हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला ‘पृथ्वी दिवस’ आधुनिक पर्यावरण जन-आन्दोलन के जन्म की सालगिरह को चिह्नित करता है और पर्यावरण के प्रति मनुष्य के दायित्व को रेखांकित करता है। इस अवसर पर प्रस्तुत शोध आलेख में कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों पर चर्चा की गई है और उन्हें खत्म करने की इच्छाशक्ति, लाभ व लागत पर साक्ष्य दिए गए हैं। कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र अत्यधिक प्रदूषणकारी ऊर्जा-स्रोत हैं, लेकिन लोग इसके बारे में या तो अनजान हैं या खराब वायु गुणवत्ता के बारे में अपना असंतोष व्यक्त करने में असमर्थ हैं। इस लेख में 51 निम्न और मध्यम आय वाले देशों के सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, कोयला बिजली को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए भुगतान की नागरिकों की इच्छा की गणना की गई है। इसमें बिजली संयंत्र के समीप रहने वाले निवासियों की भलाई को मापा गया है और गणना की गई है कि उन्हें होने वाला वायु गुणवत्ता लाभ सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन की लागत से अधिक होगा।
कोयले से चलने वाली बिजली को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना और उसकी जगह पवन और सौर ऊर्जा जैसे कम प्रदूषण वाले विकल्पों को इस्तेमाल करना, जलवायु कार्रवाई के प्रमुख रूपों में से एक है, जिसे दुनिया भर की सरकारें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिए अपना सकती हैं। कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की अधिकांश क्षमता उत्पादन की बराबरी करने के लिए अब नवीकरणीय तकनीकें पर्याप्त रूप से ‘स्केलेबल’ हैं और ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में तेज़ी से बढ़ते आरएंडडी निवेश, परिवर्तनीय ग्रिड माँग की चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर रहे हैं। इस प्रकार, हरित ऊर्जा परिवर्तन अब तकनीकी रूप से पहले से कहीं अधिक सम्भव दिखने लगा है।
बॉटम-अप दृष्टिकोण के सहारे इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोयला बिजली पर निर्भर देशों के नागरिकों के दबाव डालने की सख्त आवश्यकता है। इसी भावना के तहत अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों के अधिकांश कोयला बिजली संयंत्रों के कार्यकाल की समाप्ति तय हो चुकी है। हालाँकि, भारत और चीन जैसे तेज़ी से बढ़ते देशों में कोयला बिजली उत्पादन में अभी भी मजबूत सार्वजनिक और निजी निवेश जारी है। कोयला एक अत्यधिक प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोत है, जिससे वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन, दोनों के हानिकारक परिणाम निकलते हैं। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हैं कि जो लोग कोयला बिजली संयंत्रों के पास रहते हैं, वे भी इसके नकारात्मक परिणामों से अवगत हैं। नागरिक जागरूकता के बगैर, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को बन्द करने के लिए राजनीतिक ताकतों के सक्रिय होने की सम्भावना कम लगती है (बेस्ली और पर्सन 2023)।
पर्यावरण मनोविज्ञान पर अधिकांश पूर्व शोध विकसित दुनिया, मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप (व्हिटमार्श 2008, पोर्टिंगा एवं अन्य 2019) पर केन्द्रित है। हालाँकि, ग्लोबल साउथ (क्रूज़ और रॉसी-हंसबर्ग 2021) में जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति असंगत रूप से अधिक होने का अनुमान है। जैसा कि आकृति-1 से पता चलता है, निम्न और मध्यम आय वाले देशों को आपदा की घटनाओं से होने वाले नुकसान संबंधी अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, भविष्य में ऊर्जा की माँग बड़े पैमाने पर उन देशों से आने का अनुमान है जो अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले पर भारी निर्भर हैं। निम्न और मध्यम आय वाले देशों को ध्यान में रखते हुए इस ज्ञान के अन्तर को पाटने की आवश्यकता है, जो कि हमारा यह अध्ययन करता है।
