अभिभावक लड़कियों की शिक्षा में निवेश क्यों करते हैं? ग्रामीण भारत से प्रमाण

11 September 2019
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ग्रामीण राजस्थान में किशोरियां अक्सर कम उम्र में पढ़ना छोड़ देती हैं और कम उम्र में हीं उनकी शादी भी हो जाती है। इस आलेख में बेटी की शिक्षा और विवाह की उम्र के बारे में औसत अभिभावक की पसंदों, तथा विवाह बाजार में उसकी संभावनाओं के विकास के बारे में आत्मगत धारणाओं की जानकारी सामने लाने के लिए एक अनूठी प्रविधि विकसित की गई है। इसमें पाया गया है कि एक मनपसंद वर ढूंदना लड़कियों की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण प्रेरक है। लड़कियों को स्कूलों में टिके रहने में मददगार नीतियों से उनके कम उम्र में विवाह होने रोका जा सकता है।

भारत के ग्रामीण राजस्थान में किशोरियां अक्सर कम उम्र में पढ़ना छोड़ देती हैं और कम उम्र में हीं उनकी शादी भी हो जाती है - एक-तिहाई लड़कियां 16 वर्ष की उम्र तक स्कूल छोड़ चुकी होती हैं और एक-तिहाई की 18 वर्ष की होने तक शादी हो जाती है – जिस से उनके भविष्य की कुशलता को लेकर चिंताजनक परिणाम होते हैं (डफ्लो 2012)। ऐसे संदर्भ में, जहां अपनी शिक्षा और विवाह पर लड़कियों का कोई वश नहीं हो, स्कूल छोड़ने और विवाह में विलंब के उद्देश्य से बने नीतियों के प्रभाव के पूर्वानुमान के लिए यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उनके अभिभावकों के निर्णय किन चीजों से प्रेरित होते हैं।

विवाह बाजार के प्रतिफल

शिक्षा में निवेश की तर्कसंगत व्याख्या अक्सर श्रम बाजार में उससे मिलने वाले प्रतिफलों (रिटर्न्स) से की जाती है। हालांकि ग्रामीण राजस्थान में यह मकसद अपेक्षाकृत कमजोर है – बहुत कम महिलाएं भुगतान पाने के लिए काम करती हैं, और किसी भी स्थिति में महिलाओं द्वारा कमाया गया धन उनके अपने माता-पिता के बजाय उनके पति के परिवार के पास जाता है। बल्कि, हमारी सेटिंग में विवाह महिलाओं के भविष्य और खैरियत का तार्किक रूप से सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक है।

लड़कियों की उम्र और शिक्षा, एक उचित वर से उनके विवाह के मौके को प्रभावित कर सकती है (चियाप्पोरी एवं अन्य 2015, अट्टानासिओ एवं कॉफमैन 2017)। अगर माता-पिता अपनी बेटी के विवाह की गुणवत्ता का ध्यान रखते हैं, चाहे वो परोपकारी या अन्य कारणों से हो, तब ये ‘विवाह बाजार के प्रतिफल’ शिक्षा संबंधी निर्णयों को और उस उम्र को प्रभावित कर सकते हैं जिसमें उपयुक्त जोड़ीदार की तलाश की जाती है।

हाल के एक शोध कार्य (एडम्स एवं एंड्र्यू 2019) में हमने पाया कि बेटियों को शिक्षित करने के लिए अभिभावकों की मुख्य प्रेरणा इस विश्वास से है कि शिक्षा से अच्छा वेतन और सुरक्षित नौकरी वाले व्यक्ति से उसकी शादी होने का मौका बढ़ जाएगा। अभिभावकों के लिए विवाह बाजार के इस लाभ के एलवा किशोरियों को पढ़ाने की इच्छा कम ही होती है। अन्य चीजों के समान होने पर अभिभावक 18 साल की उम्र तक अपनी बेटी की शादी टालने के लिए इच्छुक होंगे, क्योंकि यह मानना है कि पढ़ाई छोड़ने के हर साल के साथ लड़की के विवाह की संभावना कमजोर पड़ती जाती है। हमारे परिणाम संकेत देते हैं कि लड़कियों को स्कूल में रखने के लिहाज से परिवारों के लिए मददगार नीतियों का कम उम्र में होने वाले विवाहों में कमी लाने के मामले में बड़ा द्वितीयक प्रभाव होना चाहिए।

