राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के सन्दर्भ में प्रस्तुत दो आलेखों की श्रृंखला के इस दूसरे लेख में उन परिणामों पर प्रकाश डाला गया है, जिनसे पता चलता है कि अगर महिलाओं के साथी उनके साथ हों तो उनके परिवार नियोजन सेवाओं का लाभ उठाने की अधिक संभावना होती है। शोधकर्ता दर्शाते हैं कि साथी का समर्थन सामाजिक अलगाव को कम कर सकता है, महिलाओं के आवागमन को बढ़ा सकता है और सास व परिवार के अन्य सदस्यों के विरोध को दूर कर सकता है। इस प्रकार के परिणामों का महिला सशक्तिकरण पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
प्रजनन अधिकार महिलाओं की भलाई का आधार है, जो उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर की संभावनाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। इसके महत्व के बावजूद, दुनिया भर में कई महिलाओं को अभी भी गर्भनिरोधक के उपयोग, गर्भावस्था और प्रसव को तय करने और उसे नियंत्रित करने संबंधी स्वायत्तता प्राप्त नहीं है। वैश्विक स्तर पर, प्रजनन आयु (15-49 वर्ष) की अनुमानित 27 करोड़ महिलाओं की परिवार नियोजन की जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं, अर्थात वे गर्भधारण के बीच अंतराल रखना या उसे सीमित करना चाहती हैं, लेकिन गर्भनिरोधक विधि का उपयोग नहीं कर रही हैं।
हमने अपने हालिया शोधपत्र (अनुकृति एवं अन्य 2022) में, ग्रामीण भारत में रहने वाली महिलाओं के प्रजनन अधिकार की जांच की है, जहाँ महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्राप्त करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें सीमित शारीरिक गतिशीलता, कम व्यक्तिगत स्वायत्तता और सास जैसे घरेलू सदस्यों से गर्भनिरोधक के उपयोग का विरोध शामिल हैं।
ये बाधाएँ बदले में प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के कम उपयोग और परिवार नियोजन कार्यक्रम का लाभ उठाने से संबंधित न्यूनतम सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देती हैं। हम पाते हैं कि महिलाओं के लिए परिवार नियोजन सेवाओं को अधिक किफायती बनाने, साथ ही उन्हें अपनी महिला साथियों से सहयोग लेने के लिए प्रोत्साहित करने से महिलाएं प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने और, यदि वे चाहें तो, उन्हें आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग करने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
अध्ययन
हमने भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 18-30 वर्ष की आयु की 671 विवाहित महिलाओं के नमूने के साथ एक यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण किया। वर्ष 2018 में एक बेसलाइन सर्वेक्षण के बाद, हमारे अध्ययन में शामिल महिलाओं को यादृच्छिक रूप से या तो ‘नियंत्रण’ समूह या ‘वाउचर’ समूह में रखा गया था। ‘वाउचर’ समूह में शामिल महिलाओं को दस महीने की अवधि के लिए अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए स्थानीय क्लिनिक में सब्सिडी वाली परिवार नियोजन सेवाओं के ‘वाउचर पैकेज’ की पेशकश की गई, जिसमें क्लिनिक तक परिवहन के खर्च की प्रतिपूर्ति भी शामिल थी। इसके अलावा, वाउचर प्राप्तकर्ताओं का एक उपसमूह, ‘एक साथी साथ लाओ’ (ब्रिंग-ए-फ्रेंड) समूह, अपनी पसंद के साथियों को वही ‘वाउचर पैकेज’ दे सकता था अगर वह साथी कम से कम एक बार उनके साथ क्लिनिक गए हों तो। इस तरह, इस उपसमूह की महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए अपने साथियों के समर्थन का लाभ उठाने में सक्षम बनाया गया।
