परिवार के सदस्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधात्मक सामाजिक मानदंड एवं रणनीतिक बाधाएं, महिलाओं की सामाजिक नेटवर्क तक पहुंच और उससे प्राप्त होने वाले लाभ को सीमित कर सकती हैं। ग्रामीण उत्तर प्रदेश में एक सर्वेक्षण के आधार पर इस लेख में दिखाया गया है कि यदि सास के साथ रहने वाली और ना रहने वाली विवाहित महिलाओं की तुलना की जाए, तो, जो महिला अपने सास के साथ रहती है उसके घर के बाहर करीबी साथियों की संख्या 36% कम है। इसके परिणामस्वरूप प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच कम हो जाता है।
भारत में जाति आधारित नेटवर्क जैसे सामाजिक नेटवर्क अपने सदस्यों को कई प्रकार के लाभ और सेवाएँ प्रदान करते हैं। परंतु महिलाओं पर उनके परिवार के सदस्यों द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंधात्मक सामाजिक मानदंडों एवं रणनीतिक बाधाओं के कारण मौजूदा नेटवर्क तक पहुंच और उससे लाभ लेने की क्षमता सीमित हो सकती है। हाल के हमारे एक शोध (अनुकृति एवं अन्य 2020) में हम उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 18 से 30 वर्ष की विवाहित महिलाओं के सामाजिक नेटवर्कों का वर्णन करते हैं, और यह विश्लेषण करते हैं कि विवाहित लोगों के परिवारों के भीतर अंतर-पीढ़ीगत शक्ति गतिकी1 का उपयोग करना उनके सामाजिक नेटवर्क बनाने और उस तक पहुंचने की क्षमता को कैसे प्रभावित करता है।
महिलाएं सामाजिक रूप से अलग-थलग हैं और आवागमन में सख्त प्रतिबंधों का सामना करती हैं
वर्ष 2018 में एकत्र किये गये हमारे आंकड़े दर्शाते हैं कि हमारे प्रतिदर्श में महिलाएं बिल्कुल अलग-थलग हैं – एक औसत प्रतिदर्श महिला अपने पति एवं सास के अलावा खुद महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में अपने जिले में औसतन 1.6 व्यक्तियों के साथ चर्चा करती हैं और प्रजनन स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता एवं परिवार नियोजन जैसे अधिक निजी मामलों के बारे में औसतन 0.7 व्यक्तियों ('करीबी साथियों') के साथ चर्चा करती हैं। हमारे प्रतिदर्श में लगभग 36% महिलाओं का जौनपुर में कोई करीबी नहीं है, और बहुलक2 महिलाओं का जौनपुर जिले में केवल एक करीबी साथी है। वास्तव में, हमारे प्रतिदर्श में ऐसी महिलाओं का अनुपात भी काफी (22%) है जिनका कहीं भी (जौनपुर के अंदर या बाहर) कोई करीबी नहीं है।
हमारी प्रतिदर्श महिलाओं ने आवागमन में गंभीर प्रतिबंध अनुभव किए हैं – केवल 14% महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा के लिए अकेले जाने की अनुमति है और केवल 12% को अपने गांव में मित्रों या रिश्तेदारों के घर अकेले जाने की अनुमति है। इसके अलावा, भारत से अन्य अनुभवजन्य साक्ष्य (उदाहरण के लिए - कांडपाल एवं बायलिस 2013, 2019) के अनुरूप, हम पाते हैं कि हमारी प्रतिदर्श महिलाओं का सामाजिक नेटवर्क जाति, लिंग, वैवाहिक स्थिति और धर्म के अनुसार समान लोगों से जुड़ाव प्रदर्शित करता है।
सास का प्रतिबंधात्मक प्रभाव
आगे हम जांच करते हैं कि क्या सास के साथ रहना घर के बाहर सामाजिक संबंध बनाने की एक बहू की क्षमता को प्रभावित करता है? भारत जैसे पितृसत्तात्मक एवं पितृवंशीय समाजों में, जहाँ विस्तारित परिवार सामान्य हैं, पति के अलावा घर के सदस्य, विशेष रूप से सास, एक महिला की स्वायत्तता और बेहतरी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।3 यकीनन एक महिला पर पति की तुलना में सास का प्रभाव ज्यादा मजबूत हो सकता है, खासकर परिवार द्वारा तय किए गए विवाह के शुरुआती वर्षों के दौरान। परंतु, एक सास अपनी बहू के सामाजिक नेटवर्क को आकार देने में किस हद तक अड़चन या सहायक की भूमिका निभाती है, यह अभी तक अस्पष्ट है। एक ओर, सास बहू के व्यवहार को बदलने में और सास की इच्छानुसार परिणामों को परिवर्तित करने में बाहरी प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से बहू के सामाजिक व्यवहार को प्रतिबंधित कर सकती है। दूसरी ओर, सास के साथ रहने से बहू अपनी सास के सामाजिक नेटवर्क में शामिल हो सकती है। यह नेटवर्क सास की आयु और गाँव में उसके निवास की (लंबी) समयावधि के कारण ज्यादा बड़ा और जुड़ाव वाला हो सकता है।