प्रविधि: संवेदनशील विषयों पर निर्णय लेने के बारे में समझने के लिए एक अनूठे सर्वे की रचना

इस संदर्भ में अभिभावकों के निर्णयों पर मात्रात्मक प्रमाण मिलना मुश्किल है। अलग-अलग तरह के कई कारक सक्रिय रहते हैं जिन्हें विवाह के पैटर्न और पूरी की गई शिक्षा के आंकड़ों में से अलग करना कठिन है। जैसे क्या कम उम्र में पढ़ाई छोड़ना अभिभावकों द्वारा लड़कियों की शिक्षा को दिए गए महत्व की कमी को व्यक्त करती है, एक धारणा कि ‘अति-शिक्षा’ से उसके अच्छा विवाह हो पाने की संभावना कम हो जाएगी, या घर की स्थिति पर लगने वाला कोई सदमा जो लड़की का स्कूल में पढ़ाई जारी रखना मुश्किल कर देता है?

क्या कम उम्र में विवाह होना लड़कियों की कम उम्र में शादी कर देने की इच्छा व्यक्त करता है, या इस धारणा को व्यक्त करता है कि उसके लिए अच्छी शादी का मौका दुबारा मिलने की संभावना नहीं है? साथ ही, ये संवेदनशील विषय हैं; 18 साल की उम्र से पहले शादी और दहेज तकनीकी रूप से गैरकानूनी हैं, लेकिन दोनो आम बाते हैं जिनके कारण सामान्य सर्वेक्षणों में गलत रिपोर्टिंग होती है।

अभिभावकों की पसंद और विश्वासों को सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील तरीके से समझने के लिए हमने अपने अध्ययन में दो प्रकार के सर्वे प्रश्नावली की रचना की। दोनो प्रश्नावलियों में परिवारों के बारे में काल्पनिक शब्दचित्र का उपयोग किया गया है जिन्हें ऐसे गांव में रहता बताया गया है जो उत्तरदाता के गांव के समान है।

हमने पहले वास्तविक प्रयोग में एक 12 साल की लड़की के अभिभावकों के परिवार की संपत्ति और परिस्थतियों का वर्णन किया। उत्तरदाताओं से कल्पना करने के लिए कहा गया कि बेटी की शिक्षा एवं विवाह के लिए दो संभव विकल्प हैं। हर विकल्प में पूरी की गई शिक्षा, विवाह की उम्र, और संभावित वर के विकल्प भिन्न हैं। उत्तरदाताओं को पूछा गया कि उनके विचार से काल्पनिक अभिभावक कौन सा विकल्प चुनेंगे।

आकृति1 में उत्तरदाताओं कोशब्दचित्र के अनुरूप याद रखने के लिए प्रयुक्त चिन्हित दृश्य सामग्री दर्शाई गई है। चूंकि वर की विशेषताएं शब्दचित्र में बता दी गई हैं, यह विचार कि एक लड़की की शादी किस से होगी, उसके शिक्षा और उम्र कैसे प्रभावित हो सकती है यह यहां प्रासंगिक नहीं है।

आकृति 1. अपनी बेटी के विवाह की उम्र और शिक्षा, और वर की विशेषताओं के बारे में संभावित विकल्पों पर उत्तर देने में अभिभावकों की मदद के लिए दृश्य सहायता

काल्पनिक परिवार, वरों, और बेटी की विवाह की उम्र तथा शिक्षा संबंधी विशेषताओं को सावधानी से बदलते हुए हम लड़कियों की उम्र, शैक्षिक स्तर और संभावित पति की विशेषताओं के बारे में अभिभावकों की पसंद का पता लगाने में सक्षम हो सके।

शोध परिणाम: अभिभावक लड़कियों की शादी की उम्र अठारह वर्ष तक टालने के लिए काफी इच्छुक हैं लेकिन लड़कियों की शिक्षा को वे बहुत कम वास्तविक महत्व देते हैं।

विवाह के समय उम्र और शिक्षा

हमने पाया कि अभिभावक बेटी की शादी को 18 वर्ष (लड़कियों के विवाह के लिए वैध न्यूनतम आयु) तक टालने के लिए काफी इच्छुक हैं, उसके बाद नहीं (आकृति 2a)। अभिभावक बेटी को उच्च विद्यालय के अंत तक पढ़ाना चाहते हैं लेकिन उनकी यह इच्छा विवाह की उम्र संबंधी इच्छा की तुलना में कमजोर दिखती है। निस्संदेह, हमने पाया कि अभिभावक माध्यमिक शिक्षा से अधिक पसंद नहीं करते हैं, जो उसके अधिक व्यय से प्रेरित हो सकता है।

