हर साल 12 फरवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में उत्पादकता, नवाचार और निपुणता के महत्त्व पर ज़ोर देना है। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत इस लेख में पारिवारिक स्वामित्व वाले बुनाई उद्यम की चर्चा की गई है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बुनाई का कार्य अक्सर एक पारिवारिक उद्यम है। 1,800 से अधिक परिवारों के डेटा का उपयोग करते हुए, हैममेकर एवं अन्य द्वारा किया गया मिश्रित-विधियों का मूल्याँकन यह दर्शाता है कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी बुनाई व्यवसाय में जुटे परिवार बुनाई कार्य में अधिक कमाते हैं और केवल एक पीढ़ी के बुनकरों वाले परिवारों की तुलना में उनकी पारिवारिक आय अधिक होती है। हालाँकि, पाया गया कि उत्पादकता के ये लाभ पूरे परिवार में समान रूप से वितरित नहीं होते हैं, क्योंकि वे उन महिला बुनकरों के लिए विस्तृत एजेंसी के रूप में तब्दील नहीं होते जो इन व्यवसायों का हिस्सा होती हैं।
भारत में कपड़ा उत्पादन का एक समृद्ध इतिहास रहा है। कपड़ा व्यापार का सबसे पहला प्रमाण 3,000 ईसा पूर्व (क्रिल 2015) सिंधु घाटी की सभ्यता से मिलता है। चमकीले पैटर्न, गहरे रंगों और हल्के कपड़ों के चलते सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक भारतीय वस्त्रों का विश्व के कपड़ा व्यापार में एक चौथाई से अधिक का योगदान था (दास 2002)। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान इस उद्योग के लक्षित विनाश के बावजूद, भारतीय कारीगर डटे रहे। वर्ष 2020 तक लगभग 31 लाख परिवार बुनाई या संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए हैं (कपड़ा मंत्रालय, 2019)।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में बुनाई का कार्य अक्सर एक पारिवारिक उद्यम है, जिसमें परिवार के कई सदस्य कार्यरत होते हैं। हम इस लेख में, अपने हालिया मिश्रित-विधियों (मिक्स्ड-मेथड) के अध्ययन (हैममेकर एवं अन्य 2023) से अंतर्दृष्टि साझा करते हैं। परिवार के स्वामित्व वाले बुनाई व्यवसायों के कामकाज की मुख्य बातें हमें कई पीढ़ियों या फिर एक पीढ़ी के व्यवसाय में शामिल होने पर उनकी आर्थिक और व्यावसायिक उत्पादकता को समझने में मदद करती हैं। हमने परिवारों के भीतर लाभ के वितरण और परिवार प्रशासन, बुनाई उत्पादकता और महिलाओं द्वारा काम किए जाने के बीच के संबंधों का भी आकलन किया है और प्राप्त डेटा से कई रुझानों का पता चलता है।
पारिवारिक स्वामित्व वाले बुनाई व्यवसायों की बदलती गतिशीलता
पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहे पारिवारिक व्यवसाय में भागीदारी परिवार की उत्पादकता को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। यह पारम्परिक ज्ञान और तकनीकों के एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को हस्तांतरण से होने वाले लाभ के कारण व्यावसायिक उत्पादकता, घरेलू कल्याण और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ाता है। यह उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए व्यवसाय को बनाए रखने को प्रोत्साहित भी करता है।
लेकिन साथ ही, पारिवारिक मूल्य या पारस्परिक संघर्ष नवाचार में बाधा डाल सकते हैं, जबकि भाई-भतीजावाद के परिणामस्वरूप संसाधनों का अकुशल आवंटन हो सकता है। इसके इलावा, प्रतिस्पर्धा बुनकरों की भावी पीढ़ियों को इस कारीगरी में भाग लेने के प्रति हतोत्साहित भी कर सकती है। उदाहरण के लिए, अपने क्षेत्रीय साक्षात्कारों में हमने पाया कि युवा उत्तरदाता, ख़ासकर महिलाओं में बुनाई के बजाय उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ओर जाने की अधिक सम्भावना है, क्योंकि इससे उन्हें उच्च वेतन वाली नौकरियाँ मिल सकती हैं। इन उत्तरदाताओं ने बड़े शहरों में जाकर काम तलाशने में भी रुचि व्यक्त की।
पारिवारिक स्वामित्व वाले व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी और उनकी स्वायत्तता और निर्णय लेने की शक्ति के बीच के संबंधों पर भी साक्ष्य इसी तरह मिश्रित हैं। परम्परागत रूप से, लैंगिक मानदंड यह तय करते हैं कि पुरुष घरेलू निर्णय लेने का नेतृत्व करते हैं और वित्तीय प्रदाता के रूप में काम करते हैं, जबकि महिलाओं को सहायक कार्य सौंपे जाते हैं (इकोनस्ट्रा बिज़नेस कंसल्टेंट्स एलएलपी, 2023)। ये रूढ़िवादी लैंगिक मानदंड महिलाओं को निर्णय लेने में योगदान देने से रोक सकते हैं, यहाँ तक कि उन घरों में भी, जहाँ वे पारिवारिक व्यवसायों में सक्रिय रूप से जुटी हुई हैं। हालाँकि पारिवारिक व्यवसायों में भागीदारी महिलाओं को स्वामित्व की भावना प्रदान कर सकती है जो उनकी स्वायत्तता और आत्मविश्वास को बढ़ा सकती है (फ़राउडेलो और सोंगिनी 2018)।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अंतर-पीढ़ीगत बुनाई परिवार
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बुनकरों के सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, हमने उन परिवारों के बीच उत्पादकता की तुलना की जहाँ कई पीढ़ियाँ (जैसे माता-पिता और साथ रहने वाले बच्चे) पारिवारिक व्यवसाय में भाग लेती हैं और जिनमें बुनकरों के बच्चे उनके पारिवारिक व्यवसाय में शामिल नहीं होते हैं। हमने बुनकरों की कई पीढ़ियों वाले परिवारों को ‘अंतर-पीढ़ीगत भागीदारी यानी इंटरजेनेरेशनल पार्टिसिपेशन (आईजीपी) परिवार’ के रूप में संदर्भित किया है और बिना अंतर-पीढ़ीगत बुनकर परिवारों को ‘गैर-आईजीपी (नॉन-आईजीपी) परिवार’ (आकृति-1) के रूप में।
आकृति-1. बुनाई उद्यमों की संरचना