आकृति-1. प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद और देश-स्तरीय आपदा जोखिम के बीच सम्बन्ध

स्रोत : संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के डेटा का उपयोग करते हुए लेखकों की प्रस्तुति
टिप्पणियाँ : i) यह चार्ट वर्ष 2019 में डब्ल्यूआरआई देश-स्तरीय आपदा जोखिम रैंकिंग और देश-स्तरीय प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का स्कैटरप्लॉट प्रस्तुत करता है। रैंकिंग घटते क्रम में हैं यानी, निचले रैंक वाले देशों में आपदा से होने वाले नुकसान का जोखिम अधिक है। ii) रैंकिंग में समग्र देश के जोखिम, भेद्यता, संवेदनशीलता, मुकाबला करने की क्षमता और अनुकूली क्षमता पर विचार किया है। iii) निम्न, मध्यम और उच्च आय वाले देशों का वर्गीकरण देशों को उनकी 2019 जीडीपी प्रति व्यक्ति संख्या के आधार पर तीन क्वानटाइलों में विभाजित करके किया जाता है, जैसा कि विश्व बैंक के राष्ट्रीय खातों के आँकड़ों में बताया गया है।

अध्ययन
हमारे काम (बेस्ली और हुसैन 2023) में, हम जाँच करते हैं कि क्या वायु गुणवत्ता की धारणा चल रहे कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों की निकटता से प्रभावित होती है। ऐसा करने के लिए, हम गैलप वर्ल्ड पोल के परिवेशी वायु गुणवत्ता धारणाओं पर वैश्विक दृष्टिकोण डेटा का उपयोग करते हैं, जो एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि वार्षिक सर्वेक्षण है और जिसमें 160 से अधिक देशों में रहने वाली दुनिया की 99% वयस्क आबादी को शामिल किया गया है। हम जियोकोड स्तर, अर्थात सर्वेक्षण उत्तरदाताओं के अक्षांश और देशांतर पर स्थानिक ग्रैन्युलैरिटी का उपयोग करके स्थानीय प्रभावों को मापने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि उत्तरदाता कोयला बिजली संयंत्र के 40 किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं या नहीं। मुख्य विश्लेषण भारत, इंडोनेशिया, ब्राज़ील सहित 51 देशों को दर्शाता है, जो ज़्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देश हैं।
हम इन निष्कर्षों का उपयोग सभी देशों में मौजूदा कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करने के लिए भुगतान करने की इच्छा को मापने के लिए करते हैं। ऐसा करने के लिए हम जीवन संतुष्टि दृष्टिकोण को देखते हैं (लेयार्ड एवं अन्य (2008) और कन्नमैन और डिएटन (2010) के शुरूआती शोध कार्य का अध्ययन)। यह वायु गुणवत्ता असंतोष और जीवन संतुष्टि के बीच नकारात्मक सम्बन्ध के साथ-साथ, आय और जीवन संतुष्टि के बीच सकारात्मक सम्बन्ध का उपयोग करता है, ताकि वायु गुणवत्ता असंतोष के लिए 'आय समतुल्य' प्राप्त किया जा सके। हम वैश्विक स्तर पर सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन की ओर परिवर्तन के शुद्ध लाभों का अनुमान लगाने के लिए इन आँकड़ों का उपयोग करते हैं। परिणामी वायु गुणवत्ता सुधारों को ध्यान में रखते हुए, हमने पाया कि हरित परिवर्तन में निवेश को उचित ठहराने के लिए लाभ काफी बड़े हैं, जिसमें कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करना भी शामिल है।
यदि नागरिक बदलाव की माँग करें तो कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियाँ केवल लोकतंत्रों में ही सम्भव होंगी। इसलिए, उन कारकों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है जो नागरिकों की उनके स्थानीय पर्यावरण के प्रति धारणा को प्रेरित करते हैं। हमारा निष्कर्ष है कि कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र के पास स्थित होने और परिवेशी वायु गुणवत्ता से असंतोष के बीच एक सकारात्मक सम्बन्ध है। यह महत्वपूर्ण निष्कर्ष है क्योंकि यह परिवर्तन की अव्यक्त माँग का संकेत देता है।
