स्वच्छ भारत मिशन के बाद चार फोकस वाले राज्यों में प्रचलित खुले में शौच को समझने की कोशिश में, व्यास और गुप्ता एनएफएचएस-5 के निष्कर्षों का मूल्यांकन करते हैं। वे पाते हैं कि पारिवारिक स्तर पर एकत्र किए गए डेटा के उपयोग और प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह की संभावना के चलते खुले में शौच की दर को एनएफएचएस द्वारा कम आंके जाने की संभावना है। अनुमानों को समायोजित करने के पश्चात वे पाते हैं कि वर्ष 2019-21 के दौरान फोकस वाले राज्यों में लगभग आधे ग्रामीण भारतियों ने खुले में शौच किया।
स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के पांच वर्षों के बाद, अक्टूबर 2019 में भारत को खुले में शौच-मुक्त घोषित किया गया था। कोविड-19 और संबंधित लॉकडाउन से उत्पन्न बाधाओं के कारण, हाल तक इस दावे का आकलन करने हेतु कोई राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया था। हम भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) द्वारा हाल ही में जारी माइक्रो-डेटा का उपयोग करते हैं, जिसमें वर्ष 2019 और 2021 के बीच परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है, ताकि एसबीएम के बाद से ग्रामीण भारत में प्रचलित खुले में शौच को समझा जा सके।
हम विशेष रूप से ग्रामीण बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश- जिन्हें हम सामूहिक रूप से फोकस राज्य कहते हैं, में प्रचलित खुले में शौच को समझने में रुचि रखते हैं। इन राज्यों में भारत की ग्रामीण आबादी के पाँच में से लगभग दो हिस्से बसते है। एसबीएम से पहले खुले में शौच करने वाले अधिकांश ग्रामीण परिवारों भी यहीं निवास करते हैं। वर्ष 2014 से, हमने अपने सह-लेखकों के साथ, इन राज्यों में स्वच्छता दृष्टिकोण, वरीयताओं और व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मात्रात्मक डेटा संग्रह के साथ-साथ गुणात्मक क्षेत्र कार्य- दोनों किया है (कॉफ़ी एवं अन्य 2014, कॉफ़ी एवं अन्य 2017, गुप्ता एवं अन्य 2019, गुप्ता और अन्य 2020)।
एनएफएचएस ने वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के बीच, सभी ग्रामीण परिवारों द्वारा खुले में शौच में 28 प्रतिशत अंकों की कमी और फोकस राज्यों में ग्रामीण परिवारों द्वारा 36 प्रतिशत अंकों की कमी का अनुमान लगाया है। वर्ष 2019-21 में, सभी ग्रामीण परिवारों में से लगभग एक-चौथाई और फोकस राज्यों में लगभग एक-तिहाई ग्रामीण परिवारों ने खुले में शौच करना जारी रखा।
यह इस लेख के शीर्षक में पूछे गए प्रश्न का एक उत्तर देता है। इस लेख के बाकी हिस्सों में, हम चर्चा करते हैं कि यह ग्रामीण भारत में खुले में शौच को कम क्यों आंक सकता है। हम फोकस राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच के अधिक परिष्कृत अनुमान लगाने हेतु एनएफएचएस डेटा का उपयोग करते हैं, तथा विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करते हुए, हम अनुमान लगाते हैं कि वर्ष 2019 और 2021 के दौरान फोकस राज्यों के लगभग आधे ग्रामीण भारतियों ने खुले में शौच किया।
एनएफएचएस द्वारा खुले में शौच को कम आंकने की संभावना क्यों है?