प्रमुख परिणाम
हमने पाया कि वाउचर, ख़ासकर जब किसी साथी के लिए ‘वाउचर के साथ संयुक्त’ होते हैं, तो उन महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जिनकी सासें परिवार नियोजन के खिलाफ होती हैं। ‘नियंत्रण’ समूह की महिलाओं की तुलना में, वाउचर प्राप्तकर्ताओं के दस महीनों में परिवार नियोजन सेवाओं के लिए क्लिनिक जाने की संभावना 68-86% अधिक थी और अंतिम सर्वेक्षण के समय आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग करने की संभावना 44-49% अधिक थी।
हालांकि, जिन महिलाओं ने पाया कि उनकी सासें उनके आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग के खिलाफ़ हैं, उनका केवल अपने उपयोग के लिए वाउचर प्राप्त करना अप्रभावी था। जब हमने महिला के स्वयं के उपयोग के वाउचर को महिला के साथियों को भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने वाले वाउचर के साथ संयोजित किया, तभी हमने परिवार नियोजन के परिणामों में सुधार देखा। इस परिणाम से पता चलता है कि साथियों का समर्थन महिलाओं को अपनी सास के संभावित विरोध पर काबू पाकर परिवार नियोजन सेवाएं लेने में सक्षम बना सकता है। वाउचर प्राप्तकर्ता महिलाओं को उनके पति या सास के परिवार नियोजन के विरोधी होने पर भी परिवार के सदस्यों का कोई विरोध नहीं झेलना पड़ा।
साथी के समर्थन का महत्व
महिलाओं को संयुक्त रूप से परिवार नियोजन सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाने से उनका सामाजिक अलगाव कम हुआ। बेसलाइन पर, हमारे अध्ययन क्षेत्र की महिलाओं ने परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर अपने पतियों और सास के अलावा केवल कुछ व्यक्तियों से ही बातचीत की थी। महिलाओं को दूसरों को आमंत्रित करने और बाद में उनके साथ क्लिनिक जाने में सक्षम बनाकर, हमारे ‘ब्रिंग-ए-फ्रेंड’ हस्तक्षेप ने महिलाओं के सामाजिक रूप से अलगाव को कम कर दिया। ‘ब्रिंग-ए-फ्रेंड’ समूह की महिलाओं के पास नमूने की अन्य महिलाओं की तुलना में अपने परिवार के बाहर की महिला साथी होने की अधिक संभावना थी, जिनके साथ उन्होंने परिवार नियोजन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। इसके अलावा, उनके परिवार के बाहर के कम से कम एक साथी के उनके साथ स्वास्थ्य सुविधा में जाने और उन्हें परिवार नियोजन का उपयोग करने की सलाह देने की संभावना अधिक थी। इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं ने परिवार नियोजन के उपयोग के कलंक के बारे में अपने डर में भी कमी का अनुभव किया।
हमारे अध्ययन से इस बारे में मूल्यवान जानकारी प्राप्त होती है कि जब महिलाओं के पास घूमने-फिरने की स्वतंत्रता नहीं होती हम उनके प्रजनन अधिकार और सामाजिक संपर्क को कैसे बेहतर बना सकते हैं। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले परिवार नियोजन सेवाओं के लिए वाउचर जैसे नीतिगत साधनों, जिनमें महिलाओं को ‘दहलीज़ पार’ करने की आवश्यकता पड़ती है, का उपयोग महिलाओं के अपने घरों से बाहर यात्रा करने पर निर्भर करता है। ये साधन तब काम नहीं कर सकते जब महिलाएं अकेले सार्वजनिक स्थानों तक नहीं पहुँच सकती और सामाजिक रूप से अलग-थलग रहती हैं। इसलिए, परिवार नियोजन सेवाओं को किफायती बनाने के अलावा, महिलाओं की शारीरिक व सामाजिक गतिशीलता संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए संपर्क बनाने और इन संपर्कों के समर्थन का लाभ उठाने में सक्षम बनाना महत्वपूर्ण हो जाता है।
