिलमोटो और राजन 2013) ने भी इसका अवलोकन किया है।
लेखक परिचय: डॉ. शाश्वत घोष इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज कोलकाता (IDSK)में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

































































