टिप्पणी : डब्ल्यू- बुनकर, एक्स- गैर-बुनकर

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के पाँच जिलों में 1,800 से अधिक परिवारों में से 371 आईजीपी परिवारों और 1,514 गैर-आईजीपी परिवारों के डेटा के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि क्रमशः 53% और 82% परिवारों में, कम से कम एक महिला और पुरुष बुनाई को अपनी प्राथमिक गतिविधि मानते हैं। आमतौर पर, परिवार के मुखिया और उनके पति/पत्नी, दोनों ही बुनाई का काम करते हैं। पारिवारिक विशेषताओं में कुछ देखने-योग्य अंतर भी थे, जिनमें परिवार के मुखिया की उम्र और शिक्षा शामिल थी, और अनुभवजन्य मॉडल में विश्लेषण इन अंतरों को दर्शाता है।
पारिवारिक व्यवसाय बुनकर परिवारों की उत्पादकता को कैसे प्रभावित करते हैं
विश्लेषण में आईजीपी और गैर-आईजीपी बुनाई परिवारों के बीच की पारिवारिक उत्पादकता और महिला सशक्तिकरण में अंतर का अनुमान लगाने के लिए एक निश्चित-प्रभाव प्रतिगमन या फिक्स्ड इफ़ेक्ट रिग्रेशन मॉडल का उपयोग किया गया है। गाँव के अनुसार निश्चित-प्रभाव नियंत्रण, गाँवों में व्याप्त किसी भी अदृश्य अंतर को दर्शाता है जो संयुक्त रूप से परिवार के भीतर पारिवारिक परिणामों और आईजीपी स्थिति को निर्धारित करता है। आईजीपी और गैर-आईजीपी परिवारों के बीच के देखने-योग्य अंतर को ध्यान में रखने के लिए, इसमें ‘नियंत्रण’ का एक अतिरिक्त सेट जैसे कि परिवार के मुखिया का लिंग, शिक्षा का स्तर, आयु समूह, क्या परिवार अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित है, और परिवार के निर्माण का प्रकार, भी शामिल है।1
विश्लेषण से पता चलता है कि बुनकरों की कई पीढ़ियों वाले आईजीपी परिवारों ने पारिवारिक उत्पादकता के अधिकांश उपायों में गैर-आईजीपी परिवारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है (आकृति-2)। विशेष रूप से, गैर-आईजीपी परिवारों की तुलना में आईजीपी परिवार आय में 29% अधिक और बुनाई राजस्व में 17% अधिक अर्जित करते हैं। उन पर लेनदारों का ऋण भी 84% कम है, घरेलू संपत्ति में 12% अधिक (चतुर्थांश) हैं, वे 3.1% अधिक भूमि के मालिक हैं और खर्च में 10% अधिक उत्पन्न करते हैं।
आकृति-2. आईजीपी और गैर-आईजीपी के संदर्भ में पारिवारिक उत्पादकता परिणाम

