लिंग-आधारित हिंसा की रिपोर्टिंग : सार्वजनिक सक्रियता और संवाद क्यों महत्वपूर्ण हैं
कोलकाता के एक अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक महिला डॉक्टर के साथ हुए क्रूरतापूर्वक बलात्कार और हत्या के हालिया मामले के कारण देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए और इसने एक बार फिर भारत में महिलाओं की सुरक्ष...
- Abhilasha Sahay
- 28 नवंबर, 2024
- लेख
भारत के कुल रोज़गार में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा : प्रदर्शन खराब नहीं है
भारत में नौकरियों के बारे में उपलब्ध आँकड़े पिछले 50 वर्षों में भारत के कुल रोज़गार में विनिर्माण के हिस्से में मामूली वृद्धि ही दर्शाते हैं। इस लेख में बिश्वनाथ गोलदार ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि व...
- Bishwanath Goldar
- 26 नवंबर, 2024
- लेख
रक्षात्मक सहयोग : भारतीय मुसलमानों के समाज-सार्थक दृष्टिकोण को समझना
विकास के मुख्यधारा के सिद्धांत अधिक समरूप परिस्थितियों में सार्वजनिक साधनों में योगदान करने की अधिक इच्छा को दर्शाते हैं। दिल्ली की झुग्गियों में किए गए एक अध्ययन के निष्कर्षों को इस लेख में प्रस्तुत ...
- Melani Cammett Poulomi Chakrabarti David Romney
- 21 नवंबर, 2024
- लेख
सामाजिक-धार्मिक समूहों के भीतर व्याप्त जातिगत असमानताएँ: उत्तर प्रदेश से साक्ष्य प्रमाण
मंडल आयोग और सचर समिति की रिपोर्ट में चार प्रमुख जाति समूहों के भीतर जातिगत असमानताओं के अस्तित्व को दर्शाया गया है। हालाँकि, इस विषय पर सीमित डेटा ही उपलब्ध है। यह लेख उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014-2015...
- Srinivas Goli Chhavi Tiwari
- 13 मई, 2022
- लेख
क्या स्कूल प्रबंधन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढाने से स्कूल की गुणवत्ता में सुधार होता है?
वर्ष 2009 में लागू किये गए शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) ने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से स्कूलों में जवाबदेही में सुधार लाने हेतु सार्वजनिक और निजी सहायता-प्राप्त स्कूलों को स्कूल प्रबंधन समितिय...
- Chandan Jain Bharti Nandwani
- 05 मई, 2022
- लेख
बिजली की कटौती को कम करने हेतु बिजली संयंत्रों की प्रोत्साहन राशि निश्चित करना
भारत में अपेक्षाकृत उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे और बिजली संयंत्रों की पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद, उपभोक्ताओं को लगातार बिजली की कटौती का सामना करना पड़ता है। यह लेख भारत में ब्लैकआउट के सन्दर्भ ...
- Fiona Burlig Akshaya Jha Louis Preonas
- 26 अप्रैल, 2022
- लेख
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) का स्वास्थ्य सेवा के उपयोग और खर्च को कैसे प्रभावित किया
सामाजिक स्वास्थ्य बीमा का उद्देश्य गरीबों को उनके स्वास्थ्य पर होने वाले अत्यधिक खर्च से बचाना और उन्हें स्वास्थ्य सेवा के अधिकाधिक उपयोग हेतु प्रोत्साहित करना है। इस लेख में, वर्ष 2004-05 और वर्ष 201...
- Souvik Dutta Subhasree Sarkar
- 21 अप्रैल, 2022
- लेख
हिमाचल की शहरी रोजगार गारंटी योजना की जांच
भारत में अर्थशास्त्रियों द्वारा शहरी रोजगार कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे में दिए गए सुझावों के बावजूद, इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर की नीति के अमल में आने में कुछ और समय लगेगा। हालांकि, कुछ राज्यों ने...
- Krishna Priya Choragudi
- 13 अप्रैल, 2022
- फ़ील्ड् नोट
आरबीआई के कार्य (और वक्तव्य) कैसे वित्तीय बाजारों को प्रभावित करते हैं
विकसित देशों में उनके केंद्रीय बैंक द्वारा घोषित नीतिगत दरों में अप्रत्याशित परिवर्तन के चलते वित्तीय बाजारों को लगने वाले मौद्रिक झटके के प्रति पर्याप्त प्रतिक्रिया दर्शाने के लिए जाना जाता है। यह ले...
- Aeimit Lakdawala Rajeswari Sengupta
- 08 अप्रैल, 2022
- लेख
व्यापार, आंतरिक प्रवास और मानवीय पूंजी: भारत में आईटी में तेजी का फायदा किसे हुआ
भारतीय अर्थव्यवस्था में 1993-2004 के दौरान व्यापार में विस्तार हुआ और आईटी में तेजी आई। कुछ चुनिंदा बड़े शहरों में केंद्रित उच्च कौशल-गहन क्षेत्र में हुए शानदार विकास ने देश भर में असमानता को कैसे प्र...
- Devaki Ghose
- 05 अप्रैल, 2022
- लेख
भारत में कोविड-19: मामले, मौतें और टीकाकरण
भारत में कोविड-19 की तीसरी बड़ी लहर के रूप में इसके ओमाइक्रोन वेरिएंट का प्रसार हुआ है, जिसमें मामलों की संख्या तो दूसरी लहर से अधिक है, लेकिन इससे बीमारी का खतरा औसतन कम गंभीर रहा है। इस लेख में, कुं...
- Rachel M. Gisselquist Anustup Kundu
- 29 मार्च, 2022
- दृष्टिकोण
भारतीय कानून कितना औपनिवेशिक है?
भारत में औपनिवेशिक शासन और इसकी कार्यप्रणालियों से संबंधित आलोचनाओं के चलते कई प्रसंगों में इसके साथ कानून जोड़े गए हैं, ताकि औपनिवेशिक विरासत की दासत्वपूर्ण परंपरा में परिवर्तन लाया जा सके। इस लेख में...
- Tirthankar Roy Anand Swamy
- 22 मार्च, 2022
- लेख
जलवायु संकट में भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना
सभी देशों की तरह भारत के लिए भी, जलवायु परिवर्तन एक अत्यंत तेजी से बढती समस्या बन गई है। इस लेख के जरिये पिल्लई एवं अन्य तर्क देते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पन...
- Parth Bhatia Navroz K. Dubash Aditya Valiathan Pillai
- 15 मार्च, 2022
- दृष्टिकोण
महामारी के समय में बजट और राजनीति
हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर द...
- Yamini Aiyar
- 11 मार्च, 2022
- दृष्टिकोण
बजट 2022-23: सफलताएं एवं चूक
वर्ष 2022-23 के बजट की सफलताएं एवं चूक को रेखांकित करते हुए, राजेश्वरी सेनगुप्ता यह तर्क देती हैं कि सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना एक सही दिशा में कदम प्रतीत होता है, जबकि संरक्षणवाद पर निर...
- Rajeswari Sengupta
- 09 मार्च, 2022
- दृष्टिकोण