स्वच्छ हवा और हरित ऊर्जा के लिए भुगतान की इच्छा का अनुमान लगाना
यद्यपि वैज्ञानिक प्रमाणों ने कोयला-आधारित बिजली के हानिकारक प्रभावों के बारे में चिंताओं का समर्थन किया है, ऐसे लोग हैं जिन्हें संयंत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, कोयला खनन और संबंधित गतिविधियों, स्थानीय सार्वजनिक सुविधाओं के रखरखाव आदि में रोजगार के अवसरों के माध्यम से यथास्थिति से लाभ मिलते हैं। कोयला संयंत्रों को बन्द करने या उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बदलने के वितरणात्मक परिणाम होंगे, जो आगे के शोध के लिए एक महत्वपूर्ण विषय होगा।
वायु गुणवत्ता की धारणाओं को देखते हुए हम इन बातों के बारे में कुछ अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं कि लोग वायु गुणवत्ता को कैसे महत्व देते हैं और इसलिए कोयले से चलने वाली बिजली को छोड़ने के लिए भुगतान करने की अंतर्निहित इच्छा क्या होगी। बेशक इसका मतलब यह नहीं है कि लोग व्यवहार में भुगतान करेंगे, लेकिन हम अभी भी जाँच कर सकते हैं कि वायु गुणवत्ता की ये धारणाएं भलाई को कैसे प्रभावित करती हैं और इसलिए उनकी धारणाएं, भलाई पर आय के प्रभाव की तुलना कैसे करती हैं।
भलाई संकेतक, वेल्बीइंग इंडिकेटर (जिसे 10-चरण कैंट्रिल लैडर1 पर मापा गया है) तथा आय और वायु गुणवत्ता असंतोष के बीच मात्रात्मक सम्बन्ध का उपयोग करके, हम कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के 40 किलोमीटर के दायरे के निवासियों को बेहतर वायु गुणवत्ता वाले बाहर के क्षेत्रों में स्थानांतरित करने पर उनकी जीवन संतुष्टि में समान भिन्नता या इक्विवैलेन्ट वेरिएशन का अनुमान लगाते हैं। हम इसका उपयोग यह देखने के लिए करते हैं कि लाभ और लागत को देखते हुए, कोयला-आधारित बिजली से हरित ऊर्जा में परिवर्तन सम्भव है या नहीं। हम एक नीतिगत प्रयोग का सुझाव देते हैं जिसमें प्रति वर्ष 4% की स्थिर दर पर कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना और 25 वर्षों की अवधि में इस मुक्त क्षमता को सौर या पवन उत्पादन से बदलना शामिल है। हम उन तात्कालिक लाभों की भी गणना करते हैं जो वायु गुणवत्ता से प्रभावित आबादी को, कम प्रदूषण के कारण उनकी परिवेशी वायु गुणवत्ता में सुधार से, प्राप्त होते हैं। हम कोयला संयंत्रों के बन्द होने के कारण कुल 'अतिरिक्त' ऊर्जा माँग के साथ संबंधित स्रोत-विशिष्ट वैश्विक औसत एलसीओई मान2 को अमरीकी डॉलर प्रति किलोवाट ऑवर से गुणा करके सौर व पवन ऊर्जा उत्पादन की लागत की गणना करते हैं। जैसा कि आकृति-2 से स्पष्ट है, भले ही हम कोयला बिजली संयंत्रों के बन्द होने के कारण वायु गुणवत्ता में सुधार से होने वाले लाभों के अनुमान पर बहुत सतर्क दृष्टिकोण अपनाते हैं, तब भी बदलाव सम्भव दिखता है।
आकृति-2. वायु गुणवत्ता में सुधार का लागत-लाभ विश्लेषण

टिप्पणियाँ : i) चार्ट सभी 51 देशों के सन्दर्भ में संयुक्त रूप से लागत-लाभ परिणाम दर्शाता है। ii) नीली रेखा वायु गुणवत्ता लाभ के बिंदु अनुमानों को दर्शाती है, जिसमें छायांकित क्षेत्र अनुमानों पर ऊपरी और निचली सीमाएं दर्शाता है। iii) सभी लागत और लाभ वर्तमान-छूट वाले मूल्य के सन्दर्भ में व्यक्त किए गए हैं, जिसमें वार्षिक छूट दर 2% प्रति वर्ष निर्धारित की गई है।

हमने विभिन्न शिक्षा समूहों में भुगतान करने की इच्छा के हमारे माप में अन्तर को भी देखा। अन्य सभी चीजें समान होने पर भी, शिक्षित अभिजात वर्ग समूह अलग दिखता है- उनकी भुगतान करने की इच्छा अन्य समूहों की तुलना में लगभग दो से तीन गुना अधिक है। विभिन्न देशों में भिन्नता के सन्दर्भ में हमारा अनुमान है कि भारतीय औसतन कम चिंतित हैं- बेहतर वायु गुणवत्ता संतुष्टि क्षेत्र में जाने के लिए भुगतान करने की उनकी इच्छा वैश्विक औसत के दसवें हिस्से से भी कम है। यह शायद आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि भारत एक मध्यम आय वाला देश है, जहाँ लोग जीवन संतुष्टि के लिए वायु की गुणवत्ता से अधिक आय की परवाह करते हैं।