एनएफएचएस द्वारा खुले में शौच को कम आंकने की संभावना का एक कारण यह है कि इसमें पारिवारिक स्तर पर व्यक्तिगत व्यवहार के बारे में प्रश्न पूछा जाता है। प्रत्येक परिवार में सर्वेक्षण में पूछा जाता है: "आपके परिवार के सदस्य आमतौर पर किस प्रकार की शौचालय सुविधा का उपयोग करते हैं?" सर्वेक्षणकर्ता प्राप्त प्रतिक्रियाओं को विभिन्न प्रकार के शौचालयों, या खुले में शौच के रूप में वर्गीकृत करते हैं। ग्रामीण भारत में पूर्व में किये गए शोध में यह पाया गया है कि जिन परिवारों के पास शौचालय है उन में भी, कुछ व्यक्तियों द्वारा शौचालय का उपयोग करना और दूसरों द्वारा खुले में शौच करना आम बात है (कॉफ़ी एवं अन्य 2014)। व्यास एवं अन्य (2019) ने एक यादृच्छिक सर्वेक्षण प्रयोग का उपयोग कर पाया कि एनएफएचएस में पूछे गए पारिवारिक स्तर के प्रश्न के उत्तर में व्यक्तिगत स्तर के प्रश्न की तुलना में 20 प्रतिशत अंक कम खुले में शौच जाना पाया गया।
एनएफएचएस-5 द्वारा विशेष रूप से खुले में शौच को कम आंके जाने का एक और कारण है, क्योंकि इसमें खुले में शौच को खत्म करने हेतु एक गहन, हाई-प्रोफाइल और बलपूर्वक अभियान का अनुसरण किया गया है (गुप्ता एवं अन्य 2019)। इसके चलते, उत्तरदाताओं को ऐसे उत्तर देने पड़े होंगे जो उन्हें सामाजिक रूप से अधिक वांछनीय या आंशिक रूप से सही लगे होंगे, भले ही वे उत्तर पूरी तरह से गलत हों।
जिन्होंने मूल प्रश्न "खुले में शौच" का उत्तर दिया था, उन लोगों को एनएफएचएस-5 में कुछ अतिरिक्त प्रश्न भी पूछे गए। सर्वेक्षणकर्ताओं को यह पूछने का निर्देश दिया गया था: "क्या आपके परिवार के सदस्यों के लिए शौचालय की सुविधा है?" और "आपके परिवार के सदस्यों के पास किस प्रकार की शौचालय सुविधा है?" ये अतिरिक्त प्रश्न एनएफएचएस-5 प्रश्नावली में हाल ही में जोड़े गए थे, जो एनएफएचएस-पूर्व प्रश्नावली में नहीं थे। हालांकि हम एनएफएचएस-5 हेतु प्रश्नावली को डिजाइन करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं थे, लेकिन संभावना है कि इन अनुवर्ती प्रश्नों को एसबीएम के जरिये शौचालय निर्माण को समझने के उद्देश्य से शामिल किया गया था। व्यवहार में, इन अनुवर्ती प्रश्नों ने उत्तरदाता को मूल प्रश्न "खुले में शौच" का जवाब देने से हतोत्साहित किया हो सकता है, या उत्तरदाता को अपनी प्रतिक्रिया बदलने के लिए प्रोत्साहित किया हो।
हम एनएफएचएस में सीधे तौर पर इस तरह के प्रतिक्रिया पूर्वाग्रह को नहीं देख सकते हैं। तथापि, एनएफएचएस-5 और ग्रामीण स्वच्छता और ठोस ईंधन उपयोग सर्वेक्षण (आरएसएफयू) के बीच तुलना में, हमारे द्वारा वर्ष 2018 में फोकस राज्यों में किये गए एक घरेलू सर्वेक्षण प्रतिनिधि से पता चलता है कि एनएफएचएस-5 में खुले में शौच को कम करके आंका गया हो। हम दो अलग-अलग संकेतकों की तुलना करते हैं।
सबसे पहला, जैसा कि तालिका-1 में दिखाया गया है, एनएफएचएस ने आरएसएफयू1 की तुलना में शौचालय मालिकों द्वारा बहुत कम खुले में शौच किया जाना पाया। आरएसएफयू के अनुसार, वर्ष 2018 में शौचालय के स्वामित्व वाले परिवारों में लगभग पांच सदस्यों में से एक व्यक्ति खुले में शौच करने गया। यह आँकड़ा उन्हीं परिवारों के वर्ष 2014 में किये गए सर्वेक्षण के बाद भी बहुत स्थिर बना हुआ है। हालांकि, एनएफएचएस-5 के अनुसार, शौचालय के स्वामित्व वाले केवल 2% परिवारों ने खुले में शौच किया।