निष्कर्ष
केवल महिलाओं के लिए लक्ष्यित अच्छे इरादे वाले हस्तक्षेप उन परिस्थितियों में अप्रभावी हो सकते हैं जहाँ घर के अन्य सदस्य, जैसे कि महिलाओं की सास, निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए नीतियों और कार्यक्रमों को तय करते समय इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि महिलाओं के कल्याण में सुधार के लिए, महत्वपूर्ण निर्णय लेने की शक्ति रखने वाले सास और परिवार के अन्य सदस्यों को प्रभावी रूप से कैसे शामिल किया जाए, ख़ासकर तब जब महिलाओं और परिवार के इन सदस्यों की प्राथमिकताएं और प्रोत्साहन में तालमेल नहीं हो।
हमारे परिणाम भारतीय और दक्षिण एशियाई परिवेशों से आगे अन्य संदर्भों तक भी लागू होते हैं, जहाँ महिलाओं को इसी प्रकार की सामाजिक-आर्थिक और गतिशीलता संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। हमारे परिणामों की प्रासंगिकता परिवार नियोजन और प्रजनन स्वायत्तता से आगे महिला शिक्षा और श्रम-बल में उनकी भागीदारी जैसे क्षेत्रों तक भी है, जहाँ महिलाओं की सार्वजनिक स्थानों तक पहुँचने में असमर्थता, उनके परिवार के सदस्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध, इन स्थानों के उपयोग में प्रमुख बाधाएं हैं, और इस स्थिति में उनके साथियों का समर्थन एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के सन्दर्भ में प्रस्तुत दो आलेखों की श्रृंखला का पहला लेख, मम्मी-जी को मनाना : भारत में परिवार नियोजन के लिए सास की स्वीकृति, यहाँ पढ़ा जा सकता है।
अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।
लेखक परिचय : एस. अनुकृति विश्व बैंक के विकास अनुसंधान समूह में वरिष्ठ अर्थशास्त्री हैं और श्रम अर्थशास्त्र संस्थान (आईजेडए) में शोध फेलो हैं। वह एक अनुप्रयुक्त सूक्ष्म अर्थशास्त्री हैं, जिनकी रुचि विकास अर्थशास्त्र, लिंग और परिवार के अर्थशास्त्र और राजनीतिक अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में है। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एमए और सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की है। कैटालिना हेरेरा-अलमान्ज़ा इलिनोआ विश्वविद्यालय, अर्बाना-शैंपेन में कृषि और उपभोक्ता अर्थशास्त्र विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। इससे पहले, वह नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और अंतरराष्ट्रीय मामलों की सहायक प्रोफेसर रह चुकी हैं। उनकी शोध रुचियाँ विकास अर्थशास्त्र और लिंग हैं, जिसमें जनसंख्या, स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दों पर प्राथमिक ध्यान केंद्रित किया गया है। महेश कर्रा बोस्टन विश्वविद्यालय में फ्रेडरिक एस. पारडी स्कूल ऑफ ग्लोबल स्टडीज में वैश्विक विकास नीति के सहायक प्रोफेसर हैं और वैश्विक विकास नीति केंद्र में मानव पूंजी पहल के एसोसिएट निदेशक हैं। उनकी शैक्षणिक और शोध रुचियां मोटे तौर पर विकास अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य अर्थशास्त्र, मात्रात्मक विधियों और अनुप्रयुक्त जनसांख्यिकी में हैं। रोसियो वाल्डेबेनिटो भी इलिनोआ विश्वविद्यालय, अर्बाना-शैंपेन में अनुप्रयुक्त अर्थशास्त्र में पीएचडी उम्मीदवार हैं। उनकी शोध रुचियां शिक्षा, लिंग, विकास अर्थशास्त्र और क्षेत्रीय अर्थशास्त्र की अर्थशास्त्र हैं।वह कृषि और उपभोक्ता अर्थशास्त्र विभाग में एक शिक्षण और अनुसंधान सहायक भी हैं।
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