हम यह भी पाते हैं कि अपनी सास के साथ न रहने वाली एक महिला की तुलना में सास के साथ रहने वाली महिला के गाँव में करीबी साथी 18% कम हैं जिनके साथ वह स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता तथा परिवार नियोजन से संबंधित मुद्दों के बारे में बातचीत करती है, और घर के बाहर (अर्थात 'साथियों के बाहर करीबी’) उसके इस तरह के साथी 36% कम हैं। हमारे अनुमान बताते हैं कि सास अपनी बहू को घर से बाहर अकेले जाने की अनुमति न देकर उसके सामाजिक नेटवर्क को सीमित कर देती हैं ताकि वह बहू की प्रजनन क्षमता और परिवार नियोजन व्यवहार को नियंत्रित कर सके। किसी महिला के अपने सास के साथ रहने से उसके घर के बाहर के करीबी मित्रों की संख्या पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव इन तीन परिस्थिति में पड़ता है – यदि सास परिवार नियोजन को मंजूरी नहीं दे, यदि वह बहू की इच्छा से अधिक बच्चे चाहे, और यदि वह चाहे है कि उसकी बहू के उससे भी अधिक बेटे हों। इन निष्कर्षों से पता चलता है कि सास का प्रतिबंधात्मक व्यवहार अंततः उसकी प्राथमिकताओं तथा प्रजनन क्षमता एवं परिवार नियोजन के प्रति दृष्टिकोण से प्रेरित है।
साथियों की कमी से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है
सास द्वारा उसकी बहू के सामाजिक नेटवर्क तक पहुँच पर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वे बहू पर गहरा हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। हमारे विश्लेषण के अनुसार, जिन महिलाओं के बाहरी साथी कम हैं, उनकी प्रजनन स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता या परिवार नियोजन सेवाओं को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों तक जाने और आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग करने की संभावना कम हैं। वास्तव में हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि बहू के बाहरी साथियों की संख्या एक महत्वपूर्ण जरिया है जिसके माध्यम से बहू का सास के साथ रहना उसके परिवार नियोजन परिणामों को बदल देता है।
इसके अलावा, हमारा विश्लेषण एक महिला के परिवार नियोजन परिणामों पर करीबी बाहरी साथियों के कारण के प्रभाव की पहचान करना चाहता है। हमारे निष्कर्षों का अर्थ है कि एक अतिरिक्त करीबी बाहरी साथी होने से एक महिला के परिवार नियोजन क्लीनिक में जाने की संभावना 67% तक बढ़ जाती है, जबकि इसके सापेक्ष जिन महिलाओं का गांव में कोई भी करीबी साथी नहीं है उनके लिए यह संभावना 30% है। इसी प्रकार, एक अतिरिक्त करीबी बाहरी साथी होने से एक महिला की आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग करने की संभावना 11% अंकों तक बढ़ जाती है, जबकि इसके सापेक्ष जिन महिलाओं का गांव में कोई बाहरी साथी नहीं है उनके लिए यह संभावना 16% है।
साथी जानकारी और साहचर्य प्रदान करते हैं
हम विचारोत्तेजक साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि हमारे परिणामों के साथी से संबंधित अंतर्निहित प्रभाव कम से कम दो चैनलों के माध्यम से संचालित होते हैं, वे हैं - सूचना प्रसार और साहचर्य के माध्यम से साथी को समर्थन। जिन महिलाओं के बाहरी साथी ज्यादा हैं वे मानती हैं कि उनके गाँव में महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग कर रहा है। इससे यह ज्ञात होता है कि साथी का होना परिवार नियोजन की सामाजिक स्वीकार्यता के बारे में महिलाओं की मान्यताओं को प्रभावित करता है। यह चैनल सूचना प्रसार में सामाजिक नेटवर्क की भूमिका पर पूर्व साक्ष्य के अनुरूप है। दूसरा, एक महिला के करीबी बाहरी साथी परिवार नियोजन क्लीनिक में देखभाल करने के लिए उसके साथ जाते हैं जिससे उसकी सास द्वारा लगाई गई आवागमन संबंधी बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है।