तालिका 1. शौचालय मालिकों द्वारा खुले में शौच
नमूना
खुले में शौच:
घरों में शौचालय की पहुंच
उन व्यक्तियों में जिनके घर में शौचालय है
उन घरों में जिनमें है
सर्वेक्षण
आरएफएसयू
(2018)
एनएफएचएस-5
(2019-21)
आरएफएसयू
(2018)
एनएफएचएस-5
(2019-21)
ग्रामीण भारत
--
3%
--
75%
ग्रामीण फोकस राज्य
23%
2%
71%
67%
राजस्थान
40%
2%
78%
72%
उत्तर प्रदेश
21%
2%
73%
73%
बिहार
21%
1%
50%
55%
मध्य प्रदेश
16%
4%
90%
69%
स्रोत: गुप्ता एवं अन्य द्वारा आरएसएफयू अनुमान। (2020), और एनएफएचएस-5 (2019-21)।
नोट: हम अनुमानों की अशुद्धि के कारण कॉलम 3 में राज्यों के लिए अलग से अनुमान नहीं दर्शाते हैं।

क्या यह संभव है कि वर्ष 2018 और 2019-21 के दौरान शौचालय मालिकों द्वारा खुले में शौच किया जाना इतना कम हो गया हो? आरएसएफयू के तहत डेटा संग्रह शुरू किये जाने से पहले, मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों ने पहले ही अपने राज्यों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया था और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) का काम काफी हद तक समाप्त हो गया था। फिर भी, मध्य प्रदेश में शौचालय के स्वामित्व वाले परिवारों में 16% और राजस्थान में 40% लोग खुले में शौच करते हैं। इससे पता चलता है कि एनएफएचएस-5 में शौचालय मालिकों द्वारा खुले में शौच किया जाना कम करके आंका गया है।
दूसरा, मूल एनएफएचएस प्रश्न के जवाब में दर्ज किए गए शौचालयों के प्रकारों की जांच उन राज्यों में भिन्नता दर्शाती है, जो आरएसएफयू के विपरीत है। दोनों सर्वेक्षणों में, शौचालय निर्माण संबंधी अन्य बदलावों के साथ-साथ एकल-गड्ढा शौचालय, दोहरे गड्ढों वाले शौचालय और सेप्टिक टैंक को अलग-अलग कोडित किया गया। आरएसएफयू ने पाया कि फोकस राज्यों में लगभग एक-चौथाई शौचालय दोहरे गड्ढे वाले शौचालय थे। हालांकि, एनएफएचएस-5 के आंकड़ों में, उत्तर प्रदेश एकमात्र फोकस राज्यों में से एक है, जहां दोहरे गड्ढे वाले शौचालयों की पर्याप्त संख्या दर्ज की गई है। अन्य राज्यों में दोहरे गड्ढों वाले शौचालयों का अनुपात काफी कम है। एनएफएचएस के सापेक्ष, वर्ष 2018 के आरएसएफयू में बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में दोहरे गड्ढों वाले शौचालयों का अनुपात अधिक पाया गया।
वर्ष 2018 में हमारे द्वारा किये गए फील्ड वर्क में, हमने पाया कि अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में स्थानीय अधिकारियों ने लोगों को दोहरे गड्ढों वाले शौचालयों के बारे में शिक्षित करने पर अधिक जोर दिया था। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि जिन शौचालयों का निर्माण किया गया था, उनमें दोहरे गड्ढों वाले शौचालय होने की अधिक संभावना थी, और बाद के एनएफएचएस में पाए गए शौचालयों के प्रकारों में, राज्यों में कुछ अंतर स्पष्ट देखे जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा दोहरे गड्ढों वाले शौचालयों पर ध्यान केंद्रित करने से सर्वेक्षक प्रशिक्षण प्रभावित हो सकता है, अधिक सामाजिक वांछनीयता पूर्वाग्रह और/या उत्तरदाताओं में अधिक जागरूकता पैदा हो गई हो, जिससे राज्य में दोहरे गड्ढों वाले शौचालयों के पाए जाने की अधिक संभावना थी।
फोकस राज्यों में ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच की घटनाएं