टिप्पणी : पारिवारिक उत्पादकता के माप में, बुनाई उद्यमों से राजस्व के प्राकृतिक लॉग, ऋण, आय और व्यय शामिल हैं। हम उत्पादकता के माप के रूप में पारिवारिक संपत्तियों की संख्या का चतुर्थक और एक संकेतक भी शामिल करते हैं कि किसी परिवार के पास भूमि है या नहीं। कैप्स 95% विश्वास अंतराल, कॉन्फिडेंस इंटरवल को दर्शाते हैं।

आईजीपी परिवार समग्र रूप से अधिक उत्पादकता दर्शाते हैं, जबकि अंतर-पीढ़ीगत पारिवारिक व्यवसायों में भाग लेने से अधिक स्वायत्तता के मामले में महिलाओं को कोई लाभ नहीं होता है (आकृति-3)। परिणाम बताते हैं कि भले ही आईजीपी परिवार उच्च उत्पादकता परिणाम दर्शाते हैं, इन परिवारों में महिलाएं कार्य-अवसर के मेट्रिक्स में बदतर थीं, जिसमें आत्म-प्रभावकारिता, पारिवारिक निर्णयों में योगदान करने की स्वायत्तता और ऋण या बचत जैसी पारिवारिक संपत्ति पर ‘नियंत्रण’ शामिल था।
गैर-आईजीपी परिवारों की तुलना में, आईजीपी परिवारों में कम से कम एक महिला होने की सम्भावना 2% अधिक है जो कृषि, वेतनभोगी कार्य या आकस्मिक श्रम जैसी उत्पादक गतिविधियों में भाग लेती है। हालाँकि, आईजीपी परिवारों की महिलाओं की घरेलू ऋण लेने की सम्भावना 7% कम है, उनके बचत किए जाने की अधिक सम्भावना नहीं है, उनके पास अधिक संपत्ति नहीं है, उनका उद्यम निर्णयों में 7% कम योगदान होता है, पारिवारिक निर्णयों में 4% कम योगदान होता है और बच्चों के पालन-पोषण के बारे में निर्णय में वे 5% कम योगदान देती हैं। वे उद्यम-संबंधित आत्म-प्रभावकारिता में कम आत्मविश्वास भी रिपोर्ट करती हैं और साप्ताहिक रूप से उनके अपने घर से बाहर जाने की सम्भावना भी कम होती है।
आकृति-3. आईजीपी और गैर-आईजीपी के संदर्भ में महिलाओं के कार्य-अवसरों के परिणाम

टिप्पणी : महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के परिणामों को मापने के लिए, हम संकेतकों का उपयोग करते हैं कि क्या महिला किसी भुगतान वाले काम में लगी हुई है, उसने ऋण लिया है, व्यक्तिगत उपयोग के लिए कोई बचत की है, या क्या घर में कम से कम एक महिला है जो आय का सृजन करने वाली गतिविधियों में भाग लेती है। हम महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के संकेतक के रूप में महिला के स्वामित्व वाली पारिवारिक संपत्ति के अनुपात को भी शामिल करते हैं। महिलाओं की स्वायत्तता से संबंधित परिणामों के लिए, हम अपना ध्यान उन निर्णयों पर केंद्रित करते हैं जिनमें वह अकेले या संयुक्त रूप से भाग ले सकती है ; आत्म-प्रभावकारिता के प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक है और यह संकेतक कि क्या महिला सप्ताह में कम से कम एक बार अपने घर से बाहर निकलती है। कैप्स 95% विश्वास अंतराल, कॉन्फिडेंस इंटरवल को दर्शाते हैं।