एक मनपसंद वर

जब बात आती है किसी अच्छी वैवाहिक जोड़ी की, तो पसंद के मामले में असाधारण प्रेरक यह होता है कि लड़का सरकारी नौकरी में है या नहीं जो इस क्षेत्र में रोजगार का सबसे अधिक भुगतान वाला और सबसे सुरक्षित स्वरूप है।

आकृति 2. विवाह के समय बेटी की उम्र और शिक्षा के मामले में अभिभावकों की पसंद

Age of marriage: शादी की उम्र; Coef. = coefficient: गुणांक

Education at marriage: शादी के वक्त शिक्षा का स्तर; Coef. = coefficient: गुणांक

अभिभावकों का मानना है कि शिक्षा किसी लड़की काअच्छा विवाह होने की संभावना काफी बढ़ा देती है

इस धारणा को मापने के लिए कि कैसे किसी लड़की की उम्र और शिक्षा उसके लिए आने वाले अच्छे विवाह के प्रस्ताव की संभावना पर प्रभाव दाल सकती है, हमने शब्दचित्र के दूसरे सेट का उपयोग किया। इन ‘वास्तविक’ शब्दचित्र में भी एक काल्पनिक परिवार का वर्णन किया गया लेकिन इसमे उन्हें यह निर्णय लेना था कि उन्हें किसी निश्चित समय पर (जैसे, जब उनकी बेटी 16 वर्ष की हो और स्कूल में पढ़ ही रही हो) विवाह के किसी विशेष प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए, या विवाह के प्रस्ताव को अस्वीकार करके बेटी को स्कूल में पढ़ने देना चाहिए या घर में मदद के लिए उसका स्कूल छुड़ा देना चाहिए।

आकृति 3 में इस संदर्भ में दृश्य सामग्री को दर्शाया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अभिभावक अगर इस विवाह के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं, तो उन्हें भरोसे के साथ पता नहीं होता है कि भविष्य में कैसे प्रस्ताव होंगे। चूंकि पहले प्रयोग से हम जानते हैं कि अभिभावक विवाह की उम्र, शिक्षा और वर की विशेषताओं को महत्व देते हैं, इसलिए हम उत्तरदाता से अनिश्चितता वाले इन शब्दचित्रों पर दिये उत्तर से हम यह पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं कि भविष्य में मनपसंद वर से मिलने वाले विवाह के प्रस्ताव की संभावना के बारे में उत्तरदाताओं की क्या धारणा है।

आकृति 3. भविष्य में मनपसंद वर से मिलने वाले विवाह के प्रस्ताव की संभवना के बारे में अभिभावकों की धारणा को सामने लाने के लिए प्रयुक्त दृश्य सामग्री

विवाह बाजार में शिक्षा के प्रतिफल

हमने पाया कि अभिभावकों को विश्वास है कि बेटी की शिक्षा के विवाह बाजार में काफी सकारात्मक प्रतिफल मिलते हैं। अभिभावकों का मानना है कि कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की को सरकारी नौकरी वाले वर से विवाह का प्रस्तावमिलने की 60 प्रतिशत संभावना होती है, लेकिन सिर्फ प्राथमिक शिक्षा पाने वाली लड़की के लिए इसकी संभावना नगण्य होती है। हालांकि, अभिभावकों का यह भी विचार है कि पढ़ाई छोड़ देने के बाद बेटी के लिए विवाह बाजार में शिक्षा का यह प्रतिफल काफी समय तक नहीं टिकता है; उनका मानना है कि स्कूल छोड़ने के बाद उसके विवाह की संभावना तेजी से घटती चली जाती है।

लैंगिक आदर्श साथ ही, अभिभावकों का मानना है कि पारंपरिक लैंगिक आदर्शों को तोड़ने वाली लड़कियों को विवाह का उच्चस्तरीय प्रस्ताव मिलने की कम संभावना होती है। जब बेटियों के बारे में ‘‘लड़कों के साथ दोस्ती और कभी-कभी देर तक घर के बाहर रहने’’ की बात कही गई, तो उत्तरदाताओं ने विवाह के लिए आए प्रस्तावको स्वीकार कर लेने की अधिक संभावना जताईचाहे वह प्रस्ताव कैसा भी हो, यह विवाह बाज़ार उनलोगों के हिसाब से ऐसी लड़की के लिए दंड मिलने के समान था। हमने पाया कि ऐसे मिसाल मान्यताओं के बारे में अधिक पारंपरिक दृष्टिकोणों द्वारा प्रमाणित किए गए हैं।