हम फोकस वाले राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच का अनुमान कई तरह से लगाते हैं। पहले अनुमान हेतु किसी गणना की आवश्यकता नहीं है: यह केवल एनएफएचएस-5 में परिवारों का अंश है जिसने सर्वेक्षण में "खुले में शौच" का जवाब दिया। यह तालिका-2 के कॉलम 2 में दर्शाया गया है। हालांकि, ऊपर बताए गए कारणों से, यह खुले में शौच का कम अनुमान है।
हम तालिका-2 के कॉलम 3 और 4 में, दो अलग-अलग समायोजन विधियों का उपयोग करके अपने अनुमानों की गणना करते हैं। पहली पद्धति में, व्यास एवं अन्य (2019) के निष्कर्षों के आधार पर एनएफएचएस-5 के अनुमानों को समायोजित किया गया है। उस अध्ययन के लिए, हमने ग्रामीण बिहार, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात में एक यादृच्छिक सर्वेक्षण प्रयोग आयोजित करने हेतु शोधकर्ताओं की एक टीम के साथ काम किया। आधे परिवारों को एनएफएचएस प्रश्न पूछा गया, और आधे परिवारों को खुले में शौच के बारे में व्यक्तिगत स्तर का प्रश्न पूछा गया। हमने पाया कि एनएफएचएस प्रश्न में खुले में शौच को औसतन लगभग 20 प्रतिशत अंकों और राज्य में 10 प्रतिशत अंकों से कम करके आंका गया, जिसने दो प्रश्नों के बीच सबसे छोटा अंतर दर्शाया। इन निष्कर्षों के आधार पर कॉलम 3 के तहत ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच के लिए एक सीमा दर्शायी है, जिसमें हम एनएफएचएस-5 अनुमानों को 10-20 प्रतिशत अंकों2 से समायोजित करते हैं। इस पद्धति का उपयोग करते हुए पाया गया कि वर्ष 2019-21 में फोकस राज्यों के लगभग आधे ग्रामीण परिवारों ने खुले में शौच किया।
तालिका 2. ग्रामीण उत्तर भारत में खुले में शौच का समायोजित अनुमान
सर्वेक्षण
आरएफएसयू
(2018)
एनएफएचएस -5 (2019-21)
नमूना इकाई
व्यक्तिगत
परिवार
व्यक्तिगत
परिवार
गणना पद्धति
कोई नहीं
कोई नहीं
व्यास एवं अन्य के आधार पर समायोजन। (2019)
आरएफएसयू मॉडल अनुमानों के आधार पर आकलन
(1)
(2)
(3)
(4)
ग्रामीण भारत
--
27%
37-47%
--
ग्रामीण फोकस राज्य
44%
34%
44-54%
45%
राजस्थान
53%
29%
--
51%
उत्तर प्रदेश
39%
29%
--
38%
बिहार
60%
45%
--
55%
मध्य प्रदेश
25%
34%
--
38%
स्रोत: एनएफएचएस-5 (2019-21) और आरएसएफयू (2018) पर आधारित लेखकों द्वारा की गई गणना।

नोट: हम अनुमानों की अशुद्धि के कारण कॉलम 3 में राज्यों के लिए अलग से अनुमान नहीं दर्शाते हैं।
हमारे द्वारा उपयोग की गई दूसरी पद्धति के तहत, सरल लॉजिस्टिक मॉडल के आधार पर एनएफएचएस-5 परिवारों में दो वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों द्वारा खुले में शौच किये जाने का अनुमान लगाया गया है, वहीँ आरएसएफयू में खुले में शौच पारिवारिक और व्यक्तिगत विशेषताओं का एक कार्य है। मॉडल में हम जिन विशेषताओं का उपयोग करते हैं उनमें शामिल हैं: आयु, परिवार में लोगों की संख्या, शौचालय का प्रकार (गड्ढा शौचालय, सेप्टिक टैंक, अन्य, या कोई नहीं), और राज्य, हर एक को महिला के लिए एक संकेतक और सात संपत्तियों में3 से प्रत्येक के साथ “इंटरैक्ट” कराया गया। यदि हम किसी व्यक्ति के खुले में शौच किये जाने के अनुमान को 0.50 से अधिक की अनुमानित संभावना4 के आधार पर कोडित करते हैं, तो यह मॉडल आरएसएफयू में शामिल दो वर्ष से अधिक आयु के 82% व्यक्तियों के व्यवहार का सटीक अनुमान लगाता है। इस मॉडल को एनएफएचएस में शामिल व्यक्तियों पर लागू करने से, ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच हेतु फोकस राज्यों में आधे से थोड़ा कम का पूर्वानुमान मिलता है।