आम तौर पर हमारे नमूने में, महिलाओं की खेती या मजदूरी भागीदारी में अन्य प्रकार के पारिवारिक निर्णयों की तुलना में पारिवारिक उद्यम निर्णयों में योगदान देने की अपेक्षाकृत कम सम्भावना होती है (आकृति-4)।
आकृति-4. महिलाओं की निर्णय-प्रक्रिया, निर्णय के प्रकार के आधार पर

टिप्पणी : बार हमारे विश्लेषण नमूने में उन महिलाओं के प्रतिशत को इंगित करते हैं जो खेती, मजदूरी भागीदारी और उद्यम से संबंधित निर्णय अकेले या संयुक्त रूप से लेती हैं।

निहितार्थ और निष्कर्ष
हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि कई पीढ़ियों की भागीदारी वाले बुनाई व्यवसाय आम तौर पर पारिवारिक कल्याण उपायों जैसे राजस्व, धन और उपभोग व्यय के मामले में अधिक उत्पादक होते हैं। हालाँकि, इन लाभों का वितरण लैंगिक आधार पर है और जो महिलाएँ बहु-पीढ़ी बुनाई व्यवसायों में काम करती हैं, वे कम आत्म-प्रभावकारिता और स्वायत्तता की रिपोर्ट करती हैं।
इस निष्कर्ष का पारिवारिक व्यवसाय के रूप में हथकरघा बुनाई के भविष्य पर ठोस वित्तीय प्रभाव हो सकता है। निर्णय लेने में सम्भावित रूप से महिलाओं और लड़कियों का बाहर रहना बुनाई उद्यम के लिए अक्षमता पैदा कर सकता है, क्योंकि ये सम्भावित कर्मी घरों से बाहर कमाई के अन्य अवसरों पर विचार कर सकते हैं।
हमारे परिणामों के आधार पर बुनकरों को एकजुट करने के लिए कार्यरत व्यवसायियों को, महिलाओं को पारिवारिक व्यवसाय निर्णयों में भाग लेने के लिए प्रशिक्षित करने और व्यवसाय में संयुक्त निर्णय लेने को प्रोत्साहित करने के लिए व्यवहार-परिवर्तन हस्तक्षेपों को लागू करने पर विचार करना चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए।
भविष्य का शोध-कार्य पारिवारिक बुनाई व्यवसायों में भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों को सूचित करने के लिए परिवार प्रशासन संरचनाओं और उत्पादकता या महिला कार्य-अवसर के बीच के कारण-संबंधों का भी पता लगा सकता है। यह नए हस्तक्षेपों को डिजाइन करने और इक्विटी को प्राथमिकता देने के अवसरों की पहचान करने के लिए परिवारों के बीच शक्ति की गतिशीलता का भी अध्ययन कर सकता है और संयुक्त निर्णय लेने के लिए क्षेत्रों की पहचान करने के लिए बुनाई मूल्य श्रृंखला हितधारकों की सिस्टम मैपिंग का उपयोग कर सकता है।
यह लेख 'पारिवारिक बुनाई व्यवसायों और उत्पादकता में अंतर-पीढ़ीगत भागीदारी : चित्रिका से एक केस-स्टडी' (हैममेकर, जैन, जैन, पांडे और पटेल 2023) के निष्कर्षों पर आधारित है। यह कार्य-आलेख 3ie द्वारा प्रशासित और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्त-पोषित ‘स्वशक्त साक्ष्य कार्यक्रम’ का एक हिस्सा है।
टिप्पणी:
- परिणामों की व्याख्या सावधानी से की जानी चाहिए- चूँकि हम अपने प्रतिगमन विश्लेषण में नियंत्रणों के एक समृद्ध सेट का उपयोग करते हैं, अतः हम प्रयोगात्मक या अर्ध-प्रायोगिक रणनीति के माध्यम से अंतर्जात चयन, कौशल, प्रेरणा इत्यादि को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं। हमारा अध्ययन वर्णनात्मक है और इसका उपयोग अंतर-पीढ़ीगत भागीदारी और पारिवारिक उत्पादकता या महिलाओं के कार्य-अवसर के बीच के संबंधों के बारे में कारणात्मक निष्कर्ष निकालने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
अंग्रेज़ी के मूल लेख और संदर्भों की सूची के लिए कृपया यहां देखें।
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