हरित परिवर्तन के लिए नीतिगत रणनीतियाँ
व्यवहारिक रूप में हरित परिवर्तन लाने के लिए नीति-निर्माताओं को जो निर्णय लेने होंगे, उनमें यह निर्णय लेना शामिल होगा कि विशिष्ट कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द किया जाए अथवा नहीं। अपने विश्लेषण से हम विशिष्ट कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करने और उस मुक्त क्षमता को समकक्ष 50% सौर व 50% पवन ऊर्जा से बदलने के लाभों को देखते हुए, उस तरह की रणनीति पर विचार कर पाते हैं। आकृति-3 में, वर्ष 2019 में दुनिया भर के 3,500 से अधिक चालू कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा अर्जित किए जा सकने वाले संयंत्र-स्तरीय शुद्ध लाभ को दर्शाया गया है। यह हमें लाभों के वितरण की अच्छी समझ देता है और स्पष्ट करता है कि कोयला-आधारित संयंत्रों के स्थान पर सौर व पवन ऊर्जा इकाइयों की स्थापना, लगभग सभी मामलों में, यहाँ तक कि शुद्ध वायु गुणवत्ता लाभ के अनुमानों परबहुत सतर्क दृष्टिकोण रखते हुए भी, फायदेमंद साबित होगी।
आकृति-3. कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करने से संयंत्र-स्तरीय शुद्ध लाभ

टिप्पणियाँ : i) यह चार्ट वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में स्थित सभी कार्यरत कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करने से होने वाले शुद्ध लाभ को दर्शाता है। ii) पैरामीटर मान सभी 51 देशों को मिलाकर वैश्विक अनुमानों से लिया गया है। iii) दोनों प्लाट में दो छायांकित क्षेत्र लाभ के अनुमान की ऊपरी और निचली सीमा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सर्वेक्षण डेटा का लाभ उठाना उन ताकतों का अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कम कार्बन वाले ऊर्जा स्रोतों के हरित परिवर्तन को आकार दे सकते हैं। नीतिगत कार्रवाई होगी या नहीं यह बहस का विषय है- नागरिक यह जानते हुए कि वे कितने असंतुष्ट हैं, अपनी समस्या को पहचानने और उसके समाधान की वकालत करने में असमर्थ हो सकते हैं। हालांकि हमारे शोध परिणाम इन महत्वपूर्ण मुद्दों की बहस पर सही जानकारी के लिए जियोकोडेड डेटा और वकालत के उपयोग की शक्ति को बखूबी दर्शाते हैं।
लेखक सतत भविष्य कार्यक्रम की साझा समझ के तहत समर्थन के लिए ब्रिटिश अकादमी और विश्व सर्वेक्षण डेटा तक पहुँच प्रदान करने के लिए गैलप इंक के आभारी हैं।
टिप्पणियाँ :
- कैंट्रिल लैडर एक ऐसा पैमाना है जो लोगों को उनके जीवन और उसके घटकों के आधार पर मापता है (कैंट्रिल, 1965)। दुनिया भर के देशों में किए गए शोध से कैंट्रिल स्केल और आय (डीटन 2008) के बीच पर्याप्त सम्बन्ध का संकेत मिलता है।
- ऊर्जा का स्तरीय लागत मान (एलसीओई) वह न्यूनतम कीमत है जिस पर किसी भी ऊर्जा परियोजना को बराबर स्तर पर लाने के लिए ऊर्जा बेची जानी चाहिए।
अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।
लेखक परिचय : टिमोथी बेस्ली लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उन्होंने 2006 और 2009 के बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति समिति में कार्य किया है और वे यूके सरकार के राष्ट्रीय अवसंरचना आयोग के सदस्य हैं। अज़हर हुसैन एलएसई में अर्थशास्त्र में शोधार्थी हैं। पीएचडी शुरू करने से पहले, उन्होंने जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पीएएल) और शिकागो विश्वविद्यालय की ऊर्जा और पर्यावरण अर्थशास्त्र से संबंधित परियोजनाओं पर काम किया है।
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