दोनों समायोजन पद्धतियों से समान परिणाम मिलते हैं: फोकस राज्यों में वर्ष 2019-21 के दौरान लगभग आधे ग्रामीण भारतीयों ने खुले में शौच किया। यह वर्ष 2018 के आरएसएफयू के अनुमान के समान है। कॉफ़ी एवं अन्य (2021) में, हमारे सहयोगियों ने एनएफएचएस जिला स्तरीय चरण 1 तथ्य-पत्रक से फोकस राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच के बारे में क्या सीखा जा सकता है, इसके बारे में से लिखा, जिसमें बिहार के संदर्भ में बेहतर स्वच्छता का अनुमान सामने आया, और फोकस राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच के समान अनुमान के साथ- यानी लगभग आधा अनुमान आया।
निष्कर्ष
वर्ष 2015-16 में फोकस राज्यों के 70% ग्रामीण परिवारों द्वारा खुले में शौच किए जाने का अनुमान लगाया गया था, वर्ष 2019-21 में खुले में शौच के सभी अनुमानों में काफी गिरावट आई है। वर्ष 2019-21 के लिए उपयोग किए गए सटीक अनुमान के आधार पर, फोकस राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच में प्रति वर्ष 6-9 प्रतिशत की कमी आई है। यह वर्ष 2005-06 और 2015-16 (कॉफी एंड स्पीयर्स 2018) के बीच कमी के 2 प्रतिशत बिंदु वार्षिक दर की तुलना में तेज गति से वृद्धि है। तथापि, ग्रामीण भारत में खुले में शौच को समाप्त करना बहुत दूर की बात है, अतः शौचालय के उपयोग को प्रोत्साहित करने का काम जारी रहना चाहिए।
टिप्पणियाँ:
- एनएफएचएस-5 में शौचालय मालिकों द्वारा खुले में शौच किये जाने का अनुमान लगाने के लिए, हम नए जोड़े गए प्रश्नों का उपयोग करते हैं। यदि परिवारों ने मूल प्रश्न के उत्तर में "खुले में शौच" को चुना है तो उन्हें खुले में शौच करने वाले के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन हम किसी परिवार को शौचालय होने के रूप में तब वर्गीकृत करते हैं जब मूल प्रश्न के उत्तर में उत्तरदाता ने या तो कहा कि वे शौचालय का उपयोग करते हैं, या अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर में कहा कि उनके पास शौचालय तक पहुंच है। आरएसएफयू में, हमने शौचालय के स्वामित्व और व्यक्तिगत स्तर के शौचालय के उपयोग को अलग-अलग मापा।
- परिवारों द्वारा खुले में शौच किये जाने को मापने हेतु, इस समायोजन को एक चर के रूप में सबसे अच्छा माना जा सकता है, जो बाइनरी चर के बजाय 0-1 की सीमा में भिन्न मान ले सकता है।
- सात संपत्तियों में शामिल हैं: घड़ी, बिजली, साइकिल, मोबाइल फोन, टेलीविजन, मोटरसाइकिल और रेफ्रिजरेटर।
- लॉजिस्टिक रिग्रेशन मॉडल के अनुसार, अनुमानित संभावना वह संभावना है, जो व्यक्ति खुले में शौच करता है।
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लेखक परिचय: संगीता व्यास सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क में विकास अर्थशास्त्री और जनसांख्यिकी विशेषज्ञ हैं। आशीष गुप्ता ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग और लेवरहल्मे सेंटर फॉर डेमोग्राफिक साइंस में मैरी स्कोलोडोस्का-क्यूरी फेलो हैं।


































































