नीति क्रियान्वयन
हाल के अनुभवजन्य साक्ष्य से पता चलता है कि परिवार नियोजन संबंधी योजनाएं महिलाओं के सामाजिक नेटवर्क में प्रवेश करके परिवार नियोजन की अपूरित आवश्यकता को कम करने में सफल हो सकती हैं। हालाँकि, ये निष्कर्ष उन विश्लेषणों से प्राप्त होते हैं जहाँ महिलाओं के सामाजिक नेटवर्क घने तथा विस्तारित हैं।4 यदि महिलाओं के पास केवल कुछ करीबी साथी हैं, जैसा कि हमारे अध्ययन विश्लेषण में है, तो उन तक पहुँचना और उनके नेटवर्क के माध्यम से जानकारी फैलाना या अन्य नीतिगत योजना के बारे में बताना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। यह मुद्दा ग्रामीण उत्तर प्रदेश जैसे संदर्भों में और भी अधिक प्रासंगिक है, जहां परिवार नियोजन एक बड़ी अपूरित आवश्यकता है (18%), और जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की घर-घर पहुंच काफी कम है। केवल 13% स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कभी परिवार नियोजन (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2016) के बारे में महिला गैर-उपयोगकर्ताओं से बात की है, जिसका अर्थ है कि एक महिला की परिवार नियोजन क्लीनिक तक पहुंच में असमर्थता उसके एवं परिवार नियोजन प्रदाता के साथ कोई संवाद न होने में परिवर्तित हो जाती है।
दूसरा, भविष्य की योजनाएं जो महिलाओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखती हैं, उनकी लक्षित रणनीतियों में सास की 'द्वारपाल' की भूमिका को पहचानने से, या संयुक्त परिवार में सास को सीधे लक्षित करके उसे परिवार नियोजन तथा प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के लाभों के बारे में सूचित करने से लाभ होगा (वर्गीज और रॉय 2019)। भविष्य की इन नीतियों में प्रजनन वरीयताओं के संभावित मतभेदों तथा सूचना की विषमता और सास व बहू के बीच सौदेबाजी को उसी प्रकार दूर करना चाहिए जैसे गर्भनिरोधक (अशरफ एवं अन्य 2014, मैककार्थी 2019) पर पति-पत्नी के संघर्ष को हल करने हेतु योजनाएं बनाई गईं हैं।
भविष्य के शोधों को हमारे विश्लेषण को अन्य भारतीय राज्यों तथा अन्य विकासशील देशों तक विस्तारित करना चाहिए ताकि महिलाओं के सामाजिक नेटवर्क की विशेषताओं में और सास के प्रभाव में संभावित भिन्नता की पहचान की जा सके। क्या और किस प्रकार की नीतियां सास के नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला कर सकती हैं, इसका पता लगाया जाना भी बाकी है (कुमार एवं अन्य 2019)।
टिप्पणियाँ:
- एक घर में सदस्यों की विभिन्न पीढ़ियों के बीच शक्ति के लिए संघर्ष।
- माध्य (औसत) और माध्यिका की तरह बहुलक भी केंद्रीय प्रवृत्ति का एक माप है, जो एक डेटासेट में सबसे अधिक बार दिखाई देने वाली संख्या को दर्शाता है।
- पितृस्थान (ससुराल) का तात्पर्य उस प्रथा से है जिसमें एक विवाहित जोड़ा पति के माता-पिता के साथ या उनके आस-पास रहता है। पितृवंशिक वह रिश्तेदारी प्रणाली है जिसमें एक व्यक्ति की पारिवारिक सदस्यता पिता के वंश से प्राप्त होती है।
- इनमें से अधिकांश हस्तक्षेप उप-सहारा अफ्रीका (कोलरन एवं मेस 2015, इंस्टीट्यूट ऑफ रिप्रोडक्टिव हेल्थ, 2019) में होते हैं।
लेखक परिचय: एस अनुकृति वर्ल्ड बैंक के डेव्लपमेंट रिसर्च ग्रुप में अर्थशास्त्री हैं। महेश कर्रा बोस्टन यूनिवरसिटि के फ्रेडरिक एस. पार्डी स्कूल ऑफ ग्लोबल स्टडीज में वैश्विक विकास नीति के सहायक प्रोफेसर तथा ग्लोबल पॉलिसी डेव्लपमेंट सेंटर के ह्यूमन कैपिटल इनिशिएटिव के असोसिएट डायरेक्टर भी हैं। कैटलिना हरेरा-अलमान्ज़ा यूनिवरसिटि ऑफ इलिनौए (अर्बन-शैंपेन) में कृषि एवं उपभोक्ता अर्थशास्त्र विभाग में एक असोसिएट प्रोफेसर हैं।


















