आकृति 4. बेटी की शिक्षा के विवाह बाजार में प्रतिफल और विवाह बाजार में अनुमानित दंड के बारे में अभिभावकों की धारणाएँ

नीतिगत निहितार्थ

कम उम्र में विवाह होना

हमारे शोध परिणाम रेखांकित करते हैं कि लड़कियों की शिक्षा को विवाह बाजार में मिलने वाले सकारात्मक प्रतिफल लड़कियों की शिक्षा और उनके विवाह में विलंब करने की मांग बढ़ा देते हैं। यह दृष्टि संभवतः इस बात की व्याख्या करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है कि शिक्षा की उपलब्धता, शिक्षित लड़कियाँ, और विवाह की उम्र – इन सभी में पिछले 20 वर्षों के दौरान आखिर क्यों काफी वृद्धि हुई है।

यह शोध इस बात को भी रेखांकित करता हैकि स्कूल छोडनाविवाह बाजार में नकारात्मक प्रतिफल के रूप में मिलता है जिसके असर से पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियाँखास तौर पर जल्दी हीं विवाह की चपेट में आ जाती हैं। हमारे चर्चा समूहों का सुझाव है कि लड़कियों को उन खतरों के प्रति अधिक असुरक्षित समझा जाता है जो उन्हें स्कूल छोड़ने के बाद एक अच्छी पत्नी के रूप में उनकी अनुमानित उपयुक्तता को प्रभावित करते हैं। इन खतरों में यौन उत्पीड़न या आक्रमण का शिकार होना, स्वैच्छिक रूमानी संबंधों में संलिप्त होना या लड़कों के साथ दोस्ती करना, अथवा मुखर और स्वच्छंद होना शामिल हैं (बांदिएरा एवं अन्य 2018)। अगर वर पक्ष यह मान लेता है कि स्कूल छोड़ने के कई वर्षों बाद तक भी अविवाहित रही लड़कियों में अवांछित गुण हैं, तो वह उस लड़की को न चुने जाने का एक और कारण बन जाताहै। अंततः, महिलाओं के व्यवहार के लिए निर्धारित सख्त आदर्शों से ही इस तरह की प्राथमिकताएँ और अनुमान प्राप्त होते हैं।

निष्कर्ष: लड़कियों के लिए शिक्षा की उपलब्धता में सुधार

जहां लड़कियों के लिए स्कूलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के मामले में काफी प्रगति हुई है, वहीं अनेक बाधाएं अभी भी शेष हैं: उच्च-माध्यमिक शिक्षा का खर्च गरीब परिवारों के लिए अभी भी काफी है; अनेक दूरवर्ती समुदायों के लिए सुरक्षित स्कूली परिवहन का अभाव है; और परिवार के पास उनके किसी सदस्य के बीमार पड़ जाने पर उनके लिए बेटी को स्कूल छुड़ा देने का शायद ही कोई और विकल्प बच जाता है। हमारे शोध परिणाम संकेत करते हैं कि ऐसी नीतियों की मांग अधिक है जो लड़कियों की पढ़ाई जारी रखने में असुरक्षित परिवारों की मदद करें, और पढ़ाई बाधित होने पर किशोरियों के लिए औपचारिक शिक्षा में वापस जाने के अवसरों को मजबूत करें। इन नीतियों की मदद से भारत की बेटियों को कम उम्र में विवाह होने से बचाने के मामले में भी भारी सफलता मिल सकती है।

यह कॉलम वॉक्सडेव के सहयोग से प्रकाशित किया गया था।

लेखक परिचय: ऐबिगेल ऐडम्स यूनिवरसिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में अर्थशास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर हैं, और लंदन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर फ़िस्कल स्टडीस में एक शोधकर्ता भी हैं। ऐलिसन एंड्र्यू लंदन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर फ़िस्कल स्टडीस में एक सीनियर शोध-अर्थशास्त्री हैं, और यूनिवरसिटी कॉलेज लंदन में पीएच.डी. की छात्रा हैं।

लिंग, स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा

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